फिर उसने ठान लीया की अब वह सीधा ज़ेबा के घर में जाकर बात करेगा इसलीये वह ज़ेबा के घर की ओर गया और उसके दरवाजे के सामने खड़ा हो गया. वह दरवाजे में दस्तके करनवाला था की उसने देखा दरवाजा बाहर से बंद है और उस पर बड़ा सा ताला लगा हुआ है. दरवाजे पर ताला देखकर बादल और भी ज्यादा परेशान हो गया. उस बौखलाहट में उसने पडोस के घरों में भी जाकर इस बारे में पूछताछ की लेकिन किसी को भी इस बात का पता नहीं था. बशर्ते उन्हें भी तभी ही पता चला था की वहाँ पर ताला लगा है. उस परीस्थिति में बादल की हालत जलबीन मछली की तरह हो गयी थी. उससे उस वक्त रहा भी न जा रहा था और कुछ कहा भी न जा रहा था. उस दिन से वह एकदम चुप चुप रहने लगा था. उस दिन से उसने दोस्तों में उठना बैठना भी छोड़ दिया था. ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा लेकीन ज़ेबा का इस तरह अचानक से चले जाना उसे अंदर तक तोडकर गया था. वह ज़ेबा से इस कदर प्यार करने लगा था की उसे अब जीना भी बेमानी लगने लगा था. तभी एकदिन उसकी नजर अखबार के एक इश्तेहार पर पड़ी और उसने ठान लीया की अब यह बेजार सा जीवन देश के नाम कुर्बान करना है. इसलीये वह इश्तेहार पढ़कर सीधा सेना में भर्ती होने के लीये चला गया. वह सबकुछ भूलकर अब देश सेवा में लग गया था और कड़ी मेहनत कर के सेना के एक ख़ुफ़िया मेहकमे में एक बेहद होशियार और काबील सीपाही बन गया. इस दौरान उसे पता ही नहीं चला की कब देखते देखते पांच साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया था. बादल अब एक तेज तर्रार और सभी कला में नीपुण ऐसा योद्धा बन गया था.
अब उसके मेहकमे के अफसर ने उसे एक खुफ़िया मीशन दिया था जो उसे पूरा करना था. इसलीये बादल को किसी दुसरे शहर में भेजा गया. वहाँ जाने के पहले जीस मकसद पर जाना था उसे उस मकसद की पूरी जानकारी दी गयी. उसे वहां पर जाकर एक शख्स पर नजर रखते हुए उसके मंसूबे के बारे में अपने आफसर को इत्तला करनी थी. साथ साथ में उसे इस बात का भी ख्याल रखना था के वह कौन है और किस काम के लीये वहाँ आया है यह किसी को भी पता नहीं चलना चाहीये. एकतरह से बादल वहाँ एक जासूस बनकर गया था. बादल के मेहकमे ने उसके रहने ठहरने का इंतजाम उस खास शख्स के इर्दगिर्द ही किया हुआ था ताकी बादल उस शख्स पर चौबीस घंटे अपनी नजर रख सके. तो तय कार्यक्रम के जैसा बादल उस जगह पर पहुँच गया था. वह एक बिल्डिंग में स्थित एक फ्लैट था और उस बिल्डिंग के बगलवाली बिल्डिंग के एक फ्लैट में वह शख्स रहता था. बादल को वहाँ आये हुए एक हफ्ता गुजर गया था लेकीन उस फ्लैट में अभी तक कुछ शक करने लायक हलचल अबतक नहीं हुई थी.
फिन एकदिन उस फ्लैट के बालकनी में उसे कोई साया नजर आया. तब बादल ने गौर से देखा तो उसे किसी औरत का दुपट्टा लहराते हुए दिखाई दिया. फिर बादल ने अपनी दूरबीन नीकाली और उस औरत का चेहरा देखने के लीये उस तरफ अपनी दूरबीन मोड़ी और देखा तभी दरवाजे के अंदर से एक हाथ आया और उस औरत को अंदर खिंचकर ले गया. फिर काफी देर तक बादल उस बालकनी की तरफ देखता रहा लेकीन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया. तब बादल ने भी अपनी दूरबीन रख दी और अपने अफसर को इस बारे में जानकारी दी. फिर यूँही कुछ दिन चलता रहा और फिर एक दिन उस बालकनी में बादल को एक सफ़ेद शेरवानी में लंबा चौड़ा शख्स दिखाई दिया. वह शख्स फोन पर किसी से बात कर रहा था. वह शख्स काफी देर तक फोन पर बात करते रहा और फिर बात करते हुए ही वह दरवाजे के अंदर चला गया. फिर बादल के कुछ दिन यूँ ही इंतजार में गुजरे और एकदिन अचानक उसे उस बालकनी में वह औरत फिर से दिखाई दी. इस बार वह औरत बालकनी में बाहर की तरफ खड़ी थी जीस कारण से वह आज बगैर किसी मुश्किल के बादल को दिखाई दे रही थी. लेकीन बादल को कुछ भी कर के उस औरत का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था. क्यों की वह औरत बादल की तरफ पीठ किये हुए खड़ी थी. बादल उसका चेहरा देखने की नाकाम कोशिशे करता रहा लेकिन नाकामयाब रहा. फिर अचानक से वह औरत बालकनी के दरवाजे के अंदर चली गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया. बादल ने उस औरत की काफी सारी तस्वीरें ली थी जीन की मदत से वह उस औरत का चेहरा देखने की कोशिश करने में लगा हुआ था, लेकिन सब बेकार था उसे कही भी उसका चेहरा दिखाई नहीं दिया था. बादल अपने कर्तव्य पर पूरी तरह न्यौछावर होकर अपना कार्य कर रहा था. बादल की उस बेजोड़ मेहनत को एकदिन कामीयाबी मीली और एकदिन फिर वह औरत उस बालकनी में आकर खड़ी हुई. इसबार किस्मत बादल की जोर पर थी इस कारण से वह उस औरत का चेहरा देख पाया, क्यों की वह औरत इसबार बादल की ओर चेहरा किये हुए खड़ी थी. फिर अचानक से बादल अपनी जगह से नीचे गीर पड़ा.
अचानक से यह क्या हुआ यह उसे भी नहीं पता चला. फिर बादल फिर से उठकर खड़ा हुआ और गौर से उसने दखा तो उसे वह चेहरा कुछ जाना पहचाना लगा. फिर बादल ने अपनी दूरबीन नीकाली और दूरबीन से उस चेहरे को और करीब से देखा तो वह हक्का बक्का रह गया. वह औरत और कोई नहीं तो ज़ेबा थी जो उसे आज पांच सालों के बाद अचानक उस जगह पर दिखाई दे रही थी. यकायक सबकुछ भूलकर बादल पांच वर्ष पीछे चला गया. उसकी आँखों के सामने से वह एक एक पल किसी रील की तरह से जा रहे थे. और फिर वह जानलेवा पल भी आया जब ज़ेबा कुछ भी बताये बगैर अचानक से उस रात में वह शहर छोड़कर चली गयी. उस पल ने बादल की जिन्दगी बदल डाली थी. फिर बादल लौटकर अपने वर्तमान में लौट चूका था और सोच रहा था ज़ेबा इतने सालों के बाद यहाँ और इस शख्स के साथ.
शेष अगले भाग में .........६