Bewafa - 49 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | बेवफा - 49

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बेवफा - 49

### एपिसोड 49: अंधकार के बादल और उम्मीद की किरण

समीरा की जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा था। सलोनी और राहुल की सच्चाई सामने आने के बावजूद, उसके दिल में अब भी एक अजीब सा डर था। क्या उसकी जिंदगी अब भी शांति से गुजर पाएगी? क्या जो दर्द उसने सहा, वह वाकई खत्म हो चुका था?

### अतीत की परछाइयाँ

समीरा अपने कमरे में बैठी पुरानी यादों में खोई हुई थी। दीवार पर टंगी तस्वीरें उसके गुजरे हुए कल की गवाही दे रही थीं। उसने उन तस्वीरों को देखा, जो कभी उसके खुशहाल जीवन की निशानी थीं, लेकिन अब वे सिर्फ कड़वी यादें बन चुकी थीं।

आर्यन ने कमरे में प्रवेश किया और समीरा के चेहरे की उदासी को तुरंत भांप लिया। वह समीरा के पास आकर बोला, "अब भी अतीत में खोई हुई हो? हमें आगे बढ़ना होगा, समीरा।"

समीरा ने धीरे से कहा, "आसान नहीं है, आर्यन। जितना मैंने खोया है, वह शायद मैं कभी वापस नहीं पा सकूँगी।"

आर्यन ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "लेकिन जो तुम्हारे पास है, उसे भी मत खोने दो। तुम्हारी ज़िंदगी की नई शुरुआत तुम्हारे ही हाथ में है।"

### सलोनी की आखिरी चाल

जेल में बंद सलोनी अब भी समीरा को बर्बाद करने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती थी। उसने अपने कुछ बाहरी संपर्कों के जरिए समीरा पर हमला करवाने की योजना बनाई।

एक दिन जब समीरा अपने ऑफिस से लौट रही थी, तभी अचानक एक काली गाड़ी उसके करीब आकर रुकी। दो नकाबपोश लोगों ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन समीरा ने बहादुरी दिखाते हुए खुद को बचाने की कोशिश की।

भागते-भागते वह सड़क के किनारे गिर पड़ी, लेकिन तभी आर्यन अपनी गाड़ी लेकर वहाँ आ पहुँचा। वह तुरंत समीरा के पास गया और उन गुंडों का पीछा किया, लेकिन वे भागने में कामयाब हो गए।

समीरा काँप रही थी। आर्यन ने उसे संभाला और कहा, "यह सब सलोनी के इशारे पर हुआ होगा। हमें इसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।"

### सलोनी का अंत

इस बार आर्यन ने सलोनी की सच्चाई को सामने लाने के लिए पुलिस से संपर्क किया। जब पुलिस ने सलोनी से पूछताछ की, तो उसने खुद कबूल कर लिया कि वह अब भी समीरा से बदला लेने की कोशिश कर रही थी। उसकी सजा बढ़ाकर पंद्रह साल कर दी गई।

जब यह खबर समीरा को मिली, तो उसने एक गहरी साँस ली। उसे महसूस हुआ कि आखिरकार एक बड़ा खतरा टल गया है।

### एक नई शुरुआत की ओर

अब जब सलोनी और राहुल उसके जीवन से पूरी तरह बाहर हो चुके थे, समीरा ने खुद को एक नए सफर के लिए तैयार किया। उसने अपनी लेखन यात्रा को फिर से शुरू किया और अपनी पहली किताब को पूरा किया।

आर्यन हमेशा की तरह उसके साथ था। एक दिन जब वे दोनों समुद्र किनारे बैठे थे, तो आर्यन ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "अब कोई डर तुम्हें रोक नहीं सकता, समीरा। तुम्हें अपनी जिंदगी को खुलकर जीना चाहिए।"

समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अब मैं तैयार हूँ, आर्यन। सच में, अब मैं तैयार हूँ।"

### अंत की ओर

समीरा का सफर कठिन था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसकी कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, अगर हिम्मत और सच्चाई हमारे साथ हो, तो हम हर अंधकार से बाहर निकल सकते हैं।

लेकिन क्या यही समीरा की आखिरी परीक्षा थी? या फिर किस्मत के पन्नों में कुछ और लिखा था?

पढ़ना जारी रखे. . .