jinn in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | जिन्न

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जिन्न

पिछले तीन चार साल में यह तीसरा ट्रांसफर था पापा के साथ हम पांचों हम चार भाई बहन और मां भी बार-बार इस तरह सामान लेकर यहां से वहां भागते परेशान हो चुके थे सबसे ज्यादा दिक्कत आती थी बार-बार स्कूल बदलने में नया माहौल नए लोग जब तक हम थोड़ा संतुलित हो पाते पापा एक नई जगह जाने का आदेश सुना देते इस बार पापा का तबादला शहर से दूर एक छोटी सी पहाड़ी पर बसे गांव में हुआ था हम चारों का मुह लटका हुआ था एक तो गांव वो भी इतना पिछड़ा हुआ ना ढंग का स्कूल होगा ना रहने की जगह ऊपर से हमारे बड़े परिवार का छोटे मोटे मकान में गुजारा भी नहीं था पापा ने बताया कि रहने के लिए डाक विभाग की ओर से एक पुराना बंगला तैयार कर दिया गया है कोई दिक्कत नहीं आएगी भारी मन से हमने अपना शहर वाला मकान छोड़ा और पहाड़ी के लिए निकल पड़ हम चार भाई बहनों में सबसे बड़ा मैं अभि  फिर मुझसे छोटा राहुल  फिर हमारी दो छोटी बहने एक रागिनी  जो 14 साल की थी और सबसे छोटी शालिनी  थी रागिनी  चारों भाई बहनों में सबसे ज्यादा चंचल और खिल स्वभाव की थी हर समय हसना मुस्कुराना खेलना कूदना सबको परेशान करना यही उसकी दिनचर्या थी हम नए बंगले में पहुंच चुके थे बंगला हमारे अंदाजे से गुना बड़ा था बंगले का एक भाग हमारे रहने के लिए साफ किया गया था बाकी लगभग आधे भाग में कहीं ताले जड़े थे तो कहीं भयंकर टूट फूट मची थी कहीं कहीं दरवाजे पर सांकल लगाकर छोड़ा गया था हम बंगले को घूम घूम कर देख ही रहे थे कि एक बूढ़ी महिला लाठी टिका आ गई उन्होंने बताया कि उनके पुरखे भी इसी हवेली की देखरेख करते थे वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी शादी के कुछ समय बाद ही उसके पति का देहांत हो गया तो वह वापस अपने माइके आ गई और इसी हवेली की देखरेख करने लगी माई लगभग 75 साल की बूढ़ी महिला थी हमारे परिवार को देखकर उन्होंने मेरी दोनों छोटी चुलबुली बहनों के सर पर प्रेम से हाथ फेर कर कहा अल्लाह हाफिज आप मुस्लिम है मां ने कुछ अजीब से भाव चेहरे पर लाकर कहा जी मैडम एक बात का ख्याल रखिएगा बच्चियां बंगले के दू दूसरे हिस्से में ना जाने पाए बच्चियों से मतलब क्या है आपका मेरा मतलब बच्चे या बड़े कोई भी बंगले के दूसरे भाग में ना जाने पाए जितना हिस्सा साफ किया है उतना ही भाग इस्तेमाल में लाए समझे लेकिन क्यों ऐसा क्या है वहां कुछ नहीं बस बरसों से खाली पड़ा है और अधिकतर हिस्सा टूटा फूटा है कोई दुर्घटना ना हो जाए इसीलिए एहतियातन कह दिया बस बाकी जैसा आप लोगों की मर्जी वो अपनी लाठी टे कर जाने लगी आप इस बंगले में नहीं रहती हैं मां ने हैरानी से पूछा नहीं नहीं मैं तो पास ही में बनी छोटी सी बस्ती में रहती हूं यहां से ज्यादा दूर नहीं है अगर कभी कोई जरूरत हो तो बुला लीजिएगा हम लोग घूम घूम कर पूरे घर का मुआयना करने लगे पापा और मां घर का सामान सही करने में व्यस्त हो गए इतनी बड़ी हवेली में तकरीबन 20 कमरे थे जिसमें से लगभग 10 कमरे बंद थे यह जरजर हालत में थे बाकी के 10 कमरों में से चार तो हमने अपने लिए पसंद कर लिए थे बाकी बचे कमरों में सामान लगाने के बाद भी दो कमरे बचे ही थे यह बचे दो कमरे मेरी दोनों शैतान बहनों के खेलने का मैदान बन चुके थे हमारा दाखिला गांव के ही स्कूल में करा दिया गया था पापा को मिली सरकारी गाड़ी से हम जब तब आसपास के सुंदर दृश्य देखने निकल जाते थे पहाड़ी इलाके बेहद खूबसूरत होते हैं पहाड़ों में प्राकृतिक सुंदरता के अतिरिक्त एक और चीज बहुत प्रसिद्ध होती है वह है यहां के काले जादू और भूत प्रीत की कहानियां मेरे सहपाठी अक्सर मुझे यहां वहां के भूतिया किस्से सुनाकर डराते रहते थे मैं भी घर आकर अपने छोटे भाई बहनों को डराने के उद्देश्य से वह कहानियां और भी मिर्ज साला लगाकर सुनाता जब वह तीनों अक्सर डर से रोने लगते तो मुझे अपनी जीत का एहसास होता और मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल जाती हमें यहां आए अभी कुछ ही दिन हुए थे मैं छोटे भाई राहुल  के साथ क्रिकेट खेल रहा था मुझसे तीनों बच्चों का ख्याल रखने का बोलकर मां काम निपटा करर निश्चिंत होकर सोने चली गई थी दोनों छोटी बहने भी खाली पड़े कमरों में दमा चौकड़ी मचा रही थी जाने क्या हुआ अचानक एक चीख की आवाज सुनाई पड़ी मैं और राहुल  बैट बॉल वही फेंक कर तेजी से अंदर की ओर भागे की आवाज सुनकर मां भी अपने कमरे से दौड़ती हुई बाहर निकल आई थी हम दौड़ते हुए हॉल में बाजे वहां कोई नहीं दिखाई दे रहा था शालिनी  के रोने की लगातार आवाजें आ रही थी मुझे समझती देर ना लगी कि सोने की रोने की आवाज हवेली के दूसरी भाग से आ रही है मैंने राहुल  का हाथ पकड़ा और दौड़ते हवेली के वर्जित भाग में घुस गया हर तरफ मकड़ी के जाले और धोल का अंबार लगा हुआ था सामने देखा तो रागिनी  नीचे बेहोश पड़ी थी और शालिनी  उसके पास खड़ी जोर जोर से रो रही थी लगभग उसी समय मां भी हमारे पास पहुंची रागिनी  को बेहोशी की हालत में देखकर मां की चीख निकल गई किसी तरह रागिनी  को लेकर हम बाहर हवादार कमरे में आए शालिनी  को पुकार कर चुप कराने के बाद मैंने उससे पूछा तुम खी क्यों और रागिनी  कैसे बेहोश हो गई मैया मैं नहीं ख मैं तो रागिनी  को खोजती हुई बाहर हॉल में गई थी वो शायद अंदर वाले कमरे में छिपने गई थी उसकी चीख की आवाज सुनकर मैं भाग कर आई तो वो वो ऐसे नीचे पड़ी हुई थी शालिनी  ने सुभग हुए बताया मां रागिनी  को देखकर रोने लगी थी मेरी हालत भी खराब हुए जा रही थी मां को संभालू शालिनी  को संभालूं या फिर बेहोश पड़ी वनी को देखो राहुल  दौड़कर दो गिलास पानी ले एक गिलास मां को थमा करर दूसरे से रागिनी  के चेहरे पर छींटे मारे तो वह धीरे-धीरे होश में आने लगी रागिनी  को कुशल मंगल देखकर मां और शालिनी  का रोना थम गया था मां ने प्यार से रागिनी  के सर पर हाथ रखकर पूछा क्या हुआ बेटा तुम बेहोश कैसे हो गई व मां मां चिपने के लिए जगह ढूंढ रही थी वहां उस कमरे के दरवाजे पर साकल बंद थी और उस पर रक्षा सूत्र बंधा हुआ था मैंने उसे खोलकर कमरे में जैसे ही प्रवेश किया वहां सब धुआ धुआ सा दिखने लगा कुछ अजीब सी महक आ रही थी वहीं वहीं से मैंने बाहर निकलने की कोशिश की तो लगा जैसे बाहर आने का रास्ता ही खो गया है मुझे बहुत डर लग रहा था इसीलिए मैं डर के मारे चीक पड़ी उसके बाद मुझे नहीं पता मैं यहां कैसे आई रागिनी  ने पानी पीते हुए बताया मतलब तुम कमरे के अंदर थी तो बाहर कैसे निकली तुम तो कमरे के बाहर नीचे पड़ी हुई थी राहुल  ने कहा मुझे नहीं पता भैया लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है अब मैं कभी उस तरफ नहीं जाऊंगी वनी ने जवाब दिया उस समय रागिनी  को शांत कराना ज्यादा जरूरी था इसलिए बात को वहीं रफा दफा करके मम्मी उनके लिए हलवा बनाने की तैयारी में लग गई इस घटना से कुछ बातें मेरे मन में खटक गई थी अगर रागिनी  की बात सच है तो वहां दरवाजे पर मैंने कोई रक्षा सूत्र बंधा क्यों नहीं देखा दूसरी बात कमरे से रागिनी  बाहर कैसे पहुंची अंदर धुआ कहां से और क्यों आया कैसी महक की बात कर रही है रागिनी  मन में विचित्र ख्याल आ रहे थे बीच-बीच में अपने सहपाठियों की बुता कहानी भी याद आ रही थी आज तक जिन कहानियों को मैं मनोरंजन के लिए सुनता था आज मुझे उनके बारे में सोच सोच कर सेरन हो रही थी पूरी रात नींद मेरे साथ आंख में चौली ख ती रही सुबह तक मेरी लाल सुर्ख आंखें मेरी रात्रि जागरण की चुगली कर रही थी मैं कमरे से बाहर आया तो पता चला रागिनी  को बुखार हुआ है मैं फिर से चिंतित हो उठा था शायद उसके अंदर डर बैठ गया था जिसकी वजह से उसे बुखार आ गया था दिन भर मम्मी रागिनी  की खातिरदारी में लगी रही लेकिन उसका बुखार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था रात गहरा गहरा उसका बुखार सीमा से परे पहुंचने लगा था वो बद हवासी में रात भर कुछ कुछ बड़बड़ आती रही थी सुबह होते ही पापा की सरकारी गाड़ी में उसे अस्पताल ले जाया गया अगले तीन दिन इसी तरह बुखार में तड़पते बीत गए मम्मी पापा हॉस्पिटल में रागिनी  के पास ही थे आखिरकार चौथे दिन खबर मिली कि रागिनी  की हालत में कुछ सुधार आया है अगले दो दिन और अस्पताल में बिताने के बाद रागिनी  घर आ गई थी रागिनी  हम सबकी जान थी उसके घर आने से हम सबके चेहरे की रौनक लौट आई थी सब लोग धीरे-धीरे सामान्य हो रहे थे बस एक को छोड़कर विनिया पहले की तरह उछल कुद नहीं करती थी अक्सर एक जगह पर गुमसुम स बैठी रहती या हमें खेलते देखती रहती पहले तो हमने इसे बीमारी की वजह से पैदा हुई चिड़चिड़ा हट और कमजोरी समझा लेकिन यह सिलसिला अंतहीन हो गया रागिनी  अब कम ही बात करती थी ज्यादातर समय वह अपने कमरे में ही बिताती थी समय अपनी गति से आगे बढ़ रहा था यही सब चलते चलते लगभग छ महीने बीत गए थे हम लोग बहुत कोशिश करते कि वह हमारे साथ खेले कूद मुस्कुराए लेकिन उसके चेहरे पर कोई भावही नहीं आते थे वह यूं ही भाव हीन से एक टक शुन्य में ताकती रहती ज्यादा जोर जबरदस्ती करने पर व उठकर अपने कमरे में चली जाती और दरवाजा बंद कर लेती मां पापा उससे पूछ पूछ कर थक चुके थे कि आखिर क्या बात है लेकिन उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिलता था फिर एक दिन पापा बहुत उत्साहित से होकर घर घुसे पापा के हाथ में मिठाई का डिब्बा था उत्साहित स्वर में उन्होंने दोनों छोटी बहनों को पुकारा और मिठाई का डिब्बा पकड़ा दिया अरे मेरी पदोन्नति हो गई है तनख्वा भी बढ़ेगी और अगले चार साल तक कहीं भागना भी नहीं पड़ेगा पापा ने खुश होकर कहा प्रमोशन की खबर ने हम सबके चेहरे पर मुस्कान ला दी थी पापा रागिनी  को मिठाई खिलाने लगे तो रागिनी  पापा का हाथ झटक कर अंदर भाग गई पापा के प्रमोशन होने के बाद अब घर में पैसों की कोई दिक्कत नहीं थी नई पोस्ट पर पापा की अच्छी खासी उपरी कमाई होने लगी घर का माहौल बदलने लगा था सुंदर पर्दे महंगे कपड़े बढ़िया साजों समान हमारे घर की रौनक बढ़ाने लगा था सब कुछ हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छा चल रहा था इतना कि कहीं ना कहीं इस चमक धमक में हम विने के व्यवहार को नजरअंदाज करने लगे धीरे-धीरे साल बीतने को आया था मेरी प्यारी सी चुलबुली बहन अब एक गंभीर सी लड़की बन गई थी स्कूल में भी उसका प्रदर्शन खराब होता जा रहा था किसी तरह समझाने बुझाने पर उसने परीक्षा तो दे दी लेकिन अगले साल उसने स्कूल जाने से साफ मना कर दिया एक साल के भीतर ही उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति में बहुत परिवर्तन आ गया था वह छोटी बच्ची अब एक परिपक्व सी लड़की नजर आने लगी थी मेरा दाखिला भी कॉलेज में हो गया था मैं देर रात तक जागकर अपने असाइनमेंट बनाता था उस रोज रात में पढ़ते पढ़ते मैं काफी देर तक जाग रहा था अचानक मुझे किसी के फुसफुस करर बात करने की आवाज सुनाई पई आवाज मर्दानी थी मैं कुछ अंकित सा हो उठा धीमे-धीमे सदे हुए कदमों से मैं हॉल में पहुंचा तो आभास हुआ कि आवाज बनी के कमरे से ही आ रही है मैंने चुपके से झांक कर रागिनी  के कमरे में देखा तो वो एक दीवार की ओर म करके फुसफुस हुए कुछ बात कर रही थी कमरे में रागिनी  के अलावा कोई नहीं था और सबसे ज्यादा मुझे उसकी आवाज विचलित कर रही थी दिन भर एक शब्द मुंह से ना निकालने वाली लड़की आधी रात को दीवारों से मर्दाना आवाज में बात कर रही थी किसी तरह मैंने अपनी चीख को गली में ही दबाकर वहां से निकलना उचित समझा रात काफी हो चुकी थी मैंने फिलहाल किसी को भी जगाना ठीक नहीं समझा उस रात मैंने कैसे करके एक एक पल बिताया मैं शब्दों में बया नहीं कर सकता सुबह होते ही मैंने मम्मी पापा को सारी बात बताई मां किसी अनहोनी की आशंका से काप उठी थी मां और पापा चुपचाप किसी तांत्रिक या उझा की खोज करने लगे दो दिन बाद एक मुस्लिम तंत्र मंत्र वाला मिला मां और पापा को उस तांत्रिक ने कुछ भूत पढ कर दी जैसे रागिनी  के कमरे में छिड़कना था और घर के बाकी हिस्सों में भी छिड़कना था किसी तरह रागिनी  की नजर से बचाकर सारे घर में बबू छिड़क दी गई उस रोज कई साल बाद रागिनी  ने अच्छी तरह से खाना खाया एक दो बार मुस्कुराई भी मां को तांत्रिक पर अटूट विश्वास हो गया था अगले कुछ दिन हमारे लिए बेहद सुहाने रहे रागिनी  हमारे बीच कुछ देर के लिए आकर बैठती और एक दो बार मुस्कुराती भी उसके ठीक होने की उम्मीद भी बन स गई थी पापा ने तांत्रिक को रागिनी  की हालत में हुए सुधार की जानकारी दी तो वह आत्मविश्वास से भर उठा अगले दिन उसने हवेली में आकर पूरे घर को बाधा मुक्त करने का आश्वासन दिया माने तांत्रिक के कहे अनुसार सारा सामान पहले ही तैयार कर दिया था तय समय पर वह हवेली पहुंचा तंत्र की सारी तैयारी करने के बाद ओझा ने रागिनी  को बुलाने का आदेश दिया रागिनी  तांत्रिक को देखकर रहस्यमई तरीके से मुस्कुराई सफेद रंग की सलवार कमीज पर उसने कुछ अजीब तरह से दुपट्टा ड़ रखा था बिल्कुल वैसे जैसे मुस्लिम महिलाएं नमाज के समय पहनती है नी को इस रूप में देखकर हम सभी सक्ति में आ गए थे ओझा के नजदीक पहुंचकर वह फिर से मुस्कुराई और मर्दाना आवाज में कुछ फुसफुस आने लगी देखते ही देखते झा वही जमीन पर गिर पड़ा हम सभी का डर के मारे खून जमा जा रहा था कुछ ही देर में ओझा की आंख पलट गई उसे देखकर रागिनी  ने जोर से ढाका लगाया और गुस्से में मां को घोरने लगी फिर उसने हम सब की तरफ नजर घुमाई और अपने कमरे की ओर जाने लगी रागिनी  अपने कमरे में चली गई थी हम सभी अभी भी सन्न थे किसी तरह पापा ने हिम्मत करके उस ओझा की नब्ज छूकर देखी पापा के माथे पर पसीने की बन छलक आई मुझे आवाज लगाकर पापा ने जल्दी से गाड़ी निकालने का आदेश दिया झा की टूटती छूटती सी सांसे अभी भी चल रही थी और पापा उसे मरने नहीं देना चाहते थे अनर्थ की आशंका से पापा के हाथ पाव का रहे थे हम उसे किसी तरह अस्पताल में भर्ती कराकर रात तक घर लौट आए घर में अजीब किस्म का सन्नाटा पसरा हुआ था मम्मी राहुल  और शालिनी  एक ही कमरे में सहम में बैठे थे घर में सबकी मन स्थिति को समझते हुए पापा ने बाहर से ही खाना ले लिया था खाना खाने के बाद कोई भी अपने कमरे में जाने को तैयार नहीं था किसी तरह शालिनी  को मां पापा के पास सुलाकर मैं और राहुल  अपने कमरे में लौट आए समझ नहीं आ रहा था कि इस हवेली को मनोज कहूं या लकी इस हवेली में आने के बाद पापा ने बहुत तरक्की की है भला कोई भूत या घर भी किसी के लिए शुभ हो सकता है कहीं रागिनी  को कोई मानसिक परेशानी तो नहीं हो गई जब वो ऐसी हरकतें कर रही है लेकिन उझा का उसी समय गिरना डॉक्टर का कहना कि ओझा को हार्ट अटैक आया था वह तो किसी को भी हो सकता है मैं अपनी आंखों से देखे हुए सच को विज्ञान की कसौटी पर रखकर झुठला का प्रयास में लगा था रात के 12:00 बजे तक राहुल  सो गया था लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी मां पापा और शालिनी  का हाल जानने के लिए मैं उनके कमरे की ओर जाने के लिए निकला तो देखा रागिनी  पापा मम्मी के कमरे के बाहर खड़ी सिसक रही है उसकी पीठ मेरी और थी लेकिन ध्यान से सुनने पर उसकी कुछ आवाज टूटे हुए लहज में मुझ तक पहुंच रही थी मैं कमरे की ऊंट में छिपकर सुनने की कोशिश करने लगा हमारे वालिद और अम्मी को माफ कर दो वो बस हमारी खैरियत चाहते हैं अल्लाह के लिए उनकी जान ब दो या अल्लाह मदद कर रागिनी  की आवाज मुझ तक पहुंची रागिनी  की भाषा सुनकर मेरे पूरे शरीर में अजीब सी झुर जुरी दौड़ गई मेरी हिंदू परिवार में पली बड़ी बहन कब और कैसे इतनी शफाक उर्दू बोलने लगी दिमाग काम नहीं कर रहा था अचानक ही प्यास से मेरा गला सूखने लगा वह किससे याचना कर रही थी क्या रहस्य है इस उर्दू का मैं समझ ही नहीं पा रहा था अगले कुछ दिन रागिनी  ने अपने कमरे में ही बिताए तीसरे दिन खाने की टेबल पर बैठते हुए उसने मां से खीर खाने की फरमाइश की मां ने खुशी खुशी उसके लिए खीर बना दी फिर धीरे-धीरे उसकी खाने को लेकर मांग बढ़ती गई कभी वह चाट मांगती तो कभी भटूरे बस अपना खाना सीधा कमरे में उठाकर ले जाती उसका पहनावा रहन सहन सब मुस्लिम महिलाओं की तरह हो गया था एक रोज मां को बूढ़ी मां की याद आई वह अम्मा भी तो मुस्लिम ही थी ना कहीं उन्होंने ही तो कोई टोना टोटका ही करा दिया मेरी बच्ची पर मां अब अम्मा को ही कसूरवार ठहरा रही थी लेकिन किया क्या जाए ऐसा आसानी से तो वो मानेगी नहीं कि उन्होंने टोटका किया है किसी तांत्रिक की ही मदद लेनी पड़ेगी मां ने शाम को पापा को अपने दिल की बात बताई मैं अभी हॉस्पिटल से उस ओझा को देखकर आ रहा हूं उसके आधे शरीर में लकवा हो गया है जुबान टेढ़ी हो चुकी है कुछ भी बोलने या चलने फिरने की हालत में नहीं है मुझे देखकर वो अजीबो गरीब घघ जैसी आवाजें निकालने लगा मुझे नहीं लगता अब कोई भी तांत्रिक इस हवेली में आना चाहेगा फिर भी मम्मी के कहने पर अपनी बच्चे की सलामती के लिए पापा कहीं तांत्रिकों के पास भटके किंतु कोई भी मदद को तैयार नहीं हुआ दो महीने बीत गए थे हम सभी निराश हो चुके थे पापा ने बहुत कोशिश की उनका ट्रांसफर हो जाए लेकिन कोई काम नहीं बन पा रहा था ऐसा लगता था मानो हम बंद गए हैं इस हवेली में इधर रागिनी  की हरकतें कुछ ज्यादा ही अजीब हो गई थी उसकी तबीयत खराब सी रहने लगी थी एक दो बार वो चक्कर खाकर गिर पड़ी थी जब एक दिन उसने खाने को देखकर उल्टी की तो मां घबराने लगी कोई उपाय ना सोचता देखकर मां ने बूढ़ी अम्मा के पास जाने का निर्णय लिया किसी तरह पूछते पूछते मां अम्मा के घर पहुंची छप्पर का एक कमरे का मकान था घर के सामान के नाम पर कुछ बर्तन और एक चारपाई रखी थी मां को देख वो थोड़ा परेशान सी हो उठी मालकिन कैसे आना हुआ मुझे बुलवाया होता अम्मा मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो मैं माफी मांगती हूं कैसी बातें करती है मैडम जी कुछ बात हुई है क्या अम्मा आपने कहा था कि बच्चों को दूसरे भाग में मत जाने देना लेकिन एक दिन मेरी बच्ची गलती से वहां चली गई थी तब से मां ने पूरी कहानी उन्हें कह सुनाई मां की बात सुनकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें उभर गई यह कैसे हो सकता है उन्होंने घड़े से निकाल कर एक गिलास पानी पिया आप पहले क्यों नहीं आई अब बहुत देर हो गई है क्या मतलब है आपका खुद को संभालिए मैडम जी मैं जो बोलने वाली हूं आप शायद बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी आपकी बच्ची पेट से है क्या बकवास कर रही है आप मैं सच कह रही हू इतिहास खुद को दोहरा रहा है यह सब पहली बार नहीं हो रहा है लेकिन कैसे कौन मतलब हो क्या रहा है ये सब मैं आपको पूरी बात बताती हूं आप थोड़ा धैर्य रखिए मैं अपने अम्मी अब्बू की एकलौती संतान नहीं हूं मेरी एक बड़ी आप भी थी जिनका नाम रेशम था मुझसे अब 15 बरस बड़ी थी तकरीबन 90 बरस पहले की बात है अब्बू डाक विभाग में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी थे देश पर अंग्रेजों का राज था अंग्रेज अफसरों के रुकने और ठहरने के लिए इसली शन हवेली को डाक बंगला बना दिया था जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी मेरे अब्बू की थी अब्बू पूरी ईमानदारी से अपना काम करते थे मेरे अम्मी अब्बू हवेली के जरजर हो चुके भाग में जो आखिरी कमरा है वहां रहते थे उस समय यह कमरा ऐसी हालत में नहीं था मेरी 13 वर्षीय आप भी उसी कमरे में उनके साथ रहती थी धीरे-धीरे आप गुमसुम सी रहने लगी फिर बाहर आना जाना भी बंद कर दिया और अकेले कमरे में बंद रहने लगी अक्सर वो रात को दीवारों को देखकर अजीब अजीब सी आवाजें निकाला करती थी कभी बैठे-बैठे रोने लगती तो कभी हंसने लगती मेरी मां को आपी के जन्म के बाद कोई बच्चा नहीं हो रहा था इसी हवेली में आने के दो साल बाद अम्मी की कोक फिर से हरी हो गई उधर अंग्रेजी सरकार से हवेली की देखरेख के नाम पर मोटी रकम आने लगी उस दौर में जब हर ओर गरीबी और भुखमरी फैली हुई थी हमारे घर में अन्न धन की भरमार थी ऊपर से रहने के लिए आलीशान हवेली अम्मी अब्बू खुद को भाग्यशाली समझते और अपनी किस्मत पर रश्क करते उनके जीवन में सिर्फ एक कष्ट था और वो था आप ही का यूं दिनोंदिन बदलता व्यवहार अब्बू आपी को कई बार मौलवी और ओझा के पास भी लेकर गए लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं आया कोई भी डॉक्टर वैद हकीम तांत्रिक उनकी परेशानी की नब्ज नहीं पकड़ सका इधर अम्मी अपनी गोद हरी होने की खुशी में फूली नहीं समा रही थी और उधर एक खौफनाक खबर से उनका सामना हुआ आपी पेट से थी उस दिन अम्मी को देखने आई दाई ने आपी को देखकर अम्मी के कान में यह बात बताई तो उनको अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ सारा दिन कमरे में बंद रहने वाली आपी कैसे पेट से हो गई लोग लाज का भय अम्मी को भीतर तक हिला गया किसी तरह हिम्मत करके अब्बू को सारी बात बताई तो मानो घर में तूफान आ गया यह बात क कल्पना और विज्ञान से बिल्कुल परे थी कोई कन्या इस तरह भला कैसे आप ही को बहुत प्यार से पूछा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया अब्बू के गुस्से और मार के सामने भी आपी की जुबान नहीं खुली कोई और उपाय ना सूझा तो आखिर में गांव के एक बुजुर्ग को अब्बू ने सारी बात बताई उन चचा ने अब्बू को एक तांत्रिक का पता दिया अब्बू रेशम आप का पहना हुआ एक कपड़ा लेकर उस तांत्रिक के पास जा पहुंचे तांत्रिक ने अब्बू से आपी का कपड़ा लेकर सूंघ और कुछ मंत्र साधना करने लगा कुछ देर बाद तांत्रिक ने अब्बू को कहा तुम्हारी बेटी का बचना बहुत मुश्किल है लेकिन मेरी बेटी को हुआ क्या है और यह सब क्यों हो रहा है तुम्हारी बेटी पर किसी भूत प्रीत या आत्मा का साया नहीं है अगर ऐसा होता तो मैं शायद तुम्हारी बेटी को बचा भी लेता मतलब तुम्हारी बेटी के जिस्म को एक जिन्न ने अपने काबू में कर रखा है जिन्न बहुत शक्तिशाली होते हैं उन्हें रोकने की ताकत इंसान के पास नहीं है जिन्हो की अपनी एक अलग दुनिया होती है वह हमारी दुनिया में बिना किसी आवाहन के नहीं आते जरूर किसी ने उसे अपने स्वार्थ वश यहां बुलाया होगा लेकिन मेरी बच्ची ही क्यों आप मुझे कल तक का समय दो मैं अपनी साधना से पता लगाता हूं यह जिन यहां क्यों और कैसे आया है और आपकी बच्ची से क्या चाहता है सारी रात आंखों में काटने के बाद अगले दिन सवेरे ही अब्बू तांत्रिक के पास पहुंच गए मैंने सारी रात कब्रिस्तान में तंत्र साधना की है आपकी बच्ची पर बहुत ही शक्तिशाली जिन का साया है इस जिन को इसकी दुनिया में से एक खास मकसद के तहत बुलाया गया था इस हवेली में रहने वाले सम्राट ने अपने अंधी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक ओझा को पैसा देकर जिनो की दुनिया का रास्ता मालूम किया वह बहुत पहुंचा हुआ उज था उसने अपनी महानता सम्राट के समक्ष सिद्ध करने के लिए जिन्हो की दुनिया के राज महाराज के समक्ष साझा कर दिए जुनोनी सम्राट ने सबको जल्दी और आसानी से पाने की जिद में जिन का आवाहन किया अपनी दुनिया छोड़कर आने का क्रोध नेत्रों में भरकर जिनने सम्राट से प्रश्न किया क्यों बनाया मुझे राजा की आंखों में चमक आ गई उसे लगा कि जिन्न की सहायता से वह सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर लेगा मैं चांदपुर का सम्राट हूं तुम मेरी सेवा में हाजिर हुए हो मेरी आज्ञा का पालन करना तुम्हारा धर्म है सम्राट की बात सुनकर जिन ने अठस किया मैं किसी का सेवक नहीं मैं पूछता हूं क्यों बुलाया मुझे न दुगनी तेजी से चिल्लाया और अचानक से पहाड़ की तरफ ऊंचाई में फैलने लगा यह सब देख राजा को घबराहट होने लगी उसने तो ओझा की लिखी पुस्तक में पढ़ा था कि जिन इंसान को अपना आका समझकर उसकी हर मुराद पूरी करता है किंतु यह तो अलग ही मिजाज का न्न है इंसान ने जब जब अपने दायरे से बाहर निकलकर दूसरी दुनिया को जानने की उत्सुकता में कोई भी मूर्खता पूर्ण कदम उठाया है तो उसे विनाश ही हासिल हुआ है मनुष्य बेशक दुनिया का सबसे बुद्धिमान और ताकतवर जीव है किंतु हर बार उसका अध्ययन और अनुमान सटीक बैठे ऐसा जरूरी तो तो नहीं ओझा के अनुमान के उलट ये जिन सृजन नहीं विनाश लेकर आने वाला था जिन फिर से गुराया क्यों बनाया मुझे मेरे लोक से मामा जल्दी घर चलो राहुल  ने आकर मां को झिंझर राहुल  की आवाज से मां वर्तमान में लौट आई क्या हुआ कोई खास बात है क्या मां खुद अपनी आंखों से चलकर देखो क्या हुआ है घर पहुंचकर मां ने जो देख उससे उनका कलेजा मुंह को आ गया मां ने देखा कि मैं खड़ा खड़ा गिर रहा था रागिनी  दोहरी आवाज में कुछ बोल रही थी एक आवाज उसकी खुद की थी जिसमें वह मदद के लिए पुकार रही थी और दूसरी मर्दाना आवाज बहुत भारी और गर्ज के साथ आ रही थी मर्दाना आवाज स्पष्ट नहीं थी लेकिन इतना जरूर समझ आ रहा था कि वो कुछ धमकी भरी बात कर रहा है रागिनी  का शरीर पूरा अकड़ चुका था गर्दन बाए ओर झुकी हुई थी मुंह से बेतहाशा गिरती लार ऊपर की ओर चढ़ी हुई आंखें और दोनों हाथ मानो अलग-अलग दिशा में मरोड़े हुए प्रतीत हो रहे थे उसके खुले बिखरे बाल पूरे दृश्य को और भयावह बना रहे थे दूसरी ओर शालिनी  दीवार की र मुंह किए जाने क्या बड़बड़ा रही थी घर पहुंचते ही इतनी भयानक स्थिति देखकर मां थरथर कांपने लगी हाथ जोड़कर रागिनी  और शालिनी  को छोड़ देने की गुहार करने लगी मां को देखकर शालिनी  भी गुस्से में मां की र ही घोरने लगी सब कुछ इतना अप्रत्याशित और डरावना था कि दिमाग तो जैसे अपना काम ही भूले बैठा था और दिल कह रहा था किसी तरह अपनी जान बचाकर यहां से भाग लो हमसे गलती हुई जो इस हवेली में रहने आ गए तुम जो भी हो हम कल ही यह हवेली खाली करके चले जाएंगे फिर कभी लौट कर ना आने के लिए बस मेरी बच्चियों को बख्श दो मां विलाप कर रही थी तूरी रेश ले जाएगी ने खून से सुरखा आंखे टर कर गर्दन टेढ़ी करके कहा शालिनी  अपना सर दीवार में मारने लगी हवेली में सामान अपने स्थान से गिरने लगे भवन के जरजर पड़े भाग में एक हिस्से की छत गिरने की आवाज से हम सभी की चीख निकल गई उधर व जोर-जोर से अटस कर रही थी हम सभी के क्रोने पीटने के बीच जाने कब अम्मा भी आकर हमारे पीछे खड़ी हो गई हमें पता ही नहीं चला अम्मा ने उर्दू में कुछ लफ्ज फुसफुस है और शालिनी  के सर पर हाथ रख दिया शालिनी  का शरीर तुरंत जिन के कब्जे से मुक्त हो गया अम्मा के मंत्री की ध्वनि सुनकर वेनी कानों पर हाथ लगाए वहां से अपने कमरे की ओर दौड़ पड़ी हवेली में उठ रहा तूफान भी शांत हो गया हम सभी एक दूसरे को गले लगाकर बेसू हुए रोते जा रहे थे अम्मा आज आप ना आती तो वह शैतान मेरी शालिनी  को भी अपने कब्जे में ले लेता वो हम सबको कहीं नहीं जाने देगा हम सब यही एक एक करके मारे जाएंगे राहुल  ने रोते हुए कहा अम्मा आप ही कोई उपाय सुझाए आप अपने मंत्र से मेरी रागिनी  को भीला दीजिए मैं कुछ नहीं कर सकती मैडम यह तो बस कुछ ही देर तक असर करेगा उसके बाद जिन चाहे तो फिर से अपना कब्जा जमा सकता है आप अपनी कहानी पूरी करिए आगे क्या हुआ मुझे पूरा सच जानना है जिनका क्रोध बढ़ गया उसने इफत की मां की सम्राट इफत का अर्थ नहीं समझ सका उसने जिनको धन दौलत कहनों का लालच देने का प्रयत्न किया जिनने क्रोध में अपना आप खो दिया और उसने सम्राट की उसी क्षण हत्या कर दी उसके बाद जिन ने जो भी उसके सामने आया सबका खून पी लिया पूरी हवेली लाशों से पटी पड़ी थी धीरे धीरे वहीं पड़ी सड़ने लगी पूरे गांव में खबर फैलने के कारण कोई भी हवेली के आसपास तक नहीं आया लाशों की सड़न सीलन और हवेली में फैले घुप अंधेरे में जिन को सुक्त अवस्था में पहुंचा दिया बरसों तक इंसानी हलचल ना होने के कारण जिन सबसे भीतर के बदबूदार और सीलन भरे कमरे में लुप्त हो हो गया बरसों बीत गए दशक बाद भी जब वहां कोई अनहोनी ना घटित हुई तो लोग धीरे-धीरे उस हादसे को भूलकर हवेली के आसपास आने जाने लगे फिर अंग्रेजी हुकूमत ने वीरान पड़ी हवेली को डाक बंगला बनाकर मेरे पिताजी को यहां भेज दिया धीरे-धीरे हवेली की साफ सफाई की गई भीतर के जिस कमरे में मेरे अम्मी अब्बू रहने आए वही जिन भी अदृश्य रूप में विद्यमान था दशक बाद इंसानी जिस्म की महक पाकर वो क्रोध में भर उठा किंतु जैसे ही उसने मेरी आपी रेशम को देखा वो उसके जिस्म की महक से मचल उठा इफर वो खुशी से झूम उठा इफर यानी जिन की महिला साथी जिन लोक में उनके लिए धन दौलत ऐश्वर्य किसी भी वस्तु की कोई कमी नहीं थी बस एक ही वस्तु थी जो जिन लोक में नदारद थी वह थी इफ्रिक यानी महिला जिन अक्सर इफत को पाने के लालच में जिन अपना लोक छोड़ इंसानी आवाहन पर धरती लोग चले आते हैं जिन मंत्रों का उच्चारण करके राजा ने जिनको बुलाया था वह सभी अ भाषा में लिखित थे जिनका वास्तविक अर्थ राजन नहीं समझते थे वास्तव में उनका अर्थ ही था आओ इस दुनिया में तुम्हारा स्वागत है अपने लोक के सारे सुखों को त्याग कर आओ आओ तुम्हारी इरत तुम्हारा इंतजार कर रही है आओ और संपूर्णता के एहसास के साथ इस लोक में बसर करो इफत का साथ पाकर स्वयं को अन्य जिनो से श्रेष्ठ घोषित करो जिस इफत के लिए जिन अपना लोक छोड़कर आया था वो उसे मेरी आपी में नजर आ गई 13 बरस की नाजुक सी रुई के फाहे जितनी सफेद और कोमल जिसकी मुस्कुराहट पर मानो हर सिंगार के फूल छड़ते हो जिसकी बोली पूरी हवेली को झनक कर देती थी जिनकी काली नजर उस पर पड़ चुकी थी अब वह किसी भी कीमत पर संपूर्ण होना चाहता था उसने अपनी शक्तियों से अम्मी अब्बू के जीवन में मान सम्मान ऐश्वर्य और रुपयों की बरसात करा दी उनके नेत्रों पर लोभ का पर्दा चढ़ाकर वह धीरे धीरे आप ही को अपने बस में करने लगा जिनने आप ही के दिमाग को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया था आपी के शरीर और उनके जीवन पर वह अपना एकाधिकार समझने लगा था मात्र 15 वरस की आयु में उसने आपी की नाक मेनत पहनाकर उसे अपनी इरित बना लिया था अब वो आपी को अपनी उंगलियों पर नचा रहा था उनकी सोचने समझने की शक्ति को लगभग शून्य सा कर दिया था उसने उनका दिमाग इस कदर जिनके बस में था कि अम्मी अब्बू की बात भी उनको समझ नहीं आ रही थी पूरे 24 घंटे में से तकरीबन आधा घंटा ऐसा होता था जब जिनकी शक्तियां नग्न होती थी उसी दौरान अक्सर कुछ चेतना लौटने पर आपी कमरे से बाहर निकलती या कभी मुस्कुरा भर देती जिनका इंसानी रूह पर कब्जा करने का काम एक पल में नहीं होता धीरे-धीरे व इंसान की रूह को अपना गुलाम बनाता है उस समय अगर आपी अम्मी अब्बू को कुछ बता पाती तो शायद उनको जिन के चंगुल से बचाया जा सकता था अम्मी अब्बू की आंखों पर पड़े लालच और सुख समृद्धि के पर्दे ने उन्हें आपी की ओर देखने ही नहीं दिया जब तक उन्हें पता चला मेरी 15 बरस की कच्ची उम्र की आपी की कोख में उस दुष्ट आत्मा का ंश आ चुका था अब्बू ने तांत्रिक के आगे हाथ पांव जोड़े कि किसी भी तरह वह मेरी आपी को बचा ले पहले तो तांत्रिक ने स्पष्ट मना किया परंतु बाद में वह अपनी शक्तियों के परीक्षण को राजी हो गया अपनी क्षमता के अनुरूप तांत्रिक ने तंत्र मंत्र का सभी सामान एकत्रित किया और तीन ताबीज बनाकर साथ में रख लिए हवेली के दरवाजे पर पहुंचकर जैसे ही उसने पहला कदम अंदर रखा उसे मानो जोर का करंट सा लगा तांत्रिक छिटक कर हवेली के भीतर आ गिरा उसका शरीर नीला पड़ने लगा अब्बू अम्मी तांत्रिक की हालत देखकर जिन की शक्ति का अंदाजा लगा रहे थे किसी तरह गिरते पड़ते भी तांत्रिक ने सारी विधि का सामान जमीन पर बिछाकर जैसे ही त्र शुरू किया एक जोरदार आंधी आई और सब अपने साथ उड़ा ले गई आंधी इतनी तेज थी कि कोई भी अपनी आंखें नहीं खोल पा रहा था आंधी खत्म होने पर जैसे ही तांत्रिक ने आंख खोली आपी को अपने ठीक सामने खड़ा पाया आपी किसी तरह घिस कर चल रही थी तांत्रिक ने एक मुट्ठी राख आपी की और भूकी तो उसे आपी के ऊपर सवार एक धुए की आकृति दिखाई पड़ी तांत्रिक ने अपनी क्रिया प्रारंभ की उसने अब्बू और अम्मी के हाथों में एक ताबीज बांध दिया और तीसरा ताबीज कुछ देर की साधना के बाद आप ही के हाथ पर बांध दिया दरअसल यह वही समय था जब जिन की शक्तियां क्षीण हो चली थी रे मापी को ताबीज बांधने के बाद उसने आंख बंद करके फिर से अपनी शक्तियों का आवाहन किया कुछ देर बाद आंख खोलकर उसने बताया कि जिन का तोड़ उसी किताब में है जिसको पढ़कर उसे दूसरी दुनिया से यहां बुलाया गया था हमें वह पुस्तक खोजनी होगी हवेली के पुस्तक घर में बहुत खोजने के पश्चात तांत्रिक को वह मंत्र पता चल ही गया जिनके माध्यम से जिनको कैद किया जा सकता था या वापस उसके लोक भेजा जा सकता था आशा की किरण दिखाई ही पड़ी थी कि समय सीमा समाप्त होने के कारण जिनकी शक्तियां लौटने लगी वह फिर से आपी को अपने नियंत्रण में करने का प्रयास करने लगा आपी बेतहाशा चीख रही थी अपने नाखूनों से अपना चेहरा और बाल नूच रही थी उसके जिस्म से जगह जगह खून रिसने लगा था अम्मी उसे देखकर गश खा कर गिर अब्बू सन्न खड़े इस खौफनाक मंजर के गवाह बन रहे थे तांत्रिक ने जिनको वापस भेजने वाले मंत्र फूकने शुरू ही किए थे कि मंत्रों की आवाज सुनकर वह क्रोधित हो उठा आपी ने एक झटके में अपना ताबीज उतार कर दूर फेंक दिया वो मर्दाना आवाज में गुरई क्रोध में उसकी आंखों से पानी की जगह खून रिसने लगा इंसान की भांति दो पैरों पर नहीं जानवरों की भांति चार पैरों पर चलते हुए वो एक शिकारी जानवर की भांति तांत्रिक पर लपकी आपी तांत्रिक के सीने पर चढ़ी हुई थी उसके मुंह से टूटे फूटे शब्दों में यही सुनाई पड़ रहा था तू मुझे मेरी इफत से दूर करेगा मैं तुझे दुनिया से दूर भेज दूंगा तांत्रिक को शायद अपना अंत समय दिखाई दे गया था या शायद वह पहले ही समझता था कि वह यहां से जीवित नहीं लौट सकेगा तब भी उसने आपी के लिए इतना बड़ा खतरा उठाने का जोखिम मोल लिया तांत्रिक अभी भी अपनी टूटती सांसों के साथ मंत्र उच्चारण कर रहा था अपनी अंतिम सांस के साथ ही उसने जिन को एक छोटी सी डिबिया में कैद करने का अपना अंतिम मंत्र फूक ही दिया किंतु उसे उसके लोक में वापस नहीं भेज सका आप ही निढाल सी एक तरफ लड़की पड़ी थी एक बेजान शरीर की तरह साथ ही में उस महान तांत्रिक की लाश पड़ी थी एक और बहुत महत्त्वपूर्ण वस्तु जो वहां मौजूद थी वो थी जिन की डिबिया अब्बू को कुछ नहीं सूझ रहा था आगे क्या किया जाए वो दौड़ते हुए चचा के पास गए चचा ने अपने हिंदू मित्र की सहायता से उस डिबिया को इस कमरे में बंद करके बाहर से मंत्र उच्चारण करके बालाजी महाराज के यहां से लाए हुए रक्षा सूत्र से बांध दिया जिन अब इस कमरे में कैद था एहतियातन इस कमरे के साथ के सारे कमरे सदा के लिए बंद कर दिए गए आधी हवेली जिन के लिए छोड़कर बाकी की हवेली में आना जाना होने लगा और आपकी रेशम आपी उनका क्या हुआ जिन तो जा चुका था किंतु आपी अभी भी बेजान सी पड़ी थी उसका शरीर बेहद कमजोर या कहिए एकदम खोखला हो चुका था अभी तक तानी ताकत के प्रभाव से वह चल फिर रही थी किंतु अब तो वह बिस्तर से हिल तक नहीं पाती थी उसके शरीर पर लगे जख्म समय के साथ और ही बढ़ते जा रहे थे साथ ही शैतानी जिन का अंश उनकी कोख में होने से उनकी ताकत क्षीण हो चली थी चार रोज तक जीवन और मृत्यु के साथ संघर्ष करने के बाद अंत में उनकी मौत हो गई आपी की मौत के बाद अम्मी अब्बू बिल्कुल बेसुध हो गए थे अम्मी तो कई-कई रोज तक खाना ही नहीं खाती थी लेकिन सबसे बड़ा सत्य यही है कि मरे हुए के साथ मरा नहीं जाता जीना तो पड़ता ही है इसीलिए अपनी इकलौती संतान को खोकर भी बाकी बची जिंदगी को काटने के लिए अम्मी अब्बू के पास की बस्ती में एक छोटा सा मकान ले लिया और हवेली से सदा के लिए पलायन कर दिया आप ी की मौत के ठीक पाच महीने बाद मेरा जन्म हुआ लेकिन उससे भी अम्मी के निर्जन पड़े मन में कोई हलचल पैदा नहीं हुई मेरा सारा बचपन यूं ही उपेक्षित सा बीता जिन चला तो गया था हमारी जिंदगी से लेकिन एक अजीब सी स मनहूसियत सदा मेरे परिवार का पीछा करती रही अम्मी अब्बू अपनी जवान बेटी की अपनी आंखों के सामने हुई दर्दनाक मौत को कभी भुला ही नहीं पाए आप ही के गम में अम्मी मुझे 12 बरस की उम्र में ही छोड़कर अल्लाह को प्यारी हो गई अब्बू भी चुपकी चादर लपेटे बस अपने दिन काट रहे थे हमारे परिवार की खुशियां तबाह हो चुकी थी 17 बरस में मेरा निकाह हुआ तो लगा अब जीवन में कुछ रंग भर जाएंगे किंतु यहां भी बदकिस्मती से मेरा पीछा नहीं छोड़ा निकाह के कुछ दिन बाद ही मेरे शौहर का इंतकाल हुआ और मैं वापस अब्बू के पास आ गई अब्बू ने कभी नेह भरे दो शब्द भी नहीं बोले थे मुझसे उनके भीतर कहीं गहरे में यह बात समाई थी कि मेरा जन्म उस जिन के प्रलोभन का प्रतिफल है समय बीतता गया और ऐसे ही नीरस जीवन बिताते अब्बू भी अल्लाह को प्यारे हो गए अब बस मैं ही अकेली अपने जीवन के अंतिम दिन गिन रही हूं लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि वो जिन कमरे से बाहर कैसे निकला अम्मा ने अपने भगते कोरो को जल से पूछते हुए कहा हो सकता है उन मंत्रों का प्रभाव खत्म हो गया हो और जिन अपनी डिबिया से निकलकर दरवाजे के खुलने की प्रतीक्षा कर रहा हो रागिनी  ने भूलवश दरवाजा खोला हो और जिन ने उस पर अपना असर दिखा दिया हो रेशम की कहानी सुनने के बाद मां बहुत ब जैन सी नजर आ रही थी रह रह कर उनकी आंखों से आंसू गिरने लगते किंतु आज वो अपनी ममता में ना बहकर विवेक से काम लेना चाहती थी अम्मा अब आप ही सुझाव दे अम्मा मेरी बच्ची भी उस शैतान का अंश अपनी कोख में लिए हुए हैं और शायद उसे अंदाजा हो गया है कि हम कुछ ना कुछ कदम उठाने वाले हैं तभी वि अपने कमरे से बाहर निकल आई अम्मा ने मंत्र पढ़ते हुए हाथ सोने के सर पर रख लिया क्योंकि इस समय वही जिन्न का अगला शिकार थी रागिनी  घटती हुई हॉल में दाखिल हुई अम्मा को लगा मानो उसकी रेशम आप घसीटते चली आ रही हो अगले पल हम क्या देखने वाले थे हमें कोई अंदाजा नहीं था और शायद अंदाजा इस बात का भी नहीं था कि एक बार अपनी रेशम इफत को खोने और बरसों कैद में रहने के बाद जिन्न कई गुना खूंखार और खतरनाक हो चुका था वह किसी भी कीमत पर रागिनी  के शरीर को छोड़ना नहीं चाहता था रागिनी  अम्मा को देखकर मुस्कुराई इतनी भयानक हंसी कि देखकर मेरे भीतर डर की लहर सी दौड़ गई बढ़िया वह फिर से दोहरी आवाज में गुरा चली जा यहां से अम्मा अभी भी मंत्र फुसफुस रही थी रागिनी  ने जोरदार अम्मा की ओर मारी अम्मा की गर्दन एक और लटक गई डर से हमारी चीख निकल गई आज ही तुम सबका काम तमाम करूंगा इस बार मेरी इरत मुझसे दूर नहीं जा सकेगी अचानक रागिनी  के मुह से एक जिन्न की भयानक आवाज सुनाई दी जिन की शक्ति क्ण होने का समय हो गया रागिनी  धीरे धीरे शांत होने लगी अचानक ही वह फिर से उठ बैठी और एक अलग ही आवाज में बात करने लगी व रागिनी  को मेरे जैसा बनाना चाहता है मैं रेशम हूं आज तक इस हवेली में भटक रही हूं मुझे मुक्ति नहीं मिली रागिनी  में उसे मेरा चेहरा दिखता है इसीलिए उसने रागिनी  के दिमाग को अपने बस में करके मेरे जैसा बना दिया है यह बहुत शक्तिशाली जिन है तुम सबको मार डालेगा किसी भी हाल में यह अपना बच्चा इस बार लेकर रहेगा लेकिन यदि इसका बच्चा दुनिया में आया तो इस जिन को यहां से कभी वापस नहीं भेज पाएंगे यह दुनिया जिनो की नहीं है इसमें जिनो को मत आने देना यह अपने साथ भयंकर तबाही लेकर आएगा मेरी शक्ति इस जिन के आगे शून्य है इसीलिए मैं चाहकर भी कोई मदद नहीं कर सकती लेकिन उस किताब का पता बता सकती हूं जिसमें इसे यहां से वापस भेजने के लिए मंत्र लिखे हुए हैं अचानक एक तेज आंधी चली एक किताब आकर उसके सामने गिर पड़ी एक के बाद एक किताब के पन्ने पलटने लगे और एक जगह आकर रुक गए सबसे पहले कागज पर इस मंत्र को लिखकर उसे पानी में घोल देना है उसके बाद उस पानी से एक गोल घेरा बनाकर आप सभी को उसमें बैठकर इन मंत्रों को एक साथ पढ़ना है वह जिन है उसकी ताकत को कम मत समझना वो तुम्हें डराए का भ्रमित करेगा लेकिन तुम रुकना नहीं के बताए अनुसार मां ने जल्दी जल्दी एक कागज में उस किताब से देखकर मंत्र लिखे और एक गिलास पानी में उसे घोल दिया लेकिन यह सब मंत्र तो अरबी में लिखे हुए हैं हम उसे नहीं पढ़ सकते इन्हें अरबी में ही पढ़ना है मैं उनका उच्चारण यहां लिख देती हूं जल्दी करो जिन के लौटने का समय हो रहा है जिन से अपनी बहन को बचाने का एक आखरी उपाय मुझे मिल गया था रेशम के बताए अनुसार हमने सारी तैयारियां कर ली थी मां ने गिलास के पानी में घेरा बनाया और हम सबने एक साथ मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया हम टूटी फूटी जुबा में उस मंत्रों को पढ़ रहे थे मंत्रों की आवाज सुनकर रागिनी  दौड़ती हुई अपने कमरे से बाहर आई वह अपने कानों पर हाथ रखकर पूरी ताकत से चिल्ला रही थी कुछ ही पलों में उसके कानों से खून बहने लगा था आज पहली बार हमने अपनी खुली आंखों से उस भयानक शक्ल वाले जिन्न को अपने सामने पाया रागिनी  दर्द से बिलबिला रही थी हाथ जोड़कर हमसे उन मंत्रों को बंद करने की विनती कर रही थी जिन्न की डरावनी आवाज कमरे में गूंजने लगी मैं अकेले यहां से नहीं जाऊंगा अगर तुमने यह विधि बंद नहीं की तो इसे अभी टुकड़े टुकड़े कर दूंगा मैं रागिनी  के हाथ उल्टी दिशा में घूमने लगे दर्द से उसकी आंखें पलट रही थी मां उसकी हालत देखकर बेसू हो रही थी मां वो यही चाहता है कि हम यह मंत्र बंद कर दे उसकी तरफ मत देखो अपनी जगह से हिलना मत रागिनी  बुरी तरह चीख चीख कर रो रही थी ऐसा लगता था कोई उसके जिस्म को अंदर ही अंदर नोच कर खा रहा हो कभी वो अपने सर दीवारों पर मारती तो कभी अपनी बालों को खींचती उसकी एक-एक चीख हमारी आत्मा खून के आंसू रो रही थी लेकिन रेशम के बताए अनुसार बिना डरे हमने पूरे 108 बार उन मंत्रों को पढ़ा अंत में एक जोरदार चीख के साथ रागिनी  उछल पर दूर गिर पड़ी ऐसा लगा जैसे उसके शरीर को बिजली का झटका लग गया हो अगले ही पल सब कुछ शांत हो गया था शायद जिन अपने लोक में वापस चला गया था रागिनी  की हालत बहुत खराब थी उसके शरीर के लगभग हर हिस्से से खून बह रहा था हम उसे लेकर अस्पताल भागे महीनों के इलाज के बाद अंत में मेरी बहन स्वस्थ हो गई उसके पेट में पल रहा वह शैतानी बच्चा भी शैतान के जाते ही अपने आप गायब हो गया का शरीर तो स्वस्थ हो गया था लेकिन इस सबका उसके दिमाग पर इतना गहरा असर हुआ कि मेरी बहन कभी सामान्य जीवन नहीं जी सकी उसने अपनी बाकी की सारी जिंदगी एक जिंदा लाश बनकर ही गुजारी उस हवेली ने हमें इतने गहरे जख्म दिए जिसे हम कभी भुला नहीं सके ।