### **होली की पौराणिक कथा**
होली का पर्व भारत में हर्षोल्लास और रंगों का त्योहार माना जाता है। यह पर्व विभिन्न पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा **प्रह्लाद, हिरण्यकशिपु और होलिका** की है।
#### **होलिका दहन की कथा**
बहुत समय पहले, असुरों का राजा **हिरण्यकशिपु** था। वह भगवान विष्णु का कट्टर विरोधी था और स्वयं को भगवान मानने लगा था। उसने अपने राज्य में यह आदेश दे दिया कि कोई भी भगवान विष्णु की पूजा नहीं करेगा, बल्कि सबको उसकी पूजा करनी होगी।
लेकिन हिरण्यकशिपु का पुत्र **प्रह्लाद** भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह हर समय विष्णु जी का नाम जपता था और उनकी पूजा करता था। यह देखकर हिरण्यकशिपु को बहुत क्रोध आया। उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा, लेकिन प्रह्लाद अपने संकल्प से टस से मस नहीं हुआ।
#### **होलिका की चाल**
हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को मारने के लिए कई प्रयास किए—उसे ऊँचाई से गिराया, विष दिया, हाथियों के पैरों तले कुचलवाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की।
अंत में, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन **होलिका** से सहायता मांगी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने का निर्णय लिया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका का यह छल असफल हो गया। जैसे ही वह आग में बैठी, उसकी शक्ति नष्ट हो गई और वह स्वयं जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ।
#### **नरसिंह अवतार और हिरण्यकशिपु वध**
इसके बाद, जब हिरण्यकशिपु स्वयं प्रह्लाद को मारने लगा, तो भगवान विष्णु ने **नरसिंह अवतार** (आधा सिंह, आधा मानव) में प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का वध कर दिया। इस प्रकार, सत्य और भक्ति की जीत हुई।
#### **होली पर्व का महत्व**
इस कथा से जुड़ी परंपरा के अनुसार, **होली की पूर्व संध्या** को **होलिका दहन** किया जाता है, जिसमें लकड़ी और उपलों से अग्नि जलाई जाती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है, जो प्रेम, उल्लास और आनंद का प्रतीक मानी जाती है।
### **निष्कर्ष**
होली न केवल रंगों और मस्ती का पर्व है, बल्कि यह हमें यह संदेश भी देती है कि अहंकार और अधर्म की हार होती है, जबकि सत्य, भक्ति और प्रेम की सदा विजय होती है।
### **होली के अन्य पौराणिक प्रसंग**
होली का पर्व केवल प्रह्लाद और होलिका की कथा तक ही सीमित नहीं है। भारतीय संस्कृति में इसके और भी कई पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग मिलते हैं, जो इस पर्व की महिमा को और बढ़ाते हैं।
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### **1. राधा-कृष्ण और ब्रज की होली**
भगवान श्रीकृष्ण और राधा की होली का विशेष महत्व है। कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण अपने बचपन में माता यशोदा से शिकायत करते थे कि राधा और अन्य गोपियाँ गोरी हैं, जबकि वे स्वयं सांवले हैं। इस पर माता यशोदा ने कहा कि वह राधा के चेहरे पर रंग लगा सकते हैं। तब से श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंगों की होली खेलनी शुरू की।
ब्रज (मथुरा-वृंदावन) में **लठमार होली**, **फूलों की होली**, **बरसाने की होली** और **फाग उत्सव** मनाया जाता है, जो श्रीकृष्ण और राधा की दिव्य प्रेमलीला से प्रेरित है।
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### **2. शिव-पार्वती और कामदेव की कथा**
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता पार्वती भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या कर रही थीं, तब प्रेम के देवता **कामदेव** ने शिवजी की तपस्या को भंग करने के लिए उन पर पुष्प बाण चला दिया।
भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपनी तीसरी आँख खोल दी और कामदेव जलकर भस्म हो गए। जब कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से प्रार्थना की, तो उन्होंने कामदेव को अदृश्य रूप में पुनर्जीवित कर दिया। इसी दिन को **होलिका दहन** के रूप में मनाया जाता है और इसे प्रेम व भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
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### **3. राजा रघु और होली**
एक अन्य कथा के अनुसार, सूर्यवंशी राजा रघु के शासनकाल में उनकी प्रजा अत्यंत सुखी थी। एक बार उन्होंने अपनी राजधानी अयोध्या में एक विशेष उत्सव मनाया, जिसमें सभी लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर आनंदित हुए। यह परंपरा धीरे-धीरे होली के रूप में प्रसिद्ध हुई।
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### **4. संतों और भक्तों के लिए होली का महत्व**
भक्तों और संतों ने भी होली को भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना है। संत कबीर, तुलसीदास, सूरदास और मीरा बाई ने होली के गीतों के माध्यम से भगवान की भक्ति को अभिव्यक्त किया है। विशेष रूप से वृंदावन और नंदगांव की होली भक्ति रस में सराबोर होती है।
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### **होली का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व**
- **सद्भावना और प्रेम**: होली के दौरान सभी लोग भेदभाव भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं, जिससे समाज में प्रेम और एकता बढ़ती है।
- **बुराई पर अच्छाई की जीत**: यह पर्व होलिका दहन के माध्यम से यह संदेश देता है कि अहंकार और अन्याय की सदा हार होती है।
- **प्राकृतिक परिवर्तन**: होली बसंत ऋतु में आती है, जब प्रकृति नवजीवन से भर उठती है और चारों ओर हरियाली एवं खुशहाली छा जाती है।
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### **निष्कर्ष**
होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से भरपूर पर्व है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, भक्ति और आनंद का प्रतीक है, जो हर वर्ष समाज में उल्लास और मेल-मिलाप का संदेश देता है।