Do Dilo ka Milan - 9 in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | दो दिलों का मिलन - भाग 9

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दो दिलों का मिलन - भाग 9



मुस्कान की तलाश

आदित्य की बात सुनकर लोकेश का दिमाग सुन्न हो गया। मुस्कान ने अगर सच में यह मैसेज भेजा था, तो इसका मतलब था कि वह किसी अनजान खतरे में थी।

"तुमने पुलिस को खबर की?" लोकेश ने तेज़ आवाज़ में पूछा।

"नहीं," आदित्य ने कहा, "क्योंकि मुझे नहीं पता कि मामला कितना गंभीर है। पुलिस को बुलाना सही होगा या नहीं, यह भी नहीं जानता।"

"बकवास मत करो!" लोकेश गुस्से से बोला। "अगर मुस्कान खतरे में है, तो हमें उसकी तलाश तुरंत शुरू करनी होगी!"

आदित्य ने सिर हिलाया। "ठीक है, लेकिन हमें पहले यह पता लगाना होगा कि वह किससे मिलने गई थी।"

लोकेश ने गहरी साँस ली और कहा, "हमें उसकी आखिरी लोकेशन ढूँढनी होगी।"

आखिरी सुराग

आदित्य ने कहा, "मेरे पास एक आइडिया है। मुस्कान हमेशा एक कैब सर्विस का इस्तेमाल करती थी। अगर हम उनकी कस्टमर केयर से बात करें, तो हमें पता चल सकता है कि उसने आखिरी बार कहाँ तक ट्रैवल किया था।"

यह सुनकर लोकेश को थोड़ी राहत मिली। "तो देर मत करो, जल्दी करो!"

आदित्य ने झट से अपने फोन पर कैब सर्विस से संपर्क किया। थोड़ी बातचीत के बाद, उन्हें पता चला कि मुस्कान की आखिरी लोकेशन शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक सुनसान गली थी।

सुनसान गली की सच्चाई

लोकेश और आदित्य बिना समय गँवाए उस लोकेशन पर पहुँचे। यह जगह शहर से दूर, अंधेरी और वीरान थी। आसपास कुछ पुरानी, टूटी-फूटी इमारतें थीं और सड़कें बिल्कुल सुनसान पड़ी थीं।

"मुस्कान यहाँ क्यों आई होगी?" आदित्य ने संदेह जताया।

"पता नहीं, लेकिन हम यहाँ तक आए हैं, तो अब पता करके ही लौटेंगे," लोकेश ने दृढ़ता से कहा।

वे धीरे-धीरे आगे बढ़े। चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन एक जगह सड़क पर किसी के गिरने के निशान थे, और कुछ दूरी पर एक स्कार्फ पड़ा था—मुस्कान का स्कार्फ!

लोकेश की साँसें तेज़ हो गईं। उसने तुरंत स्कार्फ उठाया और कसकर पकड़ा।

"यह मुस्कान का है!" उसकी आवाज़ काँप रही थी।

"तो इसका मतलब वह यहाँ तक आई थी, लेकिन फिर..." आदित्य की बात अधूरी रह गई।

तभी, एक बूढ़ी औरत वहाँ से गुजर रही थी।

"बेटा, तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" उसने जिज्ञासा से पूछा।

"क्या आपने यहाँ किसी लड़की को आते-जाते देखा था?" लोकेश ने तुरंत पूछा।

बूढ़ी औरत ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोली, "हाँ, कल रात मैंने एक लड़की को यहाँ एक आदमी के साथ देखा था। वह घबराई हुई लग रही थी, और फिर अचानक वे दोनों उस गली के अंदर चले गए। उसके बाद मैंने उन्हें नहीं देखा।"

"कैसा दिखता था वह आदमी?" आदित्य ने जल्दी से पूछा।

"मुझे ठीक से याद नहीं, लेकिन उसकी चाल कुछ अजीब थी... और उसकी आवाज़ बहुत भारी थी।"

लोकेश ने घबराकर पूछा, "क्या आपने कोई गाड़ी या बाइक देखी थी?"

"हाँ, एक काली गाड़ी यहाँ कुछ देर खड़ी थी, और फिर अचानक तेज़ी से निकल गई।"

अब मामला और रहस्यमय हो गया था।

खतरनाक सुराग

आदित्य और लोकेश गली के अंदर गए। वहाँ बहुत अंधेरा था, लेकिन अचानक एक जगह दीवार पर खून के धब्बे दिखे।

लोकेश का दिल तेजी से धड़कने लगा।

"मुस्कान...!"

आदित्य ने एक टॉर्च जलाकर दीवार को ध्यान से देखा। "यह खून है, लेकिन यह पता नहीं कि यह किसका है।"

"हमें पुलिस को बताना चाहिए," लोकेश ने कहा।

"नहीं, अभी नहीं," आदित्य बोला। "अगर यह कोई अपराधी है, तो हो सकता है कि वह मुस्कान को कहीं और ले गया हो। पुलिस को बुलाने से पहले हमें और जानकारी जुटानी होगी।"

फोन की घंटी और रहस्यमय आवाज़

तभी लोकेश के फोन पर एक कॉल आया—वही अनजान नंबर!

उसके हाथ काँपने लगे। उसने धीरे से कॉल उठाई।

"हैलो?"

दूसरी तरफ एक धीमी, डरावनी आवाज़ थी—

"अगर अपनी मुस्कान को ज़िंदा देखना चाहते हो, तो अकेले आओ... ब्लैकवुड फैक्ट्री... आधी रात तक।"

फिर कॉल कट गई।

लोकेश का दिल जोर से धड़कने लगा।

"कौन था?" आदित्य ने पूछा।

"हमें ब्लैकवुड फैक्ट्री जाना होगा," लोकेश ने धीरे से कहा।

लेकिन वहाँ क्या होगा? क्या मुस्कान वाकई वहाँ होगी? और सबसे बड़ा सवाल—कौन है यह रहस्यमयी शख्स जो मुस्कान को ले गया?

अब आगे क्या होगा?

1. क्या लोकेश अकेले ब्लैकवुड फैक्ट्री जाएगा?


2. क्या यह कोई साजिश है?


3. क्या मुस्कान सही सलामत मिलेगी?