Jise Samjha mamuli wah Nikla Karodpati - 6 in Hindi Thriller by ABHISHEK books and stories PDF | जिसे समझा मामूली वह निकला करोड़पति - SEASON - Part 6

Featured Books
Categories
Share

जिसे समझा मामूली वह निकला करोड़पति - SEASON - Part 6

गहरी रात थी। एक सुनसान गोदाम में हल्की-हल्की रोशनी जल रही थी। अवंतिका को गुंडों ने एक कुर्सी पर बैठा रखा था। उसके हाथ बंधे हुए थे, लेकिन उसके चेहरे पर डर के बजाय गुस्सा था।

तभी दरवाजे पर किसी के कदमों की आहट हुई। गुंडे सावधान हो गए।

दरवाजा खुला, और सामने आर्यन खड़ा था।

अवंतिका (हैरान होकर) – "आर्यन?! तुम यहाँ कैसे?"

आर्यन हल्की मुस्कान के साथ अंदर आया।

आर्यन (गंभीर स्वर में) – "क्यों, क्या तुम्हें सच में लगा कि मैं तुम्हें अकेला छोड़ दूँगा?"

अवंतिका की आँखों में सवाल थे।

अवंतिका – "लेकिन… ये सब? तुमने ही मुझे किडनैप करवाया?"

आर्यन ने उसकी रस्सियाँ खोलते हुए कहा—

आर्यन – "हाँ, क्योंकि अगर मैंने ऐसा नहीं किया होता, तो नामांश के लोग तुम्हें उठा ले जाते। उसने तुम्हें किडनैप करने का पूरा प्लान बना लिया था। इसलिए मैंने पहले ही एक चाल चली और तुम्हें सुरक्षित जगह पर ले आया।"

अवंतिका को आर्यन की बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था।

अवंतिका (गुस्से से) – "तो तुम कहना चाहते हो कि यह सब मेरे बचाव के लिए था?"

आर्यन ने मुस्कुराते हुए लैपटॉप खोला और एक वीडियो प्ले किया।

आर्यन – "यह देखो, तुम्हें खुद पता चल जाएगा कि मैंने सही किया या नहीं।"

लैपटॉप स्क्रीन पर उनके घर के बाहर का लाइव फुटेज चल रहा था। नामांश के गुंडे आर्यन के घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

अवंतिका (हैरान होकर) – "तो तुम पहले से जानते थे?"

आर्यन ने सिर हिलाया।

आर्यन (गंभीर स्वर में) – "हाँ। मैंने पहले ही तुम्हारे घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे। और अब तुम्हें वो देखना चाहिए, जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है।"

आर्यन ने वीडियो को आगे बढ़ाया। स्क्रीन पर नामांश और अवंतिका की माँ आपस में बात कर रहे थे।

अवंतिका की माँ (गुस्से में) – "क्या किया तुमने? एक भी काम सही से नहीं हो पा रहा है! हमने इतनी बड़ी प्लानिंग की थी कि आज अवंतिका को किडनैप कर लेंगे, लेकिन तुमसे वो भी नहीं हुआ!"

नामांश (क्रूर हंसी के साथ) – "तुम घबराओ मत। अगर आज नहीं, तो कल अवंतिका मेरे चंगुल में जरूर होगी!"

अवंतिका यह सब देखकर सन्न रह गई। उसकी आँखों में आँसू थे।

अवंतिका (गहरी साँस लेते हुए) – "माँ… मेरी ही माँ ने मेरे साथ ऐसा किया?"

आर्यन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा—

आर्यन (संवेदनशील स्वर में) – "अब तुम्हें समझ आया कि मैंने ऐसा क्यों किया? मैंने तुम्हें बचाने के लिए ये कदम उठाया, क्योंकि मुझे पता था कि तुम्हें अपने ही घर में धोखा मिल रहा है।"

अवंतिका ने आर्यन की ओर देखा। उसके चेहरे पर पछतावा और भावनाओं का तूफान था।

अवंतिका (धीरे से) – "मैंने हमेशा तुम्हें गलत समझा, लेकिन तुमने हर बार मेरी रक्षा की…"

आर्यन ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—

आर्यन (मुस्कुराते हुए) – "अब भी देर नहीं हुई, अवंतिका। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा!"

अवंतिका की आँखों में प्यार और कृतज्ञता का भाव आ गया। उसने धीरे से आर्यन का हाथ थाम लिया।

उनके बीच एक गहरी ख़ामोशी थी, लेकिन इस ख़ामोशी में वो एहसास था, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता था।

(आगे जारी रहेगा… क्या अवंतिका अपनी माँ का सामना कर पाएगी? नामांश की अगली चाल क्या होगी? जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करें!)