Matsya Kanya - 10 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 10

Featured Books
  • انکہی محبت

    ️ نورِ حیاتحصہ اول: الماس… خاموش محبت کا آئینہکالج کی پہلی ص...

  • شور

    شاعری کا سفر شاعری کے سفر میں شاعر چاند ستاروں سے آگے نکل گی...

  • Murda Khat

    صبح کے پانچ بج رہے تھے۔ سفید دیوار پر لگی گھڑی کی سوئیاں تھک...

  • پاپا کی سیٹی

    پاپا کی سیٹییہ کہانی میں نے اُس لمحے شروع کی تھی،جب ایک ورکش...

  • Khak O Khwab

    خاک و خواب"(خواب جو خاک میں ملے، اور خاک سے جنم لینے والی نئ...

Categories
Share

मत्स्य कन्या - 10

अब आगे.......

इशिता को होश आने लगा था, जिसे देखकर सिद्धार्थ जल्दी से उसके पास बैठकर थामते हुए कहता है.... " थैंक गॉड.. तुम्हे होश तो आया तृषा..." त्रिश्का सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है... " पता नहीं सिड मैं कैसे बेहोश हो गयी... ऐसा पहली बार हुआ है ज़ब मुझे पानी... " पानी कहते हुए त्रिश्का चुप हो जाती है और कुछ सोचते हुए कहती है... " मुझे किसने बचाया... " सिद्धार्थ जल्दी है कहता है... " मैंने बचाया तृषा... " रौनक, पायल सवालिया नज़रो से उसे देखते है, पर सिद्धार्थ उन्हें चुप रहने के लिये इशारा करता है... त्रिश्का सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है.... " पता नहीं मुझे लगा किसी ब्लैक कैप पहने इंसान नहीं बचाया है... " तीनो हैरानी से उसे देखते है... लेकिन सिद्धार्थ बातों को बदलते हुए कहता है... " तुम्हे मैंने हीं बचाया है... ये छोड़ो अब घर चलो....त्रिश्का सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है..... " ठीक है लेकिन.... यहां से सबको बचाकर... " सिद्धार्थ त्रिश्का के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है... " रिलैक्स तृषा.. सब सेफ है अब... लेकिन तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए चलो... " त्रिश्का हामी भरते हुए खड़ी होती है लेकिन तभी लड़खड़ा जाती जिसे सँभालते हुए सिद्धार्थ कहता है.. " देखा तुम ठीक नहीं हो.... " सिद्धार्थ की केयरिंग देखकर त्रिश्का मुस्कुराते हुए कहती है... " ठीक है चलो... " 

सिद्धार्थ त्रिश्का को लेकर घर तो चला गया लेकिन उसे क्या पता था की त्रिश्का की प्रॉब्लम अभी बाकि है.... सिद्धार्थ त्रिश्का घर पहुंच चुके... त्रिश्का को देख मालविका जी उसके पास आती है.. त्रिश्का के चेहरे को देखते हुए कहती है.... " बेटा क्या हुए तुझे तेरा चेहरा इतना मुरझाया हुए क्यूँ लग रहा है..." त्रिश्का हॅसते हुए कहती है... " कुछ नहीं माँ बस आज तबीयत ठीक नहीं है... मैं चेंज करके आती हूँ आप जबतक सिड से बात कीजिये.... " त्रिश्का के जाने के बाद मालविका सिद्धार्थ से पुछती है... " तुम दोनों कुछ तो छुपा रहे हो क्या हुए है.. मुझे बताओ... " मालविका जी के जोर देने पर सिद्धार्थ उन्हें बीच पर हुए इंसिडेंट के बारे में बताता है... अविनाश जी जोकि अभी घर में एंट्री की थी, सिद्धार्थ की बात सुनकर गुस्से में कहते है.... " मैंने मना किया था ना वहाँ मत जाओ मालविका लेकिन तुमने मेरी नहीं सुनी, आखिर क्या तुम तृषा को ऐसे हाल में देख सकती हो... " सिद्धार्थ सवालिया नज़रो से दोनों को देख रहा था , सिद्धार्थ की परेशानी समझते हुए मालविका जी अविनाश जी से कहती है... " आप भी न कुछ भी कहते है, मैं अपनी बेटी का अच्छा हीं चाहूंगी न,... " अविनाश जी सिद्धार्थ की तरफ देखकर कहे है... " बेटा.. बैठो तो सही.. वो तो मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया था बस... "

सिद्धार्थ मुस्कुराते हुए कहता है.... " आई नॉ अंकल... आप तृषा के लिये परेशान है.... अब में भी चलता हूँ माँ को डॉक्टर के पास लेकर जाना है... " मालविका सोचते हुए कहती है.... " अरे! हा बेटा मैंने सावित्री जी के लिए वो दर्द का पाउडर खरीद लिया है.. उसे ले जाना... " मालविका जी उसे पाउडर देती है जिसे लेकर सिद्धार्थ वहाँ से चला जाता है....

सिद्धार्थ के जाते हीं अविनाश जी मालविका को घूरते हुए कहते है... " तुमसे मना किया था न, अपनी अकल मत लगायो, अगर तृषा को उस बाजुबंद की वजह से कुछ हो जाता तो फिर उन्हे क्या जवाब देते हम... "

" किसे जवाब देते आप...?.. " 

मालविका और अविनाश जी हैरानी से पीछे मुड़ते है.....

,................. To be continued............