नागराज: ज़हरीला युद्ध
भूमिका
महान योद्धा और विषधर शक्तियों का स्वामी नागराज , जो दुनिया को बुरी ताकतों से बचाने के लिए समर्पित है, एक नए और खतरनाक दुश्मन का सामना करने वाला था। उसकी शांति और न्याय की प्रतिज्ञा को चुनौती देने आ रहा था एक घातक दुश्मन विषनाग , जो सर्पलोक के अंधेरे में जन्मा एक क्रूर नाग था। चैप्टर 1: ज़हरीली साजिश इंडस्टान सिटी में अचानक अजीब घटनाएँ घटने लगीं। लोग बिना किसी वजह के बेहोश हो रहे थे, नदियों का पानी ज़हरीला हो रहा था, और जगहजगह नागों के झुंड दिखाई देने लगे थे। नागराज ने जब इस पर ध्यान दिया, तो उसे पता चला कि यह सब किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। रात के अंधेरे में, जब नागराज शहर की सुरक्षा कर रहा था, तभी उसे हवा में जहर की तेज़ गंध महसूस हुई। उसने अपनी तीसरी आँख सर्पदृष्टि से देखा तो दूर एक परछाईं दिखाई दी। यह कोई और नहीं बल्कि विषनाग थाएक नागद्वीप का खतरनाक नाग, जिसने काली शक्तियों का सहारा लेकर अपनी विषशक्ति को अमर बना लिया था। नागराज! अब इस शहर पर मेरा राज होगा! मैं तुम्हारी तरह दुनिया की रक्षा नहीं करता, मैं इसे अपने पैरों तले कुचलता हूँ! विषनाग गरजा। चैप्टर 2: नागों का महायुद्ध नागराज ने तुरंत विषनाग से भिड़ने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़ा, विषनाग ने अपनी काली नागमणि का प्रयोग किया और ज़हरीले नागों की एक सेना बुला ली। चारों तरफ नागराज को घेर लिया गया। नागराज ने अपनी सुपर शक्ति का इस्तेमाल कियाअपने शरीर से हजारों सूक्ष्म नाग निकालकर दुश्मनों पर हमला कर दिया। लेकिन विषनाग सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि काले जादू से भी लैस था। उसने नागराज पर अपनी नागमणि से हमला किया, जिससे नागराज का शरीर धीरेधीरे जमने लगा। आज तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, नागराज! यह नागमणि मेरे जहर को अनंत बना देती है! नागराज को एहसास हुआ कि वह सीधा बल प्रयोग करके नहीं जीत सकता। उसे नागमणि को नष्ट करना होगा। चैप्टर 3: नागमणि का अंत नागराज ने अपनी मानसिक शक्ति का प्रयोग कर नागमणि की ऊर्जा को भांपा। उसने अपनी पूरी शक्ति को इकट्ठा किया और अपने अंदर के सबसे खतरनाक ज़हर कालसर्प विष को जाग्रत किया। एक ही पल में नागराज ने अपनी संपूर्ण शक्ति से नागमणि पर हमला किया। नागमणि के टुकड़ेटुकड़े हो गए और विषनाग ज़मीन पर गिर पड़ा। नहीं । यह नहीं हो सकता । विषनाग की आवाज़ गूँजती रही और वह राख में बदल गया। चैप्टर 4: नागलोक की पुकार नागराज ने शहर को एक बड़े खतरे से बचा लिया था, लेकिन उसे यह एहसास हो गया कि नागलोक में अब भी कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिनसे उसे टकराना होगा। आकाश में एक बार फिर अंधेरा छा रहा था । कोई और ताकत जाग रही थी । और नागराज का युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ था! जारी। नागराज: नागलोक का अभिशाप चैप्टर 5: नया खतरा विषनाग के खत्म होने के कुछ दिन बाद, नागराज को लगातार एक ही सपना आ रहा था एक अंधेरी गुफा, जहाँ एक विशाल नागमूर्ति रखी थी, और उसकी आँखों से खून टपक रहा था। अचानक, नागमूर्ति की आँखें खुलतीं और एक डरावनी आवाज़ गूँजती तूने नागमणि का संतुलन बिगाड़ दिया है, अब नागलोक का अभिशाप जागेगा। नागराज इस सपने को नज़रअंदाज नहीं कर सकता था। उसने नागद्वीप के सबसे बुजुर्ग ज्ञानी तक्षक ऋषि से इस बारे में पूछा। तक्षक ऋषि ने गहरी सांस ली और कहा नागराज, विषनाग सिर्फ एक मोहरा था। असली खतरा अभी आया नहीं। नागलोक की गहराई में ‘कालसर्प’ कैद है। नागमणि के टूटने से उसकी जंजीरें कमजोर हो गई हैं। अगर वह मुक्त हुआ, तो संपूर्ण धरती पर नागों का अभिशाप छा जाएगा। चैप्टर 6: कालसर्प की जागृति नागराज को अब नागलोक जाना था नागों की प्राचीन नगरी, जो सदियों से पृथ्वी के गर्भ में छिपी थी। जैसे ही वह वहाँ पहुँचा, उसे चारों तरफ तबाही के संकेत दिखने लगे पत्थर की मूर्तियाँ जो असल में जिंदा नाग थे, मगर किसी श्राप के कारण जड़ हो चुके थे। वह नागलोक के गर्भगृह में पहुँचा, जहाँ उसे वह विशाल गुफा दिखी जो उसने सपनों में देखी थी। जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, पूरी गुफा हिलने लगी। सामने एक विशालकाय नाग आकृति उभरी, जिसकी आँखें जल रही थीं। मैं कालसर्प हूँ। सृष्टि का पहला नाग। मेरी शक्ति अनंत है। नागमणि ने मुझे कैद कर रखा था, पर अब मैं स्वतंत्र हूँ। चैप्टर 7: नागराज बनाम कालसर्प कालसर्प की शक्ति इतनी थी कि उसने सिर्फ अपनी फुफकार से नागराज को पीछे धकेल दिया। नागराज ने अपनी सूक्ष्म नाग शक्ति का प्रयोग कर उस पर हमला किया, लेकिन हर बार कालसर्प और ताकतवर हो जाता। नागराज समझ गया कि वह आम जहर से नहीं मरेगा। उसे कालसर्प को हराने के लिए नागलोक की प्राचीन शक्ति का उपयोग करना होगा नागशक्ति महामंत्र। लेकिन इस मंत्र का प्रयोग करने के लिए नागराज को अपना पूरा जीवनबल दांव पर लगाना था। चैप्टर 8: अंतिम बलिदान नागराज ने अपनी संपूर्ण नागशक्ति को जागृत किया। उसके शरीर से हजारों दिव्य नाग निकले और उन्होंने कालसर्प को जकड़ लिया। नागराज ने अपनी तीसरी आँख खोली और पूरा नागलोक सुनहरी रोशनी से जगमगा उठा। एक तेज़ चीख गूँजी नहीं। यह शक्ति बहुत प्राचीन है। मैं इसे सहन नहीं कर सकता। कालसर्प जलने लगा और अंततः राख में बदल गया। नागलोक फिर से शांत हो गया, लेकिन नागराज बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ा। चैप्टर 9: नागराज का पुनर्जन्म। तक्षक ऋषि और अन्य नागों ने नागराज को घेर लिया। उसने अपनी सारी शक्ति गंवा दी थी। अब सवाल था क्या नागराज वापस आ पाएगा। ऋषि ने कहा अगर नागलोक को नागराज की जरूरत है, तो वह अवश्य लौटेगा। अचानक, नागराज की कलाई पर बंधी नागधरा नागों का पवित्र बंधन चमकने लगी। एक गहरी सांस लेते हुए, नागराज ने अपनी आँखें खोलीं। अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ, यह तो बस एक शुरुआत है। जारी । नागराज: अमर नागयुद्ध चैप्टर 10: नया शत्रु कालसर्प के विनाश के बाद नागलोक शांत था, लेकिन नागराज जानता था कि खतरे कभी समाप्त नहीं होते। उसकी शक्तियाँ लौट रही थीं, मगर एक अजीब बदलाव महसूस हो रहा था उसके शरीर में एक नया जहर बह रहा था, जो पहले से भी ज्यादा घातक था। एक रात, जब वह ध्यान में था, तब अचानक नागलोक की हवाएँ गरजने लगीं। तक्षक ऋषि मंदिर से बाहर निकले और बोले नागराज, कालचक्र ने करवट ली है। कोई और शक्ति जाग रही है। उसी समय, नागलोक के आकाश में एक विशाल आकृति प्रकट हुई। वह एक आदिनाग था नागों की प्राचीनतम जाति का अंतिम योद्धा नागायुष। नागायुष, जो हजारों वर्षों से नागलोक की गहराइयों में सो रहा था, अब जाग चुका था। उसने घोषणा की तुम्हारी शक्तियाँ असली नागों की तुलना में कुछ भी नहीं। तुमने नागमणि नष्ट करके ब्रह्मांड का संतुलन बिगाड़ दिया है, अब तुम्हें इसका दंड मिलेगा। चैप्टर 11: नागलोक का संहार नागायुष की शक्ति अद्भुत थी। उसने सिर्फ एक झटके में आधे नागलोक को ध्वस्त कर दिया। उसकी आँखें ज्वाला जैसी थीं और शरीर पिघले हुए सोने की तरह चमक रहा था। नागराज ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उससे युद्ध किया, लेकिन जैसे ही उसने हमला किया, नागायुष ने अपने शरीर से एक दिव्य नागनिकाला, जो नागराज की आत्मा पर हमला करने लगा। नागराज को एहसास हुआ कि यह शारीरिक युद्ध नहीं, बल्कि आत्माओं का युद्ध था। चैप्टर 12: नागमणि की वापसी। नागराज ने अपनी अंतिम शक्ति जुटाई और नागपाश मंत्र का जाप किया। मंत्र इतना शक्तिशाली था कि नागायुष कुछ पल के लिए रुका, मगर उसने अचानक एक रहस्य खोल दिया तुम जिसे नागमणि समझकर नष्ट कर चुके हो, वह वास्तव में नागलोक की आत्मा थी। जब तक नागमणि फिर से नहीं बनती, नागलोक और धरती दोनों नष्ट हो जाएँगे। नागराज स्तब्ध था। उसने खुद अपने हाथों से नागलोक के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया था। तक्षक ऋषि ने कहा एक ही तरीका है। नागराज को अमर नागयुद्ध में उतरना होगा। चैप्टर 13: अमर नागयुद्ध अमर नागयुद्ध एक दिव्य युद्ध था, जो केवल सच्चे नागयोद्धाओं के बीच लड़ा जाता था। इसे जीतने वाला नागमणि को पुनर्जीवित कर सकता था। लेकिन इसमें हारने का मतलब था नश्वरता का अंत। युद्ध शुरू हुआ। नागायुष ने पहले ही वार में नागराज को धराशायी कर दिया। लेकिन नागराज ने अपनी सूक्ष्म नागशक्ति का उपयोग किया और नागायुष के भीतर छिपे रहस्य को खोज लिया वह भी नागमणि से बना था। अगर मैं नष्ट हो गया, तो नागमणि भी हमेशा के लिए मिट जाएगी। नागायुष चिल्लाया। नागराज को अब एक कठिन निर्णय लेना था या तो वह नागायुष को हराकर नागमणि को नष्ट कर दे, या खुद का बलिदान देकर नागलोक को बचाए। चैप्टर 14: नागराज का अंतिम बलिदान नागराज ने अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई लड़ी। लेकिन अंत में, उसने खुद को नागायुष में विलीन कर दिया, जिससे नागमणि का पुनर्जन्म हुआ। नागलोक फिर से जीवित हो गया, लेकिन नागराज वहाँ नहीं था। तक्षक ऋषि ने उदास होकर कहा नागराज अमर था। और अमर ही रहेगा। वह जहाँ भी होगा, एक दिन लौटेगा। चैप्टर 15: नागराज की वापसी। कुछ महीनों बाद, इंडस्टान सिटी के एक मंदिर में एक रहस्यमयी नागचिह्न प्रकट हुआ। एक युवक वहाँ ध्यानमग्न बैठा था, उसकी आँखों में वही तेज था। क्या यह नागराज था। जारी रहेगा। नागराज: नागवंश का अंत। चैप्टर 16: रहस्यमयी नागचिह्न इंडस्टान सिटी के एक प्राचीन मंदिर में अचानक जमीन पर नागचिह्न उभर आया। वहाँ बैठा युवक ध्यान में लीन था, लेकिन उसकी हथेली पर नागराज का वही चिन्ह था, जो नागलोक के योद्धाओं के पास होता था। उसी समय, तक्षक ऋषि और नागलोक के कुछ अन्य नागयोद्धा मंदिर में प्रकट हुए। तक्षक ऋषि ने युवक की ओर देखा और चौंक गए यह असंभव है। नागराज ने अपने अस्तित्व का बलिदान दिया था, फिर यह कौन है। युवक ने अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखों में वही तेज़ चमक थी, जो नागराज की थी। उसने धीरेसे कहा मुझे कुछ याद नहीं। पर यह शक्ति मुझमें क्यों है। चैप्टर 17: नया नागराज। तक्षक ऋषि ने युवक को नागलोक ले जाने का निर्णय किया। उन्होंने उसे एक विशेष अनुष्ठान के लिए नागलोक के गर्भगृह में बैठाया। जैसे ही अनुष्ठान शुरू हुआ, मंदिर की दीवारों पर नागराज के जीवन की घटनाएँ उभरने लगीं कालसर्प का विनाश, नागायुष से युद्ध, और फिर नागराज का बलिदान। युवक घबरा गया। उसने ऋषि की ओर देखा और बोला मैं कौन हूँ। तक्षक ऋषि मुस्कुराए तुम नागराज हो। तुम्हारा पुनर्जन्म हुआ है। चैप्टर 18: नागवंश का शाप लेकिन जैसे ही यह रहस्य खुला, पूरा नागलोक हिलने लगा। आसमान में काले बादल छा गए और एक गहरी गूँज सुनाई दी नागवंश का अंत निकट है। तक्षक ऋषि ने कहा नागराज, तुम्हारे पुनर्जन्म ने नागवंश की प्राचीन शक्ति को तोड़ दिया है। अब एक नया संकट आने वाला है एक ऐसा शत्रु, जो नागलोक से भी पहले अस्तित्व में था। तभी मंदिर की दीवारें टूटने लगीं और वहाँ प्रकट हुआ अंधकनाग। चैप्टर 19: अंधकनाग का प्रकोप अंधकनाग, जो सृष्टि के पहले नागों में से एक था, हजारों वर्षों तक नागलोक के गर्भ में सोया हुआ था। नागमणि के पुनर्जन्म ने उसकी नींद को तोड़ दिया था। तुम नागलोक को बचाने आए थे, लेकिन अब इसकी वजह से संपूर्ण नागवंश समाप्त हो जाएगा। अंधकनाग गरजा। नागराज को अब अपना सबसे कठिन युद्ध लड़ना था, लेकिन इस बार वह पहले जैसा शक्तिशाली नहीं था। उसने अभीअभी पुनर्जन्म लिया था, उसकी शक्तियाँ पूरी तरह विकसित नहीं हुई थीं। चैप्टर 20: नागों की अंतिम लड़ाई। अंधकनाग ने नागलोक पर हमला कर दिया। हजारों नागयोध्दा उसकी सेना से लड़ने लगे, लेकिन वह हर किसी को अंधेरे में बदल देता। उसकी फुफकार से नागयोद्धा पत्थर बनते जा रहे थे। नागराज ने अपनी बची हुई शक्ति से नागफांस चलाया, लेकिन अंधकनाग पर कोई असर नहीं हुआ। तक्षक ऋषि ने नागराज को चेताया तुम्हें अपनी असली शक्ति को जागृत करना होगा। नागराज को फिर से नागों का सम्राट बनना होगा। चैप्टर 21: नागवंश का अंतिम निर्णय नागराज ने अपनी आत्मशक्ति को जागृत किया। उसने नागायुष के युद्ध से मिली ऊर्जा को अपने अंदर समाहित किया और नागशक्ति महामंत्र का जाप किया। चारों ओर एक सुनहरी आभा फैल गई। नागराज का शरीर फिर से शक्तिशाली हो उठा। उसकी हथेलियों से हजारों सूक्ष्म नाग निकले और उन्होंने अंधकनाग को जकड़ लिया। नागवंश कभी खत्म नहीं होगा। मैं इसका रक्षक हूँ। नागराज ने हुंकार भरी। अंधकनाग ने चीखते हुए अंतिम हमला किया, लेकिन नागराज ने कालसर्प अस्त्र का प्रयोग किया और अंधकनाग जलकर राख हो गया। चैप्टर 22: नागलोक का पुनर्जन्म अंधकनाग के खत्म होते ही नागलोक की शक्ति लौट आई। जो नागयोद्धा पत्थर बने थे, वे फिर से जीवित हो उठे। नागलोक के मंदिर फिर से जगमगाने लगे। तक्षक ऋषि ने गर्व से कहा अब कोई शत्रु नागवंश को मिटा नहीं सकता। नागराज लौट आया है। लेकिन नागराज जानता था कि यह अंत नहीं था। आकाश में एक नया चिन्ह उभर रहा था एक अजनबी शक्ति, जो अंधेरे से भी ज्यादा भयानक थी। क्या यह नागराज के लिए अगली चुनौती थी। जारी रहेगा। नागराज: महाकाल नाग का उदय चैप्टर 23: अज्ञात खतरा नागलोक में शांति लौट आई थी, लेकिन नागराज के मन में बेचैनी थी। नागायुष, कालसर्प और अंधकनाग जैसे महाशक्तिशाली शत्रुओं को हराने के बावजूद उसे लग रहा था कि कुछ बहुत बड़ा आने वाला है। इंडस्टान सिटी में, जब नागराज गुप्त रूप से शहर की रक्षा कर रहा था, तभी उसे एक रहस्यमयी संकेत मिला। आसमान में एक जलता हुआ नागचिह्न प्रकट हुआ और एक गहरी आवाज़ गूँजी नागराज, क्या तुम सच्चे नागों के उत्तराधिकारी हो। अगर हाँ, तो नागलोक से परे छिपी एक सच्चाई का सामना करो। यह आवाज़ नागलोक के इतिहास से भी पुरानी थी। तक्षक ऋषि ने बताया कि यह संकेत एक प्राचीन शक्ति का था, जो महाकाल नाग के जागरण की भविष्यवाणी कर रहा था। चैप्टर 24: महाकाल का रहस्य महाकाल नाग एक ऐसा नाग जिसने हजारों वर्षों पहले स्वयं महादेव से नागशक्ति प्राप्त की थी। किंवदंतियों के अनुसार, वह सर्पयुग का पहला योद्धा था, जिसने अमरता को प्राप्त कर लिया था। लेकिन उसके अहंकार और शक्ति के कारण देवताओं ने उसे शाप देकर एक दूसरे आयाम में कैद कर दिया। अब किसी ने उसकी कैद को तोड़ने की कोशिश की थी। अगर वह मुक्त हो जाता, तो न केवल नागलोक, बल्कि पूरी पृथ्वी संकट में पड़ सकती थी। नागराज को अब महाकाल आयाम में प्रवेश करना था, जहाँ समय भी ठहर जाता है। चैप्टर 25: महाकाल आयाम की यात्रा नागराज ने नागलोक के कालद्वार से होकर महाकाल आयाम में प्रवेश किया। वहाँ हर चीज़ शून्य में तैर रही थी ना दिन था, ना रात, सिर्फ अंधेरा और ऊर्जा की लहरें। तभी, एक विशाल छाया उभरी। उसकी आँखें आग की तरह जल रही थीं। वह था महाकाल नाग। तो तुम हो नया नागराज। तुम मेरी कैद को रोकने आए हो, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। महाकाल नाग ने एक ही झटके में नागराज पर हमला कर दिया। नागराज ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया, लेकिन महाकाल नाग पर कोई असर नहीं हुआ। मैं देवताओं की शक्ति से बना हूँ, तुम जैसे साधारण नाग मुझे रोक नहीं सकते। नागराज समझ गया कि यह लड़ाई आम शक्तियों से नहीं जीती जा सकती। उसे कुछ ऐसा करना होगा जो उसने पहले कभी नहीं किया था महाकाल के अपने ही अस्त्र को उसके खिलाफ मोड़ना। चैप्टर 26: नाग महायुद्ध महाकाल नाग ने कालसर्प वज्र का उपयोग किया, जिससे पूरा आयाम काँपने लगा। नागराज ने अपनी नागमणि ऊर्जा को एकत्र किया और महाकाल नाग की ही शक्ति को अवशोषित करने की कोशिश की। अचानक, दोनों के चारों ओर एक प्रकाश विस्फोट हुआ। नागराज को अनुभव हुआ कि वह महाकाल नाग के मन में प्रवेश कर चुका था। महाकाल नाग के भीतर एक छिपी हुई पीड़ा थी वह नागों का सच्चा संरक्षक बनना चाहता था, लेकिन उसकी शक्ति ने उसे अहंकारी बना दिया और देवताओं ने उसे कैद कर दिया। नागराज ने उससे कहा तुम्हारा युद्ध खत्म हो चुका है, महाकाल। नागलोक को तुम्हारी शक्ति चाहिए, तुम्हारे विनाश की नहीं। लेकिन महाकाल नाग ने गरजते हुए कहा अगर मैं इस दुनिया का हिस्सा नहीं बन सकता, तो मैं इसे समाप्त कर दूँगा। चैप्टर 27: नागराज का अंतिम दांव नागराज ने अपनी अंतिम शक्ति जुटाई और नागमणि महामंत्र का उच्चारण किया। इस मंत्र ने महाकाल नाग की ऊर्जा को धीरेधीरे शांत करना शुरू कर दिया। महाकाल नाग चीख उठा, लेकिन उसकी शक्ति कम होती गई। अंततः, उसने अपनी आँखें बंद कीं और कहा तुम सच्चे नागराज हो। मैं अपनी शक्ति तुम्हें सौंपता हूँ। एक उज्ज्वल प्रकाश के साथ महाकाल नाग की शक्ति नागराज में समाहित हो गई, और वह आयाम हमेशा के लिए नष्ट हो गया। चैप्टर 28: नागवंश की नई शुरुआत नागराज वापस नागलोक लौटा। उसकी शक्ति अब पहले से कई गुना बढ़ चुकी थी। तक्षक ऋषि ने घोषणा की आज से नागलोक का भविष्य सुरक्षित है। नागराज, तुम केवल इस लोक के नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड के नागयोद्धा हो। नागलोक के सभी नागों ने नागराज का अभिनंदन किया। लेकिन नागराज जानता था यह केवल एक चैप्टर का अंत था। क्योंकि। कहीं न कहीं, अंधकार में एक और शक्ति जाग रही थी। जारी रहेगा। नागराज: पराशक्ति का प्रकोप चैप्टर 29: नया संकट महाकाल नाग की शक्ति को प्राप्त करने के बाद नागराज अब पहले से भी अधिक शक्तिशाली हो गया था। लेकिन शक्ति के साथ ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई थी। नागलोक और पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए उसने अपनी ऊर्जा को संतुलित करने का प्रयास किया। इंडस्टान सिटी में सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक एक दिन शहर में भूकंप आने लगे। लोगों का कहना था कि उन्होंने आसमान में एक विशाल छाया देखी थी, जो इंसानी नहीं थी। तक्षक ऋषि ने नागराज को बुलाया और गंभीर स्वर में कहा नागराज, यह कोई साधारण घटना नहीं है। एक नई शक्ति जाग रही है पराशक्ति। वह ब्रह्मांड के उन ऊर्जा स्रोतों में से एक है, जो नागलोक से भी पहले अस्तित्व में थी। पराशक्ति। नागराज चौंक गया। ऋषि ने समझाया यह शक्ति किसी के भी नियंत्रण में नहीं रहती। जो इसे साध लेता है, वह अजेय बन जाता है। लेकिन अगर यह अनियंत्रित हो जाए, तो संपूर्ण सृष्टि नष्ट हो सकती है। नागराज को समझ आ गया कि यह किसी आम शत्रु से युद्ध नहीं था, बल्कि एक अस्तित्व के लिए संघर्ष था। चैप्टर 30: पराशक्ति का आगमन इंडस्टान सिटी के केंद्र में एक अजीब ऊर्जा संकेंद्रित हो रही थी। अचानक, वहाँ एक भयानक विस्फोट हुआ और उससे एक रहस्यमयी आकृति निकली। वह आधा मानव और आधा ऊर्जा से बना था। उसकी आँखें चमक रही थीं, और उसके चारों ओर एक काला आभामंडल था। मैं पराशक्ति का अवतार हूँ पराशुर। पराशुर ने केवल अपनी उपस्थिति से पूरे शहर को थर्रा दिया। उसकी शक्ति इतनी थी कि उसने हवा में ही कुछ इमारतों को ध्वस्त कर दिया। नागराज ने पराशुर का सामना किया और कहा मैं तुम्हें रोकूंगा, चाहे कुछ भी हो। पराशुर हँसा तुम मेरी शक्ति के सामने कुछ भी नहीं हो, नागराज। और फिर शुरू हुआ एक महायुद्ध। चैप्टर 31: नागराज बनाम पराशुर नागराज ने अपनी पूरी शक्ति से पराशुर पर हमला किया, लेकिन हर बार उसके हमले पराशुर की ऊर्जा में समा जाते। पराशुर ने पलटवार किया और एक ऊर्जा किरण छोड़ी, जिसने नागराज को कई फीट दूर पटक दिया। मैं ब्रह्मांड की अनियंत्रित शक्ति हूँ। मुझे कोई नहीं रोक सकता। नागराज समझ गया कि यह युद्ध बल से नहीं, बल्कि रणनीति से जीता जा सकता है। उसे पराशक्ति को नियंत्रित करने का तरीका खोजना होगा। चैप्टर 32: नागमणि की अंतिम परीक्षा तक्षक ऋषि ने नागराज को याद दिलाया कि नागमणि में एक छिपी हुई शक्ति थी, जो पराशक्ति को संतुलित कर सकती थी। लेकिन उसे जागृत करने के लिए नागराज को अपनी आधी ऊर्जा त्यागनी होगी। नागराज ने बिना संकोच नागमणि की शक्ति को जागृत किया। एक सुनहरी आभा फैली और नागराज का शरीर चमकने लगा। पराशुर चौंक गया यह असंभव है। यह शक्ति इतनी शुद्ध कैसे हो सकती है। नागराज ने पराशक्ति को अवशोषित करने के लिए नागमणि महायंत्र का प्रयोग किया। जैसे ही उसने मंत्र पूरा किया, पराशुर की ऊर्जा धीरेधीरे कम होने लगी। पराशुर चीख उठा नहीं। मैं इतनी आसानी से नहीं हार सकता। लेकिन नागराज ने पूरी ताकत से हमला किया और पराशुर की शक्ति को नियंत्रित कर लिया। चैप्टर 33: ब्रह्मांड का संतुलन पराशुर की ऊर्जा अब शांत हो चुकी थी। वह अब नष्ट नहीं कर सकता था, बल्कि एक नियंत्रित शक्ति में बदल चुका था। तक्षक ऋषि ने कहा आज नागराज ने केवल नागलोक को नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड को बचाया है। पराशुर की बची हुई ऊर्जा को नागमणि में समाहित कर दिया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि वह फिर कभी विनाशकारी रूप नहीं ले सकेगी। चैप्टर 34: नागराज की अंतिम चुनौती। नागराज ने नागलोक और पृथ्वी को एक बार फिर बचा लिया। लेकिन उसके मन में अब भी एक सवाल था अगर पराशक्ति से भी बड़ी कोई शक्ति जाग गई, तो क्या मैं उसे रोक पाऊँगा। आकाश में एक और संकेत उभर रहा था। कहीं ब्रह्मांड में कोई और शक्ति नागराज की परीक्षा लेने के लिए जाग तो नहीं रही थी। जारी रहेगा। नागराज: प्रलय का देवता चैप्टर 35: रहस्यमयी भविष्यवाणी पराशुर के विनाश के बाद नागलोक और पृथ्वी फिर से शांत हो गए थे, लेकिन नागराज के मन में अभी भी बेचैनी थी। उसे बारबार एक ही सपना आता एक विशाल आकृति, जिसकी आँखें सूर्य की तरह जल रही थीं, और जो कह रही थी नागराज, मैं तुम्हारे अंत का साक्षी बनूँगा। तक्षक ऋषि ने इस सपने का अर्थ समझने के लिए नागलोक के प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि यह सपना एक भविष्यवाणी का हिस्सा था जब पराशक्ति नियंत्रित हो जाएगी, तब प्रलय का देवता जागेगा। नागराज ने चौंककर पूछा प्रलय का देवता। ऋषि ने बताया कि यह एक ऐसी शक्ति थी, जो केवल तब जागती थी जब ब्रह्मांड का संतुलन टूटने वाला हो। चैप्टर 36: प्रलय का संकेत इंडस्टान सिटी के ऊपर आसमान अचानक लाल हो गया। शहर में जगहजगह बिना किसी कारण के आग लगने लगी। लोग डर के मारे इधरउधर भागने लगे। तभी आकाश में एक विशाल आकृति प्रकट हुई। उसका शरीर आग और लावा से बना था, और उसके सिर पर एक मुकुट था। मैं हूँ प्रलयेश। ब्रह्मांड का अंतिम विध्वंसक। नागराज ने ऊपर देखा और महसूस किया कि यह कोई साधारण शत्रु नहीं था। यह एक दैवीय शक्ति थी, जो केवल तब प्रकट होती थी जब सम्पूर्ण अस्तित्व खतरे में होता। चैप्टर 37: प्रलय का युद्ध प्रलयेश ने केवल एक झटके में इंडस्टान सिटी के आधे हिस्से को राख में बदल दिया। उसकी गर्मी इतनी अधिक थी कि पानी भी उबलने लगा। नागराज ने अपनी पूरी शक्ति के साथ हमला किया, लेकिन प्रलयेश ने केवल एक हाथ के इशारे से उसे दूर फेंक दिया। तुम बहुत छोटे हो, नागराज। मैं संपूर्ण सृष्टि को जलाकर नष्ट करने आया हूँ। नागराज को अब समझ आ गया कि यह युद्ध सामान्य नहीं था। चैप्टर 38: देवों का रहस्य तक्षक ऋषि ने बताया कि प्रलयेश को रोकने का केवल एक ही तरीका था देवशक्ति। देवशक्ति, जो केवल उन योद्धाओं को मिलती थी जो सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते थे। लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए नागराज को स्वयं को बलिदान करना पड़ता। नागराज ने बिना एक पल गँवाए देवशक्ति को प्राप्त करने का संकल्प लिया। चैप्टर 39: नागराज का अंतिम बलिदान। नागराज ने नागदेव मंत्र का जाप किया और उसकी ऊर्जा प्रकाश में बदलने लगी। उसकी त्वचा सुनहरी हो गई और उसकी आँखों में अग्नि जलने लगी। प्रलयेश ने नागराज पर अंतिम हमला किया, लेकिन इस बार नागराज ने नागदेवास्त्र का प्रयोग किया। एक भयानक विस्फोट हुआ। प्रलयेश की चीखें पूरे ब्रह्मांड में गूँज उठीं। उसकी शक्ति धीरेधीरे समाप्त होने लगी और अंततः वह जलकर राख हो गया। लेकिन जैसे ही वह नष्ट हुआ, नागराज ज़मीन पर गिर पड़ा। चैप्टर 40: नागराज की वापसी। नागलोक और पृथ्वी बच चुके थे। लेकिन नागराज अचेत पड़ा था। नागलोक के सारे नागयोद्धा उसके चारों ओर इकट्ठा हो गए। तक्षक ऋषि ने कहा नागराज ने केवल इस लोक को नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड को बचाया है। वह कभी मर नहीं सकता। वह अमर है। तभी, नागराज की उँगलियाँ हिलने लगीं। उसकी आँखें धीरेधीरे खुलीं। क्या नागराज सच में लौट आया था। या यह एक नई शक्ति का संकेत था। जारी रहेगा। नागराज: अमरत्व का श्राप चैप्टर 41: पुनर्जन्म या श्राप। प्रलयेश के विनाश के बाद नागलोक और पृथ्वी में शांति लौट आई थी। लेकिन नागराज के शरीर में एक अजीब बदलाव आ रहा था। उसकी त्वचा पर सुनहरे निशान उभर आए थे, और उसकी शक्ति अस्थिर हो रही थी। कभी वह अत्यधिक शक्तिशाली महसूस करता, तो कभी उसकी ऊर्जा पूरी तरह समाप्त हो जाती। तक्षक ऋषि चिंतित थे। उन्होंने नागलोक के प्राचीन ग्रंथों में खोजबीन की और पाया कि नागराज को अमरत्व का श्राप लग चुका था। नागराज, तुम अब अमर हो चुके हो, लेकिन यह अमरत्व कोई वरदान नहीं, बल्कि एक श्राप है। चैप्टर 42: अमरत्व का सच ऋषि ने बताया कि जब कोई योद्धा देवशक्ति को ग्रहण करता है और स्वयं को बलिदान किए बिना बच जाता है, तो वह अमर हो जाता है। लेकिन इसका एक दुष्परिणाम था तुम्हारी आत्मा अब कभी शांति नहीं पा सकेगी। न तुम जीवित रहोगे, न मृत। तुम्हारी शक्तियाँ असंतुलित रहेंगी और धीरेधीरे तुम्हारा शरीर स्वयं को नष्ट कर देगा। नागराज स्तब्ध रह गया। तो क्या इसका कोई समाधान नहीं है। ऋषि ने गंभीर स्वर में कहा एक ही तरीका है तुम्हें 'नागलोक के आदिदेव' की खोज करनी होगी। केवल वही तुम्हें इस श्राप से मुक्त कर सकते हैं। चैप्टर 43: आदिदेव की खोज नागलोक के आदिदेव, जिन्हें नागलोक का प्रथम संरक्षक माना जाता था, हजारों वर्षों से लुप्त थे। उनकी खोज के लिए नागराज को नागलोक के सबसे खतरनाक स्थान कालसर्प वन में जाना था। यह वन नागलोक के सबसे प्राचीन और शक्तिशाली नागों का निवास था, जो हजारों वर्षों से वहीं सोए हुए थे। अगर नागराज वहाँ गया, तो उसे ऐसे नागयोद्धाओं से सामना करना पड़ता, जो स्वयं कालसर्प की शक्ति से लैस थे। चैप्टर 44: कालसर्प वन का द्वार नागराज ने कालसर्प वन के प्रवेश द्वार पर कदम रखा, तो उसे एक विशाल नाग मूर्ति दिखाई दी। जैसे ही उसने आगे बढ़ने की कोशिश की, मूर्ति जीवित हो गई और एक भयानक आवाज़ गूँजी कोई भी जीवित व्यक्ति यहाँ प्रवेश नहीं कर सकता। नागराज ने जवाब दिया मैं नागलोक का रक्षक हूँ। मुझे आदिदेव की खोज करनी है। लेकिन मूर्ति ने हमला कर दिया। नागराज ने अपनी पूरी शक्ति से वार किया, लेकिन मूर्ति अडिग रही। तभी उसकी हथेली पर नागचिह्न चमका और एक रहस्यमयी द्वार खुल गया। चैप्टर 45: नागलोक के प्रथम योद्धा जैसे ही नागराज ने द्वार पार किया, वह एक विशाल भूमिगत गुफा में पहुँच गया। वहाँ अंधकार था, लेकिन दीवारों पर प्राचीन नागलिपि में कुछ लिखा था। तभी, गुफा के अंदर एक परछाईं हिली। तुम कौन हो, जिसने मेरे विश्राम को भंग किया। नागराज ने देखा उसके सामने खड़ा था एक अत्यंत प्राचीन नागयोद्धा, जिसकी आँखों में अग्नि जल रही थी और शरीर पर हजारों नाग रेंग रहे थे। मैं नागलोक का प्रथम योद्धा नागवीर। नागराज ने आदिदेव के सामने झुककर कहा मैं आपके आशीर्वाद के लिए आया हूँ, नागवीर। मुझे अमरत्व के श्राप से मुक्त करने का मार्ग बताइए। नागवीर गंभीर हो गए। अमरत्व से मुक्ति आसान नहीं, नागराज। इसके लिए तुम्हें स्वयं अपनी आत्मा का बलिदान देना होगा। चैप्टर 46: आत्मबलिदान की कसौटी नागराज सोच में पड़ गया। अगर उसने आत्मबलिदान किया, तो क्या वह मर जाएगा। क्या वह नागलोक और पृथ्वी को हमेशा के लिए छोड़ देगा। लेकिन अगर उसने बलिदान नहीं दिया, तो उसकी शक्ति धीरेधीरे उसे नष्ट कर देगी। नागवीर ने अपनी तलवार उठाई और कहा अगर तुम सच्चे नागयोद्धा हो, तो इस अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हो जाओ। नागराज को अब सबसे कठिन निर्णय लेना था क्या वह अपना बलिदान देकर नागलोक को बचाएगा। या कोई और तरीका खोजेगा। जारी रहेगा। नागराज: मृत्यु का द्वार चैप्टर 47: आत्मबलिदान या नया रास्ता। नागवीर के सामने खड़ा नागराज दोराहे पर था। अगर उसने आत्मबलिदान दिया, तो वह अमरत्व के श्राप से मुक्त हो सकता था, लेकिन फिर नागलोक और पृथ्वी को बिना रक्षक के छोड़ना पड़ता। क्या कोई और रास्ता नहीं है। नागराज ने पूछा। नागवीर की आँखों में चमक आई। शायद। लेकिन वह मार्ग मृत्यु के द्वार से होकर जाता है। नागराज चौक उठा। मृत्यु का द्वार। नागवीर ने समझाया यह ब्रह्मांड में एक रहस्यमयी स्थान है, जहाँ जीवित और मृत आत्माएँ मिलती हैं। केवल वही योद्धा, जो मृत्यु को पराजित कर सके, अमरत्व के श्राप से मुक्त हो सकता है। लेकिन ध्यान रहे, नागराज। यदि तुम असफल हुए, तो तुम्हारा अस्तित्व हमेशा के लिए मिट सकता है। नागराज ने बिना एक पल गंवाए कहा मैं तैयार हूँ। चैप्टर 48: मृत्यु का द्वार नागवीर ने अपने त्रिशूल से एक शक्ति उत्पन्न की और अचानक एक काला भंवर प्रकट हुआ। यह है मृत्यु का द्वार। अगर तुम इसे पार कर गए, तो तुम्हें अपने सबसे बड़े भय का सामना करना होगा। नागराज ने साहस जुटाया और भंवर में कूद गया। जैसे ही उसने द्वार पार किया, उसे लगा कि वह शून्य में गिर रहा है। वहाँ कोई समय, कोई स्थान नहीं था सिर्फ अंधकार था। तभी, एक रहस्यमयी आवाज़ गूँजी नागराज, क्या तुम सच में मृत्यु से बच सकते हो। नागराज ने चारों ओर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। अचानक, सामने एक छवि प्रकट हुई खुद नागराज की। लेकिन यह कोई साधारण छवि नहीं थी। यह कालनागराज था नागराज का ही एक अंधकारमयी रूप, जो क्रोध, संदेह और विनाश से बना था। तुम कभी मुक्त नहीं हो सकते, नागराज। तुम्हारा अंत निकट है। चैप्टर 49: नागराज बनाम कालनागराज नागराज ने तुरंत आक्रमण किया, लेकिन कालनागराज उसकी हर चाल को पहले से ही जानता था। मैं तुम ही तो हूँ, नागराज। जो शक्ति तुमने अब तक अर्जित की है, वह सब मेरी भी है। कालनागराज ने अपनी नागमणि से एक काली ऊर्जा छोड़ी, जिसने नागराज को जकड़ लिया। नागराज ने खुद को मुक्त करने की कोशिश की, लेकिन कालनागराज ने कहा तुम इस श्राप से कभी नहीं बच सकते। यह तुम्हारा ही भाग्य है। नागराज को महसूस हुआ कि यह लड़ाई केवल शारीरिक नहीं थी, बल्कि मानसिक और आत्मिक भी थी। अगर उसे इस श्राप से मुक्त होना था, तो उसे खुद अपने डर और संदेह पर विजय पानी होगी। चैप्टर 50: आत्मशुद्धि नागराज ने अपनी आँखें बंद कीं और अपने भीतर की ऊर्जा को महसूस किया। मैं केवल शक्ति नहीं हूँ। मैं नागलोक का संरक्षक हूँ। मैं अंधकार नहीं, प्रकाश हूँ। जैसे ही उसने यह स्वीकार किया, उसकी नागमणि से एक सुनहरी रोशनी निकली और कालनागराज चीखने लगा। नहीं। यह संभव नहीं। धीरेधीरे कालनागराज की छवि मिटने लगी और नागराज की आत्मा शुद्ध हो गई। अचानक, वह फिर से कालसर्प वन में लौट आया। नागवीर मुस्कुराए और बोले तुमने मृत्यु को हरा दिया, नागराज। अब तुम श्रापमुक्त हो। नागराज ने महसूस किया कि उसकी शक्तियाँ अब स्थिर थीं। वह अब पहले से भी अधिक मजबूत था, लेकिन अब वह अमर नहीं था बल्कि एक सच्चा योद्धा बन चुका था। चैप्टर 51: एक नई शुरुआत नागराज नागलोक लौटा, जहाँ तक्षक ऋषि और बाकी नागयोद्धाओं ने उसका स्वागत किया। अब नागराज न केवल नागलोक का संरक्षक था, बल्कि पूरे ब्रह्मांड में संतुलन बनाए रखने वाला योद्धा भी। लेकिन कहीं न कहीं, एक नई शक्ति उभर रही थी। क्या यह नागराज के लिए एक नए युद्ध की शुरुआत थी। जारी रहेगा। नागराज: नवनागों का उदय चैप्टर 52: नया संकट श्रापमुक्त होकर लौटने के बाद नागराज को लगा कि अब कुछ समय के लिए शांति बनी रहेगी, लेकिन उसकी यह सोच जल्द ही टूट गई। नागलोक में अचानक एक ऊर्जा विस्फोट हुआ। चारों ओर हरा प्रकाश फैल गया और नागयोद्धा घबराकर इधरउधर भागने लगे। तक्षक ऋषि ने आसमान की ओर देखा और कहा यह किसी अनहोनी का संकेत है। तभी, नागलोक की सीमाओं पर पाँच रहस्यमयी योद्धा प्रकट हुए। उनके शरीर पर नागों की भांति चिह्न थे, लेकिन उनकी ऊर्जा नागलोक के किसी भी योद्धा से अलग थी। उनमें से एक ने आगे बढ़कर कहा हम हैं 'नवनाग' प्राचीन नागवंश के अंतिम उत्तराधिकारी। नागराज चौंक गया। चैप्टर 53: नवनागों का रहस्य नागलोक के प्राचीन ग्रंथों में लिखा था कि हजारों वर्ष पहले, नागलोक में दो शक्तिशाली गुट थे 1. नागवंश जिससे नागराज आता था 2. नवनाग वंश जो रहस्यमय रूप से लुप्त हो गया था नवनागों का मानना था कि नागलोक पर उनके पूर्वजों का अधिकार था, लेकिन नागराज के पूर्वजों ने उन्हें पराजित कर दिया था। अब वे लौट आए थे, और उनका इरादा साफ था नागलोक पर अपना अधिकार पुनः स्थापित करना। चैप्टर 54: नागराज बनाम नवनाग नवनागों का नेता, नागशेष, सबसे आगे बढ़ा और उसने नागराज को ललकारा। हम नागलोक के असली उत्तराधिकारी हैं। अगर तुम्हें अपनी सत्ता बचानी है, तो युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। नागराज जानता था कि बिना युद्ध यह टलने वाला नहीं था। पहला मुकाबला शुरू हुआ नागराज बनाम नागशेष। नागशेष की गति अद्भुत थी। वह हवा में लहराते हुए नागराज पर तेज वार कर रहा था। उसकी शक्ति इतनी थी कि उसने एक ही झटके में नागलोक की एक पूरी पहाड़ी को तोड़ दिया। नागराज ने तुरंत अपनी सर्पसिद्धि शक्ति का प्रयोग किया और हज़ारों सर्पों को बुलाया, लेकिन नागशेष ने अपने विष से उन्हें निष्क्रिय कर दिया। तुम्हारी ये चालें मेरे सामने नहीं टिक सकतीं, नागराज। नागशेष हंसा। नागराज समझ गया कि यह युद्ध आसान नहीं होगा। चैप्टर 55: नागशेष की असली शक्ति युद्ध के बीच में ही नागशेष ने अपने शरीर से एक रहस्यमयी शक्ति निकाली कालसर्प ऊर्जा। यह एक प्राचीन शक्ति थी, जो उसे अदृश्य और अजेय बना सकती थी। अब नागराज के लिए चुनौती और बढ़ गई। लेकिन तभी तक्षक ऋषि ने एक रहस्य उजागर किया नागराज। नागशेष को हराने के लिए तुम्हें अपने भीतर छिपी 'नागदेव शक्ति' को जागृत करना होगा। चैप्टर 56: नागदेव शक्ति की जागृति नागराज ने अपनी सारी ऊर्जा एकत्र की और ध्यान में लीन हो गया। उसकी आँखें चमकने लगीं, और उसकी त्वचा पर नागमणि की लपटें उठने लगीं। अचानक, एक ज़ोरदार गर्जना हुई, और नागराज ने अपनी अंतिम शक्ति नागदेवास्त्र का प्रयोग किया। नागदेव ऊर्जा के प्रहार से नागशेष ध्वस्त हो गया। बाकी नवनाग योद्धाओं ने जब यह देखा, तो वे भी पीछे हट गए। चैप्टर 57: नवनागों का नया उद्देश्य युद्ध के बाद, नागराज ने नवनागों से कहा नागलोक तुम्हारा भी घर है। हमें लड़ने की जरूरत नहीं, बल्कि साथ मिलकर इस दुनिया की रक्षा करनी चाहिए। नागशेष को एहसास हुआ कि वह गलत दिशा में था। अंततः, नवनागों ने नागलोक के साथ एक नई संधि की और नागराज को नागलोक का सर्वोच्च रक्षक स्वीकार कर लिया। लेकिन इसी बीच, दूर अंतरिक्ष में एक नई शक्ति जन्म ले रही थी। क्या यह नागराज के लिए एक और नई चुनौती थी। जारी रहेगा। नागराज: ब्रह्मांडीय युद्ध का प्रारंभ चैप्टर 58: अंतरिक्ष से आई चेतावनी नवनागों के साथ संधि करने के बाद नागलोक में शांति लौट आई थी। लेकिन यह शांति ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई। तक्षक ऋषि ने ध्यान के दौरान एक भयानक भविष्यवाणी देखी एक शक्ति, जो ब्रह्मांड के हर जीव को समाप्त करने की क्षमता रखती है, हमारी ओर बढ़ रही है। अचानक, आसमान में एक दरार खुली और एक विशाल ऊर्जा विस्फोट के साथ एक रहस्यमयी आकृति प्रकट हुई। उसका आकार किसी भी ज्ञात योद्धा से विशाल था, और उसकी आँखों से नीली ज्वालाएँ निकल रही थीं। मैं हूँ महाविनाशक 'कालाक्ष'। मैं संपूर्ण सृष्टि को समाप्त करने के लिए आया हूँ। चैप्टर 59: कालाक्ष का प्रहार कालाक्ष ने बिना कोई चेतावनी दिए नागलोक पर हमला कर दिया। उसकी ऊर्जा इतनी शक्तिशाली थी कि उसने मात्र एक झटके में नागलोक के कई किलों को ध्वस्त कर दिया। नवनागों और नागयोद्धाओं ने उसका मुकाबला करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उसके सामने टिक नहीं पाया। नागशेष ने कालसर्प ऊर्जा का प्रयोग किया, लेकिन कालाक्ष ने उसे हवा में उठाकर पृथ्वी पर पटक दिया। अब सिर्फ एक योद्धा बचा था नागराज। चैप्टर 60: नागराज बनाम कालाक्ष नागराज ने अपनी पूरी शक्ति से कालाक्ष पर हमला किया, लेकिन कालाक्ष हर वार को इतनी आसानी से रोक रहा था जैसे कोई साधारण चीज़ हो। तुम बहुत कमजोर हो, नागराज। तुम्हें यह समझना होगा कि इस ब्रह्मांड में केवल एक ही शक्ति सर्वोच्च है विनाश। कालाक्ष ने अपनी महाकाल ऊर्जा का प्रयोग किया और नागराज को आकाश में उछालकर बिजली के प्रहार से नीचे गिरा दिया। नागराज पहली बार इतनी असहाय महसूस कर रहा था। क्या यह मेरी हार है। उसने खुद से पूछा। चैप्टर 61: ब्रह्मास्त्र की खोज नागलोक में हाहाकार मचा था। तक्षक ऋषि ने जल्दी से नागलोक के प्राचीन ग्रंथों को खंगालना शुरू किया। तभी उन्हें एक उपाय मिला केवल एक ही अस्त्र है, जो कालाक्ष को हरा सकता है 'नागब्रह्मास्त्र'। लेकिन यह अस्त्र नागलोक में नहीं था। यह एक ऐसे रहस्यमयी ग्रह पर था, जो ब्रह्मांड के सबसे खतरनाक प्राणियों से भरा था नागग्रह। अब नागराज के पास दो ही विकल्प थे 1. कालाक्ष से बिना अस्त्र के लड़ना जो लगभग असंभव था । 2. नागग्रह की यात्रा करना और नागब्रह्मास्त्र को प्राप्त करना। चैप्टर 62: नागग्रह की ओर नागराज ने बिना देर किए नागग्रह की यात्रा करने का निश्चय किया। तक्षक ऋषि और नागशेष ने उसे चेतावनी दी नागग्रह, जहाँ हजारों वर्षों से कोई नहीं गया। वहाँ केवल वही जीवित रह सकता है, जो नागों का सच्चा स्वामी हो। नागराज ने नागमणि का उपयोग कर अंतरिक्ष द्वार खोला और नागग्रह की ओर प्रस्थान किया। लेकिन उसे अंदाज़ा नहीं था कि वह जिन खतरों का सामना करने जा रहा था, वे अब तक के सबसे भयानक होंगे। जारी रहेगा। नागराज: नागग्रह का रहस्य चैप्टर 63: नागग्रह पर पहला कदम नागराज ने जैसे ही अंतरिक्ष द्वार पार किया, वह एक अजीब और रहस्यमयी ग्रह पर आ पहुँचा। यह नागग्रह था एक ऐसा स्थान, जहाँ केवल नागों की सबसे पुरानी और खतरनाक प्रजातियाँ रहती थीं। आसमान में हरेनीले बिजली के बादल चमक रहे थे। धरती पर विशाल नागों की हड्डियाँ बिखरी हुई थीं। वातावरण में इतनी विषैली गैस थी कि कोई भी साधारण योद्धा यहाँ ज़िंदा नहीं रह सकता था। तभी, अचानक ज़मीन हिली और सामने एक विशाल नाग प्रकट हुआ। कौन हो तुम, जो नागग्रह की भूमि पर आए हो। नागराज ने उत्तर दिया मैं नागलोक का रक्षक नागराज हूँ। मुझे नागब्रह्मास्त्र की खोज करनी है। वह नाग हँसा। क्या तुम्हें लगता है कि नागब्रह्मास्त्र इतना आसान है। अगर तुम इसे पाना चाहते हो, तो तुम्हें 'नागपरीक्षा' देनी होगी। चैप्टर 64: नागपरीक्षा की पहली चुनौती नागराज ने चुनौती स्वीकार कर ली। नाग ने बताया कि तीन परीक्षाएँ पास करने के बाद ही वह नागब्रह्मास्त्र तक पहुँच सकता है। पहली परीक्षा: नागमाया एक मायाजाल, जो योद्धा को उसके सबसे बड़े डर से सामना कराता है। नागराज ने जैसे ही आगे कदम बढ़ाया, उसके सामने एक भयानक दृश्य उभर आया। वह नागलोक को जलते हुए देख रहा था। नागशेष, तक्षक ऋषि और बाकी नागयोद्धा मरे पड़े थे। और उनके सामने खड़ा था। खुद नागराज। लेकिन यह नागराज नहीं था, बल्कि उसका एक दुष्ट रूप महानागराज। यह तुम्हारा ही भविष्य है, नागराज। महानागराज बोला। एक दिन तुम अपने ही लोगों को नष्ट कर दोगे। नागराज को लगा जैसे वह इस मायाजाल में फंसता जा रहा है। नहीं। मैं अपने लोगों का रक्षक हूँ, संहारक नहीं। नागराज ने खुद को संयमित किया और अपनी ऊर्जा को केंद्रित किया। जैसे ही उसने अपने विश्वास को दृढ़ किया, महानागराज गायब हो गया और नागमाया टूट गई। तुमने पहली परीक्षा पार कर ली, नागराज। वह नाग बोला। लेकिन अगली परीक्षा और भी कठिन होगी। चैप्टर 65: नागपरीक्षा की दूसरी चुनौती दूसरी परीक्षा: नागविष अग्नि एक ऐसी अग्नि, जो केवल वही योद्धा पार कर सकता है, जो अपने भीतर के जहर को नियंत्रित कर सके। नागराज के सामने एक विशाल अग्निकुंड प्रकट हुआ, जिसके अंदर नीली और काली लपटें उठ रही थीं। अगर तुम इस अग्नि को पार नहीं कर सके, तो यह तुम्हें भस्म कर देगी। नाग ने चेतावनी दी। नागराज ने अपने शरीर को विषरहित किया और धीरेधीरे अग्नि की ओर बढ़ा। जैसे ही उसने अग्निकुंड में कदम रखा, एक असहनीय जलन महसूस हुई। अचानक, उसकी शक्तियाँ अस्थिर होने लगीं। यह आग मेरी नागशक्ति को नष्ट कर रही है। लेकिन तभी, नागराज को याद आया कि उसे अपनी शक्ति को बाहर नहीं, अंदर केंद्रित करना होगा। उसने अपनी ऊर्जा को नियंत्रित किया, साँस ली और धीरेधीरे अग्निकुंड के पार पहुँच गया। तुमने दूसरी परीक्षा भी पार कर ली, नागराज। अब बस अंतिम परीक्षा बाकी थी। चैप्टर 66: अंतिम परीक्षा नागब्रह्मास्त्र का रक्षक नागराज जैसे ही तीसरी परीक्षा के स्थान पर पहुँचा, उसने देखा कि वहाँ एक प्राचीन मंदिर खड़ा था। मंदिर के द्वार पर लिखा था केवल वही योग्य योद्धा इस अस्त्र को धारण कर सकता है, जो अपनी शक्ति का उपयोग सृजन के लिए करे, न कि विनाश के लिए। जैसे ही नागराज अंदर गया, मंदिर की मूर्तियाँ जीवित हो उठीं और एक विशाल योद्धा प्रकट हुआ। मैं हूँ नागब्रह्मास्त्र का रक्षक नागभैरव। अगर तुम्हें यह अस्त्र चाहिए, तो पहले मुझे हराओ। नागराज ने अपना युद्ध मुद्रा धारण की, क्योंकि यह उसकी अंतिम परीक्षा थी। क्या वह नागभैरव को हरा पाएगा। क्या वह नागब्रह्मास्त्र प्राप्त कर पाएगा और कालाक्ष को रोक सकेगा। जारी रहेगा। नागराज: नागब्रह्मास्त्र की प्राप्ति चैप्टर 67: नागभैरव का प्रहार नागभैरव ने बिना कोई समय गंवाए नागराज पर हमला कर दिया। उसकी गति और शक्ति दोनों असाधारण थीं। अगर तुम सच में नागब्रह्मास्त्र के योग्य हो, तो साबित करो। नागभैरव की हथेलियों से निकलती नागज्वालाओं ने पूरा मंदिर हिला दिया। नागराज ने तुरंत अपनी सर्पसिद्धि शक्ति का उपयोग किया और हजारों नागों को बुलाकर रक्षा कवच बनाया। लेकिन नागभैरव की शक्ति इतनी प्रबल थी कि उसने नागराज के इस कवच को तोड़ दिया और उसे एक ज़ोरदार प्रहार से दीवार से टकरा दिया। नागराज उठा, लेकिन उसे महसूस हुआ कि नागभैरव केवल शक्ति से नहीं लड़ा रहा वह नागतत्व की परीक्षा ले रहा था। चैप्टर 68: सृजन बनाम विनाश नागराज ने सोचते हुए कहा अगर यह अस्त्र केवल विनाश के लिए होता, तो इसकी परीक्षा इतनी कठिन नहीं होती। इसका रहस्य शक्ति से नहीं, सृजन से जुड़ा है। तभी नागराज को तक्षक ऋषि के शब्द याद आए नागब्रह्मास्त्र केवल वही पा सकता है, जो विनाश को सृजन में बदल सके। नागराज ने अपनी लड़ाई की रणनीति बदली। इस बार, उसने आक्रमण करने के बजाय नागमणि ऊर्जा को जागृत किया और अपने चारों ओर एक शांत ऊर्जा प्रवाहित की। नागभैरव अचानक ठहर गया। तुमने शक्ति का सही उपयोग समझ लिया, नागराज। नागभैरव मुस्कुराया और मंदिर की दीवारों में विलीन हो गया। अचानक, नागब्रह्मास्त्र हवा में प्रकट हुआ। चैप्टर 69: नागब्रह्मास्त्र की शक्ति नागब्रह्मास्त्र कोई साधारण हथियार नहीं था। यह एक दिव्य नागमणि थी, जिसमें अनंत ऊर्जा समाहित थी। अब मैं कालाक्ष का सामना कर सकता हूँ। नागराज ने कहा। लेकिन तभी, नागग्रह हिलने लगा। कालाक्ष को पता चल गया है कि नागब्रह्मास्त्र अब मेरे पास है। नागराज ने बिना देरी किए अंतरिक्ष द्वार खोला और नागलोक की ओर चल पड़ा। चैप्टर 70: अंतिम युद्ध नागराज बनाम कालाक्ष नागराज जब नागलोक पहुँचा, तो उसने देखा कि कालाक्ष पहले ही आधे नागलोक को नष्ट कर चुका था। तक्षक ऋषि और नागशेष घायल पड़े थे। बहुत देर कर दी, नागराज। अब कोई तुम्हें नहीं बचा सकता। कालाक्ष गरजा। लेकिन इस बार नागराज मुस्कुरा दिया। अब तुम्हारा सामना नागब्रह्मास्त्र से होगा। नागराज ने अपनी नागमणि को सक्रिय किया, और नागब्रह्मास्त्र से एक दिव्य ऊर्जा निकली। कालाक्ष ने अपनी महाकाल ऊर्जा से इसका जवाब दिया, और दोनों शक्तियों की टक्कर से पूरा ब्रह्मांड कांप उठा। चैप्टर 71: कालाक्ष का अंत युद्ध कई घंटों तक चला, लेकिन अंत में नागब्रह्मास्त्र की शक्ति कालाक्ष पर हावी होने लगी। यह असंभव है। मैं हार नहीं सकता। कालाक्ष चिल्लाया। लेकिन नागराज ने अपनी अंतिम शक्ति लगाई और नागब्रह्मास्त्र से एक महाप्रहार किया। नागशक्ति का अंत नहीं हो सकता, कालाक्ष। प्रकाश हमेशा अंधकार को मिटा देता है। कालाक्ष चिल्लाया और उसकी ऊर्जा बिखर गई। वह पूरी तरह से नष्ट हो चुका था। चैप्टर 72: नया युग नागलोक फिर से सुरक्षित हो गया। नागशेष और तक्षक ऋषि ने नागराज को बधाई दी। तुमने सिर्फ नागलोक ही नहीं, पूरे ब्रह्मांड को बचा लिया। लेकिन नागराज जानता था कि यह अंत नहीं था। जहाँ शक्ति है, वहाँ नया संकट भी जन्म ले सकता है। मैं तब तक लड़ूँगा, जब तक नागलोक सुरक्षित रहेगा। और इसी के साथ, एक नया युग शुरू हुआ नागराज का युग। समाप्त।राकेश मौर्य