Tera hone laga hu - 18 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | तेरा...होने लगा हूं - 18

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तेरा...होने लगा हूं - 18

क्रिश के उदासी की बात सुनकर मोक्ष अपनी रिसेप्शन में  जाना कैंसिल कर देता है और सम्राट को सब संभालने के लिए बोलकर काया और दादी के तरफ चला गया।

"चलो स्वीटहार्ट थक गया हूं बहत  नींद आ रही है।"मोक्ष दादी के पास आकर दादी को प्यार से गले लगाते हुए काया के  तरफ देख  बोला।

काया सोने की बात सुनकर ही अंदर ही अंदर डर से कांप ने लगी और दादी मोक्ष की तरफ देखकर असमंजस में बोले...."लेकिन बेटा तुम दोनों तो अपनी रिसेप्शन पार्टी अटेंड करने वाले हो ना ? लर्न में सब लोग तुम्हारा वेट कर रहे हैं।"

मोक्ष थके हुए आवाज में ....."दादी पिछली शादी में अपना रिसेप्शन अटेंड किया था तो वो शादी चली नहीं ।पंडित जी को अपनी कुंडली दिखाई थी तो पंडित जी ने कहा था इस बार रिसेप्शन अटेंड मत करना तो शादी जन्मो जन्म चलेगी।"

दादी सीरियस अंदाज में....."तब तो बेटा ठीक ही है। यहां सम्राट है ना सब संभाल लेगा तू जा  दुल्हन को लेकर।"

काया और सम्राट उसकी बात सुनकर अजीब सी शक्ल बनाकर एक दूसरे को देखने लगे। दादी को गले लगा कर मोक्ष उनके गाल पर किस करते हुए बोला...."ओके दादी गुड नाइट ,हम कल सुबह मिलते हैं। आप भी अभी आराम कीजिए।"बोलकर उसने सम्राट की तरफ देखा और आय विंक कर दिया।

सम्राट माथा झटक ते हुए...."मॉन्स्टर कहिका।""

Thanks for the compliment " बोलकर उसने काया को देखा जो सहमी हुई उससे नजरें चुरा रही थी। और बोला...."चलो स्वीटहार्ट तुम्हें अकेले तो हमारी रिसेप्शन पार्टी अटेंड करने की कोई ख्वाहिश है नहीं ना ? तो चलो सोने चलते हैं।"बोलकर उसमें  काया की कलाई थाम ली और उसकी नजर अपनी मां की कंगन पर पड़ी जो इस वक्त काया के कलाई में थी।

अचानक से उसके चेहरे के भाव बदल जाते हैं और काया ने ये महसूस किया जब अपनी कलाई पर उसने  मोक्ष की पकड़ बेदर्दी से कसता हुआ देखा।उसे अपने कलाई पर दर्द महसूस हुआ। उसने एक नजर अपने कलाई को फिर मोक्ष के चेहरे को देखा जो सर्द होने लगा था। वो कुछ बोल ही रही थी कि मोक्ष दांत पीसते हुए  बोला..."दादी को गुड नाइट नहीं कहोगी स्वीटहार्ट ?बेड मैनर्स।"बात करते हुए भी उसकी नजर अपनी  मां के कंगन पर ही थी।

जब काया को अपनी कलाई के पास बेहिसाब दर्द महसूस होने लगा उसने खुद की कलाई को मोक्ष के हाथों से छुड़ाने की कोशिश करते हुए दादी के तरफ देख बोली...."दादी मुझे अभी नींद नही आ रही है। तो में आप के साथ बात करूंगी।"

दादी कुछ बोलती मोक्ष उसकी कलाई खींच कर खुद के करीब करते हुए,....."कितनी अनरोमैंटिक हो स्वीटहार्ट। सुहागरात के दिन हस्बैंड को छोड़ दादी के साथ कौन बात करता है?"

दादी मोक्ष को थोड़ा शरारती नजर से देखती है। फिर मुस्कुराकर काया की तरफ देखते हुए बोले....."मोक्ष सही कह रहा है बेटा तुम लोग थक गए होगे जाओ सो जाओ ।वैसे भी कल बहुत जल्दी तुम्हें उठना है पूजा भी करना है और पहली रसोई का रस्म भी करना है।"

काया मुंह खोलकर कुछ बोल ही रही थी कि मोक्ष भाव हीन आवाज में....."डोंट वरी दादी मैं स्वीटहार्ट को रात भर सोने ही नहीं दूंगा।"बोलकर वो काया की कलाई खींचकर अपने साथ ले गया और ये सुनकर काया गुस्से और शर्मिंदगी से मोक्ष को देखने लगी तो दादी मुंह बनाते हुए....."बेशर्म कहीं का बिल्कुल अपने दादाजी पर ही गया है।"

लेकिन इन सब के बीच सम्राट जो वहीं पर खड़ा मोक्ष को ऑब्जर्व कर रहा था उसके चेहरे के भाव को देखकर आने वाले तूफान का अंदेशा लगा चुका था। मोक्ष काया की कलाई खींचते हुए उसे घर के अंदर  ले जा रहा था ।सम्राट एक नजर मोक्ष की जलते हुए चेहरे को देखा और  किया के तरफ देखने लगा जो बेबसी भरी नजरों से उसे देख रही थी ।

सम्राट मोक्ष को रोकने की कोशिश करते हुए...."अरे यार रुक जा थोड़ा ।शादी हुई है तेरी थोड़ा जशन मना लेते हैं। भाभी तो अब तेरे ही साथ रहने वाली है। उन्हें कल से वक्त दे देना।"

भाभी सुनकर मोक्ष सम्राट के तरफ दहकती हुए नजर डाल कर...."तो तू कहां कल ससुराल जा रहा है के इतना उछल रहा है आज ही मेरे साथ जसन मानने केलिए?"कहते हुए उसने काया को देखा जो नजर झुका कर खड़ी थी और बोला....."देख अब तो तेरे भाभी(भाभी शब्द पर जोर देते हुए)ने मेरी मां की कंगन भी पहन ली तो दिलसे मुझे अपना  भी लिया होगा । तो आज के आज ही सुहागरात तो बनती ही है।"

सम्राट जब काया की कलाई में उसके मरी हुई मां के कंगन देखता है तो  उसके चेहरे पर भी डर और फिक्र दिखने लगी। फिर भी उसने एक और कोशिश करते हुए मजाकिया अंदाज में उसके सामने खड़ा हो कर बोला....."क्या यार बीवी आई तो जानेमन को भूल गया? दिस इस नोट फेयर।"

मोक्ष उसे कुछ यूं देखता है जैसे उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा हो और एक डेविल स्माइल कर बोला....."तेरे साथ भी क्वालिटी टाइम स्पेंड करता हूं लेकिन तू थोड़े ही उस लेबल तक सेटिस्फाई कर पाएगा जिस लेवल तक मेरी स्वीटहार्ट करेगी।"

उसकी बात सुकर काया ने अपनी आंखे बंद कर ली। और सम्राट उसे गुस्से से देख दांत पीस ने लगा। मोक्ष अपनी डेविल स्माइल कायम रखते हुए बोला...."जाने देगा या कुछ और सुनना सुनाना बाकी है?"सम्राट गुस्से से उसके तरफ देख कर सिर हिलाते हुए उसके सामने से हट गया। और मोक्ष काया की कलाई खींच कर घरके अंदर बढ़ने लगा। और जाते हुए ही पीछे से सम्राट को हाथ उठा कर थम्स अप करते हुए बोला......"वेल ट्राई जानेमन।"

सम्राट की नजर काया के तरफ थी जो पीछे मुड़कर उसे ही देख रही थी।मोक्ष उसे खींचकर अपने कमरे के अंदर लेकर आता है और एक झटके के साथ उसे छोड़ते हुए जैसे ही उसने कमरे का दरवाजा बंद किया डर और घबराहट के मारे काया के दिल की धड़कनें तेज हो गई दरवाजा बंद करते हुए भी मोक्ष की नजर एक टक उसके कलाई पर ही थी जिसमें इतनी सारी चूड़ियों के बावजूद भी वही कंगन चमक रहा था।

मोक्ष अपने शेरवानी के बटन एक-एक कर खोलते हुए उसके और कदम बढ़ाता है और सनकी आवाज में बोला....."बचपन से किसी ने सिखाया नहीं स्वीटहार्ट के किसी की चीजों पर नजर नहीं डालते बैटमैनर्स होता है?"

काया कदम पीछे की तरफ लेते हुए कांपती आवाज में....."पर मैंने कब किस की

कहते हुए वो रुक गई और मोक्ष की नजरों का पीछा करते हुए अपने कलाई की तरफ देखा तो कुछ पल रुक कर वो बोली....."दादी ने पहना दिया मैं कुछ बोल नहीं पाई। मैं अभी उतार देती हूं।"

कहकर जैसे ही उसने वो कंगन उतारने की कोशिश की मोक्ष उसके तरफ तेजी से बढ़कर  उसका हाथ पकड़ते हुए उसे धक्का देकर दीवार से सटा देता है और खुद उसके ऊपर झुक कर उसके चेहरे के बिल्कुल करीब आकर सर्द आवाज में बोला......"कोई कभी भी कुछ भी दे दे और तुम बेझिझक ले लेती हो सेल्फ रिस्पेक्ट नाम की कोई चीज है भी या नहीं स्वीटहार्ट? मोक्ष शेखावत की वाइफ हो तुम अब कोई  राह चलती नहीं।""

काया उसे खुद से दूर करने की कोशिश करते हुए गुस्से से...."कोई नहीं आपके दादी ने दिया था।"

मोक्ष उसके बातों को इग्नोर कर उसकी कलाई को पड़कर अपने चेहरे के करीब खींच ते हुए...."पूरी जिंदगी अपनी डॉक्टरी दिखाओगी तभी भी इस कंगन की कीमत चुका नहीं पाओगी। जितने गहने मोक्ष शेखावत के लीगली वेटेड वाइफ होने पर तुम्हें मिली है  उतने तुम्हारे साथ जन्मों के लिए काफी है और तुम्हारी औकात से भी बाहर है  और अगर और चाहिए तो खरीद दूंगा।"कहकर उसने काया को  अपने सीने से लगा कर दांत पीसते हुए बोला....."लेकिन इस कंगन को पहनने की ना हीं तुम लायक हो और नाहीं तुम्हारी औकात है।"

अपनी बात पूरी करते हुए एक नफरत भरी नजर काया के ऊपर डालकर  दबे लफ्जों में...."Happy weding night sweetheart"बोल कर वो बालकनी की ओर चला गया और काया वहीं दीवार से टिक्कर घुटनों के बल बैठ गई ।आंखों से बहते-आंसू दिल में भरे हुए नफरत और दर्द ये सारी चीज़ें अब काया के बर्दाश्त के बाहर हो रही थी । मोक्ष के कहे हुए वो हर एक शब्द खंजर की तरह से उसके रूह को छलनी कर रही थी।

गुस्से नफरत और दर्द से चीखते हुए उसने एक-एक कर अपने बदन से सारे गहने निकाल कर फर्श पर फेंक ने लगी।जब इस से भी उसका गुस्सा और दर्द शांत नहीं हुआ उसने अपने मांग का सिंदूर अपने कलाई से पोंछ ते हुए अपने गले से मोक्ष का पहनाया हुआ मंगलसूत्र खींच कर जमीन पर फेंक दिया। और ये सब करते हुए उसके जुबान से बस एक ही आवाज आ रही थी"I hate you"वही बालकनी में खड़ा सिगरेट के कश भरते हुए मोक्ष के कानों में भी काया के कह गए शब्द गूंज रहे थे । लेकिन वो सिगरेट के लंबे कश भरते हुए एक टक बस आसमान को ही देख रहा था ।जहां ढेर सारे तारों के बीच एक तेज जगमगाता हुए सितारा चमक रहा था।

उस सितारे को देखते हुए ही  उसके होठों पर खुद ब खुद ही एक सुकून  भरी मुस्कान आ गई थी । बिल्कुल एक बच्चे की तरह । अपनी पॉकेट से कंगन निकाल कर देखते हुए उसने कहा...."कोई भी आप जैसा नहीं हो सकता mom ।कभी नहीं। सब के सब धोखेबाज है सब मौका परिस्थित है सबको बस एक मौका चाहिए अपनी औकात दिखाने का और धोखा देने का।  आप ने ठीक कहा था की ये दुनिया ही प्यार करने के लायक नहीं है । यहां पर बस वही टिक सकता है जिसके अंदर हैवानियत भरी हुई हो।"अपनी मां से बात करते-करते मोक्ष बालकनी में पड़े  काउच पर लेट गया बैठे-बैठे न जाने उसने कितनी सिगरेट के पैकेट खत्म कर दिए थे।

कमरे के अंदर से  काया की हल्की सिसकने  की आवाज अभी तक उसके कानों में गूंज रही थी उसने उसे आवाज को इग्नोर करने की कोशिश की। और अपनी आंखे  बंद करली।

सुबह का वक्त

सूरज की पहली हल्की  सी किरण मोक्ष के चेहरे पर पड़ती है और वो चीड़ ते हुए नींद से भरी हुई आवाज में बोला...."काका आपने खिड़की खुली छोड़ दी थी क्या?"कहकर वो वापस से आंखों के ऊपर हाथ रख सो ही रहा था के बाहर से दरवाजा knock होने की आइज से उसकी नींद टूटी। वो उठ कर बैठा और अपना चारों ओर नजर घुमाकर देखता है।

रात की बात याद आते ही उसने एक गहरी सांस ली और अपने चेहरे पर हाथ फेर ते हुए उगलियों से माथे को रब करने लगा।दरवाजा दुबारा से knock हुआ लेकिन इस बार थोड़ा तेज। मोक्ष चीड़ कर दांत पीस ते हुए....."क्या ये लड़की कुंभकर्ण के खानदान से है के इतने जोर से दरवाजा खटखटा ने की आवाज इसे सुनाई नहीं पड़ रही?"

खुद से ही बड़ बड़ा कर वो उठ कर खड़ा हुआ और कमरे के अंदर आकर पहले उसकी नजर बेड पर गई जो वैसे ही फूलों से सजी हुई थी। फिर उसकी नजर फर्श पर गई जहां काया के गहनें बिखरे पड़े थे। मोक्ष की नजर दीवार से माथा टिका कर खुद में ही  सिमट कर सोई हुई काया पर पड़ती है वो कदम बढ़ाकर काया के करीब आता है और उसकी नजर काया पर टिक जाती है ।

शरीर पर एक भी गहना नहीं , जुड़े से मोगरे के फूल टूट कर फर्श पर फैले हुए थे गुस्से से जुड़े को भींच ने की वजह से शायद बाल  चेहरे पर बिखरे पड़े थे और दुपट्टा भी दूर बेड के पास पड़ा हुआ था आंखें रात भर रोने की वजह से सूझे हुए थे और चेहरा एकदम मुरझा गया था। मांग का सिंदूर जो गुस्से से काया ने अपनी कलाई से पोंछ दिया था कुछ उसकी कलाई में और कुछ उसके माथे पर पहले हुए थे ।

काया के ऊपर नजर टिका कर ही मोक्ष वही उसके करीब घुटनों के बल बैठ गया। चेहरे पर बिखरे वालों में से झांक कर वो काया की मासूम खूबसूरती को निहारने की कोशिश करने लगा लेकिन जब उसमें वो कामयाब नहीं हुआ  तो चिढ़ ते हुए उसके हाथ खुद ब खुद ही काया के चेहरे के करीब बढ़ने लगते हैं ।अपनी उंगलियों से उसके चेहरे पर आ रहे बालों को हटाकर वो काया को एक टक निहार ने लगा ।

   

To be continued ❤️

क्या काया इस रिश्ते को निभाएगी ?और क्या होगा जब क्रिश अपने घर में काया को देखेगा?जानने केलिए पढ़ते रहें।