नई दुल्हन
गर्मियों की एक सुनहरी सुबह थी। गाँव के बड़े से आँगन में एक नई दुल्हन, नेहा, अपनी ससुराल के पहले दिन का अनुभव ले रही थी। लाल साड़ी में सजी नेहा की आँखों में थोड़ी घबराहट और उत्सुकता का मिला-जुला भाव था। उसने सोचा था कि ससुराल में आना एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन यहाँ का माहौल बिल्कुल अलग था।
ससुराल का घर बहुत बड़ा था, चारों तरफ आम, नीम और जामुन के पेड़ थे। घर के बड़े बरामदे में हर कोई व्यस्त था। नेहा की सास, जो ममता की मूर्ति थीं, उसके लिए रसोई में कुछ खास पकवान बना रही थीं। ससुर जी अखबार पढ़ते हुए मुस्कुरा रहे थे, और देवरानी उसे बार-बार छेड़ रही थी, "भाभी, आपकी रसोई परीक्षा की तैयारी हो गई?"
नेहा को आज पहली बार चूल्हा छूना था। ये परंपरा थी कि नई दुल्हन पहले दिन पूरे परिवार के लिए कुछ खास बनाए। नेहा को थोड़ा डर लग रहा था, क्योंकि उसने पहले कभी इतनी बड़ी रसोई में काम नहीं किया था। लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और अपने दिल में सोचा, "अगर सच्चे दिल से कोशिश की जाए, तो सब अच्छा होगा।"
रसोई में पहुँचने के बाद उसने अपने देवर, रोहन, से मदद ली। रोहन ने मजाक करते हुए कहा, "भाभी, अगर खाना जल गया तो हम सबके लिए बाहर से समोसे मंगा लेंगे।" नेहा मुस्कुरा दी।
नेहा ने खीर बनाने का सोचा, क्योंकि उसकी माँ कहती थी कि खीर मिठास लाने का सबसे अच्छा तरीका है। जब उसने खीर बनाकर सबके सामने परोसी, तो सबने एक-एक चम्मच चखी। पल भर के लिए खामोशी छा गई। नेहा के दिल की धड़कन तेज हो गई।
तभी ससुर जी बोले, "नेहा बेटा, तुमने तो कमाल कर दिया! यह खीर तो बिल्कुल स्वर्ग का स्वाद देती है।" पूरे परिवार ने तालियाँ बजाईं। नेहा की सास ने उसे गले से लगा लिया और कहा, "बेटा, तुमने आज इस घर में सच में मिठास घोल दी।"
नेहा की आँखों में खुशी के आँसू थे। उसने महसूस किया कि यह घर सच में उसका परिवार बन गया है। नई दुल्हन का डर अब कहीं गायब हो गया था, और उसने खुद को इस नए सफर के लिए तैयार पाया।
और इस तरह नेहा ने ससुराल में अपने पहले दिन को यादगार बना दिया।
नेहा की शादी बड़े धूमधाम से हुई थी, और वह अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए ससुराल पहुंची। ससुराल का माहौल उसे नया और थोड़ा अजनबी लग रहा था। हालाँकि, नेहा ने बचपन से ही सुना था कि ससुराल में नए रिश्तों को अपनाने और निभाने में समय लगता है।
पहले दिन से ही नेहा ने यह तय कर लिया था कि वह अपने ससुराल को अपना परिवार मानकर हर किसी के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएगी। सासु माँ, जो थोड़ी सख्त स्वभाव की थीं, नेहा को परखने लगीं। लेकिन नेहा ने हर काम को पूरी लगन से करने की कोशिश की। सुबह जल्दी उठकर पूजा करना, ससुराल के हर सदस्य की पसंद-नापसंद का ध्यान रखना और घर के कामों में हाथ बंटाना—नेहा ने हर भूमिका को बखूबी निभाने की कोशिश की।
हालाँकि, यह सफर इतना आसान नहीं था। उसकी ननद, काजल, को लगता था कि नेहा केवल दिखावा कर रही है। वह अक्सर नेहा के काम में गलतियाँ निकालती और उसे ताने मारती। नेहा ने इसे चुपचाप सहन किया और काजल के साथ मधुर व्यवहार बनाए रखने की कोशिश करती रही।
उसके पति, आर्यन, नेहा को बहुत समझते थे। जब भी नेहा परेशान होती, आर्यन उसे समझाते और उसका हौसला बढ़ाते। धीरे-धीरे, नेहा के समर्पण और धैर्य ने सबका दिल जीतना शुरू कर दिया। सासु माँ को नेहा का व्यवहार पसंद आने लगा और उन्होंने महसूस किया कि नेहा घर को एकजुट रखने की कोशिश कर रही है।
एक दिन, नेहा ने देखा कि काजल कुछ परेशान है। उसने काजल से बात करने की कोशिश की और पता चला कि काजल के करियर को लेकर घर में कोई उसका समर्थन नहीं कर रहा था। नेहा ने काजल को भरोसा दिलाया कि वह उसकी हर संभव मदद करेगी। उसने आर्यन और अपने ससुर से बात की और काजल के सपनों को पूरा करने में उनका समर्थन हासिल किया।
नेहा के इस कदम ने काजल का नजरिया बदल दिया। उसने पहली बार नेहा को गले लगाते हुए कहा, "भाभी, आप सही मायनों में मेरे लिए बड़ी बहन जैसी हैं।"
इस तरह, नेहा ने अपने धैर्य, समझदारी और प्रेम से अपने ससुराल को अपना बना लिया। हर रिश्ते को निभाने के लिए उसने खुद को बदलने की कोशिश की और धीरे-धीरे सबका दिल जीत लिया।