truth of the night in Hindi Horror Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | रात की सच्चाई

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रात की सच्चाई

रात की सच्चाई

गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसे लोग "कालवन" के नाम से जानते थे। कहते थे कि वहाँ सूरज ढलने के बाद कोई जिंदा नहीं लौटता। इस जंगल के बारे में अजीब-अजीब कहानियाँ सुनाई जाती थीं, लेकिन कोई भी सच नहीं जानता था।

रवि, जो शहर से गाँव अपने दादा के पास छुट्टियां मनाने आया था, इन बातों को झूठ मानता था। उसे लगा कि ये बस पुराने लोगों के डर फैलाने के किस्से हैं। एक रात, हिम्मत दिखाने के लिए उसने अपने दोस्तों से शर्त लगा ली कि वह कालवन में जाकर लौटेगा।

रात का वक्त था, चाँद हल्का-सा बादलों में छिपा हुआ था। रवि ने टॉर्च लेकर जंगल की ओर कदम बढ़ाए। शुरू में सब कुछ शांत था, बस पेड़ों से गिरती पत्तियों की आवाजें और उसकी सांसों की गूंज सुनाई दे रही थीं। लेकिन जैसे-जैसे वह जंगल के अंदर बढ़ता गया, उसे महसूस हुआ कि कोई उसकी हरकतों पर नजर रख रहा है।

रवि ने ध्यान नहीं दिया और आगे बढ़ता गया। अचानक, उसे लगा जैसे उसके पीछे किसी के कदमों की आहट हो रही है। उसने मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। डर अब उसके दिल में घर कर चुका था। उसने सोचा कि वापस लौट जाना चाहिए, लेकिन तभी उसके टॉर्च की रोशनी में एक पुरानी टूटी-फूटी झोपड़ी नजर आई।

जिज्ञासा से भरा रवि उस झोपड़ी की ओर बढ़ा। झोपड़ी का दरवाजा धीरे-धीरे खुला, और अंदर अंधेरा था। लेकिन जैसे ही उसने कदम रखा, दरवाजा खुद-ब-खुद बंद हो गया। अब उसे समझ में आया कि वह बड़ी गलती कर चुका है। झोपड़ी के अंदर से किसी के फुसफुसाने की आवाजें आने लगीं।

"तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था," एक भारी, भयानक आवाज गूँजी।

रवि के पसीने छूट गए। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह हिल तक नहीं रहा था। तभी उसकी टॉर्च बंद हो गई, और पूरे कमरे में अंधेरा छा गया।

अचानक, उसे अपने पीछे ठंडी सांसों का अहसास हुआ। उसने मुड़कर देखा, तो वहाँ एक साया खड़ा था। उसकी आँखें लाल और चमकदार थीं। रवि चीख भी नहीं पाया, क्योंकि उसका गला जैसे जम गया था।

अगले दिन गाँव के लोग रवि को ढूंढने जंगल गए। उन्हें उसकी टॉर्च और जूते झोपड़ी के पास मिले, लेकिन रवि का कोई नामोनिशान नहीं था। कहते हैं, आज भी जब कालवन में कोई जाता है, तो वहाँ से रवि की चीखें सुनाई देती हैं।

और उस झोपड़ी का दरवाजा? वह आज भी अपने अगले शिकार का इंतजार कर रहा है।
अंधेरा जंगल ओर अर्जुन 

रात गहरी थी, चाँद बादलों में छिपा था। अर्जुन ने हिम्मत कर कालवन जंगल में कदम रखा, जिसे लोग अभिशप्त मानते थे। कुछ दूर चलते ही उसे ठंडी हवा और सरसराहट सुनाई देने लगी। अचानक, एक पुरानी झोपड़ी दिखी। अंदर झाँकते ही दरवाजा बंद हो गया। कमरे में अंधेरा और सर्दी बढ़ गई। दीवारों पर खून से अजीब निशान बने थे। तभी, पीछे से किसी ने फुसफुसाया, "तुम आ गए..." अर्जुन ने पलटकर देखा—लाल आँखों वाला परछाईं उसकी ओर बढ़ रहा था। उसकी चीख जंगल में गूँज उठी। सुबह, वहाँ सिर्फ उसकी टॉर्च और जूतों के निशान मिले।