Ishq da Mara - 67 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 67

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इश्क दा मारा - 67

मीरा कॉलेज के बाहर खड़ी रहती है तभी यूवी गीतिका को ले कर आ जाता है। तभी मीरा गीतिका पर चिल्लाने लगती है, "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है गीतिका, कब से मैं तुम्हारा वेट कर रही हूं, तुम जानती नहीं हो कि घर में सब कैसे है, अगर ऐसी ही हरकते रही तो कल से घर से निकलना भी बंद हो जाएगा"।

तभी यूवी गीतिका के आगे आ कर खड़ा हो जाता है और बोलता है, "जो बोलना है मुझे बोलो, मेरी गीती से कुछ बोलने की जरूरत नहीं है, और मेरा मन नहीं कर रहा था, इससे दूर होने का "।

मीरा कुछ भी नहीं बोलती है। तब यूवी बोलता है, "चलो मेरी कार में बैठो मैं घर छोड़ दूंगा "।

तब मीरा कुछ बोलने जा रही होती है तभी यूवी बोलता है, "कुछ बोलना मत समझी, चुप चाप बैठो "।

उसके बाद वो कार में बैठ जाती है।

उधर यूवी के पापा यश से बोलते हैं, "आज कल क्या कर रहा है, वो लड़का "।

तब यश बोलता है, "आपका ही तो काम कर रहा है"।

तब उसके पापा बोलते हैं, "अगर मेरा काम करता तो मुझे इतना नुकसान नहीं होता, उसे तो कुछ पता भी नहीं है, कि मेरा सामान कोई और ले कर चला गया है"।

तब यश बोलता है, "वो आपके काम के अलावा और क्या करेगा, आप ही बताइए, सुबह शाम रात हर वक्त वो आपके काम में ही लगा रहता है "।

तब उसके पापा बोलते हैं, "कहा है वो वैसे ?????

तब यश बोलता है, "वो तो आप उससे या बंटी से पूछिए ?????

तब उसके पापा बोलते हैं, "आज देखता हूं इसे अच्छे से "।

गीतिका घर पहुंच जाती है। तब उसकी बुआ जी बोलती है, "बेटा आज इतनी देर कैसे हो गई ????

तब गीतिका बोलती है, "वो आज कुछ जरूरी काम था, इसलिए लेट हो गया "।

तब उसकी बुआ जी बोलती है, "अच्छा ठीक है जाओ फ्रेश हो जाओ तब तक भाभी कुछ खाने का बना देगी "।

उसके बाद गीतिका अपने कमरे में जाती है।

उधर यूवी घर पहुंचता है तब उसके पापा बोलते हैं, हा तो नवाबजादे कहा थे आज आप सुबह से ?????

तब यूवी बोलता है, "मैं कोई लड़की नहीं हूं जो आप मुझ पर रोक टॉक लगाएंगे और पूछेंगे कि मैं कहा था किसके साथ था"।

तब यश बोलता है, "पापा आपको पता नहीं है कि आपका बेटा अपनी महबूबा के साथ ही रहता है "।

ये सुनते ही सब चौक जाते हैं। यूवी के पैरों तले तो जमीन ही खिसक जाती है वो डर से यश की तरफ देख रहा होता है। और सब अजीबो गरीब नजर से यूवी को देख रहे होते हैं।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "महबूबा ???????

तब यश बोलता है, "हा पापा महबूबा वो भी आपके बेटे की"।

तब यूवी की मां बोलती है, "यश तुम ये कैसी बात कर रहे हो, मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, और अगर ऐसा कुछ होता तो ये मुझे जरूर बताता"।

तब यश बोलता है, "मां आप भी तो इसकी महबूबा के बारे में सब कुछ जानती है, फिर भी अनजान बन रही है "।

तब उसकी मां बोलती है, "तुम होश में तो हो, ये क्या बोल रहे हो ??????

ये सुनते ही यूवी के पापा को बहुत ही गुस्सा आता है और वो बोलते हैं, "ये पहेली क्या बुझा रहे हो यश, जो सच है वो बताओ और अगर कुछ भी ऐसा हुआ तो मैं उस लड़की को अपने हाथों से मार दूंगा..........