पुराने किले में अजीब सी रोशनी
अर्जुन के कदम जैसे-जैसे किले के अंदर बढ़ रहे थे, उसकी हथेलियाँ और गर्म होती जा रही थीं। चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन हवा में एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हो रही थी।
तभी अचानक, उसकी आँखों के सामने कुछ चमकदार तितलियाँ उड़ने लगीं। उनकी रोशनी हल्की नीली थी, और वे अर्जुन के चारों ओर घूम रही थीं, जैसे उसे किसी ओर इशारा कर रही हों। अर्जुन तितलियों के पीछे चल पड़ा।
तितलियाँ उसे किले के अंदर एक पुराने कमरे तक ले गईं। जैसे ही अर्जुन ने उस कमरे में कदम रखा, तितलियाँ अचानक गायब हो गईं।
कमरे के बीचों-बीच एक पुरानी लकड़ी की टेबल पड़ी थी, और उस पर कुछ पुराने कागज़ बिखरे हुए थे। अर्जुन ने धीरे से एक कागज़ उठाया। उस पर कुछ लिखा था— “जब किस्मत की लकीरें जलती हैं, तब अतीत का सच खुद को दोहराता है। इस जगह की दीवारों में तेरे जन्मों का राज छिपा है।”
अर्जुन के माथे पर पसीना आ गया। वह ध्यान से उन पन्नों को पढ़ ही रहा था कि तभी किसी के पैरों की आहट सुनाई दी।
कैलाश का रहस्य
अर्जुन ने पलटकर देखा तो उसके सामने कैलाश खड़े थे। लेकिन उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, जैसे वह कोई राज छुपा रहे हों।
कैलाश: “आखिरकार, तुम इस बंगले में आ ही गए, अर्जुन।”
अर्जुन ने हैरानी से उनकी ओर देखा।
अर्जुन: “कैलाश? आप यहाँ क्या कर रहे हैं? और ये सब क्या है?”
कैलाश ने एक गहरी साँस ली और कहा—“अर्जुन, तुम्हें अब सच जान लेना चाहिए। जिस बंगले में तुम रहते हो, वह सिर्फ एक आम घर नहीं है। यह तुम्हारी विरासत है, तुम्हारे असली माता-पिता की आखिरी निशानी।”
अर्जुन का दिल तेजी से धड़कने लगा।
अर्जुन: “मतलब? आप कहना चाहते हैं कि आप मेरे असली पिता नहीं हैं?”
कैलाश ने उसकी आँखों में देखा और सिर झुका लिया।
कैलाश: “नहीं, अर्जुन। तुम्हारे असली पिता का नाम था ‘दिग्विजय’, और तुम्हारी माँ का नाम था ‘अंजलि’। यह बंगला तुम्हारे पिता ने अपने प्यार के लिए बनवाया था।”
अर्जुन को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
“यानी मेरी पूरी जिंदगी झूठ थी? मेरे माता-पिता कौन थे? और उनकी मौत कैसे हुई?”
अतीत का सच – दिग्विजय और अंजलि की कहानी
कैलाश ने अर्जुन को एक कुर्सी पर बैठाया और कहना शुरू किया—“यह कहानी आज से कई साल पहले शुरू हुई थी, जब तुम्हारे माता-पिता ने समाज के खिलाफ जाकर शादी की थी।”
दिग्विजय बहुत अमीर परिवार से था, और अंजलि एक साधारण परिवार से। लेकिन जब दोनों ने शादी की, तो दिग्विजय ने अपने सपनों का एक महल बनाया—जहाँ सबकुछ जादुई था।
परंतु दिग्विजय सिर्फ एक आम इंसान नहीं था। उसमें एक अनोखी शक्ति थी। वह अच्छे और बुरे को देख सकता था, और बुरी नजरों को मिटा सकता था।
सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन फिर एक दिन अंजलि गर्भवती हो गई। दिग्विजय की खुशी का ठिकाना नहीं था।
दिग्विजय: “अंजलि, हमारे इस जादुई आशियाने में एक नई खुशी गूंजने वाली है।”
लेकिन अंजलि को एक डर था।
अंजलि: “दिग्विजय, मुझसे वादा करो कि हमारे बच्चे को तुम्हारी शक्तियाँ नहीं मिलेंगी।”
दिग्विजय हँस पड़ा - “ठीक है, मेरी जान। जैसा तुम चाहती हो।”
दो बच्चों का जन्म और पहली मुलाकात
कुछ महीनों बाद, अंजलि ने एक बेटे को जन्म दिया—अर्जुन।
लेकिन उसी दिन, उसी अस्पताल में, एक और स्त्री ने एक बेटी को जन्म दिया—रिद्धि।
जैसे ही उन दोनों नवजात बच्चों के हाथ एक-दूसरे को छूते हैं, उनकी हथेलियों की लकीरें चमकने लगती हैं।
यह पहला संकेत था कि उनकी किस्मतें जुड़ी हुई थीं।
लेकिन तभी मौसम अचानक बिगड़ गया। आसमान में घने बादल छा गए और अस्पताल के बाहर एक अंधेरा फैल गया।
दिग्विजय ने तुरंत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया, और अपनी पत्नी, बेटे, और उस दूसरी नवजात बच्ची को बचाने के लिए बाहर निकला।
दोनो परिवार कार में बैठकर भाग रहे थे, लेकिन बुरी नजरें इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थीं।
रास्ते में दिग्विजय पर हमला हुआ। वह बुरी तरह घायल हो गया।
तभी, दोनों छोटे-छोटे नवजात रोने लगे। और जैसे ही अर्जुन और रिद्धि का हाथ फिर से मिला, एक जादुई चमक फैल गई।
उस पल, बुरी शक्तियाँ खत्म हो गईं।
लेकिन दिग्विजय ज़्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सका।
उसने आखिरी शब्दों में कहा—
“अर्जुन... मेरी शक्तियाँ अब तुम्हारे भीतर हैं। जब भी तुम और रिद्धि मिलोगे, तुम दोनों की लकीरें फिर बदलेंगी... और हर बुरी नजर को मिटा देंगी।”
वर्तमान में अर्जुन का फैसला
अर्जुन की आँखों में आँसू आ गए।
“इसका मतलब... मेरी और रिद्धि की तक़दीर पहले से ही जुड़ी थी।”
कैलाश ने सिर हिलाया।
“हाँ, और अब समय आ गया है कि तुम अपने भाग्य को स्वीकार करो। तुम्हारी हथेलियों में वही शक्ति है, जो तुम्हारे पिता के पास थी।”
अर्जुन ने अपनी हथेलियों की ओर देखा। अचानक, उनकी लकीरें हल्की नीली चमकने लगीं।
अब उसे समझ आ चुका था—
यह सिर्फ उसकी कहानी नहीं थी। यह उसकी तक़दीर थी।
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि आगे जो होने वाला था, वह उसकी दुनिया को हमेशा के लिए बदल देगा…
(अगले अध्याय में जारी…)