ज़ालेरॉन के गायब होते ही गुफा में अजीब सी शांति छा गई। अग्निरत्न अब शांत था, लेकिन आशरा के हाथों में उसकी चमक साफ दिखाई दे रही थी।
"आशरा, तुम ठीक हो?" नीरा ने चिंतित स्वर में पूछा।
आशरा ने गहरी साँस ली। "हाँ... लेकिन कुछ सही नहीं लग रहा। ऐसा नहीं हो सकता कि यह इतनी आसानी से खत्म हो जाए।"
कायन ने अपनी तलवार म्यान में रखते हुए कहा, "हमें इस शक्ति का उपयोग समझदारी से करना होगा। ज़ालेरॉन भले ही गया हो, लेकिन खतरा अभी भी मंडरा रहा है।"
कुछ देर बातचीत के बाद जैसे ही वे गुफा से बाहर निकले, उनकी नज़र अमृत पर्वत की चमचमाती चोटी पर पड़ी। आशरा ने अग्निरत्न को ऊपर उठाया, और तभी पर्वत के शिखर से एक सुनहरी किरण निकलकर रत्न से टकराई।
"यह क्या हो रहा है?" नीरा ने हैरानी से कहा।
अचानक, पर्वत के बीचों-बीच एक प्राचीन द्वार प्रकट हुआ।
तीनों ने एक-दूसरे की ओर देखा, फिर आशरा ने इशारा किया और वे उसके साथ उस द्वार के भीतर प्रवेश कर गए। अंदर एक विशाल कक्ष था, जिसकी दीवारों पर रहस्यमयी शिलालेख खुदे थे। कक्ष के केंद्र में एक ऊँचा मंच था, जिस पर एक प्राचीन ग्रंथ रखा था— "प्राचीन ज्ञान का ग्रंथ।"
आशरा की नज़र जैसे ही उस पुस्तक पर पड़ी, वह उसकी ओर बढ़ने लगी। फिर एक पल रुककर उसने ग्रंथ को खोला। जैसे ही उसके पन्ने खुले, लिपि स्वयं बदलने लगी।
उसमें लिखा था—
"अग्निरत्न वह शक्ति है जो सृष्टि को संवार भी सकती है और नष्ट भी। इसे धारण करने वाले का हृदय ही तय करेगा कि वह नायक बनेगा, नायिका बनेगी या विध्वंसक।"
तीनों ध्यान से ग्रंथ में लिखी बातों को पढ़ रहे थे। तभी कायन ने गंभीर स्वर में कहा, "इसका मतलब यह है कि शक्ति का उपयोग कैसे किया जाता है, यही उसके परिणाम को तय करेगा।"
वे इस विषय पर चर्चा कर ही रहे थे कि अचानक, पुस्तक के पन्ने खुद-ब-खुद पलटने लगे। अचानक, एक छवि उभरी—ज़ालेरॉन की।
वह किसी अंधकारमय स्थान पर खड़ा था, उसके चारों ओर शक्तियाँ घूम रही थीं। यह देखकर नीरा घबरा गई।
"यह असंभव है!" उसने कहा। "ज़ालेरॉन अभी भी जीवित है?"
आशरा ने ग्रंथ की अगली पंक्ति पढ़ी—
"जो अग्निरत्न को हराने में विफल रहता है, वह अंधकार में समा जाता है। लेकिन यदि उसका हृदय शुद्ध नहीं होता, तो वह एक नए स्वरूप में लौट आता है।"
कायन ने तलवार कसकर पकड़ ली। "इसका मतलब है कि ज़ालेरॉन अब पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका है।"
कायन की बात सुनकर आशरा चिंतित हो गई। अब आगे क्या करना चाहिए?
ग्रंथ की अंतिम पंक्तियाँ जैसे चेतावनी दे रही थीं—
"अग्निरत्न की शक्ति असीम है, लेकिन इसे सुरक्षित रखना उतना ही कठिन। एक नया अंधकार जन्म ले चुका है।"
आशरा ने ग्रंथ को बंद किया और दृढ़ स्वर में कहा, "हमें ज़ालेरॉन के नए रूप का सामना करना ही होगा। अब समय आ गया है कि हम अपनी शक्तियाँ एक करें।"
नीरा ने सहमति में सिर हिलाया। "हम तीनों मिलकर ही इस खतरे को रोक सकते हैं।"
कायन ने तलवार उठाते हुए कहा, "ज़ालेरॉन को अब और आगे नहीं बढ़ने देंगे। आशरा, तुम्हें उसे हर हाल में खत्म करना होगा।"
अग्निरत्न की शक्ति, प्राचीन ग्रंथ का ज्ञान, और तीनों का अटूट साहस—अब यह सब उनकी युद्ध यात्रा के लिए तैयार था।
तीनों ने अमृत पर्वत से नीचे झाँका, तो देखा कि धरती पर अंधकार फिर से फैलने लगा था। आसमान में घने काले बादल उमड़ आए थे, और तेज़ हवाएँ किसी अनजान संकट का संकेत दे रही थीं।
आशरा ने अग्निरत्न को कसकर मुट्ठी में थामा और दृढ़ता से कहा, "हमें तुरंत नीचे जाना होगा!"
कायन और नीरा ने सहमति में सिर हिलाया, और तीनों तेजी से पर्वत से नीचे उतरने लगे।
जैसे ही वे नीचे पहुँचे, चारों ओर फैली तबाही ने उन्हें चौंका दिया। झुलसे हुए पेड़, काली पड़ चुकी नदियाँ, और हवा में घुली अजीब सी नकारात्मक ऊर्जा—सब कुछ विनाश का संकेत दे रहा था।
अचानक, एक ज़ोरदार गर्जना हुई, और धरती दरकने लगी।
अंधकार के बीच से एक विशाल आकृति उभरी—ज़ालेरॉन का नया रूप!
लेकिन यह वही ज़ालेरॉन नहीं था जिसे उन्होंने हराया था। अब वह एक दैत्याकार प्राणी बन चुका था, जिसकी आँखों में केवल नफ़रत और विनाश की आग थी।
आशरा ने उसे देखते ही कहा, "मुझे लगा था कि तुम खत्म हो चुके हो!"
ज़ालेरॉन की अँधेरी हँसी आसमान में गूँज उठी। "तुम मुझे समाप्त नहीं कर सकती, आशरा! मैं अंधकार से जन्मा हूँ, और जब तक यह संसार है, मैं जीवित रहूँगा!"
आशरा ने उसकी आँखों में झाँकते हुए दृढ़ता से कहा, "जब तक मैं यहाँ हूँ, तुम किसी को नुकसान नहीं पहुँचा सकते। तुम्हें खत्म करना ही होगा, चाहे इसके लिए मुझे खुद को भी दांव पर लगाना पड़े!"
उसकी बात सुनते ही नीरा ने तेजी से एक मंत्र पढ़ा, लेकिन इससे पहले कि वह पूरा कर पाती, ज़ालेरॉन ने अपना हाथ उठाया। एक अंधेरी लहर तेजी से निकली और नीरा को पीछे धकेल दिया।
कायन ने अपनी तलवार से ज़ालेरॉन पर वार किया, लेकिन उसकी काली शक्ति ने उसे दूर फेंक दिया। नीरा ने भी हमला करने की कोशिश की, मगर ज़ालेरॉन की ताकत ने उसे भी पीछे धकेल दिया।
अब आशरा अकेली खड़ी थी। उसे किसी भी तरह इस अंधकार को खत्म करना था। उसने अग्निरत्न को अपने हृदय के पास रखा और आँखें बंद कर लीं।
"मुझे शक्ति दो, माँ… इस अंधकार को मिटाने की शक्ति दो!"
अचानक, अग्निरत्न तेज़ी से चमक उठा और उसकी ऊर्जा आशरा के शरीर में समाने लगी। जैसे ही अग्निरत्न पूरी तरह उसमें विलीन हुआ, उसकी आँखों से प्रकाश निकलने लगा, और उसके शरीर से दिव्य आभा प्रकट हुई।
ज़ालेरॉन ने घबराते हुए पीछे हटते हुए कहा, "यह… यह असंभव है!"
आशरा ने उसकी ओर देखा और दृढ़ स्वर में बोली, "अंधकार को केवल प्रकाश ही मिटा सकता है, और आज मैं यह युद्ध समाप्त करूँगी!"
उसके हाथों में आग की लपटों से घिरा एक शक्तिशाली घेरा बनने लगा। आशरा ने पूरी शक्ति से उसे ज़ालेरॉन की ओर फेंका।
ज़ालेरॉन ने अपनी अंधेरी शक्तियों से उसका वार रोकने की कोशिश की, और दोनों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। हर वार के साथ ज़ालेरॉन कमजोर पड़ रहा था, मगर उसने हार मानने से इनकार कर दिया।
"मुझे हराना इतना आसान नहीं!" ज़ालेरॉन गरजा।
आशरा ने अपनी आँखें बंद कीं और अग्निरत्न की पूरी ऊर्जा अपनी हथेली में समेट ली। उसकी आँखों में दृढ़ निश्चय झलक रहा था।
"आज तुम्हारा खेल खत्म, ज़ालेरॉन। अलविदा!"
कहते ही आशरा ने अपनी पूरी शक्ति से अग्निरत्न की अंतिम ऊर्जा ज़ालेरॉन की ओर छोड़ दी।
रत्न से निकली ऊर्जा ज़ालेरॉन के चारों ओर लिपट गई, और वह दर्द से चीख उठा।
"नहीं! यह असंभव है!"
उसका शरीर धीरे-धीरे काली राख में बदलने लगा, और कुछ ही पलों में वह पूरी तरह विलीन हो गया।
अंधकार छँटने लगा। आसमान फिर से नीला हो गया, नदियाँ स्वच्छ बहने लगीं, और धरती पर जीवन लौट आया।
आशरा थककर घुटनों के बल बैठ गई। कायन और नीरा तुरंत उसके पास आए।
"तुमने कर दिखाया, आशरा!" कायन ने गर्व से कहा।
नीरा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "अब दुनिया फिर से सुरक्षित है।"
आशरा हल्की मुस्कान के साथ बोली, "यह सिर्फ मेरी नहीं, हम सबकी जीत है।"
अग्निरत्न धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगा।
"अब इसकी आवश्यकता नहीं रही," आशरा ने कहा।
रत्न एक आखिरी बार चमका और फिर हवा में विलीन हो गया, जैसे उसने अपनी अंतिम भूमिका पूरी कर ली हो।
तीनों एक ऊँची पहाड़ी पर खड़े होकर उस नई दुनिया को देख रहे थे, जिसे उन्होंने बचाया था।
कायन ने पूछा, "अब आगे क्या?"
आशरा ने दूर क्षितिज की ओर देखते हुए मुस्कुराकर कहा, "अब एक नई यात्रा की शुरुआत होगी। उसके बाद तीनों अपनी गांव की तरफ जाने लगे।
(समाप्त।)