Do Dilo ka Milan - 8 in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | दो दिलों का मिलन - भाग 8

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दो दिलों का मिलन - भाग 8

मुस्कान की ट्रेनिंग अब लगभग चार महीने पूरे कर चुकी थी। लोकेश के मन में अब भी असुरक्षा बनी हुई थी, लेकिन उसने खुद को समझा लिया था कि मुस्कान उसे छोड़कर नहीं जा सकती।

इसी दौरान, एक अजीब घटना घटी।

एक अनजान नंबर से कॉल

एक रात, करीब 11 बजे, लोकेश के फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया।

"हैलो?"

दूसरी ओर कुछ देर तक खामोशी रही, फिर एक धीमी आवाज़ आई—

"लोकेश... मुस्कान खतरे में है।"

लोकेश की साँसें रुक गईं।

"कौन बोल रहा है?" उसने घबराते हुए पूछा।

लेकिन जवाब देने के बजाय फोन कट गया।

लोकेश का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने तुरंत मुस्कान को फोन लगाया, लेकिन उसका फोन बंद था।

उसका दिमाग़ तेजी से चलने लगा—क्या यह कोई मज़ाक था? या सच में मुस्कान किसी मुसीबत में थी?

दिल्ली जाने का फैसला

लोकेश पूरी रात सो नहीं पाया। अगली सुबह, उसने फिर से मुस्कान को कॉल किया, लेकिन फोन अब भी बंद था।

उसका मन नहीं माना। उसने बिना देर किए ट्रेन का टिकट लिया और दिल्ली जाने का फैसला किया।

दिल्ली पहुँचते ही, वह सीधे मुस्कान के हॉस्टल पहुँचा। वहाँ के गार्ड से पूछने पर उसे पता चला कि मुस्कान कल रात से हॉस्टल नहीं लौटी थी।

अब लोकेश का डर हकीकत में बदलने लगा था।

एक रहस्यमयी खोज

घबराकर, वह तुरंत मुस्कान के ट्रेनिंग सेंटर पहुँचा और वहाँ के एक स्टाफ से पूछा, "क्या मुस्कान आज यहाँ आई थी?"

स्टाफ ने सिर हिलाया, "नहीं, वह कल शाम के बाद से नहीं आई।"

"क्या आप बता सकते हैं कि वह आखिरी बार किसके साथ थी?"

"हाँ," स्टाफ ने कहा, "वह आदित्य के साथ गई थी।"

आदित्य?

लोकेश को एक अजीब सा शक हुआ। उसने तुरंत आदित्य का नंबर निकाला और कॉल किया।

"हाँ, लोकेश?" आदित्य ने सामान्य आवाज़ में कहा।

"मुस्कान कहाँ है?"

आदित्य कुछ सेकंड चुप रहा, फिर बोला, "मुझे नहीं पता।"

"झूठ मत बोलो! हॉस्टल और ट्रेनिंग सेंटर दोनों में उसकी कोई खबर नहीं है, और आखिरी बार वह तुम्हारे साथ देखी गई थी!"

आदित्य ने एक गहरी साँस ली और धीरे से कहा, "लोकेश, मैं नहीं जानता कि मुस्कान कहाँ है। लेकिन अगर तुम सच में उसे ढूँढना चाहते हो, तो आज रात 'ब्लू मून कैफे' आ जाना।"

ब्लू मून कैफे?

रात का सामना

उस रात, लोकेश समय से पहले ही कैफे पहुँच गया। यह एक छोटा सा, पुराना कैफे था, जो शहर के एक सुनसान कोने में स्थित था। अंदर हल्की रोशनी थी और कुछ ही लोग बैठे थे।

तभी, दरवाजे से आदित्य अंदर आया।

"मुस्कान कहाँ है?" लोकेश ने सीधा सवाल किया।

आदित्य ने इधर-उधर देखा और फुसफुसाते हुए कहा, "लोकेश, यह मामला तुम्हारे सोचने से ज्यादा बड़ा है।"

"मतलब?"

"मुस्कान का फोन अचानक बंद हो गया और वह कल रात से लापता है। लेकिन... इससे पहले उसने मुझे एक मैसेज किया था—"अगर मैं वापस न आऊँ, तो लोकेश को ब्लू मून कैफे भेजना।"

लोकेश के रोंगटे खड़े हो गए।

"मुस्कान आखिरी बार कहाँ गई थी?" उसने गुस्से से पूछा।

आदित्य ने धीरे से कहा, "वह किसी से मिलने गई थी... और वो कोई अनजान था।"

अब सवाल यह था—मुस्कान किससे मिलने गई थी? और वह कहाँ गायब हो गई?

अब आगे क्या होगा?

1. क्या मुस्कान किसी षड्यंत्र में फँस गई है?


2. क्या आदित्य सच बोल रहा है, या वह कुछ छिपा रहा है?


3. वह रहस्यमयी कॉल किसने किया था?