Pyaar ki Pahchan - 5 in Hindi Love Stories by Aman Mishra books and stories PDF | प्यार की पहचान - 5

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प्यार की पहचान - 5

Chapter 4 - अभिषेक और प्रिय की (First Date Part-1 )

अगली सुबह अभिषेक तैयार होकर पहुंच जाता है प्रिय के घर ठीक सुबह 8 बजे। अभिषेक को देख प्रिय एक बार के लिए स्तब्ध रह जाती है और वही हाल अभिषेक का भी होता है। अभिषेक प्रिय को देख देखता ही रह जाता है
प्रिय और अभिषेक का discussion:- 
प्रिय:- अरे वाह ! अभिषेक आज तो तुम बिलकुल अलग ही लग रहे हो ??
अभिषेक:- क्या सच मे प्रिय वैसे तुम भी आज बहुत अलग और सुंदर लग रही हो 
[इस पर प्रिय थोड़ी शर्मा जाती है और अभिषेक से कहती है ]
प्रिय:- Thank u अभिषेक अब हम चले वरना पुरा दिन यु ही निकल जाएगा 
ऐसा कहकर वह दोनों अपने सफर के लिए निकल पड़ते है
अभिषेक और प्रिय दोनों सबसे पहले exhibition मे पहुंचते है। वहा बड़े बड़े fashion designers आए हुए थे। वहा पहुंचकर दोनों ने एक एक करके सारे designs देखे। आज प्रिय और अभिषेक सारी चीज़े साथ मे ही कर रहे थे। उन दोनों मे उस exhibition मे रखी हर चीज़ दोनों ने साथ मे देखी और इतना ही नहीं दोनों ने हर एक designs को देख अपनी observations भी note down की। इसके बाद अभिषेक और प्रिय दोनों पहुंचे वहा लगे seminar मे। exhibition ख़तम होते ही वह लोग पहुंचे cafe मे जहा वो दोनों साथ मे बैठे coffee पी रहे थे।
अभिषेक और प्रिय के चर्चा का आवरण:- 
प्रिय:- आज तो exhibition मे बहुत मज़ा आया अभिषेक कितनी अच्छी अच्छी designs देखने मिली और बहुत सिखने भी मिला सब तुम्हारी वजह से 
[परन्तु अभिषेक मन ही मन सिर्फ प्रिय के सपने देख रहा था वह तो इस बात से सबसे ज्यादा खुश था की आज वो प्रिय के साथ बाहर घुमने आया है, इतने मे प्रिय फिर अभिषेक से पुछती है
प्रिय:- अभिषेक ?? क्या हुआ तुम सुन रहे हो ना ?? [इस पर अभिषेक प्रिय से कहता है ]
अभिषेक:- मुझे ख़ुशी है प्रिय की तुम्हे मेरे साथ घुमना पसंद आया 
प्रिय:- हां, और सबसे अच्छी बात ये हुई की इस exhibition मे आकर हमे बहुत सारे नए ideas मिले है देखना उनसे मे तुम्हारे लिए क्या बढ़िया कपडे design करुँगी और तुम देखना अभिषेक ये project मे सबसे अच्छा प्रदर्शन हम ही करेंगे और मिस मैरी जिस प्रतियोगिता की बात कर रही थी उस प्रतियोगिता मे भी हम ही जाएंगे। 
अभिषेक:- हां प्रिय हम जरूर जाएंगे और उस प्रतियोगिता मे जीतेंगे भी।
यह बात सुनकर प्रिय इतनी खुश हो जाती है की वह ख़ुशी के मारे अभिषेक को गले लगा लेती है। इस पर अभिषेक ख़ुशी के मारे फूलो नहीं समाता उसका चेहेरा शर्म से लाल हो जाता है। [इस पर प्रिय अभिषेक से कहती है ]
प्रिय:- क्या हुआ,अभिषेक तुम थीक हो [इस पर अभिषेक प्रिय से शरमाते हुए कहता है ]
अभिषेक:- नहीं, नहीं प्रिय मे बिलकुल थीक है वो क्या है आज पहली बार किसी लड़की ने मुझे गले से लगाया इस वजह से मे थोड़ा हक्का बक्का रह गया। 
[इस पर प्रिय हॅसते हुए कहती है ]
प्रिय:- अरे, अभिषेक तुम कितने प्यारे हो ये सुनकर तो मुझे और भी अच्छा लगा। 
[ऐसा कहकर वह दोनों ने अपनी कॉफ़ी ख़तम की और वह लोग निकले एक अच्छे हॉटेल मे खाना खाने के लिए ]
[इस पर अभिषेक प्रिय से कहता है ]
अभिषेक:- प्रिय तुम कहा जाना चाहती हो मतलब किसी हॉटेल या ढाबे पर ??
प्रिय:- नहीं अभिषेक हॉटेल पर तो मे कई बार जाते रहती हु अपने परिवार के साथ आज हम वहा चलते है जहाँ तुम्हे पसंद हो जाना 
अभिषेक:- अच्छा, तो फिर चलो यहाँ नजदीकी एक ढाबा है वहा चिकन बहुत अच्छा मिलता है आज हम वही चलते है क्यों ??
प्रिय:- वाह ! अभिषेक बढ़िया है चलो चलते है  
[ऐसा कहकर वह लोग कैफ़े से निकल जाते है ढाबे पर जाने के लिए। कैफ़े से थोड़ी ही दुरी पर वह ढाबा पड़ता था इसलिए अभिषेक और प्रिय दोनों ने वहा चलकर जाने का तय किया ]