मंत्रों का गूंजता उच्चारण हो रहा था। आर्यन और अवंतिका एक-दूसरे को वरमाला पहना रहे थे।
आर्यन, एक साधारण लेकिन आत्मसम्मान से भरा युवक, और अवंतिका, जो पैसे और रुतबे को ही सबसे बड़ा मानती थी, आज विवाह के बंधन में बंध रहे थे। लेकिन यह विवाह प्रेम का नहीं, बल्कि एक समझौते का प्रतीक था।
अवंतिका के पिता ने आर्यन के सामने एक शर्त रखी।
अवंतिका के पिता बोल रहे हैं, "अगर तुम मेरी बेटी से शादी करना चाहते हो, तो याद रखना – इस घर में तुम्हें सिर्फ एक पति नहीं, बल्कि मेरी बेटी के हर हुक्म का पालन करने वाला बनकर रहना होगा।"
आर्यन बिना झिझक के बोल रहा है, "जी, पिताजी। मैं आपका वचन निभाऊँगा।"
फेरे पूरे होते हैं, और अवंतिका आर्यन के साथ अपने ही घर में दुल्हन बनकर आ जाती है।
घर में आर्यन एक नौकर की तरह काम कर रहा था। अवंतिका उसे बार-बार हुक्म देती जा रही थी।
अवंतिका रुखाई से बोल रही है, "आर्यन, सुबह 7 बजे मेरी गाड़ी तैयार रहनी चाहिए। और हाँ, शाम की पार्टी के लिए मेरे कपड़े प्रेस करवा देना!"
आर्यन शांत स्वर में बोल रहा है, "जो हुक्म, अवंतिका।"
आर्यन चुपचाप काम कर रहा था, लेकिन उसकी आँखों में अपमान का दर्द साफ झलक रहा था।
अवंतिका अपनी कार में बैठी थी, जिसे आर्यन चला रहा था। रास्ते में उसकी पुरानी दोस्त, राधिका, मिलती है।
राधिका हैरान होकर बोल रही है, "अरे वाह! नया ड्राइवर रखा है क्या?"
अवंतिका हँसते हुए झूठ बोल रही है, "हाँ, एकदम भरोसेमंद है!"
आर्यन चुपचाप यह सब सुन रहा था। कुछ देर बाद, उसने चुप्पी तोड़ी।
आर्यन मुस्कुराते हुए, लेकिन गहरी चोट के साथ बोल रहा है, "सही कहा, भरोसेमंद हूँ... लेकिन क्या सिर्फ एक ड्राइवर हूँ?"
अवंतिका गुस्से में बोल रही है, "गाड़ी चलाओ, बेवजह बातें मत बनाओ!"
ऑफिस में अवंतिका की मुलाकात नामांश से होती है, जो एक अमीर बिज़नेसमैन था।
नामांश मुस्कुराते हुए बोल रहा है, "अवंतिका, तुम जैसी खूबसूरत और इंटेलिजेंट लड़की एक मामूली आदमी के साथ क्या कर रही हो?"
अवंतिका बिना झिझक के बोल रही है, "कभी-कभी गलत फैसले लेने पड़ते हैं, लेकिन अब मैं सही रास्ता चुनूंगी!"
पीछे खड़ा आर्यन यह सब सुन रहा था। उसका धैर्य टूट गया। वह गुस्से में आया और अवंतिका को एक थप्पड़ मार दिया।
नामांश उठने ही वाला था कि आर्यन उसे भी थप्पड़ जड़ देता है। फिर वह अवंतिका को घर ले जाता है।
घर पहुँचते ही, अवंतिका गुस्से में चिल्ला रही है, "तुमने मुझे सबके सामने थप्पड़ कैसे मारा? तुम खुद को समझते क्या हो?"
आर्यन शांत था, उसकी आँखों में आत्मविश्वास झलक रहा था।
अवंतिका व्यंग्य से बोल रही है, "अगर तुम सच में इतने काबिल हो, तो मिस्टर बजाज का 100 करोड़ का बंगला खरीदकर दिखाओ!"
आर्यन आत्मविश्वास से बोल रहा है, "आज हँस लो, लेकिन कल दुनिया मेरी ताकत देखेगी!"
सब हँस पड़े, लेकिन आर्यन बिना कुछ कहे चला गया।
अगली सुबह, अवंतिका को ऑफिस से निकाल दिया गया। उसी दिन, उसे एक अनजान कॉल आता है।
रूद्र फोन पर गंभीर स्वर में बोल रहा है, "मैडम, आपको आज ही ऑफिस बुलाया गया है। बॉस आपसे मिलना चाहते हैं।"
अवंतिका ऑफिस पहुँचती है, और उसे सीधे बॉस के केबिन में भेजा जाता है।
जैसे ही बॉस की कुर्सी घूमी, अवंतिका की दुनिया जैसे ठहर गई। सामने कोई और नहीं, बल्कि वही इंसान बैठा था जिसे वह अब तक कमजोर समझती आई थी…
अवंतिका हैरान होकर बोल रही है, "आर्यन… तुम यहाँ?!"
आर्यन मुस्कुराते हुए बोल रहा है, "हाँ, अवंतिका। मैं अब इस कंपनी का नया मालिक हूँ। और तुम्हारी पोज़िशन? अब सिर्फ एक सबक के तौर पर याद रहेगी।"
अवंतिका आँखों में पछतावा लिए बोल रही है, "मुझे माफ कर दो, आर्यन… मैंने तुम्हें कभी समझने की कोशिश ही नहीं की!"
आर्यन गंभीर स्वर में बोल रहा है, "माफ़ी? रिश्ते प्यार और सम्मान से चलते हैं, अहंकार से नहीं। अब तुम्हें भी सीखने की ज़रूरत है कि असली ताकत क्या होती है!"
अवंतिका की आँखों में पश्चाताप छलक आया। उसे एहसास हो गया कि उसने कितनी बड़ी गलती की है।
सच्चा प्यार अहंकार से नहीं, सम्मान से निभता है। कभी-कभी हमें अहंकार और सच्चे रिश्ते के बीच का फर्क बहुत देर से समझ आता है।