Humraz - 3 in Hindi Crime Stories by Gajendra Kudmate books and stories PDF | हमराज - 3

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हमराज - 3

ज़ेबा अभी थोड़ी ही संभली थी के उसे यासीन का फोन आया और उसने कहा, " हेलो ज़ेबा, क्या कर रही हो. " ज़ेबा ने कहा, कुछ खास नहीं, तुम बोलो क्या कहना चाहती हो." फिर यासीन ने कहा, " आज बात हुई के नहीं उससे " "उससे याने किस की बात कर रही हो यासीन:" ऐसा चौंककर ज़ेबा ने कहां. फिर यासीन बोली, " अरे बुद्धू वही तेरा आशिक जो है के रोज आता है, आज मैंने देखा उसे जब में मेरे घर की तरफ जा रही थी तो उसने मौका पाकर तुम्हारे क़रीब आने की कोशिश की. मुझे लगा शायद उसने तुम्हे आवाज दी होगी, तो क्या जवाब दिया तुमने " बादल के बारे में सोचकर पहले से ही बेचैन ज़ेबा यह सुनकर बेचैन हो गयी और कुछ बोल नहीं पायी. " मेरी जान कहाँ खो गयी, उस आशिक कि खयालो में तो नहीं खो गयी आ आ." सामने से यासीन इठलाती हुई बोली. तब गुस्से में आकर ज़ेबा बोली, " बेशर्म, बेहया तुझे कुछ शर्म आती है या नहीं जो मुंह में आता है वह बकती रहती है. यह इश्क वीश्क, प्यार व्यार कुछ नहीं होता. यह तो पाप होता है तेरे लीये ना हो लेकिन यह मेरे लीये तो एक भयानक गुनाह है. आइंदा इस बारे में तूने कोई भी बकवास की तो मै तुझसे बात करना बंद कर दूंगी. फिर ढूंढती रहना दुूसरी कोई ज़ेबा दोस्ती करने के लीये। ज़ेबा गुस्से से तीलमीला रही थी और उसने फोन रख दिया.

    अनजाने में ज़ेबा यह जानती ही नहीं थी के गुस्से में ज्यादा आवाज में यासीन से बोल गयी. इस कारण से ज़ेबा की कही कुछ अधूरी सी बाते अम्मी ने अपने कानों से सुन ली थी. फिर अम्मी चुपके से ज़ेबा के कमरे में आयी तो उन्होंने ज़ेबा को परेशान और बेचैन देखा. तब उन्होंने सोचा बच्ची पहले से ही डरी सहमी है तो वह बात अभी छेड़ना लाजमी नहीं होगा. फिर अम्मी ने ज़ेबा के कमरे के बाहर जाकर आवाज लगायी, " ज़ेबा, बेटा जरा नीचे आओगी मुझे कुछ तुम्हे बताना और दिखाना है. फिर ज़ेबा ने कहा, " आयी, अम्मी." कहकर वह भागकर अम्मी के पास पहुँच गयी. फिर अम्मी ने उसे इथर उधर की बाते बताकर उसके दिल और दिमाग को ठंडा किया. अगले दिन फिर ज़ेबा कॉलेज जाने के लीये नीकली तो थोड़ी घबराई हुई थी. उसकी अम्मी ने वह घबराहट ज़ेबा के चहरे पर पढ़ली थी. इस कारण से आज अम्मी ने खिड़की की ओट से ज़ेबा के ऊपर नजर रखी. फिर ज़ेबा नीकली और अपने कॉलेज के रास्ते पर चली जा रही थी. तभी बादल भी उसके पीछे पीछे नीकला तो वह अम्मी को दिखाई दिया. अम्मी बादल को जानती थी तो अम्मी ने उसे छोड़कर उसके बाद जानेवालों पर पैनी नजर रखी. अम्मी को देखते हुए करीब करीब आधा घंटा हो चला था, वहाँ से कई लोग गुजरे लेकिन ऐसा कोई भी शकजदा इंसान उन्हें दिखा नहीं. इसलियें वह भी खिड़की से उठकर अपने घर के काम करने के लीये चली गयी. इधर आज बादल की हिम्मत बहोत बढ़ गयी थी, इस कारण से आज उसने कॉलेज जाते समय ही ज़ेबा से बात करने की ठान ली और ऐसा वह करने जा रहा था. तभी यासीन वहाँ ज़ेबा कि करीब आ गयी. अब बादल को समझ नहीं आ रहा था की ज़ेबा से बात करे या ना करे. क्यों की वह भी चाहता था की उन दोनों के आपस की बात किसी को भी पता न चले. लेकिन आज बादल की हिम्मत एक अलग ही मुकाम पर पहुंची हुई थी. तो वह आगे जाकर लौटकर ज़ेबा के सामने आकर रुक गया. बादल को ऐसे आगे देखकर ज़ेबा तो कुछ बोल नहीं पायी, लेकिन यासीन ने कहा, " क्या है भाई, क्या चाहते हो और यूँ हमारे सामने आकर क्यों रुके हो. आपको किसी का डर लगता है की नहीं " तब बादल बोला, " देखियें मुझे ज़ेबा से बात करनी है" फिर यासीन बोली, " ऐसी कैसी बात करेंगे जनाब आप हम तो आपको जानते भी नहीं और वैसे भी अनजानों से बात करने के लीये हमारे अब्बू ने मना किया हुआ है. फिर बादल बोला, " देखिये मोहतरमा, मुझे आपसे नहीं आपकी दोस्त ज़ेबा से बात करनी है. जीसे बोलना चाहिए वह कुछ भी बोल नहीं रही है और आप बेवजह में बकबक किये जा रही है." फिर यासीन बोली, " वाह मियाँ, आप दोनों की पहचान है या नहीं मै नहीं जानती लेकिन बेवजह आप दोनों के बीच हड्डी बन रही हूँ तो मै जाती हूँ आप अपना खुद देख लो" ऐसा बोलकर यासीन जाने लगती है तो ज़ेबा उसे पुकारती है, " ठहरो यासीन, जो भी बातें होंगी वह तुम्हारे सामने होंगी." फिर यासीन वापस ज़ेबा के करीब गयी और बोली, " हाँ तो बोलो मियाँ, आप क्या बात करना चाहते हो." फिर बादल बोला, ठीक है जेबा आपकी सहेली सामने तो सही. ज़ेबा मै आज आपसे अपने दिल की बात कहना चाहता हूँ. 
    
    हम बचपन से आजतक एक अच्छे दोस्त की तरह रहे है. लेकिन अब कुछ दिनों से मै आपके बारे में कुछ और सोचने लगा हूँ. या यूँ कहे की आप मुझे अच्छे
लगने लगे हो और मुझे आपसे प्यार होने लगा है." इसके आगे बादल कुछ और बोले यासीन बीच में बोल पड़ी, " बस बस मियाँ, आपने शार्टकट में आपके दिल का पैगाम सुना दिया अब मेरा जवाब." यासीन बोले जा रही थी तभी ज़ेबा बीच में बोली, ' ठहरो यासीन इसका जवाब हम देंगे. बादल हम और आप अबतक बच्चे थे और अब जवान हो गये है. पहले तब बात और थी लेकिन अब बात कुछ और है. पहले हमारे अब्बू अम्मी ने हमारे ऊपर कोई बंदिशे नहीं लगाई थी. लेकिन अभी हमारे ऊपर हजारों बंदिशे लागू हो गयी है. आज से हमें अपने से ज्यादा अपने अम्मी अब्बू की इज्जत ज्यादा प्यारी है. तुम यूँ रोज मेरा पीछा करते हो और आज सीधे रास्ते में रोककर बात करने के लीये चले आये हो तो तुम्हे ये सब आसान लग रहा है. लेकिन एक लड़की के नजरीये से देखोगे तो यह बहोत गलत बात है. आज तुम यूँ रास्ते में खडे होकर हमसे बात कर रहे हो तो कितने लोंग देख रहे है और क्या बाते हो रही होंगी हमारे बारे में. देखो बादल इश्क प्यार यह मेरे लीये गुनाह है इसलीये मै आपको बताती हूँ मै आपसे प्यार नहीं करती हूँ और आज के बाद मुझे यूँ रास्ते में रोकने की जुर्रेत मत करना." ऐसा कहते हुए जेबा यासीन के साथ अपने कॉलेज की तरफ नीकल पड़ी और बादल वहीं खड़ा रह गया.

    शेष अगले भाग में ............. ३