"महल के नीचे गहरी सुरंग"
अर्जुन ने महल के भीतर कालदर्पण के शाप को तोड़ने में सफलता प्राप्त की थी, लेकिन जैसे ही आईना अपने प्रभाव को खो रहा था, उसे महसूस हुआ कि कुछ अनहोनी होने वाली थी। महल की दीवारों से एक अजीब सी गूंज सुनाई देने लगी थी, और यह आवाज़ अंदर की गहरी स्याही जैसी थी, जैसे कुछ बहुत पुराना जाग रहा हो। अर्जुन ने महसूस किया कि शापित आईने को नष्ट करने के बाद, महल में कोई अदृश्य शक्ति और अधिक सक्रिय हो गई थी।
महल के भीतर एक और रहस्य था, जिसे अर्जुन ने पहले नहीं पहचाना था। कालदर्पण के आसपास एक पुराना और अनदेखा दरवाजा था, जो अब तक बंद पड़ा था। यह दरवाजा दीवार से जड़ा हुआ था, और उस पर उकेरे गए अजीब से तंत्रिक चिह्न अर्जुन के लिए नये थे। वह दरवाजे के पास गया और देखा कि उसकी संख्याएँ कुछ और ही गहरा अर्थ छुपाए हुए थीं। अर्जुन ने पूरे ध्यान से उन चिह्नों को देखा और समझा कि वे एक सुरंग की ओर इशारा कर रहे थे, जो महल के नीचे जाती थी।
उसने दिमागी रूप से इसे समझा कि इस सुरंग में शायद और भी गहरे रहस्य छुपे हुए हों। वह पहले से ज्यादा संकोच किए बिना उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगा। दरवाजा खुद ब खुद खुलने लगा, जैसे किसी ने उसे एक लंबे समय से बंद करके रखा हो, और अब वह किसी रहस्यमय आह्वान से मुक्त हो रहा हो। अर्जुन ने भीतर जाने का निर्णय लिया और धीरे-धीरे सुरंग में दाखिल हुआ।
सुरंग की दीवारें गीली और मटमैली थीं। हवा में एक अजीब सी गंध थी, और सब कुछ वैसा ही प्रतीत हो रहा था जैसे कोई हज़ारों साल पुराना स्थान हो। सुरंग के अंदर कुछ ही कदम चलने के बाद, अर्जुन को महसूस हुआ कि कोई और भी उसके साथ इस जगह पर है। यह एहसास अजीब था, जैसे कोई उसकी निगरानी कर रहा हो। लेकिन वह डरने के बजाय, उसने अपना ध्यान केंद्रित किया और आगे बढ़ता गया।
थोड़ी देर बाद, सुरंग की समाप्ति एक विशाल कक्ष तक हुई। वह कक्ष पूरी तरह से सुसज्जित था, और इसके बीच में एक प्राचीन वेदी रखी हुई थी। वेदी के ऊपर बहुत सारी पंखुड़ियाँ और कुछ अनजानी वस्तुएं रखी हुई थीं। एक बड़े आईने के सामने उस वेदी पर एक तंत्रिक प्रतीक उकेरा हुआ था। यह वही प्रतीक था जिसे उसने महल की दीवारों पर देखा था, और अब वह उसे समझने लगा था।
अर्जुन ने उन वस्तुओं को ध्यान से देखा। एक पल के लिए उसकी आँखें चौंकीं, क्योंकि उसे लगा कि वह उस स्थान को पहले से जानता है। वह अचानक समझ गया कि यह वही स्थान है जहाँ कालदर्पण की शुरुआत हुई थी। यह वही वेदी है, जहाँ तांत्रिक ने अपनी शक्ति का प्रयोग कर, कालदर्पण को रचा था। और अब, वही वेदी एक नये तंत्र को उत्पन्न करने वाली थी, जिसका प्रभाव महल की आत्माओं और इस स्थान से जुड़े रहस्यों पर गहरा पड़ने वाला था।
अर्जुन ने महसूस किया कि यदि वह इस तंत्र को अब नष्ट नहीं करता, तो कालदर्पण की शक्ति फिर से पुनः सक्रिय हो सकती थी। वह जानता था कि इस वेदी पर किए जाने वाले किसी भी अनुष्ठान से वह अपनी खोज को नष्ट कर सकता था। उसने वेदी के आस-पास के तंत्रिक चिन्हों को समझते हुए उन पर ध्यान केंद्रित किया और अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया।
अर्जुन ने एक गहरी सांस ली, और तंत्रिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए वेदी पर अपनी ऊर्जा केन्द्रित की। जैसे ही उसने पहला मंत्र उच्चारण किया, पूरे कक्ष में एक भयंकर हलचल मच गई। दीवारों से तेज़ आवाजें आनी लगीं, और सुरंग के नीचे की ज़मीन थरथराने लगी। अर्जुन जानता था कि यह तंत्र की सक्रियता का परिणाम था।
अर्जुन ने पूरी ताकत से तंत्र को तोड़ने के लिए अपना मंत्र जारी रखा। उसके शब्दों में इतना बल था कि सुरंग की दीवारें दरकने लगीं और महल की पूरी संरचना गूंजने लगी। अचानक, उसने महसूस किया कि वह पुरानी शक्ति अब अपनी पकड़ छोड़ रही थी, और कक्ष में एक अप्रत्याशित शांति छा गई।
अर्जुन ने अपनी आखिरी शक्ति के साथ तंत्र को नष्ट कर दिया था, लेकिन उसे अब यह समझ में आ रहा था कि यह यात्रा केवल शापित आईने तक सीमित नहीं थी। महल और सुरंग के भीतर जो रहस्य थे, वे कहीं अधिक गहरे थे। वह यह समझने के लिए और भी कड़ी मेहनत करने वाला था कि वह महल के साथ जुड़ी प्राचीन आत्माओं को किस प्रकार शांति दे सकता था, और क्या इस पूरे इतिहास के नष्ट होने से कुछ और नई शक्तियों का उदय तो नहीं हो रहा था।
अर्जुन की यात्रा अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रही थी, जहां उसे महल के प्राचीन इतिहास और कालदर्पण से जुड़े आखिरी राज़ों को उजागर करना था।