हर साल की तरह इस बार भी बारिश अपने चरम पर थी, कड़ाके की बिजली और उस पर सांय सांय करती ठंडी ठंडी हवा की थपेड़े.. वातावरण को आहलादक बना रहे थे, ये जगह थी अरुणाचल प्रदेश,,
अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबांसिरी जिले में स्थित एक सुंदर घाटी है। इसे इसकी दृश्यमय सुंदरता, आरामदायक माहौल और वार्षिक संगीत महोत्सव, जिरो संगीत महोत्सव के लिए जाना जाता है। जिरो घाटी (Ziro Valley) अरुणाचल प्रदेश में एक अद्वितीय प्राकृतिक स्थल है।
उस जिरो घाटी में एक खूबसूरत सा दो मंजिला घर था, जिसके चारो ओर बगीचा बनाया गया था, उस बगीचे में कई तरह के पेड़ पौधे, लगाए हुए थे, वहाँ की जलवायु के अनुकूल वहा फल फूल और साग सब्ज़ीयां भी उगाई थी, उन हरे भरे बगीचे के बीच वो खूबसूरत सा घर था,
यहां बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। तभी एक महिला जिसने लाइट ब्लु रंग का कुर्ता और नीचे चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी, वो छाता लिए तेज़ कदमो के साथ उस घर की ओर चली आ रही थी। उस महिला को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे कहीं जाने के लिए बहुत देर हो रही हो, वो लगभग भागते हुए गेट के अंदर पहुंची, और अपना गीला छाता दरवाजे के पास रखे अम्ब्रेला होल्डर में रख दिया, और घर की बेल बजाने लगी।
दो घंटी के बाद ही दरवाजा खुल गया, वो महिला मुस्कुराते हुए अंदर आई, उसके सामने उसी की हमउम्र एक दूसरी महिला ख़डी थी जिसके चेहरे पर उस घर आई महिला को देखकर मुस्कान आ गई, वो दोनों वही दरवाजे के पास ख़डी होकर कुछ बाते करने लगी।
इस ओर उसी घर की दूसरी मंजिल में बने एक कमरे में एक लड़का अपने बिस्तर पर बैठा था। वो लड़का करीब दस साल का होगा, वो लड़का बेसब्री से कभी दिवार घड़ी को देखता, तो कभी अपने रूम के दरवाजे को,, उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो काफ़ी घबराया हुआ है, और अंदर ही अंदर किसी चीज को लेकर डर रहा है, इतने ठंडे मौसम में भी उसके चेहरे पर पसीना था, उसके सिर से होते हुए कान के पास से पसीने की एक धारा बह चली, उसने अपने हाथो को एक दूसरे में जकडे रखा हुआ था,
तभी उस कमरे का दरवाजा खुला.. खटाक...
उस लडके की सांस मानो कुछ पल को अटक सी गई, उसने अपने थूंक को अपने गले के नीचे निगला, और अपने पैरों समेत खुद को समेटने की कोशिश करने लगा।
दरवाजे के पार से वही महिला कमरे के अंदर आई जो अभी थोड़ी देर पहले नीचे आई थी, उसने मुस्कुराते हुए उस लडके को देखा और अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहने लगी -
" हैल्लो बेबी,, हाउ आर यु बच्चे.. "
लेकिन उस महिला की प्यारी आवाज़ सुनकर भी वो बच्चा डर के मारे थर थर काँपने लगा।
वो अपना सिर ना में हिलाने लगा, लेकिन वो महिला उसकी ना को नजरअंदाज करते हुए उसके पास जाने लगी, वो उसके ठीक बगल में बैठने के बाद उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहने लगी -
" अरे बच्चे, तुम इतना डरते क्यों हो मुझसे? मै तुमको खा थोड़े ही जाऊगी? "
वो लड़का उस महिला से दूर जाना चाहता था, लेकिन शायद अब उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपनी जगह से इंच भर भी हिल सके,
उस महिला ने अपनी आँखे घुमाते हुए कहा -
" या फिर तुम ये चाहते हो कि मै तुम्हे खा जाऊ.. हाँ? "
वो लड़का ना में अपना सिर हिलाने लगा, वो महिला बड़े प्यार से उसकी पीठ को सहलाने लगी, लेकिन उसके इस तरह से सहलाने से उस बच्चे की बॉडी में डर की सिहरन पैदा हो रही थी, वो अपनी कांपती हुई आवाज़ में कहने लगा -
" नहीं... नहीं.. प्लीज... नहीं.. नहीं......... "
इसी आवाज़ के साथ उस आदमी ने अपनी आंखे खोल दी, उसका चेहरा पसीने से तरबतर था, बेशक इस वक़्त वो उसका एक ख्वाब था, लेकिन ये ख्वाब ही उसके जीवन की काली सच्चाई थी। वो आदमी एक रोलिंग चेयर पर बैठा हुआ था शायद वो वही अपनी आंखें बंद करके सो रहा था, जैसे ही उसने ये ख्वाब देखा तो उसकी आंखें खुल गई, वह सीधा होकर बैठ गया।
उस आदमी की सांसे तेज हो गई थी, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे ये सपना उसे बहुत अंदर तक कचोट कर चला गया हो, कुछ पल के लिए वह यूं ही शिथिल पड़ा रहा,
फिर अगले ही पल उसने अपने सिर को झटका और एक झटके के साथ खड़ा हो गया, उसके पास में ही एक वुडन का लम्बा हैंगर रखा हुआ था, जिसमें काले रंग का एक लंबा सा ओवर कोर्ट था, उसके ऊपर एक काले रंग की हेट रखी हुई थी, उस आदमी ने अपने चेहरे पर एक अलग सा मास्क लगाया था जो कि उसकी आँखों को छोड़कर उसके पुरे फेस को कवर कर रहा था, फिर उस आदमी ने उस कोट को पहन लिया, कोट पहनने के बाद उस आदमी ने अपनी हेट को सिर पर सेट किया और धीमे से एक धुन गुनगुनाते उस कमरे से बाहर निकलने लगा, वो मधुर धुन भी उस शांत माहौल में काफ़ी डरावनी लग रही थी।
*
शाम ढलने को आ चुकी थी, मौसम काफी ठंडा था यहां इस घाटी में ज्यादातर ठंड ही रहती थी, बारिश भी बेमौसम यहां गिरती रहती थी, आज भी बारिश गिरने के बाद मौसम बेहद ठंडा हो गया था, इस घाटी में ज्यादा घर नहीं थे, जो घर थे वह भी एक दूसरे घरो से कुछ ठीक ठाक दूरी पर बने हुए थे, शाम होते होते यहां पर मानव मात्र कोई दिखाई नहीं देता था.. शाम के बाद ज्यादातर सभी लोग अपने घर में रहा करते थे,,
वहीं पर एक छोटा सा घर था, वह घर देखने में तो छोटा था लेकिन बेहद खूबसूरत लग रहा था। उस घर को बड़े करीने से सजाया गया था, उस के चारों ओर फेरी लाइट्स लगी हुई थी और जगह जगह रंग बिरंगे डेकोरेशन भी किया गया था, उस घर को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वहां पर किसी फंक्शन की तैयारी होने वाली होगी।
उस घर के बेडरूम में एक लड़की बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी, उस लड़की ने एक वाइट रंग की ओवरसाइज शर्ट और ग्रे कलर का शॉर्ट पहना हुआ था, और वह लड़की कोई बुक पढ़ रही थी, तभी उसके कमरे में उसकी मां आई, और उसे लड़की के पास बैठ गई। मां के हाथ में एक बॉल था जिसमें उन्होंने सूप वाले नूडल बनाकर रखे थे,
उस नूडल के बाउल को मां ने उस लड़की को थमाते हुए कहा -
" ये रहे तुम्हारे सुपी नूडल्स... " वो लड़की मुस्कुराते हुए उठकर बैठ गई। ये देखकर उसकी माँ ने कहा -
" कल्पना कभी तो हेल्दी खाना खाया करो,, मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि नूडल्स, मोमाे, पिज़्ज़ा पास्ता यह सब पेट के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं है, यह सब जंक फूड है जितना हो सके तुम्हें हेल्दी खाना खाना चाहिए "
वो लड़की जिसका नाम कल्पना था वह उठ बैठी और उसने अपनी मां के हाथ से उस नूडल के बाउल को लिया और उसकी खुशबु लेते हुए कहने लगी -
" वावाओ.. क्या खुशबू है मां? आप हमेशा मुझे हेल्दी खाना खाने को बोलते हो लेकिन यह हेल्दी खाना इतना टेस्टी क्यों नहीं होता है? अब ये नूडल्स को ही देख लो कितना टेस्टी है.. देखते ही बंदा चट कर जाये,, अब यही स्वाद अगर आपके सलाद और लेंटिल्स में होता और वो इतने टेस्टी होते तो मैं जरूर उन्हें खा लेती.. "
मां ने अपना सिर हिलाते हुए कहा -
" तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता,, इतनी बड़ी हो गई हो पर अपनी हेल्थ का ध्यान नहीं रखती। "
उस लड़की ने हमेशा की तरह उसकी मां की बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया और अपना नूडल खाने में व्यस्त हो गई।
फिर उसकी मां ने कहा -
" अच्छा ठीक है.. पहले घर को अंदर से लॉक कर लो, मैं और पापा तुम्हारी दीदी के साथ कुछ सामान देखने जा रहे हैं, तुम तो जानती ही हो ना कि कल उसकी इंगेजमेंट है और एंड मोमेंट में ज्वेलर्स ने कुछ डिजाइन में गड़बड़ कर दिया, इसके लिए दीदी, मै और पापा इस वक्त ज्वेलर्स के वहां जा रहे हैं, वरना कल सगाई में प्रॉब्लम हो जाएगी,,तुम अकेले अपना ध्यान रख लोगी ना..? नहीं तो अपनी सहेली रिया को घर बुला लो.. "
उस लड़की ने एक बड़ा सा फ्रॉक नूडल को राउंड घुमा के अपने मुंह में रखते हुए कहा -
" इसकी कोई जरूरत नहीं है,, माँ मैं कोई पांच साल की छोटी बच्ची थोड़ी हूं जो मैं अपना ध्यान ना रख सकूं,, मैं ऑलरेडी कॉलेज जाती हूं और अगले साल मेरा कॉलेज भी खत्म हो जाएगा, उसके बाद में आगे की पढ़ाई करने के लिए पुणे जाऊंगी, तो वहां तो मुझे अकेले ही रहना होगा ना, मुझे आदत है.. आप आराम से जाइए और अपना काम करके आना,, मैं यहां घर लॉक करके बैठूंगी.. "
मां ने मुस्कुराते हुए कहा -
" चल ठीक है.. यह खा ले और हम एक घंटे में आ जाएंगे.. "
ये कहकर मां उसके कमरे से बाहर निकल गई, और वह तीनों चले गए। अब उस घर में केवल कल्पना थी, वो अपना न्यूडल्स खा रही थी कि तभी उसके फोन की रिंग बजी, स्क्रीन की ओर देखते हुए उसने कॉल को रिसीव किया और खाते खाते ही कॉल पर बात करने लगी - " हाँ रिया,, बोल क्या हुआ? "
सामने से रिया की आवाज आई -
" कल्पना कल तेरी बहन की सगाई है ना और तू कह रही थी कि तुझे मेरा वह पीला वाला लहंगा भी पहनना है,, तो तु वो कब लेने आने वाली है? "
कल्पना ने कहा - " हां.. मैं तुझसे कल सुबह ले लूंगी,, वेसे भी इंगेजमेंट शाम को है.. "
" हां ठीक है लेकिन उसमें तुझे कुछ अल्टरेशन करवाने पड़ेंगे.. "
" क्या अल्टरेशन?.. "
यहां यह दोनों लड़कियां फोन पर बात कर रही थी और वही उस घर के बाहर एक काला साया उस दरवाजे की ओर देखते हुए खड़ा था।
कौन था यह काला साया और क्या है इस मकसद?
जानने के लिए इंतजार करे अगले भाग का...
तो दोस्तों आज से हम एक नई जर्नी शुरू करेंगे, आई होप इस कहानी में आप मेरा साथ जरूर देंगे।
धन्यवाद 🙏