अध्याय 2 : बचपन का रहस्य और जन्मों का बंधन
कॉलेज का नोटिस बोर्ड – रहस्यमयी चिट्ठी
अर्जुन और समायरा जैसे ही नोटिस बोर्ड के पास पहुँचे, वहाँ पहले से ही भीड़ जमा थी। सभी फुसफुसा रहे थे, किसी को समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो सकता है।
समायरा ने नोटिस बोर्ड से वह चिट्ठी निकाली और पढ़ने लगी— “अर्जुन, तेरी तक़दीर का फैसला पहले ही हो चुका था। तेरी लकीरों की सच्चाई तुझे अब पता चलनी चाहिए। लौट जा अपने अतीत में, क्योंकि वही तेरा भविष्य है।”
अर्जुन के चेहरे पर हैरानी और उलझन थी।
अर्जुन ने भीड़ की तरफ देखते हुए कहा, - “ये चिट्ठी किसने लिखी?” लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
तभी...
एक जोरदार आंधी चली, जैसे वक्त के पन्ने खुद-ब-खुद पलटने वाले हों।
अर्जुन, समायरा और बाकी सब कॉलेज ग्राउंड में खड़े थे, लेकिन अचानक चारों तरफ सबकुछ धुंधला होने लगा। उनकी आँखों के सामने एक अलग ही दुनिया बनने लगी।
अर्जुन, रिद्धि और समायरा का बचपन – जब लकीरें बनीं थीं
15 साल पहले...
एक छोटे से गाँव में तीन मासूम बच्चे—अर्जुन, रिद्धि और समायरा। तीनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनकी तक़दीर की लकीरें तब बनने लगीं जब अर्जुन और रिद्धि ने पहली बार हाथ मिलाया था।
वो दिन था गाँव के मंदिर में वार्षिक अनुष्ठान का। गाँव में मान्यता थी कि जो बच्चे वहाँ जाकर हाथ मिलाते हैं, उनके बीच का रिश्ता जन्मों तक बना रहता है।
अर्जुन और रिद्धि मंदिर के पास खेल रहे थे। समायरा थोड़ी दूर थी।
तभी...
अचानक मंदिर की घंटियाँ तेज़ी से बजने लगीं। एक दिव्य प्रकाश चारों ओर फैल गया। अर्जुन और रिद्धि ने अनजाने में एक-दूसरे का हाथ पकड़ लिया और तभी... उनके हाथों की लकीरें बदलने लगीं!
साधु बाबा वहाँ पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने यह देखा और उनके चेहरे पर गहरी शांति आ गई।
“ये दो आत्माएँ जन्मों से जुड़ी हैं। जब भी ये एक साथ आएंगे, कोई बुरी शक्ति हार जाएगी। इनकी लकीरों का खेल तक़दीर के हर नियम को तोड़ सकता है!” उन्होंने घोषणा की।
लेकिन इस चमत्कार के बाद गाँव में भय और लालच दोनों फैल गए।
गाँव के कुछ बड़े लोग, जो इस शक्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे, अर्जुन और रिद्धि को अलग करने की योजना बनाने लगे।
समायरा भी उस वक्त वहीं थी। उसने ये सब देखा लेकिन तब वह बहुत छोटी थी।
अर्जुन और रिद्धि को अलग करने की साजिश
अर्जुन और रिद्धि को अलग करने के लिए गाँव के कुछ लोगों ने उनके परिवारों को डरा दिया।
“अगर ये दोनों साथ रहे, तो उनके जीवन में हमेशा मुश्किलें रहेंगी!” उन्होंने अफवाह फैला दी।
रिद्धि के माता-पिता घबरा गए और अगले ही दिन उसे गाँव से दूर ले गए। अर्जुन ने रिद्धि को रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
समायरा ने तब पहली बार अर्जुन की तक़दीर को बदलते देखा था।
उसे समझ में नहीं आया कि जो कुछ हुआ, वो सही था या गलत...
“ लेकिन अब, 15 साल बाद, वही लकीरें फिर से जाग चुकी थीं! ”
वर्तमान में वापसी
अर्जुन की आँखें खुलती हैं – आलीशान बंगले में
एक गुमनाम अवाजने आवाज दी - “अर्जुन! अर्जुन, उठो!”
अर्जुन ने हड़बड़ाकर आँखें खोलीं।
वह अपने आलीशान बंगले के बेडरूम में था। महंगे इंटीरियर, बड़ा सा झूमर, और सामने लगी कांच की खिड़की से बाहर का खूबसूरत नज़ारा पर अर्जुन का दिल तेजी से धड़क रहा था, माथे पर पसीना था।
“ये... ये क्या था? क्या मैंने कोई सपना देखा या वो सब सच था?” अर्जुन ने खुद से कहा।
वह जल्दी से उठकर आईने के सामने गया। उसने अपने हाथों की लकीरों को देखा , वो लकीरें... जो उसने अपने सपने में बदलते हुए देखी थीं, अब भी वैसी ही थीं!
“क्या ये सिर्फ एक सपना था? या फिर मेरी तक़दीर सच में बदलने वाली है?”
तभी अर्जुन का फोन बज उठा।
जैसे ही अर्जुन ने फोन उठाया, समायरा कमरे में आ गई और बोली - “अर्जुन, नीचे चलो, खाना खाने।”
अर्जुन ने एक गहरी सांस ली और नीचे चला गया।
रात का समय – अर्जुन की लकीरें फिर बदलने लगीं!
रात के 12 बज रहे थे।
अर्जुन बेड पर था, लेकिन अचानक उसके हाथ की लकीरें फिर से बदलने लगीं! अर्जुन को तेज़ जलन महसूस हुई, वह बेड से नीचे गिर गया।
तभी…
उसकी आँखों का रंग बदल गया। अर्जुन अब वैसा नहीं था। वह एक सैतान में बदल चुका था!
खिड़की के बाहर से अचानक एक रहस्यमयी रोशनी आई और अर्जुन को अंधेरी जगह ले गई , वहाँ एक गूंजती हुई गुमनाम आवाज़ दस्तक दे रही थी - “अर्जुन, किस्मत हमने लिखी है… तुम्हारी हाथ की लकीरें हमने बनाई हैं। तुम कोई आम आदमी नहीं हो। तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि तुम्हारे पास कौन सी शक्ति है , तुम्हारे पास वह शक्ति है जो अच्छे और बुरे को समझ सकती है और किसी को भी विनाश कर सकती है , तुम्हारी और रिद्धि की हाथ की लकीरें जब जब मिलेंगी, तब तब तुम दोनों की तक़दीर बदलेगी और आने वाली काली नज़र को भी मिटा देगी।”
इतना सुनते ही…
अर्जुन वापस अपने बेडरूम में आ गया, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। अब उसे एहसास हो गया था कि वह कोई आम इंसान नहीं है।
लेकिन…
अर्जुन को यह नहीं पता था कि उसकी आने वाली ज़िंदगी में एक ऐसा सच सामने आने वाला था, जो उसकी लकीरों को हमेशा के लिए बदल देगा!
सुबह का नया मोड़
अर्जुन रात भर सो नहीं सका। सुबह होते ही समायरा उसके कमरे में आई।
“अर्जुन, नीचे आओ, नाश्ता तैयार है।”
अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और नीचे चला गया। उसकी चाल में एक नया आत्मविश्वास था, मगर मन में हज़ारों सवाल।
जैसे ही अर्जुन ने डाइनिंग टेबल पर कदम रखा, उसके फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया।
“अगर अपनी तक़दीर के सच को जानना चाहते हो, तो अकेले पुराने किले पर आओ।”
फोन कट चुका था।
अर्जुन ने समायरा की ओर देखा और कहा, “मुझे जाना होगा।”
मगर अर्जुन को यह नहीं पता था कि वहाँ उसका इंतजार कौन कर रहा था और उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सच वहाँ खुलने वाला था…
(अगले अध्याय में जारी…)