रात के करीब 8:30 बज रहे थे। ऑफिस से लौटने के बाद सहदेव ने जल्दी से खाना खा लिया था और अब अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था। उसके कमरे में सिर्फ लैपटॉप की रोशनी और खिड़की से आती चांदनी की हल्की चमक थी। पूरा दिन उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी—कैसे वह इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकता है।
वह एक कुशल कंटेंट राइटर था, और उसे अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा था। लेकिन मनीषा के रवैये ने उसे बार-बार यह महसूस कराया कि उसकी योग्यता को नजरअंदाज किया जा रहा है। उसे साबित करना था कि वह इस प्रोजेक्ट का जरूरी हिस्सा है।
जैसे ही उसने 'गियरपॉड' प्रोजेक्ट के लिए कुछ आइडियाज लिखने शुरू किए, उसका फोन बजा। स्क्रीन पर उसकी मां का नाम चमक रहा था।
सहदेव ने फोन उठाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मम्मी, प्रणाम। कैसी हो आप?"
दूसरी तरफ से उसकी मां की प्यारी और स्नेहपूर्ण आवाज आई, "जीते रहो बेटा। तरक्की करो। भगवान तुम्हारे हर काम पूरे करें।"
सहदेव ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं। मां की आवाज में एक अलग ही सुकून था।
"तुम्हारा खाना हुआ?" मां ने पूछा।
"हां, मम्मी। बस खाकर अभी काम कर रहा हूं।"
"रात को इतना काम करना ठीक नहीं है, बेटा। थोड़ा आराम भी कर लिया करो।"
"मम्मी, ये प्रोजेक्ट मेरे लिए बहुत जरूरी है। मैं चाहता हूं कि मेरी मेहनत दिखे।"
"ठीक है, बेटा। लेकिन खुद का ख्याल रखना भी जरूरी है। तुम्हारे पापा कहते हैं कि बेटा बहुत मेहनत करता है। हमें तुम पर गर्व है।"
सहदेव की आंखों में हल्की नमी आ गई। उसने जल्दी से बात बदलते हुए कहा, "पापा कैसे हैं?"
"ठीक हैं। बस तुम्हारी चिंता करते रहते हैं।"
"उन्हें बोलना कि मैं बिल्कुल ठीक हूं। और हां, आप लोग समय पर खाना खा लिया करो।"
"हम तो 8 बजे खा लेते हैं। अब तुम अपना ख्याल रखना। ज्यादा देर मत करना।"
"ठीक है, मम्मी। आप आराम करो। मैं बात करता हूं बाद में।"
फोन रखने के बाद सहदेव कुछ देर तक चुपचाप बैठा रहा। मां की बातों ने उसे थोड़ा भावुक कर दिया था, लेकिन साथ ही उसे अंदर से एक नई ऊर्जा भी मिली।
उसने अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की। उसने एक नई डॉक्युमेंट फाइल खोली और उसमें 'गियरपॉड' के लिए अपने आइडियाज लिखने शुरू किए। वह जानता था कि सिर्फ क्रिएटिविटी दिखाने से काम नहीं चलेगा। उसे अपनी योजना को इस तरह पेश करना होगा कि यह व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी प्रभावशाली लगे।
- उसने 'गियरपॉड' के लिए तीन प्रमुख मार्केटिंग थीम्स पर फोकस किया:
1. डिजिटल डोमिनेंस : सोशल मीडिया पर इंटरएक्टिव कैंपेन जो युवाओं को आकर्षित कर सके।
2. फिटनेस चैलेंज : फिटनेस प्रेमियों को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल चैलेंज, जहां वे अपने डेली एक्टिविटी स्टैट्स साझा कर सकें।
3. प्रोफेशनल ब्रांडिंग : बिज़नेस प्रोफेशनल्स के लिए वॉच की उपयोगिता को हाइलाइट करने वाले वेबिनार्स और प्रमोशनल वीडियोज।
सहदेव ने अपने कंटेंट को इस तरह डिजाइन किया कि हर बिंदु सीधे यश टेक्नोलॉजीज़ के लक्षित ग्राहकों से जुड़ सके। उसने मार्केट एनालिसिस का भी जिक्र किया, जो यह दिखा सके कि इस रणनीति से कंपनी की सेल्स और ब्रांड वैल्यू में कितना इजाफा हो सकता है।
अगले दिन ऑफिस में, सहदेव ने अपनी योजना अपने दोस्त मनोज को दिखाई।
"भाई, यह तो शानदार है! लेकिन सवाल यह है कि तुम इसे मनीषा के सामने कैसे पेश करोगे?" मनोज ने पूछा।
"मैं इसे सीधे मनीषा को नहीं दिखाऊंगा। पहले इसे अनीता के पास ले जाऊंगा। अगर उसे यह पसंद आया, तो वह इसे टीम के सामने रखेगी।"
"और अगर मनीषा फिर भी इसे रिजेक्ट कर दे?"
"तो मैं उसका दूसरा रास्ता निकालूंगा। लेकिन कोशिश करना मेरी जिम्मेदारी है।"
सहदेव ने अपनी योजना लेकर अनीता के केबिन में गया।
"अनीता मैम, मैं जानता हूं कि आप व्यस्त हैं। लेकिन क्या मैं आपसे 10 मिनट का समय ले सकता हूं?"
अनीता ने उसे बैठने का इशारा किया। "बोलो, सहदेव। क्या बात है?"
"यह 'गियरपॉड' प्रोजेक्ट के लिए मेरी कुछ मार्केटिंग रणनीतियां हैं। मैंने इसे रातभर काम करके तैयार किया है। अगर आपको लगे कि इसमें कुछ उपयोगी है, तो इसे टीम के साथ साझा करें।"
अनीता ने उसकी फाइल ली और उसे ध्यान से पढ़ा। जैसे-जैसे वह पढ़ रही थी, उसके चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे।
"सहदेव, मुझे कहना होगा कि यह वाकई प्रभावशाली है। तुमने हर पहलू पर ध्यान दिया है। मैं इसे टीम के साथ साझा करूंगी। लेकिन तुम जानते हो कि मनीषा को मनाना आसान नहीं होगा।"
"मुझे बस यही चाहिए कि यह विचार उसके सामने रखा जाए। उसके बाद फैसला उसका होगा," सहदेव ने आत्मविश्वास से कहा।
शाम को टीम मीटिंग में, अनीता ने सहदेव की योजना प्रस्तुत की। जैसे ही मनीषा ने फाइल को देखा, उसने बिना किसी भावना के कहा, "यह किसका काम है?"
अनीता ने जवाब दिया, "यह सहदेव का आइडिया है। मैंने इसे पढ़ा और लगा कि यह प्रोजेक्ट के लिए उपयोगी हो सकता है।"
मनीषा ने कुछ देर तक फाइल को देखा और फिर टीम के बाकी सदस्यों की ओर देखा। "यह आइडिया अच्छा है। लेकिन क्या सहदेव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए तैयार है?"
अनीता ने उसकी तरफ देखा और कहा, "सहदेव ने इस पर काफी मेहनत की है। मैं मानती हूं कि उसे एक मौका दिया जाना चाहिए।"
मनीषा कुछ देर तक सोचती रही और फिर बोली, "ठीक है। लेकिन याद रहे, अगर यह योजना सफल नहीं हुई, तो इसका पूरा जिम्मा सहदेव पर होगा।"
यह सुनकर सहदेव की आंखों में एक नई चमक आ गई। यह उसकी पहली जीत थी। अब उसे इस जिम्मेदारी को निभाना था और साबित करना था कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे उपयुक्त है।
उसने खुद से वादा किया कि वह इस मौके का पूरा फायदा उठाएगा। उसे पता था कि यह सिर्फ शुरुआत थी। आगे की राह मुश्किल थी, लेकिन वह तैयार था।
आगे क्या होगा?
क्या सहदेव अपनी योजना को सफलतापूर्वक लागू कर पाएगा? या फिर मनीषा उसके रास्ते में नई रुकावटें खड़ी करेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।