Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 21 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 21

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 21


शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल ( पार्ट -२१)


बहुत सारे सवाल और जवाब हैं

लेकिन सच कम बोला जाता है

भाई ये कोर्ट का मामला है!
ग़लतबयानी जीतती है 

जांच सतही है
पकड़ा गया चोर उसको मानते है

छोटा आदमी जल्द ही पकड़ लिया गया
बड़े-बड़े गुनहगार निकल जाते हैं...
-----------

शुभम को वो दिन याद आया जब युक्ति की चिठ्ठी लेकर उसके भाई के घर पहूंचा था।
भाई रवि ने चिट्ठी पढ़ी 

अब आगे...

चिठ्ठी पढ़कर रवि खुश दिखाई नहीं दिया। 
रवि सोच कर बोला 
  रवि:-"बस इतना ही..इसके अलावा?"

डॉक्टर शुभम:- "हां.. मैंने युक्ति का मामला पढ़ा था लेकिन यह एक पुलिस जांच थी। लेकिन मुख्य बात क्या थी जिसने युक्ति को अपने पिता को मारने के लिए मजबूर किया। साथ ही वह अक्सर हिंसक भी होती थी? उसने किस तरह से आपके पिता को मार डाला?  हत्या का कारण भी? मुझे यह भी पता चला कि तुम अपने पिता से नफरत करते थे। शायद तुमने अपने पिताजी की हत्या की हो और युक्ति फंस गई हों ऐसा तो नहीं है ना! मैं जानता हूं कि तुम अपनी बहन से बहुत प्रेम करते हो और युक्ति भी तुम्हें याद करते रो लेती है। लगता है कि युक्ति बहुत संवेदनशील है। क्या कोई दूसरी वजह है जिससे उसके मस्तिष्क में ऐसी वारदात करने वाली घटनाएं बनीं हो। और तुम्हारे पिताजी क्या काम करते थे? रवि तुम्हारे पर किस तरह का केस हुआ था वो भी बता देना। युक्ति अक्सर अपने भाई की चिंता करती रहती है।"

रवि:-"डॉक्टर साहब, आपने एक साथ इतने सारे सवाल पूछे हैं कि मैं सही तरहसे जवाब देने में सक्षम नहीं हूं। और मैं आपके सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हूं। आप एक मेहमान के रूप में आए हैं। साथ ही, आप मेरी बहन के लिए एक अच्छे डॉक्टर हैं।इसलिए मैं आपका सम्मान करता हूं। आपका अपमान नहीं कर सकता।आप बहुत दूर से आए हैं, इसलिए आप कुछ देर बैठिए, नाश्ता और चाय पानी देना मेरा कर्तव्य है। "


डॉक्टर शुभम:-" नहीं. नहीं.. मैं हाईवे होटल पर नाश्ता करके आया हूं. जवाब देना या न देना आपके ऊपर है. बस पूछ रहा हूं. मैं एक डॉक्टर हूं, पुलिसकर्मी नहीं."

रवि:-"नाश्ते में चाय न मिले तो कोई बात नहीं, लेकिन शरबत तो पीना ही पड़ेगा।"

कुछ ही मिनटों में रवि डॉक्टर के लिए शरबत बनाकर ले आया।

दोनों कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहे

तब डॉक्टर ने कहा:- "ठीक है तो मैं चला जाऊंगा। लेकिन शायद एक-दो साल में युक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार हो जाएगा। अगर मैं उसकी सजा को और भी कम करने की कोशिश करूंगा तो शायद उसकी सारी सजा माफ कर दी जाएगी। फिर मैं उसे तुम्हारे घर भेज दूंगा।"

रवि:-"आपने एक अच्छे इंसान के रूप में बात की। मुझे खुशी है कि मेरी बहन की सजा कम हो जाएगी और उसकी रिकवरी भी अच्छी हो जाएगी..लेकिन..।"

इतना कहकर रवि रुक गया.

डॉक्टर:-"तुम रुक क्यों गए? अगर युक्ति की सजा माफ कर दी जाए तो तुम्हारी बदनामी नहीं होगी। मुझे सजा कम करने का कोई आधार चाहिए। कहना हो तो कहो कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है।"

रवि:-"ठीक है.. ठीक है.. मैं सोच रहा हूं कि मुझे क्या करना चाहिए। बस मुझे पांच मिनट दीजिए। मैं फोन करके आ रहा हूं।"

डॉक्टर:-"ठीक है.. मैं दस मिनट और इंतजार करूंगा।"

रवि दूसरे कमरे में चला गया।

डॉक्टर को लगा कि रवि फोन पर किसी से बात कर रहा है।
पांच मिनट तक इंतजार करने के बाद भी रवि की बात खत्म होती नहीं दिख रही थी करीब आठ मिनट तक इंतजार करने के बाद रवि डॉक्टर के पास आया।

रवि:-" क्षमा करें.. थोड़ी देर हो गई। मैं आपको युक्ति के बारे में बताने के लिए तैयार हूं लेकिन पहले आपको मेरी शर्त माननी होगी।"

यह सुनकर डॉक्टर खुश हो गया।
कहा:- "यह इस पर निर्भर करता है कि आप मुझे युक्ति के बारे में क्या बताने वाले हो।"

रवि:-" ठीक है..देखो मैं तुम्हें जो बताने जा रहा हूं, उसे युक्ति को बताने की जरूरत नहीं है। साथ ही, अगर वह ठीक हो जाती है, तो मैं एक भाई के रूप में खुश रहूंगा। लेकिन अब मैं युक्ति  के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता। उसके कारण ही मेरी बहुत बदनामी हो गई। दिन-ब-दिन इस गांव में रहना मेरे लिए मुश्किल हो गया है। इसलिए मैं अपना सामान पैक कर रहा था और आप आ गये।"

डॉक्टर:-"ओह.. तो भविष्य में मुझे आपसे कैसे संपर्क करना चाहिए? आप कौन से गांव या शहर जा रहे हैं? अगर हम युक्ति को डिस्चार्ज कर दें तो हमें उसे कहां भेजना चाहिए?"

रवि:-"देखिए डॉक्टर साहब, मुझे नए शहर में शिफ्ट होना है, शहर का नाम तो मैं नहीं बता सकता। क्योंकि मुझे अपनी नई पहचान के साथ रहना है। आपको पता ही होगा कि अतीत हमेशा मुझे परेशान करता रहता है। वांछनीय है कि युक्ति ठीक हो जाए। फिर भी युक्ति अब ऐसी बहन नहीं है कि मैं उसे अपने साथ रखूं। शायद भविष्य में मैं ज्यादा बदनाम हो सकता हूं। मैं अपनी लाइफ मेरी तरहसे जीना चाहता हूं।बेहतर होगा कि तुम इसके लिए उचित व्यवस्था करो। नये शहर में मैं शादी करके शांति से रहना चाहता हूं।मेरा मोबाइल नंबर भी बदलने वाला है।"

डॉक्टर शुभम:- "युक्ति तुम्हारी बहन है। तुम उसके साथ ऐसा व्यवहार करोगे? बिना किसी कारण के!"
( आगे जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे