अर्जुन सिंह अब समझने लगा था कि नैना कपूर की हत्या सिर्फ एक व्यक्तिगत मामला नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक जटिल साजिश छिपी हुई थी। अजय राठौड़ और संध्या वर्मा दोनों ही मामले में संदिग्ध थे, लेकिन अर्जुन को पूरा यकीन था कि अगर वह इन दोनों को सही तरीके से दबाव डालकर पूछताछ करता, तो सच्चाई बाहर आ सकती थी। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब यह थी कि वह कैसे इस जाल को और मजबूती से पकड़ सके।
अर्जुन ने संध्या को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया। वह जानता था कि वह कुछ छिपा रही है। इस बार वह ज्यादा सख्त था।
"संध्या, मुझे तुमसे कुछ सवाल पूछने हैं," अर्जुन ने सीधा सवाल किया।
संध्या के चेहरे का रंग उड़ गया। वह पहले से ज्यादा घबराई हुई थी।
"क्या तुम और अजय राठौड़ के बीच किसी भी तरह की साजिश थी?"
"नहीं, बिल्कुल नहीं!" संध्या ने झूठ बोला। लेकिन अर्जुन ने उसकी आँखों में झूठ का इशारा देख लिया।
"सच बोलो, संध्या। यह हत्या कोई अकेला नहीं कर सकता। तुम दोनों ने मिलकर क्या प्लान किया था?" अर्जुन की आवाज में दबाव था।
"ठ...ठीक है," संध्या ने आखिरकार हार मानते हुए कहा। "मैं और अजय एक साथ थे, लेकिन नैना को मारने का विचार मेरा नहीं था। अजय ने यह सब सिखाया था। वह नैना के खिलाफ बहुत गुस्से में था क्योंकि नैना ने उसकी फिल्मों को नकार दिया था।"
अर्जुन ने संध्या के बयान के बाद अजय राठौड़ को फिर से गिरफ्तार किया। इस बार, अजय को सच्चाई का सामना करना पड़ा।
"तुमने नैना को क्यों मारा?" अर्जुन ने सीधे सवाल किया।
अजय के चेहरे पर कोई शिकन नहीं आई, लेकिन उसकी आवाज कांप रही थी, "मैं... मैं नैना को पसंद करता था। वह मुझे ठुकरा चुकी थी। उसने मेरे ऑफर को नकार दिया था। मैंने उसे सबक सिखाने के लिए उसे डराया, लेकिन यह मर्डर मैंने नहीं किया!"
अर्जुन ने कहा, "तुमने उसे डराया था, तो फिर तुमने उसे मार क्यों डाला?"
अजय की आँखों में अब पछतावा था। "मैंने उसे नही मारा, मैंने सोचा कि अगर मैं उसे धमकाऊंगा, तो वह मेरी फिल्मों के ऑफर को स्वीकार कर लेगी। लेकिन जब उसने इनकार किया, तो मेरी आँखों में गुस्सा आ गया। मैंने उसे छोड़ दिया,और सबसे बड़ी बात की जब मैं उसके घर पर गया तो वह वहां अकेली नहीं थी तो फिर मैं उसे कैसे मार सकता हूं???।"
अकेली नहीं थी नैना कपूर तो और कौन था उसके साथ? - अर्जुन ने गुस्से में पूछा
अजय के दिए हुए नाम को सुनते ही इंस्पेक्टर अर्जुन सीधे गाड़ी में बैठकर अपनी टीम के साथ एक घर के आगे जाकर रुकते हैं।
"नैना कपूर की हत्या के जुर्म में तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है सविता" - इंस्पेक्टर अर्जुन ने हथकड़ी निकलते हुए कहा।
सविता का चेहरा पूरी तरह से पीला पड़ चुका था उसकी आंखों में पछतावे क्या आंसू साफ नजर आ रहे थे लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी.....
सविता ने रोते हुए कहा, "साहब, मैंने नैना मैडम को अपनी बड़ी बहन की तरह माना था। मेरे बेटे को कैंसर है, और जब मुझे पैसों की जरूरत पड़ी, तो मैंने मैडम से मदद मांगी। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मुझे बहुत गुस्सा आया, और उसी गुस्से में मैंने यह भयानक कदम उठा लिया।"
सविता की स्वीकारोक्ति ने मामले को सुलझा दिया, लेकिन इसने इंसानियत के उस काले पहलू को उजागर किया, जहां निराशा और गुस्सा एक व्यक्ति को अपराध की ओर धकेल सकते हैं। अर्जुन सिंह ने सविता को न्याय के हवाले किया, लेकिन उसके मन में एक सवाल गूंजता रहा: क्या समाज में ऐसी व्यवस्थाएं नहीं होनी चाहिए, जो सविता जैसी महिलाओं को इस हद तक पहुंचने से रोक सकें?