पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि अनिकेत जब चेंज करके आता है तब भी सुहानी बेड के पास ही खड़ी थी वो उससे सोने का कहकर खुद भी लेट जाता है
अब आगे ......
अनिकेत एक बार फिर पीछे मुड़कर देखता है तो सुहानी उसे कहीं नहीं दिखाई देती तो वो परेशान होकर उठता है और कमरे से बाहर निकलने ही वाला होता है तब तक उसकी नजर बेड के पास बैठी सुहानी पर पड़ती है जो धीरे धीरे रो रही थी अनिकेत अपनी आंखें बन्द कर एकदम से खोलकर अपने गुस्से पर कंट्रोल करता है और आगे बढ़कर सुहानी से नीचे बैठने की वजह पूछता है , " तुम नीचे क्यों बैठी हो तुमसे कहा था ना कि सो जाओ तो फिर यहां क्या कर रही हो और तुम ये रो क्यों रही हो तुम्हें रोने के अलावा कुछ आता है या नहीं देखो मुझे और गुस्सा मत दिलाओ और चुपचाप सो जाओ , उठो ! मैंने कहा कि उठो "
सुहानी, अनिकेत की बात सुन थोड़ा शांत हो जाती है और उससे पूछती है ," हम कहां सोएं? " , अनिकेत उसकी बात सुन उसके पास जा उसे एक हाथ से उठा बेड पर बैठा देता है और अपनी गुस्से भरी आवाज में कहता है ," यहां ! और ये बताओ ये तुम रोज मुझसे पूछोगी क्या कि तुम्हें कहां सोना है अगर मुझे याद है तो मैंने तुम्हें पहले दिन ही कह दिया था कि ये कोई फिल्म की स्टोरी नहीं है जो पति पत्नी होते हुए हम अलग अलग सोएंगे तो आज के बाद मुझसे ये फालतू कोशचन मत करना, इतना कह अनिकेत बेड की तरफ मुड़ा ही था कि उसे सुहानी की आवाज सुनाई देती है," दीदी तो कहती हैं कि जब तबीयत खराब हो तो जमीन पर सोते हैं " अनिकेत सुहानी इस बात को सुन शॉक्ड हो जाता है और उसे एकदम से ध्यान आता है कि सुहानी की तो तबियत खराब है और वो कितनी देर से उस पर गुस्सा कर रहा है
सुहानी की इस बात पर अनिकेत , सुहानी से शांति के साथ कहता है," ऐसा कुछ नहीं होता और आज से चाहें जो भी हो जाए तुम यहीं सोओगी , अच्छा ये सब छोड़ो ये बताओ दर्द तो नहीं हो रहा,,,,,,,,,, सुहानी -" हो रहा है " ,,,,,,,, अच्छा तुम यहीं लेटो मैं अभी आता हूं, इतना कह अनिकेत कमरे से बाहर निकल जाता है और थोड़ी देर बाद ट्रे में एक चाय का कप ,हॉट वाटर बैग और शॉप से खरीदा हुआ सामान कार से निकाल कर ले आता है और एक एक कर सामान को बेड के पास रखें स्टूल पर रख देता है , और हॉट वाटर बैग को सुहानी के हाथों में पकड़ा देता है ," ये लो " पर सुहानी को समझ नहीं आता कि वो इसका क्या करें क्योंकि उसने आज से पहले इसे दीदी के हाथों में देखा तो था पर खुद यूज करने के लिए कभी नहीं मिला था, अनिकेत, सुहानी को सोच में गुम देख पूछता है," क्या हुआ यूज करो" सुहानी - ये कैसे यूज रहते हैं? अनिकेत एक बार फिर उसके प्रश्न से इरिटेट हो गया था पर इस वक्त उसने शांत रहना ही ठीक समझा क्योंकि उसे पता था कि कल वो सुहानी को उसके घर भेज देगा
अनिकेत - इसको अपनी कमर पर रखकर सिंकाई करो और थोड़ी देर बाद जब चाय थोड़ी ठंडी हो जाए तब इसे पी लेना तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा , ओके चलो अब मैं सोता हूं और हां ये लो इसकी जरूरत पड़ सकती है तुम्हें इसमें तुम्हारे दर्द की टेबलेट भी है और तुम्हारे जरूरत का सामान भी , इतना कह अनिकेत अपनी जगह पर आकर लेट जाता है थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगती है पर सुहानी अभी तक नहीं सोई थी इस वजह वो भी नहीं सो पा रहा था पर थोड़ी ही देर में सुहानी सो गई थी और अनिकेत भी ।
सुबह 7 बजे
अनिकेत के कमरे के बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है और कुछ शब्दों की भी ," अनिकेत अपनी पत्नी से कह कि जल्दी तैयार होकर नीचे आए आज उसे अपने घर जाना है " पर अनिकेत अभी भी सो रहा था लेकिन आम्या की नींद दरवाजा खटखटाने से खुल गई थी क्योंकि उसके अभी भी हल्का दर्द हो रहा था लेकिन उसकी बेड से उठकर दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी सुहानी ने धीरे से अनिकेत को जगाने की कोशिश की ," सुनो, सुनो मां आईं हैं बाहर " थोड़ी देर सुहानी बस बोलकर ही अनिकेत को जगाने की कोशिश करती है जब वो नहीं जागता तो उसने उसे उसका कन्धा धीरे से पकड़ कर हिलाया सुहानी जानती थी अगर उसने उसे ज्यादा परेशान किया तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा इसीलिए उसने उसे धीरे धीरे जगाना ही सही समझा, सुहानी की थोड़ी देर की मेहनत के बाद अनिकेत अचानक ही उठकर बैठ गया, " क्या है ? तुम्हारी प्राब्लम क्या है तुम ना ही सुकून से रहती हो और ना ही रहने देती हो
सुहानी -" मां, आई थीं दरवाजा खटखटा रही थी " , तो मैं क्या करूं तुम उठकर खोल देती मुझे क्यों उठाया,,,,,, अनिकेत की बातों से सुहानी परेशान हो जाती है फिर कहती है," मां कह रही थीं कि हमें आज घर जाना है , हमें समझ नहीं आ रहा हम खुश हों या फिर दुखी क्योंकि वहां दीदी होगी और वो फिर से मुझे ज़मीन पर सुलाएगी" ,,,,,, अनिकेत, सुहानी की इस बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए सोचने लगता है कि मैंने तो दादू से अभी तक बात भी नहीं की तो फिर उन्हें कैसे पता चला कि मैं इसे उसके घर भेजना चाहता हूं, यही सब सोचते हुए अनिकेत अपना सिर झटककर कमरे के बाहर निकल जाता है लेकिन उससे पहले सुहानी को वाशरुम भेज देता है और खुद भी समीर के कमरे में फ्रेश होने चला जाता है।
सुबह 9 बजे डाइनिंग टेबल पर
सभी अपनी अपनी जगह बैठे नाश्ता कर रहे थे आज अनिकेत ने सुहानी को भी अपने पास वाली चेयर पर बैठाया था , थोड़ी देर बाद अखण्ड प्रताप अनिकेत से सुहानी को उसके घर ले जाने की बात करते हैं क्योंकि एक रश्म के तहत लड़की को उसका पति उसके घर ले जाता है और साथ में ही वापस भी लाता है पर अनिकेत उनकी इस बात को टालते हुए कहता है ," दादू मुझे क्या जरूरत है ड्राइवर से कह दीजिए ले जाएगा इसे और वैसे मेरे इक्जाम आ रहे हैं मैं अब कुछ टाइम सिर्फ अपनी पढ़ाई को देना चाहता हूं" , अनिकेत अपनी बात कह ही रहा होता है कि अखण्ड प्रताप अपनी दमदार आवाज में एक बार फिर अनिकेत को सुहानी के मायके जाने के लिए कहते हैं और इस बार तो वो साथ में ही उसे वापस घर लाने के लिए भी कह देते हैं , इस बार अनिकेत को ना चाहते हुए भी हां करना पड़ता है लेकिन उसे समझ आ जाता है कि इसका मतलब मैं ग़लत था दादू ये सब रश्म के लिए कर रहे हैं थोड़ी देर बाद सभी नाश्ता करके जाने लगते हैं पर जैसे ही अखण्ड प्रताप कुर्सी से उठते हैं उन्हें अपने कानों में अनिकेत की आवाज सुनाई देती है ," दादू मुझे आपसे कुछ बात करनी है ",,,,
अखण्ड प्रताप -" हमारे कमरे में आइये " ,,,,,,,,थोड़ी देर बाद अनिकेत अपने दादू के कमरे में उनसे बात कर रहा था थोड़ी देर बाद अनिकेत विदाउट एक्सप्रेशन उनके कमरे से निकल जाता है............प्लीज फ़ॉलो एंड कमेंट
आखिर क्या बात हूई थी अखण्ड प्रताप और अनिकेत के बीच जो उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन ही नहीं थे देखते हैं नेक्स्ट पार्ट में............
😊😊आप सभी मुस्कुराते रहिए ❤️❤️