bandhan pyaar ka - 44 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 44

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बन्धन प्यार का - 44

और नरेश ने सुधीर को फोन कर दिया था। सुधीर शाम को नरेश के घर आ गया।नरेश बोला,"तुम दोनों बाहर चले जाओ।आपस मे बाते कर लो।"

हिना बोली"मरियम से साथ जाओ और खुलकर बात करना।"

सुधीर कार लेकर आया था।मरियम उसके साथ चली गयी।सुधीर उसे लेकर रेस्तरां पहुंचा था।"मेरा नाम सुधीर है।"अपना परिचय देते हुए बोला,"मुझे आप पसन्द हो।"

"मेरे बारे में बिना कुछ जाने।जान तो लो।"

",बताओ।"

"मेरा नाम मरियम है।मैं पाकिस्तानी मुस्लिम हूँ।हिना मेरी सहेली है।मैं यहाँ एक शादी मे शामिल होने आयी थी,"मरियम बोली,"और मेरा निकाह हुआ था। लेकिन एक साल में तलाक हो गया था।"

मरियम ने अपने बारे में सब कुछ बता दिया  था।।"

उसकी बात सुनकर सुधीर बोला,"मुझे आप कबूल हो।"

और कई घण्टे बाद वे लौटे थे।हिना बोली,"हो गयी बात?

",तेरे घर आना तो मेरे लिए बहुत शुभ रहा।मैने तो ख्वाब में भीनही सोचा था यू ही राहचलते हमसफ़र मिल जाएगा।"

"एक बात औऱ,

"क्या?"

"तुझ्रे मलाल था कि तेरे दादा हिन्दुस्ता न छोड़कर क्यो गए।अब तो तू भारत की हो ही जाएगी।"

और वे काफी देर तक बाते करते रहे।नरेश बोला,"सुधीर शादी भी जल्दी कर लो। हमे भी 15 दिन बाद जाना है।इसलिए शादी जल्दी कर लो।"

"मैं तो तैयार हूँ,फैसला मरियम को करना है।"

"मम्मी तो साथ आई है।बुआ भी साथ है और कुछ रिश्तेदार यहाँ है, बाकी पाकिस्तान से कोई आना नहीं है।"

"मम्मी से बात करनी होगी।"

और अगले दिन मरियम की मम्मी और बुआ को नरेश के घर बुला लिया गया।"

दोनों का मत था कि मरियम को अपने मजहब के लड़के से शादी करनी चाहिये।मरियम बोली,"अम्मी तुम्हारी पसन्द से एक निकाह किया था।यायाऔऱ काफी विवाद के बाद मरियम और सुधीर कि शादी पक्की हो गयी शादी कौनसे मजहब के अनुसार हो इसका एक ही तरीका निकाला गया कि कोर्ट मैरिज की जाए और फिर मैरिज पार्टी दी जाए।

और तारीख तय कर दी गयी।मरियम की तरफ से हिना औऱ सुधीर की तरफ से नरेश ने गवाही दी थी।और उसी दिन होटल मे पार्टी का आयोजन किया गया था।सुधीर, नरेश और मरियम के जो रिश्तेदार दिल्ली में थे वे इस पार्टी मे शामिल हुए थे।

मरियम, हिना से बोली,"अगर तेरे घर न आती तो निकाह नही होता।"

"अब तलाक का ख़ौफ़ तो हर समय दिमाग पर हावी नही रहेगा।"

"और सौतन का भी नही।"मरियम की बात सुनकर हिना बोली थी।

और देर रात तक पार्टी चलती रही थी।मरियम भारत एक शादी में आई थी।आते समय तो क्या उसने कभी ख्याब में भी नही सोचा था कि उसकी भी शादी हो जाएगी।वह जा तो रही है लेकिन आएगी नही।वहा की ही होकर रह जायेगी।और2 मरियम की माँ जाते समय सुधीर से बोली थी,"पाकिस्तान आना।"

"ससुराल है कभी तो आना ही पड़ेगा।"

मरियम बोली थी,"कब जाओगे?

"सोचना पड़ेगा।क्या पता एक हिन्दू शौहर को स्वीकार करे भी या नहीं।"

"बात तो सही है,"मरियम बोली,"हमारे यहाँ कट्टरपन कुछ ज्यादा ही है।""बेहतर होगा तुम्हारी मम्मी ही हमसे मिलने आ जाया करे।"

और उधर नरेश ने अपने लौटने कै टिकट बुक करा लिये थे।जाने से पहले नरेश ने सुधीर औऱ मरियम को खाने के लिये बुलाया था।नरेश की मम्मी ने दोनों को कपड़े गिफ्ट में दिये थे।

और नरेश अपनी माँ और पत्नी के साथ एयरपोर्ट पर आ गया था।सुधीर और मरियम भी उन्हें सी ऑफ करने आए थे