उपन्यास: शौर्य पथ
अध्याय 1: एक सपना, एक लक्ष्यरात का अंधेरा गहरा था, लेकिन विशाल के मन में एक अजीब सी रोशनी थी। वह हमेशा से सेना में जाना चाहता था। उसके दादा भारतीय सेना में एक वीर सैनिक थे, जिन्होंने 1971 के युद्ध में वीरता का प्रदर्शन किया था। उन्हीं की कहानियों ने विशाल के हृदय में देशभक्ति की भावना भर दी थी।
गाँव के खेतों से लेकर आर्मी भर्ती की दौड़ तक, विशाल ने खुद को हर परीक्षा के लिए तैयार किया था। जब भारतीय सेना की भर्ती निकली, तो वह अपने दोस्त अर्जुन के साथ परीक्षा देने गया। वहाँ सैकड़ों युवा थे, लेकिन विशाल के इरादे अटल थे।
अध्याय 2: संघर्ष की राहसेना की परीक्षा कठिन थी, लेकिन विशाल ने हर चुनौती का डटकर सामना किया। पहले लिखित परीक्षा, फिर कठोर शारीरिक परीक्षण। दौड़, लंबी कूद, रस्सी चढ़ना – हर परीक्षा उसे मजबूत बनाती जा रही थी।
लेकिन सबसे कठिन परीक्षा थी मानसिक संकल्प की। जब ट्रेनिंग शुरू हुई, तो कई साथी हार मान गए, लेकिन विशाल और अर्जुन ने खुद को साबित कर दिखाया।
अध्याय 3: रणभूमि की पुकारविशाल की ट्रेनिंग पूरी होते ही उसे एक विशेष मिशन पर भेजा गया। सीमा पर आतंकियों ने हमला कर दिया था और सेना को तुरंत एक जवाबी कार्रवाई करनी थी। विशाल की टुकड़ी को इस ऑपरेशन का हिस्सा बनाया गया। यह उसका पहला मिशन था, और उसमें देश के लिए कुछ कर गुजरने का जोश था।
उस रात जब ऑपरेशन शुरू हुआ, तो विशाल ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से दुश्मनों के कई ठिकानों को नष्ट किया। लेकिन तभी एक विस्फोट हुआ और उसका साथी अर्जुन घायल हो गया। विशाल ने अपनी जान की परवाह किए बिना अर्जुन को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया।
अध्याय 4: शौर्य का सम्मानइस मिशन में अद्वितीय बहादुरी दिखाने के कारण विशाल को सेना में विशेष पदोन्नति दी गई। पूरे गाँव को उस पर गर्व था। जब वह छुट्टी पर घर आया, तो पूरा गाँव उसे देखने उमड़ पड़ा।
दादा जी की आँखों में गर्व के आँसू थे। उन्होंने विशाल को गले लगाकर कहा, "बेटा, आज तूने साबित कर दिया कि वीरता हमारे खून में है।"
विशाल ने मुस्कुराकर जवाब दिया, "दादा जी, यह तो बस शुरुआत है। मेरा जीवन अब पूरी तरह देश के नाम है।"
समाप्ति: एक सैनिक, एक प्रेरणाविशाल की कहानी हजारों युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करने लगी। उसकी बहादुरी, त्याग और समर्पण हर युवा के दिल में देशभक्ति की आग जलाने लगे। वह अब केवल एक सैनिक नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुका था।
जय हिंद!
शौर्य की गूँज
सीमा पर जो तैनात हैं, वो सच्चे जवान होते हैं,माँ के आँचल की छाँव छोड़, वतन की शान होते हैं।
बरसती हैं गोलियाँ, पर इरादे नहीं हिलते,तूफानों में भी ये सूरमा, हमेशा संग मिलते।
जो मिट जाए धरती पे, उसे अमर कहती है कहानी,हर सैनिक के लहू में बसती है हिंदुस्तानी रवानी।
तिरंगे की छाँव में, जो सोते नहीं रातों में,वो ही असली हीरो हैं, जो लड़ते हैं बारूद की बातों में।
जय हिंद!🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
वतन के रखवाले
सरहद पर जो लहू बहाते हैं, वे मतवाले होते हैं,मौत को भी जो गले लगाएं, वो दिलवाले होते हैं।
तूफानों में जो अडिग खड़े, वो ही असली वीर हैं,धरती माँ की लाज बचाने, हरदम रहते तैयार हैं।
नींद नहीं आँखों में होती, बस दुश्मन पर वार है,जान हथेली पर लिए, तिरंगा ही संसार है।
सलाम है उन वीरों को, जो देश पर कुर्बान हैं,उनकी वजह से महक रहा, मेरा हिंदुस्तान है।
जय हिंद!