नीरा की सलाह मानकर, आशरा और कायन "द्वीपों के महासागर" की ओर बढ़ चले। यह महासागर रहस्यों से भरा था, जहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। रास्ते में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
यात्रा के दौरान, वे एक प्राचीन बंदरगाह पर पहुँचे, जहाँ एक रहस्यमयी जहाज—"अर्केडिया" लंगर डाले खड़ा था। इसकी बनावट असाधारण थी, और यह किसी जादुई शक्ति से संचालित लगता था।
जैसे ही वे जहाज पर चढ़े, रोमांच और बढ़ गया। समुद्र में आगे बढ़ते ही, अज्ञात गहराइयों से अजीब जीव उभरने लगे। जल-राक्षसों और समुद्री भूतों ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की, लेकिन कायन की चमकती तलवार और नीरा के मंत्रों ने उन्हें सुरक्षित रखा।
अचानक, जहाज एक भयंकर तूफान में फँस गया। ऊँची लहरें उठने लगीं, और तेज़ हवाओं के बीच आशरा घबराकर बोली,
"अब क्या होगा? यह तूफान हमें डुबा देगा!"
नीरा ने चारों ओर देखा और गंभीर स्वर में कहा,
"यह ज़ालेरॉन की काली शक्ति का असर है। आशरा, तुम्हें अपनी ताकत का उपयोग करना होगा!"
आशरा ने खुद को संभाला, अपने हार को छुआ और मंत्र पढ़ने लगी। अचानक, एक दिव्य रोशनी फैली और तूफान शांत हो गया। समुद्र स्थिर हो गया, और आकाश फिर से साफ़ हो गया।
तूफान के थमते ही, महासागर की गहराइयों में उन्हें एक प्राचीन जलमग्न पुस्तकालय दिखाई दिया। वह रहस्यों से भरा था।
आशरा उत्साह से बोली, "शायद यहाँ हमें अग्निरत्न के बारे में कुछ पता चले!"
कायन ने सहमति में सिर हिलाया, "ज़रूर! हमें इसे खोजना होगा।"
दोनों अंदर गए और एक जटिल पहेली का सामना किया। पहेली हल करने के बाद, उन्हें एक महत्वपूर्ण जानकारी मिली—
"अग्निरत्न, अमृत पर्वत के शिखर पर स्थित है!"
अब उनकी यात्रा का अगला चरण शुरू होने वाला था।
आशरा, कायन और नीरा अमृत पर्वत की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन उन्हें पता था कि ज़ालेरॉन हर कदम पर उनकी निगरानी कर रहा है।
पर्वत तक पहुँचने से पहले, उन्हें दुष्ट छाया घाटी पार करनी थी। यह घाटी रहस्यमयी अंधकार से भरी थी, जो न सिर्फ़ आँखों की रोशनी छीन लेता था, बल्कि मन में डर और संदेह भी भर देता था।
आशरा ने चारों ओर देखते हुए नीरा से पूछा, "यह जगह इतनी डरावनी क्यों लग रही है?"
नीरा ने गंभीर स्वर में कहा,
"यह ज़ालेरॉन की काली शक्तियों का प्रभाव है। इस अंधकार को हटाने के लिए तुम्हें अपनी आंतरिक रोशनी जगानी होगी।"
आशरा ने अपने हार को पकड़ा और प्रार्थना की। तभी, हार से हल्की लेकिन उज्ज्वल रोशनी निकली, जिसने उनके लिए रास्ता खोल दिया। उसके बाद जैसे ही आशरा, कायन और नीरा कुछ दूर आगे बढ़े, अचानक हवा काँप उठी। वातावरण में गूंजती एक ठहाके की आवाज़ ने सबको चौका दिया। ज़ालेरॉन प्रकट हो चुका था। उसकी आँखों में खतरनाक चमक थी।
"तो आखिरकार आ ही गए तुमलोग!" उसने व्यंग्य से कहा। "क्या तुमलोगोको लगा था कि मैं इतनी आसानी से तुमलोगोको जाने दूँगा?"
उसने हाथ उठाया, और काली जादुई ऊर्जा से एक भयंकर दानव प्रकट किया। वह विशालकाय राक्षस आग उगल रहा था, और उसके शरीर के चारों ओर बिजली की लपटें नाच रही थीं।
कायन और नीरा ने तुरंत लड़ाई का प्रयास किया, लेकिन राक्षस पर उनके वारों का कोई असर नहीं हो रहा था। उन दोनो को हारते देख आशरा घबरा गई तभी आशरा को अपनी माँ की सिखाई बातें याद आईं—"सच्ची शक्ति तुम्हारे भीतर है, उसे पहचानो।"
उसने अपना हार कसकर पकड़ा और अपनी ऊर्जा उसमें प्रवाहित कर दी। अचानक, एक तेज़ रोशनी फैली, जिसने दानव को घेर लिया। वह तड़पने लगा, उसकी शक्ति क्षीण होने लगी और कुछ ही पलों में वह धुएँ में बदलकर गायब हो गया।
ज़ालेरॉन गुस्से से दाँत पीसते हुए बोला, "तुमने मुझे अभी हराया नहीं है! अग्निरत्न तक पहुँचने से पहले ही मैं तुम्हें मिटा दूँगा!"
आशरा ने दृढ़ता से जवाब दिया, "तुम्हारा अंधकार मेरे साहस को कभी नहीं हरा सकता!"
दानव के पराजय के बाद, ज़ालेरॉन गुस्से से तिलमिला उठा, लेकिन वह जानता था कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी। वह अंधकार में विलीन हो गया, लेकिन जाते-जाते चेतावनी दे गया—
"अग्निरत्न तक पहुँचने की कोशिश मत करना। वहाँ सिर्फ़ विनाश तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है!"
आशरा, कायन और नीरा ने एक-दूसरे की ओर देखा। अब पीछे हटने का कोई विकल्प नहीं था।
वे आगे बढ़ते गई लेकिन अनलोगोको अपनी मंजिल से पहले आत्माओं के महल पर करनी थी।
यह रहस्यमयी महल घने जंगलों के बीच छिपा हुआ था। कोई साधारण प्राणी यहाँ प्रवेश नहीं कर सकता था।
महल का विशाल द्वार रहस्यमयी रत्नों से सजा था, जो मंद रोशनी में चमक रहे थे। जैसे ही वे दरवाजे के करीब पहुँचे, एक गहरी, गूँजती हुई आवाज़ गूँजी—
"केवल वे ही प्रवेश कर सकते हैं जो अपने भीतर के अंधकार को हराने की शक्ति रखते हैं!"
नीरा ने महल को देखा और कुछ क्षणों बाद पीछे हट गई। वह आशरा की ओर मुड़ी और गंभीर स्वर में बोली,
"यह यात्रा अब तुम्हारी है, आशरा। तुम्हें इसे अकेले पूरा करना होगा।"
आशरा ने संकोच भरी नज़रों से कायन और नीरा की ओर देखा। कायन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,
"हम यहीं रहेंगे, लेकिन तुम्हें खुद पर विश्वास रखना होगा। तुम्हारे भीतर ही तुम्हारा मार्ग छिपा है।"
आशरा ने गहरी साँस ली और धीरे-धीरे महल के दरवाजे को खोला। जैसे ही वह अंदर पहुँची, चारों ओर अंधकार फैल गया। हवा में रहस्यमयी फुसफुसाहट गूँज रही थी, जिससे माहौल और भी भयानक हो गया।
जैसे ही उसने आगे कदम बढ़ाए, महल की दीवारों पर चमकते चित्र उभरने लगे। ये उसके अतीत के प्रतिबिंब थे—गाँव की यादें, परिवार के चेहरे, और सबसे बढ़कर, उसकी माँ।
अचानक, एक सुनहरी रोशनी चमकी और उसकी माँ, आर्या, की आत्मा प्रकट हुई। उनकी आँखों में वही प्यार और अपनापन था, जिसे आशरा बचपन से तरस रही थी।
आर्या मुस्कुराईं और बोलीं,
"आशरा, मुझे तुम पर गर्व है। लेकिन तुम्हारी परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई है।"
आशरा की आँखों में आँसू आ गए। उसने काँपती आवाज़ में पूछा,
"माँ, मुझे क्यों चुना गया? मैं इतनी ताकतवर नहीं हूँ। मैं इस सबके लिए तैयार नहीं हूँ।"
आर्या ने प्यार से उसके चेहरे को छुआ और धीरे से कहा,
"तुमसे ज्यादा योग्य और कोई नहीं। शक्ति तलवार या जादू में नहीं, बल्कि आत्मा की दृढ़ता में होती है। अग्निरत्न को प्राप्त करने के लिए तुम्हें सबसे कठिन बलिदान देना होगा।"
अचानक, महल की आत्माएँ चारों ओर घूमने लगीं। पूरा महल गूँज उठा, और आशरा के सबसे भयानक डर उसके सामने प्रकट हो गए।
उसने देखा—
ज़ालेरॉन ने उसके गाँव को तबाह कर दिया था।
उसके पिता घायल पड़े थे, उनकी आँखों में दर्द था।
निर्दोष लोगों की चीखें हवा में गूँज रही थीं।
उसने खुद को असहाय महसूस किया, जैसे वह कुछ नहीं कर सकती।
लेकिन तभी, उसे अपनी माँ के शब्द याद आए—
"तुम्हारी सच्ची शक्ति तुम्हारे भीतर है। अगर तुम अपने डर को हरा सकती हो, तो तुम्हें कोई नहीं हरा सकता।"
आशरा ने अपनी घबराहट पर काबू पाया, आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली। फिर उसने दृढ़ स्वर में कहा,
"मैं डर को हरा सकती हूँ! मैं ज़ालेरॉन को रोकूँगी!"
जैसे ही उसने यह कहा, अंधकार टूटने लगा। महल की आत्माओ की फुसफुसाहट धीरे-धीरे शांत हो गई, और अचानक महल का एक गुप्त द्वार खुल गया।
यह द्वार अग्निरत्न तक पहुँचने वाले अंतिम मार्ग की ओर जाता था।
आशरा ने एक बार अपनी माँ की ओर देखा। आर्या मुस्कुराईं और धीरे-धीरे रोशनी में विलीन हो गईं, लेकिन उनकी आवाज़ गूँजी—
"अब आगे बढ़ो, आशरा। तुम्हारी असली परीक्षा अभी बाकी है।"
जब महल की दीवारें गायब हुईं, तो वह जगह एक विशाल पर्वत में बदल गई। तभी कायन और नीरा दिखाई दिए। आशरा तेजी से उनके पास पहुँची और गंभीर स्वर में बोली,
"हमें अमृत पर्वत की ओर बढ़ना होगा।"
तीनों बिना समय गँवाए आगे बढ़ने लगे। लेकिन अमृत पर्वत कोई साधारण पर्वत नहीं था। इसकी चोटी तक पहुँचने के लिए तीन कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता था—
1. भ्रम की घाटी – जहाँ सच और छल के बीच का अंतर मिट जाता था।
2. आग की परीक्षा – जहाँ केवल साहसी ही जीवित रह सकते थे।
3. त्याग का द्वार – जहाँ सबसे मूल्यवान चीज़ का बलिदान देना आवश्यक था।
भ्रम की घाटी
घाटी में कदम रखते ही चारों ओर घना कोहरा छा गया। तभी, तीनों के सामने उनके अतीत के दृश्य प्रकट होने लगे।
आशरा ने अपनी माँ को देखा—"आशरा, मेरी बच्ची, मेरे पास आओ…"
कायन ने अपने पुराने युद्ध देखे, जहाँ उसके साथी मारे गए थे।
नीरा को अपनी खोई हुई बहन दिखाई दी, जो उसे पुकार रही थी।
तीनों इन छवियों की ओर खिंचने लगे।
"नहीं!" आशरा ने खुद को सँभालते हुए कहा, "यह सब छलावा है! हमें इससे बाहर निकलना होगा!"
लेकिन कायन और नीरा उस भ्रम में फँस चुके थे।
आशरा ने अपने हार को कसकर पकड़ा और एक मंत्र पढ़ा। तेज़ रोशनी फैली, और सारे भ्रम मिट गए। घाटी का असली रास्ता अब उनके सामने था।
आगे बढ़ते ही वेलोग आग की घाटी तक पहुँचे। यहाँ चारों ओर ज्वालाएँ उठ रही थीं, और उनके सामने एक संकरी पुलिया थी, जिसे पार करना था।
पहला कदम रखते ही आग की लपटें और भड़क उठीं। तभी एक गूंजती आवाज़ आई—
"जो सच्चे हृदय से आगे बढ़ेगा, वही इस आग को पार कर पाएगा!"
कायन आगे बढ़ा, लेकिन लपटें उसकी ओर बढ़ने लगीं। नीरा ने मंत्र पढ़ा, जिससे आग कुछ शांत हुई।
आशरा ने अपने हार को छुआ, और अचानक उनके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बन गया। धीरे-धीरे, तीनों ने मिलकर पुल पार कर लिया।
अब उनके सामने था त्याग का द्वार।
त्याग का द्वार – सबसे कठिन परीक्षा
इस द्वार को खोलने के लिए एक बलिदान माँगा गया। शिलालेख पर लिखा था—
"सच्ची शक्ति त्याग में है। सबसे प्रिय वस्तु छोड़ने के लिए तैयार रहो।"
अचानक, तीनों के हाथों में चमकती हुई वस्तुएँ प्रकट हो गईं—
आशरा का हार – उसकी माँ की आखिरी निशानी।
कायन की तलवार – जो उसकी पहचान और गौरव थी।
नीरा की जादुई पुस्तक – जिससे उसने अपनी शक्ति पाई थी।
अब फैसला करना था—कौन यह बलिदान देगा?
आशरा ने गहरी साँस ली। "अगर हमें आगे बढ़ना है, तो मैं अपना हार त्यागने के लिए तैयार हूँ।"
नीरा ने विरोध किया, "नहीं! यह तुम्हारी माँ की आखिरी निशानी है!"
आशरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "माँ ने सिखाया था कि शक्ति हमारे भीतर होती है, किसी वस्तु में नहीं।"
उसने हार को द्वार के सामने रख दिया।
जैसे ही हार ज़मीन पर गिरा, द्वार सुनहरी रोशनी से चमक उठा और खुल गया। हार रोशनी में बदलकर विलीन हो गया, लेकिन उसी क्षण, आशरा को अपने भीतर एक नई ऊर्जा महसूस हुई—उसकी माँ की स्मृतियाँ हमेशा के लिए उसके हृदय में समाहित हो गई थीं।
द्वार के पार एक विशाल गुफा थी। गुफा के केंद्र में एक ऊँचा मंच था, जहाँ अग्निरत्न दमक रहा था—एक चमकता हुआ लाल रत्न, जिसमें अग्नि की लपटें नाच रही थीं।
जैसे ही तीनों ने कदम बढ़ाया, ज़मीन हिलने लगी। एक विशालकाय आकृति मंच के पीछे उभरी। यह अग्निरत्न का संरक्षक योद्धा था।
उसकी आवाज़ गूँजी, "जो भी इस रत्न को छूना चाहता है, उसे अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी।"
अचानक, गुफा में आग की लपटें उठने लगीं, और चारों ओर एक घेरा बन गया। रक्षक ने कहा—
"अगर तुम अग्निरत्न के योग्य हो, तो इसकी शक्ति को स्वीकार करना होगा। यह अग्नि तुम्हारी आत्मा की परीक्षा लेगी।"
कायन ने तलवार संभाली, नीरा ने मंत्रों का उच्चारण किया, और आशरा ने गहरी साँस ली।
"मैं तैयार हूँ!" आशरा ने घोषणा की।
अग्निरत्न से तेज़ रोशनी निकली और ज्वाला सीधी आशरा की ओर बढ़ी। यह सिर्फ़ शारीरिक अग्नि नहीं थी—यह उसकी आत्मा की परीक्षा थी।
आशरा दर्द से तड़प उठी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
"मैं डरूंगी नहीं!" उसने ज़ोर से कहा।
कुछ समय दर में रहने के बाद धीरे-धीरे उसकी आत्मा से एकाकार होने लगी। उसकी आँखें चमक उठीं, और उसके शरीर से एक नई शक्ति निकलने लगी।
अचानक, अग्नि शांत हो गई, और आशरा के हाथ में अग्निरत्न आ गया।
रक्षक ने सिर झुकाकर कहा, "अब यह तुम्हारा है। लेकिन याद रखना, इसकी शक्ति का उपयोग केवल भलाई के लिए करना।"
अब सवाल था—क्या आशरा इस शक्ति का सही उपयोग कर पाएगी?
क्या ज़ालेरॉन इस जीत को यूँ ही स्वीकार कर लेगा?
अगले अध्याय में जारी…