अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज
अपने चेहरे पर वो सर्द भाव कायम रख विराट इस वक्त अपने केबिन में बैठा लैपटॉप में कुछ देखने में बिजी था शायद इतना बिजी के केबिन का दरवाजा खोलकर सामने खड़े जानवी पर भी उसकी नजर नहीं गई थी ।
"आजकल मेरा होना भी मैटर नहीं करता तुम्हें! मैं हूं या नहीं फर्क नहीं पड़ता ? ऐसे भी क्या बेरुखी ?"जानवी उसे अपने काम में मगन देख मुंह बनाकर बोली। वो बिल्कुल नॉर्मल थी जैसे विराट और उसके बीच कभी कुछ गलतफहमी या गलत हुआ ही ना हो ।
"आजकल तुम्हारा होना हद से ज्यादा मैटर करता है मेरे लिए जानवी! खासकर जब से तुमने परी दी को अपने बकवास गेम में इस्तेमाल किया है।" विराट बिना उसके तरफ देख बोला। विराट के इस रूखे व्यवहार से जानवी बौखला सी गई थी। विराट का यूं इग्नोर करना उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था ।
"माफ कर देना यार हो गई गलती अब नहीं होगी प्रॉमिस।" जानवी विराट के करीब बढ़ गई और झुक कर उसके होठों के करीब बढ़ते हुए मदहोशी भरी आवाज में बोली। विराट एक झटके के साथ उसे खुद से दूर धकेल दिया और बिना कुछ कहे अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आकर खड़ा हो गया। सिगरेट निकाल कर जलाते हुए लंबे कश भरकर बाहर देखने लगा।
"ऐसा भी क्या हो गया! ऐसे क्यों बिहेव कर रही हो! ये पहली बार तो नहीं है कि मैं तुम्हारे करीब आ रही हूं, और ये सच है या मेरा वहम की तुम मुझे अवॉयड कर रहे हो?" जानवी गुस्से से उसके करीब बढ़ गई और उसके हाथ से जलती हुई सिगरेट छीन कर खुद कश भरने लगी।
"शादी!!! शादी हुई है और अब मुझे छू ने का या मेरे करीब रहने का हक़ बस मेरे वाइफ यानी mrs तपस्या विराट अग्निहोत्री का है ।"विराट सपाट लहजे में बोला। और उसकी बात पर जानवी खुलकर हंस ने लगी। विराट अभी भी बिना किसी भाव के बाहर की तरफ देख रहा था। विराट को यूं खामोश देख जानवी की हंसी रुक गई ।
"तू मजाक कर रहा है! तू शादी .... यूं..अचानक !!मतलब कैसे?? अभी तो शादी के लिए दो दिन बाकी है ना ..ऐसे अचानक !!" वो बौखला गई थी।
"तू मुझे जानने का दावा करती है और वो भी नहीं जानती कि मैं कभी मजाक नहीं करता !"विराट शांत सा बोला। जानवी गुस्से से साइड में रखे कांच के पेपर वेट को उठाकर नीचे फेंक दी।विराट को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा ।जानवी गहरी सांस भरकर खुद को शांत करने लगी ।"मुझे तेरी शादी से फर्क पढ़ना चाहिए क्या?? हमारे बीच तो पहले से ही सब तय हुआ है... ये शादी तुम बस बदला लेने के लिए ही कर रहे हो, तुम्हें कौन सा इस शादी को निभाना है !तुम ...तुम तो उस तपस्या को दर्द देने वाले हो उसके हाथ से उसके परिवार को बर्बाद..
जानवी बौखला कर में कुछ भी बोले जा रही थी ।
विराट ने एक पल के लिए आंखें कसकर बंद कर रखी और फिर आंखें खोल कर पलट कर जानवी को देखने लगा।
"तूने ही तो कहा था ना की चार दिन में कुछ भी हो सकता है तो मैं कैसे कोई चांस ले सकता था तो कर ली शादी और तू जानती है ना अपने रिश्तों को मैं कितने संभाल कर रखता हूं और उनके लिए कितना ईमानदार रहता हूं और फिर वो तो प्रिंसेस है मेरी बेटर हाफ उनसे धोखा मतलब खुद से धोखा !आई होप तुम समझ रही है।" बोलकर विराट जाने लगा ....फिर कुछ सोच कर रुका और जानवी की तरफ देखकर बोला "नहीं भी समझी है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं बस अपने पागलपन को अगर प्रिंसेस पर इस्तेमाल किया तो तू जानती है कि अगर मैं पागलपंती पर उतरा तो तुझे कितनी दिक्कत हो सकती है।" विराट सपाट लहजे में बोला। जानवी तंज से मुस्कुराई ..
"कितने दिन उसे अपनी असलियत छुपाओगे तुम !! और जिस दिन उसे पता चला कि तुम कौन हो और तुम उसके परिवार के साथ क्या करने वाले हो उसके बाद भी क्या तुम्हें लगता है वो इस रिश्ते को मानेगी या निभाएगी !!जानवी तंज से बोली ।
"उससे क्या फर्क पड़ता है ??"विराट बेफिक्र से बोला।।
"तुझे नहीं पड़ता लेकिन तेरे प्रिंसेस को तो बहुत पड़ेगा।" जानवी के चेहरे पर अजीब से भाग थे जो विराट अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था ।
"गलती से भी कुछ गलत मत सोचा ना जानवी ! दोस्ती फैमिली रिस्पांसिबिलिटी सब निभाऊंगा लेकिन इससे ज्यादा आगे बढ़ाने की कोशिश भी मत करना मेरे साथ क्योंकि नहीं चाहता हूं तुझे मैं अपना वो रूप दिखाऊं जो में बस उन रायचंद के लिए हूं।" विराट उसके चेहरे के ऊपर नजर गाढ़ कर बोला और तेज कदमों से वहां से निकल गया। जानवी वही खड़ी उसे देख रही थी।
"ऐसा तो में होने नहीं दूंगी विराट! चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे खुद से अलग नहीं होने दूंगी और चाहे उसके लिए मुझे उस तपस्या को अपने रास्ते से हटना ही क्यों ना पड़े।" कह कर वो शैतानी हंसी हंसने लगी
अग्निहोत्री हाउस
विराट परिणीति के पास बैठकर उसे सोते हुए सुकून से निहार रहा था। इस बीच उसे एक और बार अटैक आया था लेकिन डॉक्टर प्रिया ने कहा कि ये नॉर्मल है ।शायद घर के लोग और पीहू भी अब परिणीति के साथ थोड़ा बहुत घुलने मिलने लगी थी और इतने लोगों को आसपास देखकर उसे पैनिक अटैक आ ही जाता था। कुछ वक्त पहले परिणीति को ऐसा ही अटैक आया था और नींद की इंजेक्शन देने के बाद वो अभी सुकून से सो रही थी।
"श्लोक बोल रहा था सिद्धार्थ के साथ तपस्या की शादी कल है! फिर कैसे सब कुछ होगा मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है बेटा और उस बच्ची के बारे में सोच कर भी मन दुखता है। वो बेचारी कैसा महसूस कर रही होगी इस वक्त ।"अनुपम जी परिणीति के कमरे में आए और विराट को परी के पास बैठा देखकर चिंता व्यक्त करते हुए बोले और वही परी के बेड के सिरहाने ही बैठ गए। और अनुपम जी को तपस्या के लिए इतना चिंता करते हुए देख विराट मुस्कुरा दिया।
"ठीक है वो आप बेफिक्र रहिए और वो आपकी ही बहू बनेगी या फिर यूं कहें की बन चुकी है तो आप बेफिक्र रहिए ।"विराट अनुपम जी की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोला।
"एक बात कहनी थी बेटा अगर तुम्हें ठीक लगे तो!" अनुपमा जी ने थोड़ा झिझक कर पूछा।
"आपको मुझसे कुछ बोलने के लिए इतना झिझक ने की कब से जरूरत पड़ने लगी है मां !"विराट उनके हाथों पर अपना हाथ रख कसकर थाम ते हुए बोला। श्लोक से भी ज्यादा चिंता वो विराट की करती थी और ये बात विराट को अच्छी तरह से पता था।
"बेटा श्लोक को तुमने कहा तुम्हारा पुराना घर रिनोवेट करने के लिए? तुम तपस्या को वही लेकर जाने वाले हो शादी के बाद?" अनुपम जी ने संजीदा होकर पूछे।
"जी मां उनका असली ससुराल वही है तो वहां पर ही उनके गृह प्रवेश होना चाहिए।" विराट पुरानी बातें याद करते हुए बोला
"लेकिन ये बात पीहू को कैसे समझाओगे तुम! तुम्हारी शादी को लेकर नई दुल्हन को लेकर वो कितनी एक्साइड है । वो तो पहले से ही इतना सवाल पूछ रही है कि पार्टनर की शादी है और घर में कोई फंक्शन या चहल-पहल नहीं है बहुत मुश्किल से परी के बारे में बोलकर उसे समझाया है अब अगर तपस्या को तुम वहां लेकर जाओगे तो तपस्या को सब कुछ पता चल जाएगा फिर जो भी कुछ तुम्हारे और तपस्या की जिंदगी में होगा वो तो शायद तुम संभाल लोगे लेकिन इस बच्ची के दिमाग पर जो असर पड़ेगा उसका क्या करोगे ?"अनुपम जी उसे समझाने में पूरी तरह से जुट गए थे ।
"लेकिन मां तपस्या यहां पर कैसे रह सकती है ? यहां पर परी दी हैं और तपस्या परी दी को पहचानती है आप जानती है ना अगर
"तू उसकी फिक्र मत कर वैसे भी परी तो ऊपर थर्ड फ्लोर पर रहती है और वहां पर किसी का आना-जाना मना है तो तपस्या वहां न जाए इसका पूरा ख्याल में रखूंगी। जितना तुमसे उसके बारे में सुना है तपस्या को कुछ-कुछ में भी समझने लगी हूं उसे संभाल लूंगी तुम फ़िक्र मत करो।" अनुपम जी अपनी बात पर जैसे अड़ चुके थे। विराट ने सिर हिला दिया।
"बिना मिले भी काफी अच्छी तरह से जान गई है आप प्रिंसेस को मां... लेकिन अब इतना भी सीधी नहीं है वो जितना दिखती है ... बहुत शरारती है और बचपना तो कूट-कूट कर भरा हुआ है उनके अंदर शायद पीहू से भी ज्यादा।" विराट बोलते बोलते ही अपनी पॉकेट से फोन निकाल ने लगा जो इस वक्त रिंग जा रही थी। फोन पर फ्लैश होते नाम को देख उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। तेज कदमों से वो बाहर की तरफ निकल गया।
"हम्ममम !!लगता है जिसके बारे में बात चल रही थी उसने बड़ी शिद्दत से याद किया है मेरे बेटे को।"अनुपमा की शरारत से मुस्कुरा कर बोली। विराट की मुस्कान बढ़ गई ।
" हम्ममम !बोलिए mrs अग्निहोत्री कैसे याद किया? वैसे इस वक्त तो आप अपनी मेहंदी और शादी की तैयारी में बिजी होगी ना! तो फिर इस नाचीज को कैसे याद कर लिया?" विराट सीढ़ियां उतारते हुए बात कर रहा था और बदले में उसे बस तपस्या की सिसकियां की आवाज आई। उसके कदम सीडीओ के पास ही रुक गए ।
"क्या हुआ प्रिंसेस सब ठीक !!" वो घबरा कर पूछा।
"कुछ भी ठीक नहीं है... हमें उस सिद्धार्थ के साथ संगीत में कोई डांस परफॉर्मेंस नहीं करनी है और उसके नाम की मेहंदी भी अपनी हाथों में नहीं लगानी है ना ही उनका नाम लिखना है अपने हाथों में... लेकिन आपको क्या पड़ी है.. मुझ पर क्या बीत रही है उससे आपको क्या ही मतलब है..." बिना हेलो हाय बोल विराट के फोन उठाते ही तपस्या रोते हुए ही उस पर बरस पड़ी।
"पहले आप रोना बंद कीजिए प्रिंसेस फिर बात करेंगे ज्यादा रोएंगे तो आपकी सासें फूलने लग जाती है और आपका दम घुटने लगता है और दूसरी बात हर बात पर यूं बचपना मत दिखाइए... हमारी शादी हो चुकी है तो किसी के साथ डांस कर लेने से या किसी के नाम की मेहंदी अपने हाथों में सजा लेने से आपको कोई फर्क नहीं पढ़ना चाहिए... ना ही मुझे कोई फर्क पड़ता है ।"विराट थोड़ा शख्त से बोला। वो पहले से ही परी को लेकर टेंशन में था फिर अभी अनुपम जी की बातों को लेकर परेशान था तो ना चाहते हुए भी थोड़ी तेज आवाज में बोल दिया और इस वजह से तपस्या की सिसकियां कम होने की बजाय बढ़ती चली गई ।जब फोन पर तपस्या की रोने की आवाज बड़ी तो विराट ने अपने बालों को मुट्ठियों में कसकर आंखें भींच ली ।
"एक तो आप हमसे ऐसे बात मत किया करें हम तपस्या रायचांद है और कोई भी हमसे ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता ... वरना जान ले लेंगे हम उसकी ।" तपस्या रोते-रोते ही गुस्से से बोली ।उसकी बात सुन विराट का गुस्सा पल भर में ही हवा हो गया और होठों पर मुस्कान आ गई । वो वही सीडीओ पर ही बैठ गया था
" जान तो आपने मेरी कब से ले रखी है आपके पास ही तो है मेरा दिल मेरी जान और क्या ही लेंगे ??" वो शरारत से बोला।तपस्या जो अब तक अपनी बेड पर लेटी हुई थी उठकर मिरर के सामने खड़ी हो गई। एक वन पीस नी लेंथ फ्रॉक में थी वो।हल्के गीले बालों को उसने पूरी तरह से क्लच कर रखा था जिसमें से कुछ लट उसके चेहरे पर पड़ रही थी ।ऊपर से रो-रो कर उसने अपने गाल आंखें और नाक लाल कर रखे थे ।जो उसे और भी क्यूट बना रही थी ।
"मिलना है आपसे अभी के अभी।" वो गुस्से से मुंह फुला कर बोली और खुद को मिरर में देखने लगी ।
"बहुत काम है प्रिंसेस अभी नहीं आ सकता कल वैसे भी पूरा टाइम तो आपके शादी के मंडप में आप के साथ ही रहना है...आज थोड़ा सा काम कर लूं ।" वो समझाते हुए बोला ।
"पूछ नहीं रही ऑर्डर दे रही हूं अभी के अभी मिलना है हमें आपसे ।"वह आस्तीन से अपने आंसू साफ करते हुए बोली ।"नहीं आऊंगा तो क्या करेंगी आप ??"विराट उसे छेड़ते हुए बोला ।
"तो... तो हम .. हम तपस्या कमरे में इधर-उधर देखने लगी शायद कुछ ढूंढ रही थी। उसकी लड़खड़ाति आवाज से विराट के चेहरे के भाव थोड़ा बदले।
"प्रिंसेस कोई बचपन नहीं चाहिए मुझे ।"वो शख्त हुए बोला।
"अगर आप अभी के अभी नहीं आए तो हम अपने हाथों में चाकू से आपका नाम लिख देंगे अभी इसी वक्त।" फ्रूट कटिंग नाइफ अभी उसके हाथों में थी ।
"शट अप प्रिंसेस"विराट गुस्से और घबराहट में बोला ।
"आई एम सीरियस "तपस्या आराम से बेड पर लैट गई और छुरी से एप्पल कट कर खाते हुए बोली ।फोन उसने स्पीकर पर रखा हुआ था ।
"अभी आ रहा हूं प्रिंसेस मेरे आने तक कोई पागलपन नहीं करना है आपको।" विराट सीडीओ से उठकर लगभग भागने लगा था और वो फोन पर लगातार तपस्या से बातें करने की कोशिश कर रहा था ।लेकिन तपस्या ने झट से फोन कट कर दिया और एप्पल की पीस को अपने मुंह में डालकर एक शरारती मुस्कान लिए अपने क्राईम पार्टनर को कॉल लगा दी।
"पार्टनर मिशन सक्सेसफुल mr अग्निहोत्री बस पहुंच ही रहे हैं।"वो प्राउडली बोलकर खिला-खिला कर हंसने लगी। दूसरी तरफ से श्लोक जो ऑफिस में अपने केबिन में सोफे पर आलती पालती मार कर बैठा हुआ था ठहाके मारकर हंसने लगा ।"कमाल हो आप भाभी मैंने तो बस ऐसे ही बोल दिया था वो छिपकली भाई को रिझाने के लिए जो नौटंकी करती थी उसे देखते कर थोड़ा फिल्मी idea मुझे भी आने लगे लेकिन आपने तो गजब ही कर दिया।" वर तपस्या की तारीफों के पुल बांध रहा था ।
"हम तपस्या रायचंद है कुछ भी कर सकते हैं और आपके भाई को उस छिपकली से दूर रखने के लिए तो हम पक्का कुछ भी कर सकते हैं।" हाथों में पकड़े फ्रूट नाइफ को तलवार की तरह घूमा ते हुए वो नौटंकी के अंदाज में बोली ।
"अच्छा-अच्छा भाभी अब आप भाई के साथ इंजॉय कीजिए और मुझे काम करने दीजिए वरना मुझ में भाई के सामने आवाज बुलंद करने की हिम्मत है ही नहीं।" श्लोक बेचारी से बोला ।फिलहाल विराट ने उसे काफी काम दे दिया था ।
"हमें आ जाने दीजिए देवर जी फिर हम मिलकर उन्हें परेशान करेंगे।" तपस्या खिलखिला कर बोली और श्लोक भी उधर से जोरों से हंस रहा था फिर अपनी केबिन के बाहर जानवी को देखकर उसका मुंह बन गया । जो श्लोक को ही जलती निगाहों से घूर रही थी।
दूसरी तरफ विराट तेजी से तपस्या के घर आया । वो हवेली के खुफिया रास्ते से तपस्या के कमरे के बालकनी में घुस चुका था और खुद की हालत पर खुद ही तरस खा रहा था ।अब वो इस वक्त 15 साल का वीर कश्यप तो था नहीं जो तपस्या के एक आवाज पर छिप कर हवेली में घुस जाता था ।अब तो वो विराट अग्निहोत्री था।
हर बार यूं चोरी छुपे तपस्या के कमरे में घुसना उसके लिए भी थोड़ा अजीब ही था अब था तो ये प्यार जिसे वो मजबूरी और रिवेंज का नाम दे रहा था उसे खुद भी नहीं पता था की जब वो तपस्या के साथ होता था तो विराट अग्निहोत्री नहीं वीर कश्यप ही होता था ।
"ये क्या बचपना है प्रिंसेस!"विराट गुस्से से और सर्द आवाज में कमरे में घुसते हुए बोला। तपस्या को बेड पर आराम से लेटी देखकर उसका गुस्सा और भी तेज हो गया था। तपस्या को कोई फर्क नहीं पड़ा ।
"आई आस्कड यू समथिंग प्रिंसेस?? अभी थोड़ी देर पहले आप मुझे धमकी दे रही थी??" विराट अब उसके करीब बेड पर बैठ गया था ।
"धमकी नहीं दे रहे थे... अगर आप नहीं आते हम सच में खुद को कुछ
"Shhhh अगर आगे कोई बकवास किया तो आपके लिए ही मुश्किल हो जाएगी फिर मुझे आपको बिल्कुल खामोश करना अच्छी तरह से आता है।" विराट उसके कमर पर हाथ डाल खींच कर खुद से पूरी तरह से सटा दिया। तपस्या भी बेझिझक उससे लिपट गई थी।
"कौन कहेगा आपको कि आप 25 साल की लड़की है जिसके एक-दो दिन में शादी होने वाली है !हरकतें तो आपकी अभी भी वही 13 साल वाली
कहते कहते विराट रुक गया। तपस्या उलझी हुई नजरों से उसे देखने लगी ।
"क्यों बुलाया था बोलिए ... सच में बहुत काम है प्रिंसेस।" विराट बात बदलते हुए बोला ।
"आपको अभी के अभी हमारे हाथ में आप के नाम की मेहंदी लगानी है।" तपस्या मासूमियत से उसे देख बोली और आंखें मटका दी। विराट तसल्ली से उसे घूर रहा था ।
"मतलब आप क्या बोल रही हैं वो समझ भी रही है ! आप ने मुझे अपनी जान की धमकी दे कर अपने हाथों में मेहदी लगने केलिए बुलाया है!!" विराट शॉक्ड हो कर बोला।
"जी ...आप विराट अग्निहोत्री द मोस्ट हैंडसम बिजनेस मैन .. जो अभी हमारे कमरे में चोरी छुपे घुसे हैं हम उन्हीं विराट अग्निहोत्री से ही बोल रहे हैं।" तपस्या भी उसी के अंदाज में बोली ।
"कोई बेहतरीन डिजाइन नहीं बनाने के लिए बोल रहे हैं बस अपना नाम कुछ ऐसे लिख दीजिए कि किसी को पता भी नहीं चले और हमारा काम भी हो जाए ।"तपस्या मुंह बनाकर बोली।
तपस्या बस इतना ही बोली थी कि विराट वहीं बेड के साइड पर रखे हुए टेबल से मेहंदी का कोन उठाकर उसके हाथों के बीचों बीच" v "लिख चुका था और कुछ यूं लिखा गया था कि पता भी ना चले कि वो एक लेटर है और साथ ही साथ तपस्या के हाथों में एक खूबसूरत सी मेहंदी डिजाइन बनाने लगा ।
"Wow ये तो बहुत खूबसूरत है यू आर ग्रेट एंड मल्टी टैलेंटेड जस्ट लाइक माय डफर ।"तपस्या कुछ ज्यादा ही खुश होकर फ्लो ही फ्लो में बोल गई ।विराट के भाव अजीब से हुए। तपस्या को जैसे महसूस हुआ वो खामोश हो गई ।
"और ये डफर कौन है जिसे आप बार बार मुझे देख कर याद करती है!!और क्या वो आपके इतने ही करीब था जितना मैं हूं ??"विराट कुछ अलग भाव लेकर पूछा था और तपस्या को देखने लगा जो उससे नज़रें चुरा रही थी ।
"क्या वो आपका एक्स
"नहीं नहीं वो तो फ्रेंड था हमारा । हमारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है ना कभी था।" विराट की बात काट कर वो एकदम से बोल गई और उसकी मासूमियत पर प्यार दिखाए बिना विराट रुक नहीं पाया ।
"पता है आपको कि आप बहुत जल्दी घबरा जाती है प्रिंसेस !मैंने तो बस यूं ही पूछ लिया था और अगर आपका कोई एक्स था भी तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है दिक्कत तो तब होगी जब आप मुझसे कमिटेड होने के बाद भी किसी और के साथ.... लेकिन मुझे पता है कि आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे ।"विराट उसकी मासूमियत देखकर बोला और उसे बाहों में कसकर भर लिया।
"एक बात पूछूं आपसे आपने हमें मना किया था कि आपसे कोई सवाल न पूछूं लेकिन बस एक सवाल..." तपस्या उसकी बाहों में सिमट कर ही बोली ।
"हम्ममम पूछिए !"विराट गहरी आवाज में बोला और अपने होठों को तपस्या के गर्दन के पास रख दिया उसे पता था की तपस्या क्या पूछने जा रही है।
"क्या... क्या जा....नवी के साथ आप का....
"विराट के होठों के छुअन से बहकी हुई आवाज में वो इतना ही पूछ पाई थी।
"हां था! वो मेरी जिंदगी में तब आई जब मैं बस खुद को खत्म करने जा रहा था पूरी तरह से कमजोर हो गया था हार गया था खुद से भी और हालातो से भी।... आप ऐसा भी कह सकते हैं कि आज में जो भी हूं उसमें कुछ हद तक साथ जानवी का भी है।" विराट उसकी बातों को समझ कर जवाब में बोला।
तपस्या की बाहें जो विराट के इर्दगिर्द कसे हुए थे ढीले पड़ने लगी। विराट ने वापस से उसे जोरों से अपने अंदर समा लिया। वो चाह कर भी खुद को छुड़ा नहीं पाई ।
"आपको कुछ जानने का हक हो या ना हो ये जानने का पूरा हक है। बिकॉज now यू आर माय वाइफ माय बेटर हॉफ। और आपको मेरी पास्ट के बारे में जानने का पूरा हक है ।"विराट उसके बालों को सहलाते हुए बोला।
"हमें और कुछ सुना नहीं है ।"वो रुआंसी आवाज में बोली और विराट को कसकर थाम ली । लेकिन विराट खामोश रह न पाया।
"उस वक्त जिंदगी में क्या चल रहा है क्या करना है क्यों जिंदा रहना है और कैसे जिंदा रहना है कुछ सोच नहीं पा रहा था और उसकी बेवकूफ भरी बिंदास आदतों के चलते जिंदगी कुछ आसान हो चली थी। उसकी रहते उसकी परवाह की वजह से जिंदगी काटना और अपनी मंजिल तक पहुंचना कुछ आसान सा लगने लगा था।" विराट वापस से बोला उसकी आवाज में कुछ अजीब से भाव थे। वो उस वक्त को दोबारा से महसूस करना नहीं चाहता था ।
"क्या आप उससे प्यार ..."तपस्या बोलते बोलते रुक गई।
"प्यार में बस एक लड़की से करता हूं और वो आप है और ये मरते दम तक नहीं बदलेगी। जो हुआ उसे में बदल नहीं सकता प्रिंसेस लेकिन जब से आप मेरे करीब आई मैने किसी और को अपने करीब नहीं आने दिया। मेरी सांसों पर एहसासों पर धड़कन पर मुझ पर बस आप का हक है।" विराट उसे खुद से अलग कर उसकी माथे को चूम कर बोला. तपस्या की आंखों से आंसू लुढ़कने लगे।
"वैसे आपने अभी तक बताया नहीं ये डफर कौन है??" विराट ने बात बदलना ठीक समझा।
"हमारा दोस्त buddy..मेंटर...मां बाप भाई बहन सब कुछ था हमारा डफर।"तपस्या बेझिझक बोली। इसकी बात सुनकर विराट का मुंह बन गया था ।
"दोस्त ... Buddy... मेंटर... तक तो ठीक था मां बाप भी शायद एडजस्ट कर लूं लेकिन भाई बहन ये रिश्ता बनाना जरूरी था क्या???" विराट मन में ही सोचा ।
"कहां है अब वो ??" विराट वापस से पूछा । अब के बार भाव गहरे थे ।
"नहीं पता हमें और अब आप उसके बारे में और कुछ पूछिए मत... हम उससे नाराज हैं और उसके बारे में बात नहीं करेंगे।" वो काफी नाराजगी से बोली । विराट भी अब उस बात को और छेड़ना नहीं चाहता था .. वो इस वक्त अपने मंजिल की बहुत करीब था और कोई गड़बड़ नहीं चाहता था ।
"ओके प्रिंसेस तो अब आप जल्दी से मेरी मेहनताना दीजिए तो मैं जाऊं।" वो शरारत से तपस्या की आंखों में देख रहा था ।तपस्या असमंजस में उसे देखने लगी जैसे पूछ रही हो किस बात का महनताना ।
"अरे इतनी मेहनत से मेहंदी लगाया उसका महंताना तो बनता है ना!!" विराट मुस्कुरा कर बोला और तपस्या ने मुंह बना लिया ।
विराट उसके होठों के करीब बड़ा तपस्या ने चेहरा दूसरी तरफ ले लिया।
"अब जो भी कुछ चाहिए शादी के बाद ही मिलेगा ।" वो चिढ़ कर बोली
"तो ठीक है वो तो हो ही गई थी दो दिन पहले ही तो अब तो मैं महनताना हक से लूंगा "विराट इतना बोलकर तपस्या को कुछ और कहने का मौका दिए बगैर उसके होठों को अपने लबों में कैद कर चुका था और तपस्या को भी इनकार कहां था।
दूसरे तरफ मुंबई के एक सेवन स्टार होटल में सिद्धार्थ का बैचलर पार्टी बड़े जोरों शोरों से चल रही थी। शराब सबाब और हर तरह के अय्याशी से भरपूर होटल के उस vip एरिया में सिद्धार्थ ने अपने दोस्तों केलिए सारे इंतजाम कर रखे थे और खुद उसी होटल के एक आलीशान कमरे में अपने ही एक एक्स गर्लफ्रेंड के बाहों में अपने होने वाली शादी की जश्न मना रहा था। साथ ही साथ रायचंद के प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा पाने की खुशी तो उसकेलिए अलग ही लेबल पर थी। शराब के नशे में यशवर्धन जी के बेवकूफियों के गुण गान करते जा रहा था...इस बात से अनजान के कल उसकी ही शादी में उसकी इस पूरी रात के पिक्चर का लाइव टेलीकास्ट होने वाला है।
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