Ishq da Mara - 1 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 1

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इश्क दा मारा - 1

वैसे फिल्मों में तो सब चाहते हैं कि हीरो और हीरोइन मिले, मगर असल जिंदगी में कोई भी नही चाहता। वैसे भी वो लोग बहुत ही खुश नसीब होते है जिन्हे उनकी मोहब्बत मिलती है।

चलिए अब मैं अपनी नई नोवल की कहानी शुरू करती हू जो एक इश्क की दास्तान है...........

ये कहानी गीतिका और युवान की है। गीतिका एक मिनिस्टर की बेटी है और युवान एक बहुत ही बड़े गुंडे का बेटा है तो फिर क्या है इनकी कहानी। चलिए पढ़ते हैं मेरे साथ.................

रात का टाईम है युवान जिसे सब प्यार से युवी बोलते है सो रहा है। तभी उसके पापा उसके कमरे में आते हैं और जोर की चिल्लाते हैं। अपने पापा की आवाज सुन कर युवी उठ जाता हैं और बोलता है, "क्या हुआ पापा आप इतना चिल्ला क्यो रहे हो"।

तब युवान के पापा जिनका नाम क्रांति सिंह है बोलते है, "तुम्हे पता नहीं है कि तुम कोन हो ??????

तब युवी बोलता है, "मुझे सब कुछ पता है कि मैं कोन हू, मगर आपको क्या हो गया है जो आप इतनी रात में मुझे ये याद दिलाने आए हैं कि मैं कोन हू "।

तब युवी के पापा बोलते हैं, "हमारे आदमियों को मंटू ने पकड़ लिया है "।

ये सुनते ही युवी को गुस्सा आ जाता हैं और वो बोलता है, "ऐसा कैसे हो सकता है, कल ही तो मै उन्हे समझा कर आया था कि हमारे आदमियों पर नजर उठा कर भी मत देखना "।

तब युवी के पापा बोलते हैं, "तुम्हे क्या लगता है कि तुम्हारे बोलने से वो चुप चाप बैठ जाएंगे, तुम उन्हे अभी जानते नही हो अच्छे से "।

तब युवी बोलता है, "लगता है कि वो मुझे नही जानते हैं, अब मुझे ही अपना अच्छे से इंट्रोडक्शन देना पड़ेगा उन्हे "।

तभी युवी जल्दी से उठता है और बाहर जा रहा होता है तभी उसके पापा बोलते हैं, "अकेले कहा जा रहे हो अपने भाई को तो लेते जाओ "।

तब युवी बोलता है, "वहा पर कोई आशिकी मासूकी की पिक्चर नही चल रही है जो आपके आशिक बेटे को ले कर जाऊ "।

ये बोलते ही युवी चला जाता हैं।

तब यूवी के पापा युवी के बड़े भाई यश को गुस्से से देख रहे होते हैं। अपने पापा का गुस्सा देख कर यश वहा से सीधा अपने कमरे मे चला जाता हैं।

सुबह होती हैं...........

यश की मां परेशान बैठी रहती हैं और बोलती है, "बताओ रात का गया हुआ ये मेरा बेटा और इन्हे कोई फिक्र ही नहीं है, कितने आराम से बैठ कर चाय पी रहे हैं "।

तब यश के पापा बोलते हैं, "वो क्रांति सिंह का बेटा है कोई ऐसा वैसा लडका नही है जो चुड़िया पहन कर घर में बैठा रहे "।

तब युवी की मां बोलती है, "मैं तो भगवान का शुक्र अदा करती हूं कि उसने मुझे कोई बेटी नही दी, वरना पता नहीं क्या हाल होता उसका इन गुंडो के बीच में "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "क्या हुआ अगर तुम्हे ऊपर वाले ने बेटी नही दी, ये बेटा कोन सा कम है तुम्हारा बेटी से, किसी भी एंगल से लगता है कि ये कोई गुंडा है, पता नहीं किस से इश्क कर बैठा है, बस मुझे एक बार उस लड़की के बारे में पता चल जाए, मैं उसकी जान ले लूंगा "।

तब यूवी की मां बोलती है, "और इसके अलावा आपको आता भी क्या है "।

तब यूवी के पापा बोलते हैं, "सच में बड़े ही मनहूस हो तुम दोनों मां बेटे, पता नहीं क्यों मैं सुबह सुबह तुम दोनों का चेहरा देख लेता हूं "।

ये बोलते ही वो वहा से चले जाते है।

उधर गीतिका कॉलेज के लिए निकल रही होती है तभी उसके डैड बोलते हैं, "गितिका बेटा आज अगर कॉलेज नही जाती तो कितना अच्छा होता"।

तब गीतिका बोलती है, "डैड आप जानते हैं ना की मै अपनी पढ़ाई खराब नही करना चाहती हूं और मैं कोन सा सारा दिन और रात वही पर ही रहूंगी दोपहर में आ जाऊंगी"।

तब गीतिका के डैड बोलते हैं, "अच्छा ठीक है आराम से जाना"।

उसके बाद गीतिका कार में बैठ जाती है।

गितिका कॉलेज जा रही होती है तभी सामने से युवी की कार आ रही होती और अचानक से दोनों की कार एक दूसरे से टकरा जाती है। कार के टकराते ही युवी को बहुत ही गुस्सा आता है और वो गुस्से में कार से बाहर निकलता है...................