Ishq da Mara - 57 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 57

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इश्क दा मारा - 57

गीतिका चुप हो जाती है और कुछ बोलती नहीं है। तब यूवी बोलता है, "क्या हुआ अब चुप क्यों हो गई हो ???

तब गीतिका बोलती है, "कुछ नहीं "।

तब यूवी बोलता है, "देखो अब ये रूठने मनाने का खेल, बाद में खेलना, मेरे पास अभी टाइम नहीं है और जल्दी से बताओ कहा मिलना है, मैं आ रहा हूं"।

ये सुनते ही गीतिका चौक कर बोलती है, "तुम कहा आ रहे हो ????

तब यूवी बोलता है, "जहां तुम बोलो "।

तब गीतिका बोलती है, "अभी तक सोचा नहीं है कुछ भी, की क्या बहाना बनाऊं, और कहा आऊ"।

तब यूवी बोलता है,"तुम्हारा दिमाग खराब है, मैं इधर तैयार बैठा हूं और तुमने अभी तक कुछ सोचा भी नहीं है "।

तब गीतिका बोलती है, "सोच तो रही हूं "।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "अच्छा तो आप कब तक सोचेंगे, मुझे ये भी बता दीजिए, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि आप इस जन्म में सोच लेंगी, अब मुझे आप से मिलने के लिए अगला जन्म लेना होगा"।

तब गीतिका बोलती है, "गुस्सा क्यों हो रहे हो, बस आधे घंटे का टाईम दे दो, प्लीज..........

तब यूवी बोलता है, "लगता है मैने गलत इंसान से प्यार कर लिया है, इससे अच्छा तो मैं रानी से ही प्यार कर लेता, इतना तड़पाती तो नहीं"।

ये सुनते ही गीतिका को गुस्सा आता है और वह बोलती है, "ओह.... तो हो गया तुम्हे गलती का एहसास, चलो अच्छी बात है, और मुझे भी कोई तुम से मिलने का शोक नहीं है, जाओ अब अपनी रानी से ही मिलो और मुझे कॉल मत करना अब "।

तब यूवी बोलता है, "क्या हुआ गुस्सा आ रहा है "।

तब गीतिका बोलती है, "हा इतना गुस्सा आ रहा है कि तुम्हारा सर फोड़ने का मन कर रहा है"।

तब यूवी बोलता है, "मगर सर फोड़ने के लिए भी मिलना पड़ेगा..... देखो अब ज्यादा टाइम वेस्ट मत करो और जल्दी से कोई बहाना बनाओ "।

उसके बाद यूवी फोन रख देता है।

गीतिका मीरा से बोलती है, "मीरा बताओ ना कोई बहाना "।

तब मीरा बोलती है, "तुम ऐसा करो, कि पापा को जा कर बोलो, की तुम्हे आगे पढ़ना है और तुम कॉलेज में एडमिशन करवाना है"।

ये सुनते ही गीतिका खुश हो जाती है और बोलती है, "अरे वाह ये तो बड़ा ही अच्छा आइडिया है "।

उधर बंटी बोलता है, "क्या बात है, बड़ा ही बेकरार हो रहा है तू उससे मिलने के लिए "।

तब यूवी बोलता है, "तुझे क्या परेशानी हो रही है "।

तब बंटी बोलता है, "परेशानी तो मुझे कुछ नहीं हो रही है, बस एक गाना याद आ रहा है, साजन मेरा उस पार है और मिलने को दिल बेकरार है"।

तभी यूवी बंटी को तकिया फेक कर मारता है।

उधर गीतिका बहुत ही खुश होती है और बोलती है, "बहन मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि फूफा जी मान गए"।

तब मीरा बोलती है, "अब तू बाद में यकीन कर लियो, चल अब जल्दी से मैसेज कर भाई को और बता दे कहा आना है "।

थोड़ी देर बाद........

कॉलेज के सामने एक रेस्टोरेंट होता है। गीतिका वहां पर मीरा के साथ पहुंच जाती है। वो दोनों वहां पर जा कर चौक जाते हैं।

क्योंकि यूवी वहां पर पहले से बैठा रहता है। तब मीरा गीतिका से बोलती है, "जाओ भाई तुम्हारे इंतजार में ना जाने कब से बैठे हुए हैं, तब तक मैं अपनी फ्रेंड से बात करती हूं "।

गीतिका यूवी के पास पहुंच जाती है। यूवी नज़रे उठा कर बोलता है, "बड़ी ही जल्दी आ गई आप "।

तभी यूवी उठता है और गीतिका को बैठने के लिए चेयर आगे करता है। गीतिका बैठ जाती है।

तब यूवी बोलता है, "हा बोलो अब .......

तब गीतिका बोलती है, "क्या बोलूं ?????

तब यूवी बोलता है, "यही की तुम मुझ से प्यार करती हो या नहीं ............