Pyaar ki Pahchan - 6 in Hindi Love Stories by Aman Mishra books and stories PDF | प्यार की पहचान - 6

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प्यार की पहचान - 6

Chapter 4 - अभिषेक और प्रिय की( First Date) Part-2

थोड़े ही देर मे वह लोग ढाबे पर पहुंच गए,वहा पहुंचते ही वो लोगो ने देखा की आज उस ढाबे पर पहले से भी अधिक गर्दी थी। अभिषेक ने जाकर उस ढाबे के मालिक सरदार सिंह से बात की और कहा"सरदार जी,क्या आज हमे दो लोगो के लिए जगह मिल सकती है ?"

इस पर सरदार जी कहते है "हां जी,मिल सकती है पर आपको थोड़ा इंतज़ार करना होगा" [ऐसा कहकर अभिषेक और प्रिय वहा दो घंटे तक इंतज़ार करते है"और आखिर दो घंटे के बाद उन्हें जगह मिल जाती है ] 
जगह मिलते ही वह लोगो ने सोच लिया था की आज वह इस ढाबे के famous चिकन ही खाएंगे। इसलिए जब सरदार सिंह उनके पास आते है तो वो दोनों केवल एक ही चीज़ मंगवाते है वह दोनों कहते है की "आज हम सिर्फ चिकन खाएंगे आप जल्द से जल्द दो प्लेट चिकन ले आइए "
यह सुनकर सरदार सिंह जी थोड़े चिंतित हो जाते है। [यह देखकर अभिषेक उन्हसे पुछता है ] 
अभिषेक,प्रिय और सरदार सिंह के चर्चा का आवरण :-
अभिषेक:- क्या बात है,सरदार सिंहजी आप बड़े चिंतित लग रहे है ??
सरदार सिंहजी:- नहीं,साहब वो क्या है आज हमारे ढाबे पर बहुत ही गर्दी है जैसे की आप देख ही रहे है और आज चिकन ख़तम हो चुका है और अब हमारे पास सिर्फ सिर्फ एक ही प्लेट चिकन बचा हुआ है और आपने दो प्लेट चिकन का order दिया है इस वजह से मे थोड़ा चिंतित हु ऐसा कीजिये आप एक प्लेट चिकन मंगवा लीजिये और बाकि दुसरी प्लेट आप दुसरा कुछ मंगवा लीजिये। 
प्रिय:- हां सरदारजी पर हम तो यहाँ चिकन खाने ही आए थे और उसी वजह से हमने दो घंटे इंतज़ार भी किया है।  
सरदार सिंहजी:- हां मे जानता हु इसलिए मे आपसे माफ़ी चाहता हु 
[इस पर अभिषेक सरदार सिंह से कहता है ]
अभिषेक:- नहीं, सरदार सिंह जी आप ऐसा कीजिए आप एक प्लेट चिकन ही ले आइए प्रिय एक काम करते है की तुम यहाँ चिकन खा लो मे यहाँ फिर कभी दोबारा आ जाऊँगा तब खा लूंगा । 
[इस पर प्रिय अभिषेक से कहती है ]
प्रिय:- नहीं अभिषेक ऐसा नहीं हो सकता मे अकेले खाऊ और तुम ऐसे भूखे रहो ये भी ठीक नहीं है एक काम करते है सरदार जी आप वह एक प्लेट चिकन ही ले आइए मे और अभिषेक एक ही प्लेट से खा लेंगे। क्यों कैसी लगी मेरी तरकीब अभिषेक ??
[इस पर अभिषेक मन ही मन बहुत खुश होता है ]
अभिषेक:- ठीक है प्रिय जैसा तुम ठीक समझो।
ऐसा कहकर अभिषेक और प्रिय एक ही प्लेट चिकन का order देते है और दोनों आज एक ही साथ एक ही प्लेट मे खाते है। 
खाना खाने के बाद वह दोनों ढाबे से निकल जाते है और आज अपना सफर पूरा करके अभिषेक प्रिय को उसके घर छोड़ देता है। 
अभिषेक और प्रिय के चर्चा का आवरण:- 
अभिषेक:- चलो, प्रिय अब हम तुम्हारे घर पहुंच गए मे उम्मीद करता हु की तुम्हे मेरे साथ आज मज़ा आया होगा ?
[इस पर प्रिय खुश होकर बोलती है ]
प्रिय:- हां अभिषेक मुझे बहुत मज़ा आया अब हम अक्सर कही न कही साथ मे घूमते रहेंगे क्यों अभिषेक 
अभिषेक:- हां जरूर चलो अब मे चलता हु 
[जाते जाते प्रिय अभिषेक से गले लगकर अभिषेक का धन्यवाद करती है और अपने घर चली जाती है ]