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इंस्पेक्टर आकाश ने फौरन सब इंस्पेक्टर राशिद को फोन किया। सब इंस्पेक्टर राशिद आइसक्रीम का ठेला लेकर घूम रहे थे। उन्होंने बताया कि वह मस्जिद के सामने से ही गुज़र रहे हैं। उन्हें भी सामने मंदिर का गुंबद दिख रहा है। वह सामने दिखने वाली सड़क पर आ रहे हैं। इंस्पेक्टर आकाश भी उस तरफ बढ़ गए। कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को दिखाई पड़ने लगे।
सब इंस्पेक्टर राशिद तेज़ कदमों से आगे बढ़ने लगे। वह कुछ ही आगे बढ़े होंगे कि एक गली से एक लड़का निकला जो उनके ठेले से टकराते टकराते बचा। उसे देखते ही सब इंस्पेक्टर राशिद के मुंह से निकला,
"कबीर तुम ???"
तब तक इंस्पेक्टर आकाश भी आ गए। वह बोले,
"तुम यहाँ कैसे आए ??"
कबीर के लिए चुपचाप घर में बैठना मुश्किल था। इंस्पेक्टर आकाश के मना करने के बाद उसने तय कर लिया कि वह बिना उन्हें बताए अकेले ही जाएगा। संडे था स्कूल नहीं जाना था। उसने अपने मम्मी पापा से कहा कि उसके एक दोस्त का जन्मदिन है। क्योंकी उसे शाम को बाहर जाना है इसलिए उसने सुबह ही उसे अपने घर बुला लिया है। वह शाम तक लौट आएगा। करन के किडनैप होने के बाद से कबीर बहुत उदास रहता था। उसके घरवालों ने सोचा कि इसी बहाने उसका दिल बहल जाएगा। अतः उन्होंने इजाज़त दे दी।
यहाँ आने के बाद सबसे पहले कबीर ने मंदिर मस्जिद का पता किया। वह समझ गया कि उनके बीच फैली मकानों की पंक्ति में ही किसी जगह करन को रखा गया है। उसे एक मकान दिखा जहाँ करन के होने का अंदेसा था। वह सब इंस्पेक्टर राशिद को फोन करने के लिए ही उस गली से निकल रहा था। उन लोगों के सवाल का जवाब देते हुए उसने कहा,
"मैं अपने दोस्त के लिए यहाँ आया हूँ। आप लोगों ने तो साथ लाने से मना कर दिया था। इसलिए मैं अकेले आ गया। यहाँ आने के बाद मैंने कुछ बातों का पता किया है। वह आप लोगों को बतानी है।"
तीनों ऐसे स्थान की खोज करने लगे जहाँ बैठ कर बात की जा सके। उन्हें एक बरगद का पेड़ दिखा। वह उसके नीचे खड़े होकर बात करने लगे। कबीर ने उन्हें बताया कि जिस गली से वह निकल रहा था उसके अंत में उसने एक मकान देखा है जहाँ करन को रखे जाने की पूरी संभावना है। उस मकान के सामने वाले मकान का पिछवाड़ा उसकी तरफ है जिसके कारण वह मकान एकांत में पड़ता है। कबीर ने बताया कि उस मकान के सामने कूड़े का एक ढेर है। उस ढेर में कबीर ने प्लास्टिक के डिस्पोसेबल चम्मच और डब्बे देखे जिनमें रेसटोरेंट वाले खाना पैक करते हैं। कूड़ा जल्द नहीं उठाया जाता है। इसलिए वहाँ ऐसे कई डब्बे थे। इसका मतलब यह हुआ कि किडनैपर करन के लिए पास के किसी रेस्टोरेंट से खाना लाता है। वह खाली डब्बे कूड़े के ढेर में फेंक देता है। अपनी बात कह कर कबीर ने अपनी जींस की जेब से तह किया हुआ एक प्लास्टिक बैग निकालते हुए कहा।
"सर यह मुझे उसी ढेर में पड़ा मिला।"
इंस्पेक्टर आकाश ने उस बैग को लेकर उसका निरीक्षण किया। उस पर प्रिंट था। शिवा भोजनालय.....आप खाना पैक करा कर भी ले जा सकते हैं। उस पर पता भी लिखा था। शिवा भोजनालय कुश नगर के पास ही था।
कबीर की इस पड़ताल से इंस्पेक्टर आकाश बहुत खुश हुए। उसकी पीठ थपथपा कर बोले,
"तुमने तो पुलिस वालों की तरह पड़ताल की है।"
अपनी घड़ी देखते हुए बोले।
"चलो तुम्हें भी शिवा भोजनालय में भोजन करा दें।"
सवा बारह होने वाला था। इंस्पेक्टर आकाश ने अंदाज़ लगाया कि लगभग इसी समय वह किडनैपर खाना लेने आता होगा। उन्होंने भोजनालय के मालिक को अपना परिचय पत्र दिखा कर पूछताछ की। उसने कूबूल किया कि पिछले आठ दस दिनों से एक लड़का रोज़ दो वक्त खाना पैक करा कर ले जाता है। इंस्पेक्टर आकाश ने उससे कहा कि जब वह लड़का आए तो उन्हें इशारा करें। तीनों भोजनालय के भीतर बैठ गए। करीब डेढ़ बजे संजय खाना पैक कराने आया। भोजनालय का मालिक बहाने से अंदर आया और इंस्पेक्टर आकाश को इशारे से बता दिया कि किडनैपर बाहर खड़ा है। इशारा पाकर इंस्पेक्टर आकाश ने उसे पकड़ लिया। भोजनालय के भीतर लाकर उससे सवाल जवाब करने लगे।
पहले तो संजय अपनी बात पर अड़ा रहा कि वह एक छात्र है जो अकेले रहता है। इसलिए खाना पैक करा कर ले जाता है। पर इंस्पेक्टर आकाश ज़रा भी ढीले नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि उनके पास पूरे सबूत हैं कि करन की किडनैपिंग में वह शामिल है। यदि वह पुलिस की मदद करेगा तो हो सकता है कि कानून उसके साथ कुछ रियायत बरते। अन्यथा उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा।
संजय पहले ही बहुत परेशान था। वह इस किडनैपिंग वाले मामले में खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहा था। अब तो उसकी गर्दन पुलिस के हाथ में थी। उसने सब कुछ सही सही बताने में ही भलाई समझी। संजय ने अपने बाकी के तीनों साथियों के बारे में बता दिया। उसने बताया कि किडनैपिंग के बाद से ही नवीन और रॉकी अपने काम पर नहीं जा रहे हैं। वो लोग करन पर नज़र रखते हैं। दिनेश अक्सर शाम को ही आता है। वह रोज़ सुबह शाम करन को खाना खिलाता है। किडनैपिंग के बाद से वह भी नवीन और रॉकी के साथ रह रहा है।
संजय पुलिस की मदद को तैयार हो गया। इंस्पेक्टर आकाश सब इंस्पेक्टर राशिद और कबीर ने मिलकर एक योजना बनाई।