मां ,,अपनी पत्नी के साथ क्या करना है और क्या नहीं इसका फैसला सिर्फ मैं करूंगा और आप टेंशन मत लीजिए मैं हूं ना सब सिखा दूंगा उसे अभी आप ये बताइये वो है कहां,,,,,,,,,,,,, सावित्री जी चिढ़ते हुए मुझे नहीं पता,, आराम कर रही होगी कहीं बैठी ,,,,,,,,,,,,,,,,,चलिए ठीक है मां मैं देखता हूं........
अनिकेत किचन में सब बातों से अनजान आटा गूंथ रही थी या यूं कहें आटे में समुद्र बना रही थी 😂 और पास ही श्यामू काका खड़े थे
तभी अनिकेत किचन में आता है,,,,,,,,,,,काका दो चेयर लेकर आइये ,,,,जी छोटे मालिक
अनिकेत चेयर पर बैठ कर सुहानी को अपने पास बुलाता है ,,,,, यहां आओ,,, बैठो ! सुहानी डरती हूई अनिकेत के पास पड़ी चेयर पर बैठ जाती है
अनिकेत , सुहानी से- शादी से पहले कभी किचन में गई हो ,,,,, सुहानी ना में सिर हिलाती है ,,,,,,,,,,,,,
अनिकेत - खाना खाने के लिए खाना बनाना होता है और अब तुम इस घर की सबसे बड़ी बहू हो और वो भी तुमने अपनी मर्जी से शादी की है तो ये सब सीखना शुरू कर दो ,,,,,जैसा जैसा काका कहे वैसा वैसा चुपचाप करती जाओ तुम्हारी एक ग़लती और सजा के लिए तैयार रहना ,,,,
काका,,,,काका,,,,,, सुहानी को प्लीज काम करना सिखाए मैं ये जिम्मेदारी आपको देता हूं और मैंने कुछ खाना आर्डर कर दिया है आता ही होगा घर के सभी लोगों के लिए लगा दीजिएगा ,,,,,,,जी छोटे मालिक
अनिकेत किचन से जाते हुए अचानक रुक कर ,,,,,,,,,,,, काका हमारा और हमारी पत्नी का खाना ऊपर भेजवा दीजिएगा,,,,,,,,,,, ,,,,, हम्ममम मालिक
थोड़ी देर में
सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे लंच कर रहे थे ,,और ऊपर अनिकेत के कमरे में अनिकेत तो खाना खा रहा था पर सुहानी अपनी उंगलियां आपस में फंसाए नीचे जमीन घूर रही थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,
अनिकेत, सुहानी से- भूख लगी है , सुहानी - गर्दन हां में हिला देती है
अनिकेत - जानती हो आज तुम्हारी वजह से दादू इतने बीमार हो गए अगर तुमने समय पर खाना बना दिया होता तो वो खाना खाकर दवा ले लेते पर तुमने खाना बनाना सीखा ही कहां है तुमने तो बस लोगों को बेवकूफ बनाना सीखा है,,,अब जब तक तुम दादू के लिए अपने हाथों से कुछ बना नहीं देती तुम्हें कुछ खाने को नहीं मिलेगा
सुहानी, अनिकेत की बात सुनकर एक बार उदास हो जाती है और रोने जैसा मुंह बना लेती है,,,,,,,, अनिकेत - ये जो तुम बात बात पर रोने लगती हो ये जितनी जल्दी भूल जाओगी उतना अच्छा होगा और हां नीचे कोई भी पूछे तो उससे यही कहना कि तुमने खाना खा लिया है वरना,,,,,,, अनिकेत के चेहरे के सख्त एक्सप्रेशन देखकर सुहानी सोफे से उठ जाती है ,,,,, अनिकेत - क्या हुआ उठ क्यों गई,,,,,बैठो और सब्जी सर्व करो मुझे,,,,,,,,,,,,, सुहानी सिर झुकाकर - जी
थोड़ी देर में अनिकेत खाना खाकर सुहानी के साथ नीचे किचन में था ,,, हां तो काका, लग जाइये अपने काम पर ,,,,,,,,,,,,और " तुम मेरी बात को ध्यान रखना",,,,ये बात अनिकेत ने बहुत धीरे कहीं थी तो बस सुहानी ने ही सुनी
मैं दादू के पास जा रहा हूं,,," और आज रात का खाना दादू को अपनी प्यारी बहू के हाथों का मिलना चाहिए" अनिकेत ये बात कहकर निकल जाता है धीरे धीरे शाम हो रही थी, अखण्ड प्रताप को भी होश आ गया था उनकी इच्छा थी कि अनिकेत की पत्नी की मुंह दिखाई आज ही हो जाए
सावित्री जी अनिकेत से कहती हैं,,,"बेटा आज तुम्हारी पत्नी की मुंह दिखाई है तेरे दादू नें बहुत ही साफ शब्दों में कहा है हम सब से कि हर एक रश्म होनी चाहिए चाहें शादी जैसे भी हूई हो , तो उससे कह दो तैयार हो जाए " जी मां मैं कहता हूं ,,,
सुहानी किचन में बैठ कर पूरी बेलना सीख रही थी तभी अनिकेत किचन में आकर काका से पूछता है,," काका कैसा चल रहा है,,,,,,,,,
काका - छोटे मालिक बहूरानी थोड़ा बहुत काम सीख गई हैं,,,,,,,, अनिकेत तिरछी नजरों से सुहानी की तरफ देखता है जो पूरी बेल रही थी पर उसका चेहरा बहुत फीका पड़ गया था ,, अनिकेत को इस बात का अहसास था तभी अनिकेत, सुहानी के पास नीचे बैठ कर -" अब बस करो ,कल सीखना,, मेरे साथ चलो
अनिकेत इतना कहकर सुहानी का हाथ पकड़ सीधा सीडीओ से अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है,, जाते जाते काका से कुछ इशारा करता है जिसके जवाब में काका अपना सिर हां में हिला देते हैं
अनिकेत कमरे में आकर सुहानी को सीधा वाशरूम में खड़ा कर कहता है, " सुनो हाथ धो लो फिर कमरे में आओ" सुहानी धीरे से अपना सिर हां में हिला देती है थोडी देर बाद आम्या वाशरुम से बाहर आती है
अनिकेत - बैठो ,,,, सुहानी अभी भी खड़ी थी ,, अनिकेत- क्या हुआ बैठो ना,,,,, सुहानी अनिकेत से थोड़ा दूर होकर बैठ जाती है ,,,,,,,,,,,, अनिकेत खाने की थाली सुहानी की तरफ बढ़ाकर ,,,,खाओ और कुछ चाहिए हो तो बताना मैं यहीं बैठा हूं,,,,,,,,,,,, अनिकेत इतना कहकर किसी से फोन पर बात करने लगता है अचानक सुहानी को खांसी आ जाती है ,,,,,,,,,,,,, अनिकेत गिलास में पानी डालकर सुहानी की तरफ बढ़ा देता है और सुहानी की पीठ पर हाथ फेरने लगता है,,,,,,,, अनिकेत - अब ठीक हो , सुहानी हां में गर्दन हिलाती है ,थोड़ी देर में सुहानी का खाना ख़त्म हो गया था पर उसे अभी भी भूख लगी थी ,,,,,,,,,,,, अनिकेत बात खत्म करके सुहानी से पूछता है ," और भूख लगी है ? सुहानी फिर से अपना सिर हां में हिला देती है , अनिकेत सुहानी की थाली में और खाना डालता है ,,,,थोड़ी देर बाद सुहानी का पेट एकदम भर गया था अब उसके चेहरे पर फिर से एक रौनक है ,,,,,,,,,,,
अनिकेत - तुम यहीं बैठो मैं अभी आता हूं,,,,,,कहकर अनिकेत कमरे से बाहर चला जाता है,,,,जब वो वापस आता है तो उसके हाथ में एक हल्का लहंगा था जो सुहानी को अपनी मुंह दिखाई के लिए पहनना है ,,,,, अनिकेत - ये लो थोडी देर में इसे पहन कर तैयार हो जाना तुम साड़ी नहीं पहन पाती हो इसलिए तुम्हारे लिए मैंने लहंगा मंगाया है लेकिन बेहतर होगा कि जल्दी ही साड़ी पहनना सीख लेना ,,,,,,और कोई मदद चाहिए हो तो बताना मैं बाहर ही हूं,,,,,,,,,,, सुहानी,,आज पहली बार अनिकेत ने उसका नाम लिया था ,,,,,,जी , याद है मैंने तुमसे कल कुछ कहा था कि कुछ बात करनी है देखो मेरी बात सुनो ," तुम जैसे भी इस घर में आई हो लेकिन अब तुम मेरी पत्नी हो तुम छोटी जरूर हो लेकिन इस घर में मेरे भाई बहनों से रिश्ते में सबसे बड़ी हो इसीलिए सबका ख्याल रखना तुम्हारा फर्ज है मुझे पता है कि तुम्हें अभी सभी कुछ सीखना है इसलिए आज रात में मुझे कुछ बात करनी है,,,,,चलो अब रेडी हो जाओ,,,,, मैं यहीं हूं.............अब जब तक आप लोग समीक्षा नहीं देंगे मैं आगे नहीं डालूंगी
नेक्स्ट पार्ट कल आएगा मैं धीरे इस कहानी को एक बहुत ही अच्छा मोड़ दूंगी बस आप सब अपना प्यार बनाए रखें और मेरी कहानी नियमित रूप से पढ़े..................