Monster the risky love - 41 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 41

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दानव द रिस्की लव - 41

भयानक चेहरे वाला कौन है.....?

...........Now on ..................

अचानक कमरे में कुछ गिरने से अदिति हैरानी से देखती है ... कमरे में हल्की रोशनी होने की वज़ह से कुछ साफ नहीं दिख रहा था.... तभी  अदिति के कमरे में एक बड़ी सी परछाईं दिखती है....
अदिति : कौन...?
दूसरी तरफ से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिलता..... वो परछाईं और पास आती है.... अदिति उसका विशालकाय आकार देखकर घबरा जाती है....
अदिति : क..क..कौन हो तुम.....?
जैसे ही उस विशालकाय आकार पर रोशनी पड़ती है ... अदिति सन्न रह जाती है... उसके बड़े बड़े नाखुन ...नुकिले खुन से सने दांत ...लाल लाल बड़ी आंखें उस भयानक चेहरे को और भी भयानक बना रही थी.... अदिति चिल्ला उठी..
अदिति : भैय्या......(दरवाजे की तरफ भागती है.. जोर लगाने के बाद भी दरवाजा नहीं खोल पाती... दरवाजे से सट जाती है).... भैय्या....बचाओ....
दूसरी तरफ से आवाज जाती है जो डरी हुई अदिति को और डरा देती है..
" तावीज फैंक दो अपना.."
अदिति : क..क . क्यूं....क..क..कौन ...
" तावीज फैंको.."(चिल्लाता है)
अदिति डरी हुई बस भैय्या भैय्या चिल्लाती है....
अदिति की चिल्लाने की आवाज सुनकर आदित्य की नींद टूटती है....
आदित्य : अदि.. क्यूं चिल्ला रही है....? (उठकर दरवाजे की जाता हैं अचानक लाईट्स चली जाती हैं).... अचानक लाईट्स को क्या हो गया....?.(आदित्य ड्रायर में ट्रार्च ढूंढता है... वहीं अदिति ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती है)....
अदिति : जाओ ... यहां... से..
" सुना नहीं तावीज फैंको.."
अदिति : नहीं.....
अदिति के मना करते ही वो और उसके पास आता है....
" तुम्हें समझ  में नहीं आता ...फैको इसे नहीं तो मारी जाओगी.."
अदिति :  क..कौन ...ह ..हो ... तुम...?
" पिशाच..."
अदिति ये सुनते ही जोर से चिल्लाने लगती है......
" तावीज फैंक दो मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगा.."
आदित्य ट्रार्च लेकर बाहर आता है....पूरे घर में बस अंधेरा छा रखा था... जिसके कारण उसका चलना मुश्किल हो रहा था... जैसे तैसे करके आदित्य अदिति के कमरे तक पहुंचता है और दरवाजे को खोलने की कोशिश करता ....
आदित्य : अदि... दरवाजा खोल.....(लेकिन अदिति को कुछ सुनाई नहीं देता...)
अंदर अदिति बहुत डरी हुई थी...उस पिशाच से बचने के लिए अदिति त्रिसूल लाकेट को फैंक देती है....
अदिति : अ अ अब ...त तो ज जाओ...
" इतनी जल्दी नहीं आज तो बिल्कुल नहीं." ,(पिशाच कहते हुए अदिति के पास था .... उसके डर से अदिति बेहोश हो जाती है)......
अचानक लाईट्स आन होती है तभी तक्ष जल्दी से नीचे आता है...
तक्ष : आदित्य .... क्या हुआ और अदिति क्यूं चिल्लाई....?
आदित्य : वहीं देखने के लिए तो इतनी देर से दरवाजा नॉक कर रहा हूं....ये खोल ही नहीं रही है....
तक्ष : एक बार और धक्का लगाया क्या पता खुल जाए....
आदित्य : ठीक है (तक्ष के कहने पर आदित्य दरवाजे को धक्का देता है... वैसे ही दरवाजा खुल जाता है... अदिति को जमीन पर बेहोश पड़े देख कर जल्दी से उसे उठाता है).....अदि .....(गाल पर थपकाते हुए)... अदि... क्या हुआ तुझे..........तक्ष पानी लाओ जरा....
तक्ष पानी का गिलास लेकर आता है.." लो आदित्य..."
पानी की छिंटे मारने पर अदिति को होश आता है.....
आदित्य : अदि..... क्या हुआ..?..(अदिति कुछ नहीं कहती बस  घबराई सी आदित्य से चिपक जाती है.... जैसे अब वो बाहर देखना ही नहीं चाहती...).......अदि... क्या हुआ बोल न तू इतना कांप क्यूं रही है....?
तक्ष : आदित्य मुझे लगता है इसने कोई बुरा सपना देखा होगा...?
अदिति अचानक बोलती है " नहीं....वो .....वो....सच ... में.... था..."
आदित्य परेशान सा पुछता है " कौन था अदि....?..."
अदिति : पि.....पि ...शा...च 
आदित्य अदिति की बात पर गौर नहीं करता " अदि तू भी न कोई भी तो नहीं है यहां....तेरा वहम होगा....चल सो जा अब..."
अदिति : नहीं भैय्या.....आप...मत जाओ.....!
आदित्य : अदि......(अदिति आदित्य को कसकर पकड़ लेती है)....
अदिति : नहीं.... भैय्या.....
अदिति को इतना डरे देखकर आदित्य अदिति के पास ही रूक जाता है..
आदित्य : तक्ष तुम सो जाओ .....
तक्ष : ठीक है....अगर मेरी जरूरत हो तो बुला लेना...(तक्ष वहां से चला जाता है)......
उबांक : दानव राज आपने इसे ज्यादा ही डरा दिया.....!
तक्ष : कुछ ज्यादा नहीं हुआ है.....अब बस वशीकरण तावीज इसे पहनाना है.....
उबांक : आज तो आपने खुद रक्त का स्वाद चखा होगा....
तक्ष : हां उबांक......अब तो उसे किसी भी तरह के सुरक्षा कवच से कोई नहीं बांध सकता (हंसने लगता है)...
 आदित्य अदिति के पास बैठे हुए ही सोया हुआ था..सूरज की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ती है जिससे उसकी आंखें खुलती हैं.....
आदित्य : सुबह हो गई..... पता नहीं मैं कब सो गया....(अदिति की तरफ देखकर)...चलो सुकून से सो तो रही है मुझे परेशान करके......(अदिति का फोन उठाकर बाहर जाता है)... तुझे कोई परेशान नहीं करेगा अब आराम कर (इतना कहकर चला जाता है)...
बबिता : आप उठ गये साहब......आज अदिति दीदी के कमरे की तरफ से.....
आदित्य : हां बबिता रात को डरावना सपना देखा होगा तो डर के मारे मेरी नींद खराब कर दी.......उसे उठाना मत मेरा नाश्ता लगा दो मैं फ्रेश होकर आता हूं.....!
बबिता : जी......
उधर विवेक नाश्ते के लिए टेबल  पर बैठा फोन को देखते देखते खुद से बड़बड़ात है..." पांच कॉल्स.... अदिति को नींद नहीं आ रही थी क्या....."
इशान उसे चिढ़ाते हुए कहता है " क्या हुआ ...अब फोन से भी छलावा के बारे में पुछा रहा है क्या..."
विवेक : भाई...आप अभी तक कल की बात को पकड़कर बैठे हैं....
इशान : अच्छा ठीक है नहीं पुछता.....
सुविता : इशू क्यूं चिढ़ा रहा है मेरे बेटे को.....
विवेक : देखिए न बड़ी मां.....
सुविता : क्या बात है विवू...?
विवेक : कुछ नहीं बड़ी मां वो विकेड ट्रीप के बारे में सोच रहा था....!
सुविता : कहां जाओगे तुम.....?
विवेक : कैंपिंग पर.....
सुविता : गुड.....चलो अब जल्दी रैडी हो जाओ कालेज नहीं जाना.....
विवेक : हां......(विवेक इतना कहकर चला जाता है....)... अदिति को फोन करता हूं.....(विवेक अदिति को फोन करता है....)
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आदित्य डाइनिंग टेबल पर बैठा फोन को निहार रहा था इतने में ही अदिति का फोन रिंग होता है...... फोन आदित्य उठाता है
आदित्य : विवेक....
विवेक : भाई....गुड मॉर्निंग....
आदित्य : हां गुड मॉर्निंग..बोलो क्या बात है....?
विवेक : हां... अदिति कहां है.....?
आदित्य : वो सो रही है....
विवेक : क्यूं कालेज नहीं जाएगी....?
आदित्य : नहीं उसकी तबीयत ठीक नहीं है.....?
विवेक : ठीक है .....(तभी अदिति की चिल्लाने की आवाज आती है)....
आदित्य : इसे फिर क्या हुआ.....बाद में बात करना....अदिति को क्या हुए...?
 
...........to be continued........