हमेशा भूतकाल की चर्चा
प्रायः लोग व्यर्थ वार्तालाप मे बड़ा रस लेते हैं। वे कभी वर्तमान मन नहीं रहते । वर्तमान को भूतकाल की नजरों सकता देखते हैं । हमारे सारे ़र्म रीति रिवाज सब भूतकाल से सम्बद्ध है ।
हम मुर्दों की पूजा करते हैं ,सदा गढ़े मुर्दे उखाड़ने मे लगे रहते हैं। वह सत्य अभी वर्तमान मन है । कितु हम सदैव वर्तमान टकी अनदेखी. करते हैं ।
आत्मा किसी के काम नहीं आती
कृष्णमूर्ति के पास ऐक दिन ऐक दम्पत्ति मिलने आऐ ।
उनके ऐकमात्र पुत्र का निधन हो गया था । उन्होंने सोचा कृष्णजी उन्हें धार्मिक विषयों की चर्चा करके सांत्वना देंगे । किंतु कृष्णमूर्ति ने कहा ,महोदय आत्मा ,पुनर्जन्म आदि काल्पनिक बातें आपका दुख दूर नहीं कर सकते । ये सिर्फ थोड़े समय.के लिए भुलावा दे सकते हैं किंतु दुख साक्षात है ,इसका सामना करिए । किसी भुलावे बहकावे से सिर्फ ध्यान भटकता है और दुख पुनः जोरों से आक्रमण करता है ।
अतः दुख के साथ रहिए उसे पूरी तरह निहारिए उसी से दुख दूर होगा ।
इसी प्रकार ऐक महिला के पति की मृत्यु पर वह सांत्वना के लिऐ कृष्णमूर्ति के पास आई । वह भी आत्मा परमात्मा पुनर्जन्म आदि की बातें करनै लगी । उसे भी कृषणमूर्ति ने आत्मा पुनर्जन्म आदि की बातें न करने की सलाह दी.। उसे पिछली स्मृतियों की ओर ध्यान न देकर अपने वर्तमान की जबाब दारियों पर ध्यान देने को कहा । अपने बच्चो की जबाबदारी उठाने की सलाह दी । सैद्धांतिक पचड़े किसी समस्या को हल नहीं करते ।
क्रोध और क्रोधी ऐक ही हैं
हमें अपने क्रोध का नियंत्रण करने को कहा जाता है । किंतु क्रोध व क्रोधी अलग नहीं ऐक ही हैं । क्या क्रोध के समय क्रोधी उससे अलग होता है ? क्रोधी का क्रोध का नियंत्रण ऐक छलावा है । सिर्फ क्रोध के समय उसके साथ निरंतर जागरूक रहकर उसका सूक्म निरीक्षण से उससे मुक्ति की संभावना रहती है । यही सत्य अन्य सभी अवगुणों यथा लोभ,काम, हिंसा आदि सभी के लिए सत्य है ।
सत्य का कोई मार्ग नहीं है
सत्य कुछ ई स्थिर वस्तु नहीं इसलिए उसका कोई मार्ग नहीं है । सत्य के नाम पर अनेक कल्पनाऐं इंसान ने बना रखी हैं ।
सत्य प्राप्ति के सारे काल्पनिक मार्ग इंसान के बनाए हुए है ।
भीड़तंत्र भेड़चाल.हजारों साल के झूठे प्रचारतंत्र के. द्वारा काल्पनिक लक्ष्य पाने कै दावे किए जाति हैं ।
सत्य यहां व अभी है
सत्य उस पार नही वरन इसी पार है ।
सत्य यहाँ वर्तमान मे जो है ,वह है न कि जीवन के किसी अग्यात सिरे के उस पार कथालोक, कल्पनालोकमे है । वर्तमान की समझ समस्याओं किया आद्योपांत समझ ,मन की पूर्ण समझ मुक्ति है वह समझ से आती है ।
संसार मे कुछ भी अजर अमर या स्थिर नहीं है
संसार मे सबकुछ परिवर्तनशील है कोई अजर अमर स्थिर सत्ता नही है । ऐसी सत्ता इंसान की बनाई हुई है ,क्योंकि इंसान स्वयम् को अपूर्ण देखता है इसलिए अपनी कमी को पूर्ण करने के लिऐ वह ऐक अनंत सत्ता ,दयालु कृपालु उसके भंडार भरने वाली काल्पनिक सत्ता की कल्पना. करता है ।
विपश्यना ध्यान संसार का सर्वश्रेष्ठ ध्यान है
संसार का सर्वश्रेष्ठ ध्यान विपश्यना ध्यान है ।
यह भगवान बुद्ध द्वारा दिया गया है । इस ध्यान मे मन की पूर्ण समझ फपर ध्यान देना बताया जाता है ।
इसमे किसी प्रकार की कल्पना देवी देवता मंत्र जप आदि का सहारा लेना नहीं सिखाया जाता । इस ध्यान से गंभीर तम रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
बौद्ध धर्म को दुनिया का सबसे श्रेष्ठ व व्यावहारिक धर्म माना गया है । नास्तिक धर्म होने से भारत के अत्यंत रूढिवाद ग्रस्त देश होने से इसका भारी विरोध हुआ व बौद्ध धर्म को देश निकाला दे दिया गया । आज बौद्ध धर्म को सर्वश्रेष्ठ धर्म माना जाता है ।
हमे विरोधी मौलिक विचार सुनना चाहिए । हम भले अपने चुने हुए रास्ते पर चले किंतु हमें सभी विचारों को सुनना समझना चाहिए ।