Complete biography of Rani Durgavati in Hindi Short Stories by Tapasya Singh books and stories PDF | रानी दुर्गावती की संपूर्ण जीवनी

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रानी दुर्गावती की संपूर्ण जीवनी

रानी दुर्गावती की संपूर्ण जीवनी

रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की एक वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने साहस, शौर्य और नेतृत्व क्षमता से मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया। यहाँ उनकी संपूर्ण जीवनी को चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है।1. प्रारंभिक जीवन और जन्मरानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में हुआ था।वे चंदेल वंश की राजकुमारी थीं, जो अपनी वीरता और प्रशासनिक क्षमता के लिए प्रसिद्ध था।उनके पिता राजा सालिवाहन थे, जिन्होंने अपनी बेटी को बचपन से ही शिक्षा और युद्धकला में निपुण बनाया।

2. विवाह और गोंडवाना की रानी बननादुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य के राजा दलपत शाह से हुआ।गोंडवाना एक समृद्ध राज्य था, जहाँ विभिन्न जातियों और समुदायों में मेल-जोल था।विवाह के बाद रानी ने राज्य प्रशासन को संभालना शुरू किया और सामाजिक तथा आर्थिक सुधार किए।राजा दलपत शाह का निधन जल्द ही हो गया, जिससे रानी दुर्गावती ने अपने नाबालिग पुत्र वीर नारायण के साथ राज्य का भार संभाला।

3. शासनकाल और प्रजा के लिए कार्यरानी दुर्गावती ने अपने शासनकाल में कृषि, व्यापार, सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को मजबूत किया।उन्होंने गोंडवाना में कई तालाबों और किलों का निर्माण करवाया, जिससे जल प्रबंधन और सुरक्षा को बढ़ावा मिला।वे अपनी प्रजा के लिए एक आदर्श शासक थीं और हमेशा उनके हित में फैसले लेती थीं।4. मुगलों से संघर्षमुगल सम्राट अकबर के सेनापति आसफ खाँ ने गोंडवाना पर आक्रमण किया।रानी ने अपनी सेना को संगठित किया और युद्धभूमि में वीरता से लड़ीं।24 जून 1564 को जब युद्ध निर्णायक स्थिति में पहुँचा, तब भी रानी ने हार नहीं मानी और अंतिम क्षण तक संघर्ष करती रहीं।5. वीरगति और बलिदानजब रानी ने देखा कि युद्ध में पराजय निश्चित है, तो उन्होंने आत्मसमर्पण करने के बजाय अपनी ही तलवार से वीरगति प्राप्त की।उनका यह बलिदान भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया।6. विरासत और स्मृतिआज भी रानी दुर्गावती की वीरता को सम्मान दिया जाता है।मध्य प्रदेश में उनके नाम पर "रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय" स्थापित किया गया है।जबलपुर में उनके सम्मान में एक स्मारक भी बनाया गया है।भारतीय इतिहास में उन्हें एक वीरांगना और महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है।निष्कर्ष

रानी दुर्गावती न केवल एक महान योद्धा थीं बल्कि एक सक्षम प्रशासक और प्रजा के प्रति समर्पित शासक भी थीं। उन्होंने अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका जीवन आज भी महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

रानी दुर्गावती पर शायरी

1. वीरता की मिसालशेरनी सी गर्जी थी जो रण के मैदान में,न झुकी, न रुकी, बढ़ी हर तूफान में।दुश्मन भी कांपा देख उसकी तलवार,दुर्गावती की गाथा रहेगी संसार में।

2. बलिदान की कहानीअपनी मिट्टी से प्रेम निभाया,दुश्मन को रण में धूल चटाया।जिंदा है उसकी शौर्यगाथा,रानी दुर्गावती नाम जो पाया।

3.जो झुकी नहीं, जो रुकी नहीं,हर कठिनाई से वो डरी नहीं।रणभूमि में जिसने इतिहास रचा,दुर्गावती का नाम अमर सदा।

4.रानी थी वो पर वीर शिवा सी थी,हर रण में दुश्मन पर बिजली सी थी।मिट्टी के सम्मान पर प्राण वार दिए,गोंडवाना की माटी की देवी सी थी।

5.तलवार की धार थी, हौसलों की पहचान थी,रणभूमि की शेरनी, वो गोंडवाना की जान थी।झुकी नहीं, रुकी नहीं, हर तूफान सह गई,रानी दुर्गावती की गाथा, इतिहास कह गई।

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