एपिसोड 28: समीरा का आत्म-संघर्ष और नई चुनौतियाँ
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समीरा अब अपनी नई ज़िंदगी की ओर बढ़ रही थी, लेकिन क्या बीते हुए कल को इतनी आसानी से भुलाया जा सकता था?
पुरानी यादों की परछाइयाँ
रात के सन्नाटे में, जब पूरा शहर गहरी नींद में था, समीरा बालकनी में बैठी थी। ठंडी हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी, लेकिन उसका मन अशांत था। उसकी आँखों में न जाने कितनी बातें थी, कितने सवाल थे।
"क्या मैंने सही किया?" उसने खुद से पूछा।
उसे राहुल की याद आ रही थी। वह इंसान जिसने उसे प्यार के नाम पर सिर्फ दर्द दिया, धोखा दिया, क्या वह अब भी उसकी जिंदगी से पूरी तरह गया था? या फिर उसकी यादें हमेशा उसके साथ रहने वाली थीं?
"तूने उसके लिए इतना सब सहा, अब खुद के लिए जीना सीख!" अंदर से एक आवाज़ आई।
समीरा ने गहरी सांस ली और खुद को समझाने लगी, "अब बस! अब मैं सिर्फ अपने लिए जिऊँगी!"
नया दिन, नई शुरुआत
अगली सुबह, समीरा ने खुद को बिज़ी रखने का फैसला किया। उसने अपनी नई जॉब पर पूरा ध्यान देने की ठानी। वह एक बड़ी कंपनी में काम करने लगी थी, जहाँ उसे क्रिएटिव डिपार्टमेंट में रखा गया था।
पहले ही दिन उसका सामना हुआ एक खास इंसान से – विजय।
विजय एक सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर था, आत्मविश्वास से भरपूर, और अपनी टीम के हर मेंबर को सपोर्ट करने वाला इंसान। जब पहली मीटिंग हुई, तो उसने सभी से अपने आइडियाज शेयर करने को कहा।
समीरा ने अपनी सोच रखी, और विजय उसकी बातों से काफी प्रभावित हुआ।
"तुम्हारे अंदर बहुत टैलेंट है, समीरा। बस, खुद को एक्सप्रेस करने में हिचकिचाओ मत!"
ये शब्द सुनकर समीरा को हिम्मत मिली।
राहुल की नई साजिश
उधर, जेल में बैठा राहुल अब भी बदला लेने की सोच रहा था। उसे यकीन था कि वह किसी भी तरह बाहर आ जाएगा। उसकी मुलाकात हुई एक पुराने दोस्त योगेश से, जो गैरकानूनी धंधों में लिप्त था।
"अगर तुझे बदला लेना है, तो मैं तुझे बाहर निकाल सकता हूँ। लेकिन उसके लिए तुझे मेरे लिए कुछ करना होगा!" योगेश ने शातिर मुस्कान के साथ कहा।
राहुल के चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई थी।
एक नई दोस्ती या कुछ और?
दूसरी तरफ, समीरा धीरे-धीरे विजय के साथ कम्फर्टेबल होने लगी थी। वह उसकी बातें समझता था, उसे गाइड करता था, और सबसे बड़ी बात – वह उसे जज नहीं करता था।
एक दिन लंच के दौरान, विजय ने उससे पूछा, "तुम हमेशा इतनी सीरियस क्यों रहती हो? ज़िंदगी सिर्फ काम करने के लिए नहीं बनी!"
समीरा ने हल्की मुस्कान दी, "शायद मैं भूल गई हूँ कि मस्ती करना कैसा लगता है।"
विजय ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "तो याद दिलाने वाला कोई मिल गया ना?"
समीरा उसकी बात सुनकर हँस पड़ी। क्या ये सिर्फ दोस्ती थी या कुछ और?
आगे क्या होगा?
राहुल जेल से निकलने के लिए नई चाल चल रहा था, समीरा एक नई दोस्ती की तरफ बढ़ रही थी, और अतीत फिर से उसकी ज़िंदगी में दस्तक देने को तैयार था।
( अगले एपिसोड में क्या होगा जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे में आपके लिए हमेशा कुछ नया लेकर आता रहूंगा. . . )