Ishq da Mara - 65 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 65

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इश्क दा मारा - 65

गीतिका और यूवी बैठ कर बाते कर रहे होते हैं। तभी गीतिका बोलती है, "काश ये वक्त यही पर रुक जाए और मैं यूं ही आपके पास रहु "।

तब यूवी बोलता है, "वैसे आज घर जाने का इरादा मत बनाना, यही पर मेरे साथ रहना, क्योंकि रात के वक्त यहां का नजारा और भी ज्यादा अच्छा होता है "।

तब गीतिका बोलती है, "दिन में तो कॉलेज का बहाना करके आई हूं, अब रात मे क्या बहाना बनाऊंगी "।

तब यूवी बोलता है, "ये तुम सोचो "।

तब गीतिका बोलती है, "हा सब कुछ मैं ही सोचूं, आप कुछ मत सोच लेना"।

तब यूवी बोलता है, "मुझे तुमसे फुरसत मिले तो कुछ सोचूं ना "।

तब गीतिका बोलती है, "क्या हम यही पर ही यू ही भूखे प्यासे बैठे रहेंगे "।

तब यूवी गीतिका को आंखे छोटी करके देखने लगता है और बोलता है, "एक तो तुम्हे इतनी अच्छी जगह पर लाया हु और तुम्हारे साथ मैं हूं, फिर भी तुम्हारा सारा ध्यान खाने पर ही है "।

तब गीतिका बोलती है, "आपको मेरे खाने से क्या परेशानी है"।

तब यूवी बोलता है, "मैं यहां पर तुम्हें इसलिए लाया था कि तुम्हारे साथ कुछ पल अच्छे से बिता सकू, मगर तुम्हे तो कभी अकेले घूमना होता है, और कभी भूख लग जाती है"।

ये बोल कर यूवी वहां से उठ कर चला जाता है।

उधर राजीव की मॉम उसके डैड से बोलती है, "आप देख रहे हैं उन लोगों की गिरी हुई"।

तब राजीव के डैड बोलते हैं, "हा देख तो रहा हूं"।

तब राजीव की मॉम बोलती है, "बड़े ही शातिर लोग है ये तो, हमारी सोच से भी ज्यादा, मगर ये शायद भूल चुके हैं कि हम उनसे भी ज्यादा शातिर है, बस एक बार उस गीतिका के बारे में पता चल जाए"।

तब MLA साहब बोलते हैं, "इस राजीव को एक काम दिया था, वो भी ढंग से नहीं किया "।

तब राजीव की मॉम बोलती है, "वैसे सच में बड़ा ही निकम्मा है ये लड़का "।

उधर राधा किचन में खाना बना रही होती है। तभी यूवी की मां किचन में आती है और बोलती है, "बेटा तुम क्या बना रही हो ????

तब राधा बोलती है, "मां आज मैं कढ़ी बना रही हूं "।

तब यूवी की मां बोलती है, "बेटा ऐसा करो थोड़ा दाल भी बना दो"।

तब राधा बोलती है, "जी मम्मी जी"।

तब यूवी की मां बोलती है, "रानी कहा है, दिखाई नहीं दी "।

तब राधा बोलती है, "पता नहीं कहा है, मैने भी उसे नहीं देखा आज, सुबह से"।

तब यूवी की मां बोलती है, "कही तबियत तो खराब नहीं है उसकी "।

तब राधा बोलती है, "पता नहीं"।

तब यूवी की मां बोलती है, "अच्छा ठीक है मैं खुद ही जा कर देख लेती हूं "।

उधर गीतिका यूवी के जाने के बाद वहां से आ जाती है और यूवी को देखने लगती है। मगर वो उसे नजर नहीं आता है। तभी वो घबरा जाती है और सोचने लगती है कि यूवी उसे गुस्से में वहां छोड़ कर चला गया है। ये सोचते ही उसकी आंखों से आंसू आ जाते हैं और वो रोने लगती है..........

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