दिल्ली की सर्द रातों में एक रहस्य गहराने वाला था। "कोटिला अपार्टमेंट" की सातवीं मंज़िल पर स्थित फ्लैट नंबर 705 में एक अजीबोगरीब मौत हुई थी। पुलिस को रात 11:30 बजे सूचना मिली कि वहाँ से दुर्गंध आ रही है, और दरवाजा अंदर से बंद है।पुलिस के लिए पहेलीइंस्पेक्टर राजेश अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँचे। दरवाज़ा तोड़ा गया, और अंदर जो नज़ारा था, उसने सबको चौंका दिया।एक आदमी, जिसकी उम्र लगभग 40 साल होगी, पंखे से रस्सी के सहारे लटका हुआ था। लेकिन कमरे में कोई खिड़की नहीं थी, और न ही कोई स्टूल, कुर्सी या टेबल जिस पर चढ़कर वह खुद को फाँसी लगा सकता था। इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात थी कि दरवाज़ा अंदर से बंद था। अगर यह हत्या थी, तो कातिल बाहर कैसे गया? और अगर यह आत्महत्या थी, तो आदमी ने खुद को कैसे लटकाया?इंस्पेक्टर राजेश ने अपने सबसे भरोसेमंद आदमी को फोन किया - जासूस देव। जासूस देव, एक तेज़ दिमाग वाला जासूस, जिसने कई नामुमकिन मामलों को हल किया था, जब घटनास्थल पर पहुँचा, तो उसने सबसे पहले कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया।
• लाश की स्थितिः मृतक की गर्दन पर रस्सी का गहरा निशान था, लेकिन पैर हवा में झूल रहे थे।
• कमरे की संरचना: एक बंद कमरा, बिना खिड़की के, और कोई ऐसी चीज़ नहीं जिससे वह चढ़कर लटक सकता।
• दरवाज़े का लॉकः अंदर से बंद, बिना किसी छेड़छाड़ के।
"अगर यह आत्महत्या है, तो सवाल उठता है- उसने खुद को लटकाने के लिए क्या इस्तेमाल किया?" देव ने सोचा।
उसने कुछ चीज़ों पर गौर किया-
1. कमरे की छत थोड़ी ऊँची थी।
2. पंखे की हालत सामान्य थी, कोई जबरदस्ती का निशान नहीं था।
3. ज़मीन पर पानी के कुछ निशान थे, और कोने में एक पिघली हुई बर्फ की बाल्टी रखी थी।
देव को अहसास हुआ कि यह कोई आम आत्महत्या नहीं थी।
जासूस देव ने कमरे का कोना-कोना छान मारा। कुछ चीज़ें उसे परेशान कर रही थीं—
1. बर्फ की बाल्टी: कमरे में पिघली हुई बर्फ के अवशेष थे।
2. जमीन पर पानी के निशान: ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ कुछ रखा गया हो, जो अब गायब था।
3. लाश का ऊँचाई पर लटका होना: बिना किसी सहारे के कोई खुद को इतनी ऊँचाई पर कैसे लटका सकता था?
इंस्पेक्टर राजेश, जो अब तक मामले को लेकर उलझन में था, देव के पास आया—
"देव, क्या लगता है? आत्महत्या या हत्या?"
देव ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अब तक का सारा सबूत एक ही चीज़ की ओर इशारा कर रहा है— यह हत्या है!"
"लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था!" राजेश ने आपत्ति जताई।
"यही तो खेल है, इंस्पेक्टर। हत्यारा चाहता था कि यह आत्महत्या लगे। लेकिन एक गलती कर गया!"
देव ने लाश को ध्यान से देखा। गले पर रस्सी के निशान थे, लेकिन एक अजीब बात थी— रस्सी की गांठ आगे की ओर थी!
अगर यह खुदकुशी होती, तो आमतौर पर गांठ पीछे की ओर होती।
देव ने कमरे की दीवारें छाननी शुरू कीं। फिर उसने कुछ ऐसा देखा जिसने उसकी शंका को और पुख्ता कर दिया—
छत के पंखे के ऊपर एक महीन सफेद धागा फँसा हुआ था।
देव ने मुस्कराते हुए कहा, "मुझे हत्यारे का तरीका मिल गया।"
"यह हत्या बर्फ के सहारे की गई है!" देव ने समझाया।
"क्या मतलब?" राजेश ने हैरानी से पूछा।
"हत्यारे ने यहाँ एक बर्फ का ब्लॉक रखा था, जो स्टूल का काम कर सकता था। उसने मृतक के गले में रस्सी डालकर पंखे से बाँध दी और उसे बर्फ के ब्लॉक पर खड़ा कर दिया। जैसे ही बर्फ पिघल गई, पीड़ित लटक गया, और मौत हो गई।"
राजेश ने हैरानी से देव को देखा। "लेकिन हत्यारा बाहर कैसे गया?"
देव ने दरवाजे का लॉक ध्यान से देखा और कहा, "यह पुराना ट्रिक है। हत्यारे ने दरवाजे को धागे से बंद किया होगा और बाहर से धागा निकाल लिया होगा, जिससे दरवाजा अंदर से बंद लगे।"
"मतलब हत्यारा अब भी बाहर घूम रहा है?"
"बिल्कुल! और हम उसे पकड़ने वाले हैं।"
अब यह साफ़ हो चुका था कि यह हत्या थी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल था— कातिल कौन है?
जासूस देव ने तुरंत मृतक की पहचान निकाली। उसका नाम अजय खन्ना था। उम्र 42 साल। वह एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट था और यहाँ अकेले रहता था।
देव ने उसकी कॉल डिटेल्स और पिछली मुलाकातों का पता लगाने का फैसला किया।
पुलिस ने अजय के करीबी लोगों से पूछताछ शुरू की। कुछ अहम नाम सामने आए—
1. सुरेश मेहरा – अजय का बॉस, जिसने हाल ही में उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी थी।
2. रवि खन्ना – अजय का छोटा भाई, जो उसकी संपत्ति का इकलौता वारिस था।
3. नीता वर्मा – अजय की गर्लफ्रेंड, जिसने कुछ दिन पहले उससे ब्रेकअप कर लिया था।
4. सोसायटी का गार्ड, रामलाल – जिसने अजय को आखिरी बार रात 9 बजे अपने फ्लैट में जाते देखा था।
देव ने कहा, "कातिल इन्हीं में से कोई एक है!"
देव ने अजय के कॉल रिकॉर्ड्स चेक किए। मौत से कुछ घंटे पहले, उसने रवि खन्ना से 15 मिनट लंबी बात की थी।
"क्यों?"
देव ने रवि से पूछताछ की।
रवि ने कहा, "भैया ने मुझसे 10 लाख रुपये माँगे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी को पैसे चुकाने हैं।"
"किसे?"
"मुझे नहीं पता।"
देव को यह जवाब अधूरा लगा।
सोसायटी के गार्ड, रामलाल ने बताया कि रात 9 बजे अजय अकेले अपने फ्लैट में गया था। उसके बाद कोई नहीं आया।
"क्या तुम पक्के हो?" देव ने पूछा।
"हाँ, साहब।"
देव ने सोसायटी का CCTV फुटेज निकलवाया।
रात 10:15 बजे, कोई फ्लैट के बाहर दिखा!
CCTV में कोई साफ़ नहीं दिखा, लेकिन एक बात पक्की थी— किसी ने फ्लैट का दरवाजा खोला था!
देव ने ज़ूम करके देखा। उस व्यक्ति ने सफेद दस्ताने पहने हुए थे।
"यह कातिल ही है। लेकिन यह अंदर कैसे गया?"
देव ने दरवाजे के लॉक की दोबारा जाँच की।
"यह रहा सबूत!"
देव को दरवाज़े के लॉक के पास छोटे-छोटे खरोंच के निशान दिखे।
"यह दरवाज़ा जबरदस्ती नहीं तोड़ा गया, बल्कि किसी डुप्लीकेट चाबी से खोला गया था!"
"मतलब कातिल के पास अजय के फ्लैट की चाबी थी?" इंस्पेक्टर राजेश ने पूछा।
"बिल्कुल! सवाल यह है कि अजय की चाबी किसके पास हो सकती थी?"
देव ने अजय के भाई, रवि से पूछा, "क्या अजय के पास दूसरी चाबी थी?"
"हाँ... लेकिन वो खो गई थी।"
"कब?"
"लगभग एक हफ्ते पहले।"
देव को अहसास हुआ कि यह कोई इत्तेफाक नहीं था। कातिल ने यह चाबी पहले ही चोरी कर ली थी।
अब तक मिले सबूतों के आधार पर तीन संदिग्धों पर शक गहराया—
1. सुरेश मेहरा (बॉस) – जिसने अजय को नौकरी से निकालने की धमकी दी थी।
2. नीता वर्मा (गर्लफ्रेंड) – जिसने हाल ही में ब्रेकअप किया था।
3. रवि खन्ना (छोटा भाई) – जो संपत्ति का वारिस था।
देव ने तीनों के फिंगरप्रिंट लिए और दरवाज़े के लॉक के निशानों से मिलान किया।
नतीजा चौंकाने वाला था— निशान रवि के थे!
रवि को जब पुलिस ने कड़ी पूछताछ की, तो उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
"हाँ! मैंने अपने भाई को मारा!" रवि चीख पड़ा।
"लेकिन क्यों?"
"मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी। भैया ने मेरी मदद करने से मना कर दिया। उन्होंने मुझे अपनी वसीयत से भी निकालने की बात कही थी। अगर वो मर जाते, तो उनकी पूरी संपत्ति मुझे मिल जाती!"
देव ने सिर हिलाया। "और इसलिए तुमने उसकी चाबी चोरी की, एक हफ़्ते तक प्लानिंग की, फिर बर्फ के ब्लॉक से उसे मारकर, दरवाज़ा धागे से बंद कर दिया।"
रवि का सिर झुक गया।
"तुमने खुद को बहुत चालाक समझा, लेकिन बर्फ का पानी और तुम्हारे फिंगरप्रिंट ने तुम्हारी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।"
रवि को गिरफ्तार कर लिया गया।
इंस्पेक्टर राजेश ने मुस्कराते हुए कहा, "देव, तुमने फिर कमाल कर दिया!"
देव ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "हर बंद कमरा हमेशा बंद नहीं होता, इंस्पेक्टर। बस देखने का नजरिया चाहिए!"