Monster the risky love - 40 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 40

Featured Books
  • DIARY - 6

    In the language of the heart, words sometimes spill over wit...

  • Fruit of Hard Work

    This story, Fruit of Hard Work, is written by Ali Waris Alam...

  • Split Personality - 62

    Split Personality A romantic, paranormal and psychological t...

  • Unfathomable Heart - 29

    - 29 - Next morning, Rani was free from her morning routine...

  • Gyashran

                    Gyashran                                Pank...

Categories
Share

दानव द रिस्की लव - 40

ये छलावा क्या होता है....?

….....Now on ...........

 
विवेक की बात सुनकर सुविता  मालती हैरानी से एक दूसरे को देखती है......
विवेक : बड़ी मां प्लीज़ मुझे बता दीजिए मैं बहुत कन्फ्यूजन में हूं......
सुविता : तुझे ये किसने बताया…...?
विवेक : बस जरूरी है जानना बड़ी मां......!
सुविता : ठीक है....बताती हूं.....!
इशान : विवू पर पता नहीं कौन सा भूत पकड़ने का भूत चढ़ गया है.....(इशान ने मुंह में निवाला लेते हुए कहा)…..
सुविता : कोई बात नहीं इशू....मेरा विवू अगर कन्फ्यूजन में है तो कन्फ्यूजन दूर करनी चाहिए न ......!
मालती : इसके दिमाग में तो पता नहीं कौन कौन से सवाल घुमाते रहते हैं…....!
अमरनाथ : सही कहा मालती.... विवेक चुपचाप खाना खाओ......!
विवेक गुस्से में खाना छोड़कर अपने कमरे में चला जाता है...
सुविता : विवू......तू भी न माला......
अमरनाथ : भाभी रहने दो आप परेशान मत हो जब मन होगा का लेखा खाना.....
सुविता : आप शांत रहिए देवर जी.....(सुविता खाने की प्लेट लेकर विवेक के कमरे में चली जाती है).... विवेक ऐसे खाने से नाराज़ नहीं होते.......
विवेक ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप मुंह फेर लिया...सुविता उसके पास जाकर बैठती है ...सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं.....
सुविता : तू जानना चाहता है न अपने सवाल का जवाब... बताती हूं पहले खाना भी खाना होगा.....
विवेक : अगर आप खिलायेंगी तो...
सुविता : ठीक है.....
उधर तक्ष परेशान सा अपने कमरे में इधर से उधर गुम रहा था...
उबांक : क्या बात है दानव राज .....?...आप कुछ परेशान लग रहें हैं.....?
तक्ष : उबांक .....मैं ठीक महसूस नहीं कर रहा हूं पता नहीं अंदर से बैचेनी क्यूं महसूस हो रही है......
उबांक : दानव नीलमावस आने में अभी दो मावस बाकी है तब तक तो आपको अपने आपको संभालना होगा...
तक्ष : नहीं उबांक मैं पुरानी बातों से ज्यादा परेशान हूं ... जितना मैं तड़पा हूं उतना शायद मैं उस आदिराज की बेटी को नहीं तड़पा रहा हूं.... सीधे उसे बलि पर चढ़ा देना मेरी तक़लिफों को कम नहीं करेगा.......!
उबांक : फिर आप क्या चाहते है दानव राज...?
तक्ष : (क्रुर हंसी के साथ).... अदिति की चीखे सुननी है मुझे ... उसके तावीज ने मुझे चोट पहुंचाई थी अब उसकी बारी...
उबांक : दानव राज... आपकी सच्चाई आदित्य को पता चल जाएगी....
तक्ष : नहीं पता चलेगी उबांक बस तुम देखते जाओ....
इधर विवेक खाना खाकर बस अपने सवाल को सुविता से पुछता है.......
सुविता : विवू बताती हूं. सुनो ....... छलावा किसे कहते हैं ..... छलावा एक अतृप्त आत्मा होती है जो अपने काम को पूरा करने के लिए किसी का भी रूप ले लेती हैं....रूप तो ले लेती है और किसी के भी शरीर को अपने वश में कर लेती है...हमें दिखाई तो वो इंसानों की तरह है पर वो होते नहीं है...
विवेक : बड़ी मां क्या वो किसी को भी मारकर खा जाते हैं...!
सुविता : नहीं विवू.....जो किसी भी इंसान को मारकर खा जाते हैं वो तो सिर्फ नरभक्षी पिशाच होते हैं......
विवेक : (हैरानी से पूछा)... नरभक्षी पिशाच.....
सुविता : हां विवू....
विवेक : बड़ी मां क्या वो भी अपने आप को इंसानी रुप में बदल लेते हैं......?
सुविता : नहीं विवू .....वो रूप नहीं बदल सकते....
विवेक : तो फिर तक्ष कौन है ....?
सुविता : कौन तक्ष विवू.....?
विवेक : कुछ नहीं बड़ी मां.....
सुविता : तू कबसे इन सब बातों पर ध्यान देने लगा है विवू .....
विवेक : (मन में). जबसे अदिति में बदलाव हो रहे हैं तबसे... अघोरी बाबा ने कहा था पिशाच की भोग्या....
सुविता : क्या हुआ विशू मैं कुछ पुछ रही हूं......?
विवेक : कुछ नहीं बड़ी मां....... बड़ी मां क्या एक बात और पुछूं.....?
सुविता : बोल ....
विवेक : बड़ी मां.... पिशाच की भोग्या का क्या मतलब हुआ...?
सुविता : तू आज ये क्या क्या सवाल करने लगा है सोना नहीं है तुझे......?
विवेक : बड़ी मां प्लीज़ बताइए न.....!
सुविता : पिशाच की भोग्या मतलब वो शख्स जो पिशाच को पसंद हो जिसका वो रक्त पान करता हो....वहीं खुन  उसके लिए उसकी ताकत होता है और एक समय आने पर वो उस शख्स को मार देते है.....
विवेक : ये क्या उलझन है जितना मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं उतना ही उलझ रहा हूं....?
सुविता : अब ये उलझन खत्म कर और सो जा ये सब बेकार बातें हैं जितना सोचो उतना ही उलझते रहते हैं तो अच्छा होगा तू इन सबके बारे में मत सोच इनसे दूर ही रह ....चल अब सो जा .....
विवेक : ओके बड़ी मां...गुड नाईट....
सुविता : गुड नाईट बेटा......(चली जाती हैं)....
विवेक : आखिर क्या हो रहा वहां.... बबिता कहना क्या चाहती है....?.....उस तोते को क्यूं देखकर क्यूं घबरा गई....?.. वो लाशों का ढेर कंकाल कैसे बन गया...?.... अघोरी बाबा क्या कहना चाहते थे......?..... इतने सारे सवालों का जवाब मैं कहां से ढूंढूं......?.तक्ष नरभक्षी है पर बड़ी मां ने कहा वो रूप नहीं बदल सकते... तो छलावा है बबिता ताई ने भी कहा था लेकिन बड़ी मां ने कहा वो किसी इंसान को नहीं मारते ....?...ओह ! ये तक्ष है क्या फिर.....काश ! अघोरी बाबा जिंदा होते तो मेरे सारे सवालों के जवाब मिल जाते.....!
विवेक करवटें बदलते बदलते हो जाता है..... लेकिन कहीं पर अभी कोई सोया नहीं है वो है हमारी अदिति.... अदिति अपने कमरे में खिड़की से बाहर तारों को देख रही थी....
अदिति : काश ! विवेक यहां होता...उसे ये मौसम बड़ा पसंद है...(तभी उसे कुछ याद आता है).... भाई ने गलतफहमी की वज़ह से विवेक को कितना कुछ बोल दिया कभी उसे बुरा न लगा हो.....(इधर उधर देखते हुए)...मेरा फ़ोन कहां है....?
अदिति अपना फोन ढुंढती है..... बबिता कमरे में आती है....!
बबिता : कुछ ढुंढ रहीं हैं दीदी जी......!
अदिति : ताई तुम...... हां ताई फोन देखा तुमने....?
बबिता : जी वहां आपके सिरहाने वाली मेज पर है...
अदिति : ओह ! मैं भी न......
बबिता : दीदी जी.....लिजिए जल्दी से दूध खत्म कीजिए.... उसके बाद आप कुछ न ढुंढ कर बस हो जाइए....!
अदिति : ठीक है ताई पर ....(मुंह बनाकर)...ये ले जाओ...
बबिता : बिल्कुल नहीं दीदी जी.... जल्दी पी लिजिए इसे अगर साहब ने देखा न तो गुस्सा करेंगे....(अदिति को दूध का गिलास थमा देती है).....और दीदी आप विवेक साहब से बात कर लेना उन्हें साहब की बात का बुरा लगा होगा....!
अदिति : ठीक है ताई.....(बबिता खाली गिलास लेकर चली जाती हैं)...... विवेक को ही तो फोन कर रही थी...(अदिति विवेक को call करती है पर विवेक की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिलता).. लगता है जनाब सो गये है.....!
अदिति इतना कहकर फोन को साइड में रखकर लेट जाती है... जैसे ही आंखें बंद करती है अचानक कमरे में कुछ गिरने की आवाज आती है.....
 
..................to be continued...............