अग्निहोत्री हाउस
विराट अपनी शादी की अनाउंसमेंट की बात बिना किसी भाव के कहकर वहां से सीधे परी के रूम में चला गया और वही श्लोक और अनुपमा जी को यूं लगा जैसे उनके कान बज रहे हो ।
तभी पीहू चीख कर बोली...."क्या हमने अभी-अभी जो सुना वो आप दोनों ने भी सुना?"
श्लोक शॉकिंग आवाज में ..."प्रिंसेस मुझे नहीं पता आपने क्या सुना लेकिन जो मैंने सुना वो अभी तक कानों में ही गूंज रही है।"
उन दोनों की बात सुनकर अनुपमा जी जो कि अभी तक विराट के जाते रस्ते को देख रहे थे बोले...."इसने अभी-अभी शादी की बात कही है , क्या ये सच है?"
उनकी बात सुनकर पीहू और श्लोक चीख पड़े...."शादी है शादी ही कर रहे हैं ।"और उसके बाद से हाल में बस पीहू और श्लोक की चीखने चिल्लाने की ही आवाज थी । विराट परी के रूम में पहुंचते पहुंचते उसके कान के पर्दे फट ने को थे।
उसने सिर झटका और परी के रूम में पहुंचा तो नर्स उसके बाल बना रही थी। आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स । मुरझाया चेहरा लेकिन फिर भी मासूमियत से भरी हुई किसी छोटी बच्ची की तरह लग रही थी परी। जो इस वक्त मिरर के सामने एक लॉन्ग फ्रॉक पहनकर बैठी खुद को निहार रही थी ।उसे देख विराट हल्की मुस्कुरा दिया और उसके पास आकर नर्स को इशारों में बाहर जाने के लिए बोला ।और खुद उसके पीछे खड़ा होकर उसके बाल बनाने लगा । परी मिरर में से उसे देख मुस्कुरा दी।
विराट मुस्कुराते हुए बोला ...."वर्ल्डस मोस्ट ब्यूटीफुल लेडी कौन है आप जानते हैं ना दी ?"....परी सवालिया नजरों से उसे देखने लगी । विराट उसे खड़ा कर अपने और पलट कर उसके चेहरे को अपने हथेली में भरकर उसके माथे को चूम कर बोला....."आप ।"
उसे देख परी भी उसके माथे को चूम लेती है और उसके माथे पर बिखरे बाल ठीक करते हुए बोली....."कितनी बार कहा है टाइम पर बाल काट लिया कर तू तो सुनता भी नहीं मेरी बात ।देख कितना बड़ा हुआ है।"
विराट कुछ पल उसके चेहरे को देखने लगा और धीरे-धीरे उसके आंखें नम होने को हुई।उसने अपनी आंखें बंद कर ली और खुद को संभालने लगा । वापस से आंखें खोलते हुए बोला....."अब वक्त आ गया है दी हर चीज का हिसाब लेने का हर वो दर्द जो हम पिछले 12 साल से बर्दाश्त कर रहे हैं अब सुध समेत उन्हें लौटा ने का। उस अभय रायचंद को दर्द का एहसास तब होगा जब उसकी बहन
कहते हुए वो रुक गया क्योंकि अभय का नाम सुनते ही परी के चेहरे के भाव बदलने लगे थे। माथे पर लकीरें और चेहरे पर बेचैनी। गहरी सांस लेते हुए वो बेकाबू होने लगी थी। विराट रुका और उसे अपनी बाहों में कस लिया । वो चीख ने लगी और कसकर विराट को पड़कर उसकी सीने में छुप गई।
विराट की चेहरे पर बस गुस्सा नफरत और बेबसी दिख रही थी गुस्सा और दर्द से भरी हुई कांप ते होठों से उसने कहा...."मैं चाहता तो तुझे और उस अभय रायचंद को 12 साल पहले ही मार चुका होता। लेकिन तब तू वो तड़प कैसे महसूस करता यशवर्धन जो तू अब करने वाला है। मुझे तेरी जान नहीं तेरा वो गुरूर और तेरा वो घमंड तोड़ना है ।मुझे वो पल देखना है जब तू खुद अपनी पोती का हाथ अपने नौकर के बेटे के हाथों में देगा । जिसे तूने खुद गंदी नलि का कीड़ा कहकर लात मारी थी ।"......बोलकर परी के माथे को चुनकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली ।
रायचंद हाउस श्याम का वक्त
यशवर्धन अपने कमरे में से सुबह से ही बाहर नहीं निकले थे। और उन्होंने किसी से भी मिलने से साफ मना कर दिया था। बस सर्वेंट आकर उन्हें मेडिसिंस और खाना देकर चले जाते थे।
वहीं दूसरे और हॉल में सब बैठे हुए उनके गुस्सा ठंडा होने का और बाहर आने का वेट कर रहे थे ।अचानक से सिद्धार्थ को अंदर आता देख सब असमंजस में पड़ गए। क्योंकि सबको लगा था कि सुबह जो भी कुछ हुआ है उस वजह से सिद्धार्थ शायद तपस्या से नाराज होगा । लेकिन उसे यूं मुस्कुराते हुए अंदर आता देख अनिरुद्ध जी उठकर उसके पास चले गए और कुछ बोल ही रहे थे कि सिद्धार्थ खुद ही बोल पड़ा.....
"अंकल डैड ने कहा है दादू से परमिशन लेने के लिए।"....चित्र जी जो वही सोफे पर तपस्या के साथ बैठे हुए थे उठकर खड़े होकर सिद्धार्थ के पास आकर...." किस चीज की परमिशन बेटा?"तपस्या भी बिना कुछ कहे बस सिद्धार्थ को ही देखे जा रही थी ।
सिद्धार्थ मुस्कुराते हुए..."वो अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज से फॉर्मल इन्विटेशन आया है ना पार्टी के लिए तो डैड ने कहा की तपस्या को साथ लेकर जाना है । उसी के लिए दादू का परमिशन चाहिए ।"
उसके बात सुनकर अनिरुद्ध जी थोड़ा हड़बड़ाहट में...."अरे हां इनविटेशन तो हमें भी आया था लेकिन आज सुबह जो भी कुछ हुआ उस हड़बड़ाहट में तो हम सब कुछ भूल ही गए ।"
सिद्धार्थ मुस्कुराते हुए...."कोई बात नहीं अगर आपके और से हम और तपस्या पार्टी अटेंड कर लेंगे ।ओबेरॉय और रायचंद अब अलग-अलग थोड़ी है ।"कहते हुए उसने मुस्कुराते हुए तपस्या की तरफ देखा।
तपस्या अपनी जगह से उठकर...."No पापा, मुझे किसी पार्टी में नहीं जाना है। और ये बिजनेस पार्टी है आप या अभय भाई या फिर चाचू चले जाइए।"
सिद्धार्थ उसे टोक कर...."आप ने सुबह जो मेरे खिलाफ मीडिया में बयान दिया है उसे बस मुझे ही नहीं हमारे रिश्ते पर भी सवाल उठ रहे हैं और साथ ही साथ रायचंद के रेपुटेशन पर भी तो इन सब सवालों का जवाब ना देना पड़े इसलिए आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा तपस्या ।"
अनिरुद्ध जी सिद्धार्थ की बात सुनकर तपस्या की तरफ देखते हुए....."सिद्धार्थ सही कह रहा है बेटा ।""
"हम नहीं जाएंगे पापा।"....तपस्या उनकी बात बीच में काटते हुए बोली और मुड़कर जाने लगी थी के सामने यशवर्धन जी को देख एकदम से रुक गई। यशवर्धन जी उसे बिना किसी भाव देखकर बोले....."रेडी हो जाइए प्रिंसेस , आपको पार्टी में जाना है।"
"लेकिन दादू"...तपस्या एकदम से ठिठक कर बोली और यशवर्धन जी के लाल पड़ चुके आंखों को देखकर एकदम से रुक भी गई। और नजरे झुका ली ।
"हम सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं प्रिंसेस लेकिन हमारा नाम रुतबा और प्रतिष्ठा पर कोई भी आंच आए ये हम बर्आदास्त नहीं कर सकते। और वो भी आपकी वजह से ये तो बिल्कुल भी नहीं।"
तपस्या नज़रें झुकाए धीमी आवाज में...."लेकिन दादू ये तो बिजनेस पार्टी है ना।"
यशवर्धन सर्द आवाज में..."आप रायचंद इंडस्ट्रीज के 50% के शेरहोल्डर है ।आगे चलकर आपको ही अभय के साथ ये सब कुछ संभालना है। तो शुरुआत अभी से कीजिए ।"
कहकर वो सिद्धार्थ की तरफ चले गए और सिद्धार्थ को देखकर सर्द आवाज में...."रायचंद की रेपुटेशन भी आपकी हरकतों के साथ जुड़ चुकी है तो कुछ भी करने से पहले थोड़ा सोच समझ कर किया कीजिए क्योंकि ये जो मिडिल क्लास लोगों जिन्हें देखकर ही हमें घिन होती है उनके साथ रायचंद खानदान का दामाद को यूं उलझ ना कुछ शोभा नहीं देता।"
बार-बार सिद्धार्थ के लिए दामाद शब्द का इस्तेमाल करने पर ओर सिद्धार्थ के साथ पार्टी पर जाने की बात सुनकर ही तपस्या अंदर ही अंदर बैचेन होने लगी थी। विराट के बिजनेस पार्टी में वो भी सिद्धार्थ के साथ उसकी मंगेतर के तौर पर अटेंड करना विराट कैसा रिएक्ट करेगा ये सोच सोच कर ही तपस्या सहन रही थी।वो बेचैन होकर अपने कमरे में कुछ पल इधर-उधर चहलकदमी करती रहीं। और कुछ सोच कर अपना फोन उठाकर विराट को कॉल करने लगी। बार-बार कॉल करने पर भी जब विराट ने कॉल पिक नहीं किया उसने एक मैसेज छोड़ते हुए मायूसी से फोन नीचे रख लिया ।
होटल रॉयल प्रेसीडेंसी
विराट होटल के अपने प्राइवेट रूम में रेडी हो रहा था कि किसी ने पीछे से उसे बाहों में भर लिया। विराट उसके बाहों को खुद से छुड़ाकर पलट कर....."जान देर हो रही है पार्टी के लिए। ये सब बचपना बंद करो और पार्टी के लिए निकलो । पार्टी के अरेंजमेंट की रिस्पांसिबिलिटी तुम्हारी है तो तुम्हें यहां नहीं पार्टी में होना चाहिए ।"
जानवी जो एक ब्लैक थाई लेंथ बॉडीकॉन ड्रेस पहने विराट को सेड्यूजिंग नजरों से देख रही थी चेहरे पर थोड़ा गुस्सा लिए...."पार्टी की सारी तैयारी मैंने देख ली है। और पार्टी में हम साथ ही चल रहे हैं।"
विराट मिरर के सामने खड़े हुए अपने टाई ठीक करते हुए बोला....."तुम्हारा काम अलग है मेरा काम अलग है। हम साथ नहीं चल सकते ।"
जानवी व्यंग से मुस्कुराते हुए...."थैंक गॉड की तुमने ये नहीं कहा कि तुम्हारा रास्ता अलग है और मेरा रास्ता अलग है ।"
विराट खुद पर परफ्यूम स्प्रे करते हुए...."इसलिए नहीं कहा कि तुम्हारा और मेरे रास्ते कभी एक थे ही नहीं ।"....इतना बोलकर ही वो कमरे से बाहर निकल जाता है। और जानवी का पागलपन बढ़ने लगता है । विराट का उसे यूं इग्नोर करना उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। फिर भी उसने खुद को कंट्रोल करते हुए कहा........."No जानवी कंट्रोल योर सेल्फ। परी दी को वो सब बोलकर तुम एक बार गलती कर चुकी है दोबारा कोई गलती मत कर। बस विराट का गुस्सा ठंडा होने तक वेट कर तेरा नशा तो वैसे भी विराट के जहन से कभी जा ही नहीं सकता ।"
विराट पार्टी में पहुंचता है जहां श्लोक पहले से ही गेस्ट को अटेंड कर रहा था।...."कैसा चल रहा है सब कुछ ?"विराट वेटर को रोककर एक वाइन का गिलास उठाते हुए श्लोक से पूछने लगा ।
श्लोक चारों ओर एक नजर डालकर....."भाई सब कुछ वैसे तो ठीक ही चल रहा है लेकिन अभी तक न रायचंद और नहिं ओबेरॉय में से कोई भी नहीं आया है।"
विराट एक डेविल स्माइल के साथ...."आएंगे श्लोक जरूर आएंगे । विराट अग्निहोत्री के इनविटेशन को इग्नोर करें अब इतनी औकात किसी में बची नहीं है ।"
विराट बस बोल ही रहा था श्लोक की नजर जो एंट्री डोर पर ही टिकी हुई थी चीख कर बोला...."भाई भाभी आई है और कितनी सुंदर लग रही है एकदम चांदनी की श्रीदेवी।"विराट अजीब सी नजरों से उसे देखकर वापस से मुड़कर एंट्री डोर के तरफ देखा है जहां से सिद्धार्थ के साथ तपस्या कदम से कदम मिलाकर अंदर आ रही थी।
व्हाइट एंड सिल्वर कांबिनेशन की सिफोन साड़ी हाथ में सिल्वर चूड़ियां कानों में छोटे-छोटे व्हाइट पर्ल की बूंदे हल्की रेड लिपस्टिक माथे पर एक वाइट स्टोन बिंदी आंखों में गहरी काजल उस पर उठ ते गिरते घने पलकें ।पार्टी में हर किसी की नजर बस उसी पर ठहर गई और सिद्धार्थ और तपस्या को एक साथ देखकर मीडिया भी उन्हें घेर कर सवाल पूछने लगे।
जहां तपस्या की नजर डरी सहमी और बेचैन हुए विराट को ढूंढ रही थी वहीं विराट की जलती नजर बस उसी पर ही ठहर चुकी थी । रिपोर्टर्स को अपनी तरफ आता देख सिद्धार्थ एक ही झटके में तपस्या के कमर को खींचकर अपने करीब ले आता है और जब तपस्या की खुली कमर पर विराट ने सिद्धार्थ के हाथों को लिपटे हुए देखा, हाथ में पकड़े वाइन के गिलास को श्लोक को थमा कर वो सीधे बार की तरफ चला गया और तपस्या को ही देखते हुए वाइन का पूरा बोतल खोलकर होठों से लगा लेता है और एक ही सांस में पूरी बोतल को खत्म कर काउंटर पर रखते हुए उन दोनों की तरफ बढ़ने लगा।
To be continued ❤️
क्या करेगा विराट तपस्या और सिद्धार्थ को एक साथ देख कर?जानने केलिए पढ़ते रहें। और अपने समीक्षाएं देते रहें।