विराट शाम को घर आया तो श्लोक उसका ही वेट कर रहा था ।"भाई...." वो अंदर आते ही श्लोक कुछ कहने को हुआ ।
"रूम में आजा ।"....विराट सीढ़ियां चढ़ते हुए बोला ।
"हम आपकी वाइफ को पार्टनर बोलें या मामी!"...पीहू उसे सीडीओ के पास ही पूछते हुए रोक लिया।
वो मुस्कराया और साथ-साथ पीहू का हाथ पकड़ कर अपने कमरे की तरफ चल दिया। श्लोक कहां इस पल को मिस करने वाला था वो भी पीहू के पीछे-पीछे चल दिया। अनुपमा जी पीछे से मुस्कुरा कर किचन की तरफ चल दिए थे।
"अब बताइए क्या सवाल है आपका?"... विराट उसे गोद में लेकर ही रूम में पड़े आलीशान काउच पर बैठ गया।
"शादी है आपकी दुल्हन आने वाली है इस घर में और कोई प्रिपरेशन नहीं कोई फंक्शन नहीं ना कोई डेकोरेशन!!" पीहू मुंह बनाकर बोली । विराट उसके मुंह फुलाने से हंस पड़ा ।कुछ हद तक पीहू में वो तपस्या की परछाई ही देख पा रहा था जिसे वो अभी-अभी समझा कर आया था ।
"आप हंसो मत पार्टनर और बताओ कि कोई सेलिब्रेशन क्यों नहीं ??" पीहू उसे हंसते देख चीड़ कर बोली।
"जी प्रिंसेस कोई सेलिब्रेशन नहीं होगा विराट थोड़े ठंडे अंदाज में बोला।
"बट क्यों भाई! विराट अग्निहोत्री की शादी है पूरे शहर को .....
"शट अप श्लोक.. प्रिंसेस की समझ आ रही है लेकिन तुम भी बेवकूफ जैसी बात कर रहे हो!"विराट गुस्से से बोला तो श्लोक चुप हो गया और पीहू भी।
विराट ने दोनों को देखा और एक लंबी सांस खींच कर वापस से बोल ...."एक बात बताओ तुम दोनों... अपने-अपने बर्थडे क्यों नहीं मनाते हो जबकि आप दोनों विराट अग्निहोत्री के जिंदगी के दो अहम हिस्सा हो और पूरे धूमधाम के साथ आप दोनों का बर्थडे मना सकता हूं मैं! फिर क्यों नहीं सेलिब्रेट करते आप दोनों ??"... वो शांति से पूछा ।
" वो तो हम परी दी के लिए ...श्लोक बोलते बोलते रुका।पीहू ने भी नजरें झुका ली। वो दोनों ही विराट की बात समझ चुके थे।
"क्योंकि हम सब ने खुद से एक वादा किया है कि जब तक परी दी हमारी किसी भी सेलिब्रेशन में शामिल नहीं होगी हम कोई सेलिब्रेशन इस घर में नहीं करेंगे फिर ये सवाल क्यों ??"...विराट पीहू के गालों को खींचकर प्यार से बोला और उसके चेहरे पर गिरे बालों को कान के पीछे समेट दिया।
"मैं ये शादी इसलिए नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे वाइफ या फिर इस घर को बहू की जरूरत है बल्कि उसका एक खास वजह है जो आप अभी नहीं समझ पाएंगे तो बस आपसे एक हेल्प चाहिए ?? "विराट ने बड़े प्यार से उसे देख कर कहा । पीहू नजर उठा कर उसे सवालिया अंदाज में देखने लगी।
"जिसे मैं शादी करके इस घर में लाऊंगा उन्हें आप अपने मम्मा से दूर रखना और अपने मम्मा से रिलेटेड कोई भी बात उन्हें नहीं बताना है आपको ।" वो उसे समझाते हुए बोला। पीहू भी अच्छी बच्ची की तरह सीर जोर-जोर से हां में दिला दी।विराट प्यार से उसके माथे को चूम लिया।
"आपने अभी तक नहीं बताया हम उन्हें क्या बुलाए ??" वो वापस से मासूमियत से पूछी । विराट चुप रहा।
"भाभी को आ जाने दो प्रिंसेस फिर हम तीनों मिलकर डिसाइड कर लेंगे । भाभी बिल्कुल हमारी तरह है बिंदास ....भाई जैसे अक्रूड तो बिल्कुल भी नहीं है... बड़ी प्यारी है और क्यूट भी .... और ब्यूटीफुल आपके जैसी।" श्लोक एकदम मजे से बोला और पीहू भी खुश हो गई।
"अभी आप जाइए और नानी से बोलिए मेरे लिए एक अच्छी कॉफ़ी बनाएं मुझे आपके श्लोक मामा से कुछ बात करनी है।" विराट पीहू के गालों को सहलाते हुए बोला ।
"ओके पार्टनर " पीहू बोलकर बाहर की तरफ भाग गई। उसके जाने के बाद विराट सर्द नजरों से श्लोक को देखने लगा। श्लोक की जान हलक में अटक गई।
"सॉरी भाई वो तो बस प्रिंसेस के सामने जोश जोश में ...
"जो काम बोला था कितनी दूर गया ??" श्लोक की बात बीच में ही काट कर वो संजीदा हो कर बोला ।
"सिद्धार्थ को जाल में आसानी से फंसा दिया भाई कमिना ठरकी निकला 4 -5 पैग के बाद ही वो बेवकूफ बकवास करना शुरू कर दिया ऊपर से लड़की के खूबसूरती पर एकदम से लट्टू हो गया ।बाकी के पिक्चर आप कल खुद ही पब्लिक में रिलीज होने पर देख लीजिएगा।" श्लोक अपने कंधे पर खुद शाबाशी देते हुए बोला ।
"और अभय रायचंद उसका क्या??" विराट की आवाज में अभी भी एक नफरत सी थी ।
"पता नहीं क्यों भाई लेकिन वो किसी लड़की के चुंगल में फसने वाला लगता ही नहीं है उसे लड़कियों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है उसके लिए कुछ और ही सोचना पड़ेगा... अभी वो काम भी आज रात तक हो ही जाएगा।" श्लोक इत्मीनान से बोला।
"हम्ममम....." विराट बस इतना ही बोला और खामोश हो गया। उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था पिछले 12 साल से जिस दिन के लिए वो इंतजार कर रहा था आखिर वो दिन कल आने वाला है। उसने गहरी सांस भरी और सोफे पर सिर टिककर आंखें बंद कर दिया। श्लोक उसकी दिमाग की हालत समझ रहा था और उसे कुछ बख्त केलिए अकेले छोड़ कर किसी को फोन लगा कर बाहर चल पड़ा ।
"जानवी को एक-दो दिन संभाल लेना मैं नहीं चाहता वो कुछ उटपटांग करें।" वो आंखें बंद कर के ही बोला।
"जी... जी भाई यू डोंट वरी उस छिपकली को तो मैं देख लूंगा।"... विराट आंखें खोल कर उसे घूरा । श्लोक वहां से भाग गया।
..........
क्लब में
" Hiii ..."अभय आवाज सुनकर अभय पलट कर देखा प्रिया खड़ी मुस्कुरा रही थी ।
"तुम इतना जो मुस्कुरा रही होक्या गम है जिसको छुपा रही हो!!!...."
अभय अपने हाथों में पकड़े शराब के ग्लास को एक घूंट में खत्म कर फीकी हंसी हंसते हुए बोला। हंसते हुए ही प्रिया की पलकें भी भीग गई ।
"कैन आई हग यू once .....??" वो अभय के करीब बढ़कर धीमी आवाज में बोली । अभय उसके इस बात पर थोड़ी देर के लिए खामोश हो गया।
"बस as a good friend ..." प्रिया धीमी आवाज में बोली ।
"Hmmm..." वो थोड़ा हिचकिचा कर बोला और प्रिया उसके गले लग गई।
"कैसे संभाला है इतने सालों से आप ने खुद को!! जब मैं इन कुछ पलों में ही टूट रही हूं... मैं तो आपसे पूरी तरह से जुड़ी भी नहीं थी फिर भी आपसे दूर होकर इतना तड़प महसूस कर रही हूं फिर आप इतने सालों से उनसे दूर कैसे हैं??" वो अभय के सीने से लगकर खुद को रोने से नहीं रोक पाई और सिसकते हुए ही बोली।
"सॉरी प्रिया हम नहीं जानते थे कि आप हमसे प्यार करने लगी हैं बल्कि हम तो खुद भी आपके साथ उस तरह कभी कोई बात की भी नहीं.. खुद को दूर ही रखा आप से।"
अभय की बातों में गिलट साफ झलक रही थी ।
"प्यार कैसे हुआ आपसे वो तो नहीं पता हमें लेकिन इतना जरूर पता है कि जिस लड़की से आप इतना प्यार करते है वो बहत खुश किस्मत है ।"प्रिया उससे दूर होकर अपने आंसू पोंछ मुस्कुराते हुए बोली । अभय उसकी बात सुनकर फीका सा मुस्कुरा दिया ।
" बहत बदकिस्मत है वो जो हमसे प्यार कर बैठी और हम खुशकिस्मत जो कुछ पलों के लिए ही सही उनका प्यार नसीब हुआ ।" वो दर्द में बोलकर खामोश हो गया।
"मैंने डैड को बोल दिया है कि मैं खुद इस रिश्ते को आगे बढ़ना नहीं चाहती और ना ही शादी के लिए रेडी हूं तो आप भी घर पर यही बताइएगा क्योंकि आपके ना कहने से दोनों फैमिली में प्रॉब्लम्स क्रिएट होगी लेकिन मेरी ना कहने से शायद मेरे डैड सब संभाल लेंगे।" वो अभय को खामोश देखकर बोली ।
"लेकिन मेरे लिए आप सारे ब्लेम...
"इट्स ओके डैड बहुत प्यार करते हैं मुझसे तो बस थोड़ा सा नाराज होंगे ज्यादा कुछ प्रॉब्लम नहीं होगी मुझे... लेकिन आपके ना कहने से आपके दादाजी को प्रॉब्लम होगी इसीलिए बोल रही हूं ।" प्रिय सुलझी हुई सी बोली।
"फाइन !!!लेकिन अगर कुछ भी प्रॉब्लम हो तो हम हैं आपके लिए ।"अभय ने उसकी उदासी देखकर कहा। प्रिया हां में सिर हिला कर जाने लगी ।
"क्या हम अच्छे दोस्त बनकर रह सकते हैं?? कोई ऐसा नहीं है जो हमें समझ सके ना ही कोई है जिससे हम अपने दिल की बात बोल सके... लेकिन लगता है आपके साथ खुद को खींचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फेक दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी हम जो है आप हमसे वैसे ही दोस्ती करेंगे ।" अभय उसे जाते देखकर बोला । प्रिया मुस्कुरादी ।
"श्योर जब भी आप चाहे मैं हूं लेकिन बदले में आपको मुझे अपनी लव स्टोरी बतानी पड़ेगी ...अभी नहीं लेकिन जब भी आप कंफर्टेबल हो।"प्रिया अब थोड़ी संभल चुकी थी। प्रिया की बात सुनकर अभय बदले में बस मुस्कुरा दिया। और प्रिया वहां से चली गई। रह गया तो बस अभय और उसकी परी की यादें.....
"परी!!! यार तरस नहीं आ रहा है क्या आप को हम पर... आप कहती थी कि हमारी सासों के रफ्तार से आप हमारी बेचैनी और दर्द को पहचान सकते हैं फिर क्या अब आप जानबूझकर हमें परेशान कर रहे हैं!!... या हमारे दर्द से अनजान है..... आप आम सी थी भीड़ में गुम हो गई ढूंढ नहीं पा रहे हैं आप को... लेकिन आप तो रायचंद फैमिली को अच्छे से जानते हैं फिर क्यों हमसे कांटेक्ट नहीं कर रहे हैं!!.... हमें भूल गए हैं आप ये तो मुमकिन ही नहीं और हमारी सांसे चल रही है मतलब आपकी भी सांसे चल ही रही है... फिर क्या वजह है???..." वो खुद से ही बड़बड़ाए जा रहा था और ड्रिंक पर ड्रिंक खत्म कर रहा था।
बरसों के बाद आज फिर परिणीति के जिक्र से वो अतीत में कुछ ज्यादा ही गुम हो चला था और खुद से ही भाग ने के लिए एक बार फिर बेहद नशे का सहारा ले रहा था। व वो जाम पर जाम खत्म कर रहा था कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा....
"Mr रायचंद यू आर सो ड्रंक ..... लेट्स गो ...आपको रेस्ट की जरूरत है।" अभय ने पीछे मुड़कर धुंधली नजरों से देखा एक लड़की बड़ी ही सेक्सी अंदाज में उसके करीब बढ़ रही थी। और फिर उसके आंखों के आगे अंधेरा छा गया था।
शादी का दिन
तपस्या सिंदूरी लाल रंग की शादी के जोड़े में मिरर के सामने बैठी अपने हाथों में सजी मेहंदी में विराट का नाम देख रही थी उसकी आंखों में चमक भी थी और चेहरे पर नूर के साथ बेचैनी भी ।
"क्या और कैसे सब कुछ ठीक करेंगे विराट!!! क्या वो इस शादी को रोक पाएगा ??क्या वो सच में दादू को मना लेंगे!!! लेकिन कैसे !!! ये तो नेक्स्ट टू इंपॉसिबल है??" तपस्या के मन में इसवक्त न जाने कितने सवाल पनप रहे थे ।
"नहीं तपस्या क्या सोच रही हो आप !!!जो शख्स बस एक हफ्ते में आपके दिल में वो मुकाम बना गया जो आप बिन सोचे समझे उनसे शादी करने के लिए पागल हुए जा रहे हैं वो शख्स कुछ भी कर सकता है..." वो खुद से ही बोली और मुस्कुरा दी। तभी उसकी फोन रिंग हुई जो सामने ड्रेसिंग टेबल पर रखी हुई थी। विराट का नंबर देखकर उसके होठों पर वो हल्की सी मुस्कान और भी गहरी हो गई।
"हेलो.... हम आपके बारे में ही सोच रहे थे... आप कब तक आएंगे... हमें मंडप तक जाने से पहले आ जाएंगे ना.... हम उस सिद्धार्थ के साथ एक मंडप में नहीं बैठने वाले ....अगर आप टाइम पर नहीं आएंगे तो हम भाग जाएंगे यहां से.... फिर आप के भी हाथ नहीं आएंगे...." तपस्या फोन रिसीव कर ते ही एक सांस में बोल गई और गहरी गहरी सांस भरने लगी। पर दूसरी तरफ से खामोशी पसरी थी तो उसने वापस से फोन की तरफ देखा विराट अभी भी लाइन पर था।
" आप चुप क्यों है! कुछ बोल क्यों नहीं रहे ???" वो गुस्से से बोली ।
"आप मौका देंगे तो ये नाचीज़ भी कुछ बोले प्रिंसेस !"विराट बड़ी शांति से बोला।तपस्या ने मुंह बना लिया ।
"हम नाराज हैं आपसे!! आप को समझ नहीं आया क्या???" वो थोड़ी रूआंसी होकर बोली ।
"अब बस और कुछ घंटे उसके बाद आप पूरे समाज के सामने mrs विराट अग्निहोत्री होगी प्रिंसेस।" विराट उसे समझाते हुए बोला । तपस्या मुस्कुरादी और घड़ी के सुई को देखने लगी जो अपने रोजाना रफ्तार में भाग रही थी लेकिन तपस्या को सब्र ही कहा थी।
"अब ये घड़ी की सुई भी कछुए की चाल चल रही है.." वो मुंह बना कर बोली । विराट के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।
"वैसे हम हमारी एक पिक भेजे हैं आपको हम बहुत बहुत खूबसूरत दिख रही हैं आपके डिजाइन किए शादी के जोड़े में।" वो इतरा कर बोली ।
"No way प्रिंसेस फोटो नहीं देखनी है सीधे मंडप में आपको मेरी दुल्हन बने देखना है और जल्दी रेडी हो जाइए बस आपकी बहन आपको मंडप में ले जाने आ रही होगी।" विराट ने कहा जिसे सुनते ही तपस्या की आंखें बड़ी हो गई ।
"आप मंडप के पास ऑलरेडी है क्या???" तपस्या बेचैन हो गई थी और इससे पहले कि वो विराट से कुछ और बोले उसके कमरे का दरवाजा खुला और तनु दरवाजा खोलकर अंदर आई। तपस्या ने झट से फोन कट कर दिया.... विराट एक बार अपने फोन की तरफ देख फिर हल्के मुस्कुरा दिया। लेकिन दूसरे की पल उसके चेहरे के भाव शक्थ हो गए थे । वो इस वक्त रायचंद हाउस की बैकयार्ड में ही बने शादी के मंडप के सामने खड़ा था और एक टक फूलों से सजे मंडप को ही देख रहा था । वहीं मंडप में दूल्हे की बेस में बैठे सिद्धार्थ तो किसी और धुन में ही था।.............................
"इस घर की नौकर का बेटा है तू हमारे सामने खड़े होने की औकात नहीं है तेरी हमारी प्रिंसेस के मंडप में फूलों की सजावट भी करने की औकात नहीं है तो दुल्हा बनकर उनके साथ बैठने के सपने तू देख भी कैसे रहा है... गंदी नाली के कीड़े ! तुम लोग बस ठाकुरों की तलवे चाटने के लिए ही होते हैं... और तुम्हें लग रहा है हम तुम्हें लेकर अपने सर का ताज बनाएं"12 साल पहले यशवर्धन रायचंद की कहे हुए ये चंद शब्द विराट के कानों में अब तक पिघलते शीशे की तरह महसूस हो रहे थे और उन बातों को याद करते ही चेहरे पर नफरत उभरने लगी थी। लेकिन दूसरे ही पल यशवर्धन जी को उसके करीब बढ़ते हुए देख उसने खुद को संभाला और पनप रहे नफरत को अपनी चेहरे पर उभरने से रोक लिया।
"हम बहुत खुश हैं मिस्टर अग्निहोत्री कि आपने हमारी बात रखी और यहां आए " यशवर्धन जी ने अपने दोनों हाथों से विराट के कंधे को पकड़ कर गर्व से कहा। विराट तिरछा मुस्कुरा दिया
"आना तो था सर..... जिंदगी में जो शिखा आपसे देख कर सीखा.... आज मेरे पास जो भी कुछ है आपकी बदौलत है... तो आपका कहा कैसे टाल पाता.." विराट अदब से बोल ।
"लेकिन आपके परिवार से कोई नहीं आया ??फैमिली फंक्शन है कम से कम आपकी मां को तो हम से मिला देते ??"यशवर्धन जी इधर-उधर देखकर बोले।
" वो मां की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है ... वो घर पर ही आराम कर रही है। मैं फिर कभी आप सबको मिला दूंगा उनसे।" विराट उन्हें इत्मीनान से समझाया ।
"जरूर... जरूर हम मिलना भी चाहेंगे उनसे जिन्होंने आपको इतनी अच्छी परवरिश दी।"....थोड़ी दूर पर खड़ी अभय और चित्रा जी के तरफ सर्द नजर डालकर यशवर्धन जी ने उन दोनों को सुना ते हुए ही कहा ।अभय को तो उनकी किसी भी बात का कुछ फर्क नहीं पढ़ता था बल्कि आज तो वो खुद एक्साइटिड था सिद्धार्थ के बदले वो कौन है जो तपस्या के साथ मंडप में बैठने वाला है ये जानने के लिए ।
"आखिर ये महान इंसान है कौन जो हिटलर रायचंद से डायरेक्ट पंगा ले रहा है ....उन्हें देखना तो बनता ही है ।"... वो इधर-उधर देख ढूंढ रहा था तभी पंडित जी ने दुल्हन को मंडप में बुलाया ।
"दी जल्दी चलिए ना कितना रेडी होगी कितनी खूबसूरत तो लग रही है बिल्कुल सच में प्रिंसेस जैसी ।" तनु उसके हाथों को खींचकर कमरे से बाहर ले जाते हुए बोली और तपस्या जाते-जाते भी एक बार फिर मिरर की तरफ देखकर मुस्कुरा दी।
रेड कार्पेट पर बिखरी गुलाब की पंखुड़ियों पर कदम रखते हुए तपस्या मंडप की तरफ बढ़ने लगी । उसकी बढ़ती हर एक कदम विराट की धड़कनों की गति बढ़ा रहा था। उसकी प्रिंसेस उसके बनाए सुहाग की जोड़े में थी ....बिल्कुल वैसे ही जैसे तपस्या ने कभी उसे खुद की शादी और दुल्हन लुक के बारे में बताया था सब कुछ वैसा ही था ।लेकिन शायद सिचुएशन वैसा नहीं था जैसा कभी वीर ने इस पल के बारे में सोचा था ।अपनी प्रिंसेस से शादी वो किसी से नफरत निभाने के लिए करेगा ये तो शायद ही वीर कश्यप ने कभी सपने में सोचा होगा ।लेकिन उन सब बातों से परे विराट इस वक्त बस तपस्या को ही देखे जा रहा था । उसने अपने सीने पर हाथ रखा और दिल को सहलाने लगा।" कहीं हार्टबीट बंद ना हो जाए... उफ्फ.... और कितनी खूबसूरत लग सकती हैं आप प्रिंसेस।".... वो खुद से ही बड़बड़ाया।
तपस्या की नजर उस पर गई ... वो अपनी मुस्कान छुपा ही नहीं पा रही थी। और इस बख्त तो वो विराट के साइड से ही गुजर रही थी।
"आउच..."....... विराट के साइड से जाते वक्त उसके कदम लड़खड़ा गए वो गिर ने ही वाली थी उससे पहले ही विराट ने उसे थाम लिया और इशारों से पूछा....
" क्या आप ठीक है??"..... विराट परेशान होकर पूछा। और उसके परेशान चेहरे को देख तपस्या ने शरारत से उसे देखा और अपनी आई विंक कर दी । विराट समझ गया कि ये उसकी शरारत थी। उसने आंखें बड़ी कर तपस्या को घूर कर देखा
"आप और आपकी शरारत कभी खत्म ही नहीं होती प्रिंसेस ।" वो तपस्या को हल्का झपटते हुए बोला। तपस्या होंठ दबाकर मुस्कुरादी। अभय जो उन दोनों को नोटिस कर रहा था उसके होठों पर भी खुलकर मुस्कान आ गई।
"हम्ममम.... तो हमारे घर की होने वाले जमाई आप हैं मिस्टर अग्निहोत्री !!!तभी हम सोच रहे थे कि वो कौन है जो मिस्टर रायचंद से पंगा ले रहा है..... अगर वो आप है तो टकर बराबर की है और हम छोटी की तरफ से अब निश्चित है। आप कभी पीछे नहीं हटेंगे आई एम sure।"खुद से ही कहते हुए वो दोनों के ही चेहरे को देख रहा था।
पंडित जी के दोबारा बुलाने पर विराट ने तपस्या को मंडप में जाने के लिए इशारा किया। तपस्या घबराहट में सिद्धार्थ की तरफ देख नां में गर्दन हिला दी।विराट ने आंखों से ही उसे यकीन दिलाया और वो मंडप के ओर चली गई।
कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️