Monster the risky love - 3 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 39

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दानव द रिस्की लव - 39

बच्चे को किसने मारा.....

...........Now on...............

 

किसी की आवाज सुनकर इशान कार के बेक्र लगाता है...

इशान : विवू देख कौन है पीछे.....?. (विवेक कार से बाहर देखता है.... बबिता पीछे से उसे बुलाती हुई आती हैं.. विवेक कार से बाहर निकलता है)....

विवेक :  आप रूकिए मैं देखता हूँ......(रुखी आवाज में)... क्यूं आवाज लगाई...?

बबिता : देखिए मुझे माफ कर दीजिए....

विवेक : (उसी आवाज में).. ठीक‌ है जाओ.....!

बबिता : नही रूकिए मुझे आपको (चारो तरफ देखती है).. बहुत जरुरी बात बतानी है.....

विवेक : कौन सी जरुरी बात.....?

बबिता : देखिए सहाब मैंने आपके बारे में जो भी कहा था वो उस तक्ष के कहने पर....मैं आपको ज्यादा कुछ नहीं बता सकती बस समझ लिजिए जो कुछ हो रहा है सही नही हो रहा है आप साहब से नाराज मत होना.... क्यूंकि आप ही दीदी को बचा सकते....!

विवेक : क्या कह  रही हो.. तुम....?

बबिता : छोटे साहब ....बस समझ लिजिए सब कुछ एक छलावा है... (बबिता उबांक को आते हुए देख लेती हैं)..... बाकि आप समझदार है ...मैं चलती हूँ.... आपकी ये फाइल रह गई थी...

(बबिता के अचानक बात बदलने से विवेक की भौंहें तन जाती हैं तब बबिता हल्के से इशारे से उबांक को दिखाती है....और वहां से चली जाती हैं)....

इशान : विवू... चलो....

विवेक : ह हां भाई ….(कार में बैठ जाता हैं)...

इशान : क्या हुआ....?

विवेक : भाई आप ये फाइल वही भूल आऐ थे बबिता ताई वही देने आई थी.....

इशान : ओह ! (फाइल ले लेता है)

.विवेक :  (मन में) बबिता ताई इस तोते से क्यूं डर गई कही तक्ष का यही तोता भी उसी की तरह mysterious तो नही..... और छलावा क्या होता है....?....(विवेक को परेशान देख इशान पुछता हैं)....

इशान : क्या बात है विवू तू आदित्य की बात से परेशान है..?.. तू tension मत ले वो अदिति को लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहता इसलिए परेशान होकर उसने बोल दिया....!

विवेक : नही भाग मैं उनकी बात से परेशान नही हूं..... (तभी बाहर से रोने चिल्लाने की आवाज आती ....)...यहां जाम क्यूं लगा हुआ है.....?

इशान : पूछना पड़ेगा.....!.....excuse me....

" जी ..."

इशान : यहां क्या हुआ है....?

 उस आदमी ने उदासी से कहा  " अरे ! भाई बड़ा बुरा हुआ है यहां ....बेचारे बच्चे को बहुत बुरी तरह मारा गया है... "

विवेक : मारा गया है मतलब…...?

" बेचारे बच्चे को पूरी तरह से खाया गया है... (डरे लहजे में).. बड़ा बुरा हुआ है हमसे तो देखा भी नहीं जा रहा है... बेचारी मां का तो बुरा हाल है रो रोकर ..."

इशान : उसे इतनी बेरहमी से किसने मारा है पता चला...!

" सबका शक तो है किसी बड़े जानवर ने मारा है... पर किसी ने उसकी आवाज तक नही सुनी ....हां लेकिन एक छोटी बच्ची बता रही है... उसने किसी बहुत बड़े जानवर को देखा था जिसके बड़े बड़े नाखुन थे..... पर वो अभी बच्ची है .."

इशान : पता नहीं हो क्या रहा है...?... आप जा सकते हैं..

विवेक : भैय्या..... वजह तक मुझे लग रहा है ये तक्ष ने किया है... बेचारे बच्चे को खा गया...

इशान : तू बिना proof के उसे कुछ नहीं कह सकता.... पर मुझे भी लगता हैं वो कुछ suspicious है... अचानक सब कंकाल कैसे बन गये.....?फ्लैश बैक ( तक्ष : कहां है लाश जिसे मैंने मारा है...?

इंस्पेक्टर : (हैरानी से) यहां अचानक कंकाल का ढेर कहां से आ गया....?)...

विवेक : क्या कंकाल भाई....?

इशान : जब अदिति को किडनैपर से बचाया ये उस समय की बात है.... मुझे भी याद है सब जगह लाश पड़ी थी ...सब मर चुके थे ...इंस्पेक्टर के गिरफतार करने से पहले ही वहां लाशो की जगह सिर्फ कंकाल थे....!

विवेक : (हैरानी से) क्या अचानक लाशो का ढेर कंकाल बन गया....?

इशान : हां विवू ....खैर छोड़ इन सब बातों को चल अंदर ...मां भी इंतजार कर रही होंगी.....!

विवेक : हां…....

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…...in aditi's home …......

अदिति : ताई... क्या गिरा है......?

बबिता : (हड़बड़ा कर)...दीदी जी आप ....कुछ नही गिरा....

अदिति : तक्ष ....तुम क्या ढुंढ रहे हो.....

तक्ष : ह हां कुछ नहीं...... लो ये जूस ही ला रहा था.. तुम्हारे लिए......

अदिति : उसकी जरुरत नहीं है...... (आवाज सुनकर आदित्य आता है)

आदित्य : क्या हो रहा है यहां पर ......अदि तू बाहर क्यूं आई...?...चल जा कमरे में ....

अदिति : जा रही हूं भाई....

आदित्य : बबिता इसे medicine दे दी....

बबिता : साहब ला ही रही थी... इतने में ये ही बाहर आ गई..

आदित्य : ठीक है तुम दो मुझे....... अब बिना नखरे करे इसे खा लो......!

अदिति : ठीक‌ है...भैय्या.....

आदित्य : चल अब .....

अदिति : भैय्या..... आपने आफिस से छुट्टी मेरे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए ली थी न....तो अपने रूम में क्या कर रहे हैं ....भाभी से बाते ...!

आदित्य : चल पागल......!

अदिति : देखा मैं सच बोल रही हूं न....

आदित्य : अच्छा.... तू आराम नही करेगी... (गोद में उठाकर ले जाता हैं)....

बबिता : (मन में) इन दोनों की खुशियों में ये तक्ष नाम का गृहण क्यूं लगा भगवान.... मैं तो हमेशा दोनों को खुश देखना चाहती थी.... नहीं बबिता तेरे जीवनदाता है ये अगर ये तुझे नही बचाते तो तेरा क्या होता ( फ्लैशबैक........ सूनसान सड़क पर एक औरत अपनी गोद में एक छोटी सी बच्ची को लिए भुखी प्यासी कड़ाके की ठंड में मदद के लिए हर गाड़ी के सामने जाकर मदद के लिए पुकार रही थी... पर कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नही था.. तभी वो जाकर एक कार सामने खड़ी हो जाती है....

" मदद किजिए साहब मेरी बच्ची मर जाएगी.. "

" क्या हुआ है तुम्हारी बच्ची को...?.. " उस इंसान ने कहा(वो और कोई नही आदित्य और अदिति ही थे)..

" मैंने कई दिनों से कुछ भी खाया...मुझे मेरे पति ने घर से निकाल दिया है.... मेरी बेटी बहुत बिमार है.. मदद किजिए... "

अदिति : भैय्या..... इन्हे घर ले चलो....!

आदित्य : लेकिन अदि 

अदिति : भैय्या देखो न ये बच्ची कितनी प्यारी है...हमे इनकी मदद करनी चाहिए....!

आदित्य : ठीक है अदि तू कहती हैं तो..... क्या नाम है तुम्हारा... !

" बबिता.. "

आदित्य : बबिता बैठो कार में....

बबिता : लेकिन....

अदिति :  घबराओ नही बैठ जाओ.....

आदित्य घर पहुंचता है........

आदित्य : तुम्हें कही जाने की जरुरत नहीं है तुम अब यही रहो और अपनी बेटी को पढा़ओ .....

बबिता : मैं आपका एहसान कभी नहीं भुलूंगी .....(चारो तरफ देखकर).... आप दोनों अकेले ही रहते हैं...!

आदित्य : हां …. मां हमारे साथ नही रहती वो गांव में रहती हैं.....एक बात मानोगी मेरी....!

बबिता : जी कहिए.....

आदित्य : बस तुम मेरी sweety  का ध्यान रखना ..!

बबिता : मैं जरूर ध्यान रखूंगी.... आप चाहे तो रसोई की जिम्मेदारी भी मुझे सौंप दिजिए......!

अदिति : ताई.... वैसे मैं आपको ताई ही बुलाऊंगी.... सोहन है काम करने के लिए आप सिर्फ बेझिझक रहिए...!…..)....बैक टू स्टोरी

बबिता : नही मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ.... मुझे अदिति को खतरे में नहीं डालना चाहिए.... मेरी मदद तो सिर्फ विवेक साहब ही कर सकते हैं.... बस उन्हें समझ आ गया हो...

...........in choudary mansion.........

....in dining table......

विवेक के सामने खाना रखा हुआ था पर विवेक का ध्यान तो कही और ही था...

सुविता : विवू... (सिर पर हाथ फेरने से विवेक का ध्यान हटता है)...

 विवेक :  जी बड़ी मां…

सुविता : विवू... कुछ परेशान से लग रहा है क्या बात है अदिति से झगड़ा हो गया क्या....?

विवेक : नही बड़ी मां… बस ऐसे ही सोच रहा था..

सुविता : बेटा झुठ बोलना नही आता…क्या बात है.....?

इशान : मां.... अदिति की तबियत (विवेक बीच में ही बोलता है)

विवेक : बड़े मां… एक बात पुछूं....!

सुविता : हां पुछ बेटा.....!

विवेक : बड़ी मां… छलावा किसे कहते हैं.....?

विवेक की बात सुनकर सुविता मालती हैरानी से एक दूसरे को देखती है......

विवेक : बताओ न बड़ी मां…

 

...................to be continued..............