Nafrat e Ishq - 39 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 39

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नफ़रत-ए-इश्क - 39

"कुछ दगाबाजी हम तेरे एतबार से यूं करेंगे 

तुझसे नफरत भी जालिम

हम तुझ पर प्यार लुटा कर करेंगे।"         

  कहते हुए विराट गाड़ी से उतरा और तपस्या की ओर कदम बढ़ा दिया। इस वक्त बीच के उस जगह  पर भीड़ नहीं थी। तपस्या उसके और आई हुई लहरों को देखते हुए उसी के तरफ ही कदम बढ़ा रही थी।  ठंडी हवा उसके बालों को उड़ा कर बार-बार उसके चेहरे को ढक रहे थे। और वो बार-बार उसे अपने चेहरे से हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

"ये ना तब आपकी बात मानते थे ना अब मानेंगे प्रिंसेस। आपका रोम रोम बस मेरी ही बात मानता है कब समझेंगे ये बात आप।".....विराट बोलते बोलते ही उसके एकदम करीब आ चुका था। उसने अपने दोनों हाथ पॉकेट में डालकर सिर टेढ़ा किए एक टक तपस्या को देखने लगा।

तपस्या लहरों के तेज आवाज के बावजूद भी उसके पीछे खड़े विराट की धड़कनों की आवाज महसूस कर पा रही थी।समंदर की लहरें उसके कदमों को भिगो रहे थे। उस ठंडे पानी के एहसास के साथ विराट के गर्म सांसों के एहसास को अपने ऊपर महसूस कर वो अपनी आंखें बंद कर देती है।

विराट थोड़ा आगे आकर  तपस्या को पीछे से अपनी बाहों में भर लेता है ।और अपने होठों को उसके कंधे पर रखकर इंटेंस वॉइस में बोला......"बहका रहे हैं आप मुझे mrs अग्निहोत्री।"

तपस्या अपने कमर के इर्द-गिर्द रखे विराट के हाथों को अपने हाथों से थाम कर...."हम नहीं आप हमें बहका रहे हैं मिस्टर अग्निहोत्री।"

विराट उसके कंधे को शिद्दत से चूम कर एक ही झटके में उसे अपनी ओर पलट देता है। तपस्या एकदम से विराट के सीने से टकरा जाती है और उसका चेहरा विराट के चेहरे से उसकी नज़रें विराट की नजरों से जा मिलती हैं।जिसमें अजीब से एहसास थे दर्द डर बेबसी गुस्सा और न जाने  कितना कुछ । उसने अपना हाथ विराट के चेहरे पर रखा विराट की आंखें खुद ब खुद बंद हो गई ।

"क्या हुआ आपको?"...तपस्या की आवाज में फिक्र भी थी और ढेर सारा प्यार भी। विराट उसके चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए बहकी आवाज में   .....

 "बिखरा हुआ हूं अपना बना लो मुझे     

  बाहों में अपने संभालो मुझे।     

आज कहता हूं शायद फिर ना कह पाऊं   

  मैं तुम्हारा हूं अब तुम ही संभाल लो मुझे।"

ये सुनते ही तपस्या ने अपने  हाथों को विराट के धड़कनों के पास रखा उसकी धड़कन ने तेज थी। और बेकाबू सी भी। उसने विराट की शर्ट को अपनी मुट्ठी में कस के भींच लिया उसकी भी धड़कन ने बेतहाशा बढ़ी हुई थी। वो दोनों ही एक दूसरे की आंखों में देख खुद को खो रहे थे। तपस्या  के बाल अभी भी  उसके पूरे चेहरे को ढक रहे थे ।विराट ने अपनी एक हाथ उसके चेहरे से हटाकर उसके चेहरे पर पड़े बालों को उंगलियों से हटाने लगा और ऐसा करते हुए उसकी उंगलियां तपस्या के चेहरे को इंटेंस के साथ टच कर रही थी। उस एहसास को फील करते हुए तपस्या ने अपनी आंखें कस कार बंद कर ली ।

विराट की नजरें उसकी आंखों से हटकर उसके कांपते होठों पर जा रुकी। वो झुक ते हुए अपने होठों को तपस्या के कांप ते होठों पर रख दिया।और अपनी उंगलियों से उसके चेहरे और गर्दन को सहलाते हुए उसे हल्का-हल्का सा चूमने लगा। कुछ पल यूं ही उसे चूमने के बाद विराट ने उसकी होठों को छोड़ा और गहरी लंबी सांस लेते हुए  तपस्या को बेचैनी से देखने लगा । तपस्या कुछ पल उसके दिए एहसासों में खोए रहने के बाद धीरे से आंखें खोलती है और विराट की नजरें उसकी नजरों से टकरा जाती है ।

अपने हाथों को विराट के चेहरे पर रखते हुए वो धीरे से बोली.... "कुछ पूछना है आपसे।"

विराट उसके माथे पर अपने होंठ रखते हुए गहरी आवाज लिए बोला.... "आपके पास इतने सवाल नहीं होंगे जितना मेरे पास जवाब है प्रिंसेस । लेकिन इस वक्त नाहीं मैं कोई सवाल सुनना  चाहता हूं नाही कोई जवाब देना चाहता हूं ।क्योंकि जब सवाल-जवाब का वक्त आएगा हम दोनों के बीच बहुत कुछ बदल जाएगा । मैं तो मैं रहूंगा लेकिन शायद आप वो ना रहे जो आप अभी हैं। तो अभी इस एहसास के साथ मुझे और कुछ पल जी लेने दीजिए ।आई प्रॉमिस आपकी हर सवाल का जवाब दूंगा लेकिन वक्त आने पर।"

कहकर उसने तपस्या को अपने बाहों में भर लिया।

 रायचंद हाउस 

"पता नहीं ये लड़की कहां रह गई, पिछले 4घंटे से घर से गायब है। पहले ही पापा जी उससे इतने गुस्सा है अब अगर उन्हें पता चलेगा के किसीको बिना कुछ बताए।

"हम आ गए मां डोंट वरी दादू को कुछ पता नहीं चलेगा।".......चित्रा जी खुद से ही बडबडा कर hall में चहल कदमी कर ही रहे थे की तपस्या उन्हें पीछे से बाहों में भर कर प्यार से बोलती है।

और उनके कंधे पर अपने चीन को टिका कार बोली......"आई एम सो हैपी मां और आप यूं मुंह बना कर हमारे हैप्पी मूड को  स्पॉइल ना कारें।"

चित्रा जी उसकी कलाई पकड़ कर उसे अपने सामने करते हुए......."जब से लंदन से आई है आप के चेहरे पर ये मुस्कान देखने केलिय तरस गई थी में।"

तपस्या उनके गालों को चूम ते हुए......."अब हर पल ऐसे ही मुस्कान आप हमारे चेहरे पर दिखेंगी।"

चित्रा जी उसके चेहरे पर हाथ फेर ते हुए....."आप इस शादी से खुश तो है ना बेटा?"

तपस्या खुल कर मुस्कुराते हुए......"कल तक नही थे मां लेकिन अब बहत बहत बहत खुश हैं।"

चित्रा जी उसके माथे को सहलाते हुए उसके मांग में हल्का सा सिंदूर देख कर असमंजस में।    "मंदिर गई थीं क्या आप?"

अचानक से चित्रा जी से यूं मंदिर की बात सुनकर तपस्या हड़बड़ा ते हुए....."जी मां में वो....चित्रा जी उसके बिखरे सिंदूर को सही करती हुए......"हमें भी बुला लेती हम भी चलते आप के साथ।"

तपस्या एक गहरी सांस लिकर।    "यूं ही बाहर घूमने गए थे फिर मंदिर देखा तो सोचा थोड़ा माथा टेक आएं।"

चित्रा जी कुछ और पूछें इससे पहले ही तपस्या अंगड़ाई लेती हुई....."मां हम बहत थक गए है थोड़ा आराम करलें?"

चित्रा जी मुस्कुराते हुए..."ठीक है बेटा जाइए। डिनर रेडी होते ही हम बुलालेंगे आप को।"......

कहते हुए चित्रा जी उसका हाथ पकड़ कर चूम ते हुए एंगेजमेंट टिंग उसके उंगलीई ना देख घबराते हुए.    "बच्चा आप की रिंग कहां गई? कहीं खो तो नहीं दिया?"

तपस्या अपने उंगली के तरफ एक नजर डाल कर फीर वापस चित्रा जी के और देख कर।   "नहीं मां कही खोया नही हैं उतार कर रख दिया है।"......कहते हुई वो पलट कर सीढ़ियों के तरफ बढ़ने लगी।

चित्रा जी परेशानी भरे भाव से घबराते हुए .....,"बेटा ऐसे कैसे उतार कर रख दिया

उनकी बात को आधे में काट ते हुए तपस्या सीढ़ियों के ओर बढ़ते हुए ही......"मंगलसूत्र पहन लिया तो रिंग चूभ ने लगी मां, किसी एक को चुनना था हम ने मंगलसूत्र चुना।".....कहते कहते ही वो अपने कमरे के ओर जा चुकी थी। और चित्रा जी कुछ देर वहीं खड़े उसके कहने का मतलब समझने की कोशिश करते रहे ।

 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज 

विराट अपनी केबिन में बैठा कुछ फाइल पढ़ने में busy था के श्लोक एक दम से गुस्से और चिढ़ ते हुए आकर विराट के सामने बैठ गया। और फाइल में घुसे विराट को देखने लगा।

जब कुछ वक्त तक भी विराट को कोई फर्क नहीं पड़ा तो श्लोक मुंह फुलाए विराट को देखते हुए बोला।    ........"कभी तो प्यार जता दिया करो भाई, मुझे पता है आप बहत प्यार करते है मुझे लेकिन मजाल है कभी जता दें।"

"बीवियों जैसे नखरे दिखाना छोड़ और क्या किया जानवी ने वो बक?".....विराट उसके इमोशनल बातों से बिलकुल ही बेअसर होकर बिना किसी भाव बोला।

उसकी नज़रें अभी भी फाइल्स पर ही थी ओर वो गौर से कुछ देख रहा था।श्लोक कुछ पल मुंह बनाते हुए विराट को घूर ता रहा फीर कुछ सोच कर अपने जगह से उठ कर फाइल्स को देखते हुए......"उस छिपकली को छोड़िए भाई उसे तो में संभाल ही लूंगा आप बताइए इतने गौर से क्या पढ़ रहें है ?"

विराट फाइल पढ़ते हुए .  ।।"यशवर्धन रायचंद की वसीयत।"......एक व्यंग भर अंदाज में कहते हुए उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी।श्लोक अपनी सीट से एकदम से खड़ा होकर......"आप के पास कैसे भाई और क्या है इसमें?"

विराट फाइल बंद कर एक लंबी सांस लेते हीर चेयर के हेड रेस्ट पर अपना सिर टिकाकर .    "उसके गुरुर के हाथों से उसकी बर्बादी है इस्बक्त मेरे हाथों में। रायचंद इंडस्ट्रीज के 50पर्सेंट शेयर है इस्बक्त मेरे हाथों में।"

श्लोक कुछ और पूछने केलिए मुंह खोला तो विराट अपने सर्द आवाज में ......"आज मेरा मूड ठीक है इसलिए तेरे एक सवाल का जवाब देदिया कुछ और पूछने से पहले सोच लेना अगर तेरे सवाल से मेरा मूड बिगड़ा तो तेरा क्या क्या बिगड़ सकता है।"

श्लोक उसकी बात से अपने मुंह का जिप लॉक करते हुए....."में कहां कुछ बोल रहा हूं। आप तो खमखा ही धमका देते है।"

कुछ वक्त पूरे केबिन में बस खामोशी थी। श्लोक कुछ पल विराट को देखता रहा फीर उठ कर जाने लगा।

"सुन"......विराट ने पीछे से आवाज दीया। तो श्लोक पीछे मुड़कर देख ते हुए....."जी भाई"

विराट वैसे ही अपनी आंखें बंद करते हुए....."घर रेनोवेट करना है?"

श्लोक असमंजस में उसे देखते हुए....."लेकिन भाई घर तो बिलकुल परफेक्ट है। लेकिन भाभी के चॉइस से सबकुछ करना है तो भाभी को पहले आजाने

"ये घर नहीं तुम्हारे भाभी का असली ससुराल रेनोवेट करना है।mrs तपस्या विराट अग्निहोत्री उर्फ mrs तपस्या वीर कश्यप का गृह प्रवेश उनके असली घर में होनी चाहिए ना?"

श्लोक गौर से विराट के शांत चेहरे को देखते हुए......"लेकिन भाई अगर भाभी को सब पता चल गया तो क्या वो आप के साथ आपकी पत्नी बनकर रहेंगी?"

विराट बिल्कुल शांत और एक्सप्रेशनलेस आवाज में......"पत्नी तो वो बन चुकी है और उनका मेरे साथ अब रहना ना रहना अब उनके हाथ में नहीं।".....बोलकर वो उठा ओर अपना कोट उठाते हुए श्लोक को देख कर गहरी आवाज में......... "पिछले 12 साल से जो में किताब पढ़ रहा हूं इन 4 दिनों में मुझे उसका हर सवाल सॉल्व करने हैं। और में एक भी सवाल पर चूकना अफोर्ड नहीं कर सकता।"

"मुझे क्या करना है भाई बस इतना बता दीजिए".....श्लोक बेझिझक होकर बोला।

विराट टेबल पर पड़े फाइल को अपने हाथों में उठाते हुए....."ट्रैप करना है सिद्धार्थ ओबेरॉय और अभय रायचंद को।"

इससे पहले के श्लोक उसकी बातों का कोई भी मतलब समझ पाता विराट अपने केबिन से जा चुका था।               

   

कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️

क्या चल रहा है विराट के दिमाग में? क्या तपस्या से शादी करना बस उसके नफरत और बदले का एक हिस्सा है या उसका तपस्या केलिए मोहब्बत है?जानने केलिए आगे पढ़ते रहें।