Pyaar ki Pahchan - 3 in Hindi Love Stories by Aman Mishra books and stories PDF | प्यार की पहचान - 3

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प्यार की पहचान - 3

Chapter 3- दोस्ती की शुरुवात भाग- २ (Part 1)

अगले ही दिन मिस मैरी ने प्रोजेक्ट के काम के तहत एक मीटिंग रखी थी। सभी को अपने अपने पार्टनर के साथ हाजिर होना था। अभिषेक आज पहले से ही तैयार होकर समय पर पहुंच चुका था और वह प्रिय के आने के इंतज़ार मे था। प्रिय के आते ही अभिषेक ने उसे मुस्कुराकर कहा "अच्छा हुआ प्रिय तुम समय पर आ गई " इस पर प्रिय ने कहा"हां समय पर तो आना ही था हमारी प्रोजेक्ट की मीटिंग जो थी आज "
इतना कहते ही मिस मैरी ने प्रोजेक्ट की डिटेल्स देना शुरू कर दिया था। मिस मैरी ने कहा "प्यारे विद्यार्थियों तुम सबको अभी तक अपने ग्रुप का पता चल चुका होगा तो अब ध्यान से सुनो तुम्हे इस प्रोजेक्ट मे करना क्या होगा। हर ग्रुप के हिसाब मे एक लड़का और लड़की का जोड़ी है। तो लड़कियों को अपने पार्टनर को मॉडल मानकर उन्हें ध्यान मे रख कर उनके लिए कपडे डिज़ाइन करने होंगे और जो ग्रुप अपने पार्टनर के लिए सबसे अच्छे कपडे डिज़ाइन करेगा उस ग्रुप को ही आगे प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा। मे उम्मीद करती हु अब आपको समझ गया होगा की आपको क्या करना है अब आप सब जाकर अपने अपने ग्रुप के साथ तयारी शुरू कीजिये। 
ऐसा कहकर मिस मैरी लेक्चर ख़तम कर वहा से चली जाती है । सब अपने अपने पार्टनर के साथ अपने प्रोजेक्ट की तैयारियों मे जुट जाते है  
अभिषेक और प्रिय के चर्चा का आवरण:- 
अभिषेक:- प्रिय, तुम्हे क्या लगता है हमे कौनसी theme चुननी चहिए ??
प्रिय:- अभिषेक सच कहु तो मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा है 
अभिषेक:- परन्तु ऐसा क्यों??मुझे बताओ की ऐसी क्या दिक्कत हो रही है तुम्हे ?
प्रिय:- देखो हमारे प्रोजेक्ट के मुताबिक मुझे अपने पार्टनर यानी तुम्हारे लिए मुझे कपडे डिज़ाइन करने है अपने Fashion sense पर
अभिषेक:- हां प्रिय तो उसमे दिक्कत क्या है ?
प्रिय:- हा तो दिक्कत ये है की मै तो तुम्हे अभी तक ठीक से जानती भी नहीं हु तो मै तुम्हारे लिए कपडे कैसे डिज़ाइन करू बताओ ?और तुम्हे पता है ना मिस मैरी ने क्या कहा था की जो भी ग्रुप ये प्रोजेक्ट मे अच्छा प्रदर्शन करेगा मिस मैरी उस ग्रुप को प्रतियोगिता के लिए भेजेंगी तुम्हे याद है न ?
अभिषेक:- हां हां तुम चिंता मत करो हम इस प्रोजेक्ट मे जरूर अच्छा प्रदर्शन करके दिखाएँगे और रही बात मुझे जानने की मेरे पास उसके लिए भी एक तरकीब है 
प्रिय:- और वो क्या तरकीब है बताओ??
अभिषेक:- देखो हमे ये प्रोजेक्ट submit करने के लिए पूरा एक महीने का वक्त है तो क्यों ना हम दोनों कही साथ मे घूमने चले इससे क्या होगा की तुम मुझे अच्छे से जानने लगोगी जिससे हम हमारे इस प्रोजेक्ट मे और अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे।
इस पर प्रिय हंसती हुई अभिषेक से कहती है। 
प्रिय:- वाह ! अभिषेक क्यों नहीं परन्तु मुझे तुम्हारा पुछने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा 
अभिषेक:- थीक है प्रिय, फिर मैं तुम्हे जगह तय करके बताता हु की हमे कब और कहा चलना है ?
प्रिय:- थीक है अभिषेक फिलाल मैं अभी चलती हु 
[ऐसा कहकर प्रिय वहा से चली जाती है ],दुसरी ओर अभिषेक की ख़ुशी का ठिकाना न था परन्तु वह सोचने लगता है की वह प्रिय के साथ कहा घूमने जा सकता है। इस पर discuss करने के लिए वह अपने मित्रों(राहुल और अलोक) के पास जाता है। 
अभिषेक और उसके मित्रों का चर्चा का आवरण:-
राहुल:- हां अभिषेक,बताओ क्या हुआ तुमने हमे इतनी जल्दी मे क्यों बुलवाया ??सब थीक है ना ??
अभिषेक:- नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है 
अलोक:- परन्तु राहुल ये तो बड़ा खुश लग रहा है मुझे नहीं लगता है यह कोई बड़ी परेशानी मे होगा जरूर बात कुछ और ही है ??क्यों अभिषेक ??[इस पर अभिषेक ने उसके और प्रिय के बीच हुई सारी घटना कह सुनाई ]
अलोक:- अरे वाह! अभिषेक ये तो बहुत अच्छी बात है पर तुमने सोचा है की तुम उसके साथ कहा जाने वाले हो ??
अभिषेक:- मैंने अभी तक कुछ सोचा नहीं है इसलिए तो मे तुम लोगो के पास आया हु ताकि तुमलोगो से कुछ ideas मिल सके 
अलोक:- मुझे लगता है तुम्हे उसे किसी film के लिए ले जाना चहिए