Teri Meri Yaari - 5 in Hindi Classic Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | तेरी मेरी यारी - 5

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

तेरी मेरी यारी - 5


        (5)




सोनम से बात करने के इरादे से कबीर रीसेस के समय स्कूल के जूनियर सेक्शन में गया। उसने देखा कि सोनम सबसे अलग एक झूले पर उदास बैठी है। वह उसके पास जाकर बैठ गया। उसे देख कर सोनम की आँखें भर आईं। कबीर ने उसे समझाया,


"रो मत सोनम... सब ठीक हो जाएगा।"


सोनम ने रोते हुए कहा,


"कब ? इतने दिन तो हो गए। पर करन भइया का कोई पता नहीं चला।"


उसकी बात सुनकर कबीर बोला,


"सच कह रही हो सोनम। मैं भी बहुत दुखी हूँ। मैं अंकल से मिला था। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया।"


उसने सोनम की आँखों में देख कर पूछा,


"सच बताना सोनम। तुम जानती हो कि अंकल की किडनैपर से कोई बात हुई है क्या ?"


सोनम ने उसी तरह रोते हुए कहा,


"भइया मुझे कुछ नहीं मालूम। जब भी मैं उनसे करन भइया के बारे में बात करना चाहती हूँ वो कह देते हैं कि तुम परेशान मत हो। करन जल्दी ही घर आ जाएगा। मुझे कोई कुछ नहीं बताता है।"


यह सुनकर कबीर चुप हो गया। कुछ सोच कर बोला,


"पर सोच कर बताओ। शायद कोई बात याद आए। तुम्हारे कानों में कुछ पड़ा हो। तुम्हारी छोटी सी मदद करन को खोजने में बड़ी साबित हो सकती है।"


सोनम सोचने लगी। कुछ देर बाद बोली,


"भइया ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा। हाँ पापा आज सवेरे ही हमारे गाँव माधोपुर के लिए निकल गए। यह बात भी मम्मी के मुंह से गलती से निकल गई।"


उसकी बात सुनकर कबीर को लगा कि चलो कुछ तो पता चला। शायद यह बात किसी काम आ जाए। उसने कहा,


"ठीक है सोनम। मैं तुमसे मिलता रहूँगा। अगर तुम्हें कुछ पता चले तो ज़रूर बताना।"


सोनम से पता चला था कि मि. लाल अपने पुश्तैनी गांव गए थे। कबीर को लगा कि इस मुश्किल वक्त में अपने गांव जाने का कोई खास कारण ही होगा। वो कारण करन की किडनैपिंग से संबंधित हो सकता है। उसने यह बात इंस्पेक्टर आकाश को बताने का निर्णय लिया।


इंस्पेक्टर आकाश ने करन की किडनैपिंग के केस में कुछ जांच की थी। मि.लाल ने बताया था कि उन्हें किसी भी व्यक्ति पर संदेह नहीं जो करन को किडनैप कर सके। उनकी किसी के साथ भी दुश्मनी नहीं है। लेकिन फिर भी किडनैपिंग हुई थी। अतः इसके पीछे कोई ना कोई व्यक्ति अवश्य होगा यह सोचकर उन्होंने मि.लाल के पिछले जीवन के बारे में कुछ जानकारियां इकठ्ठा की थीं। जिनके अनुसार कुछ साल पहले मि.लाल ने अपने एक साथी मनीष के साथ मिलकर अपना व्यापार आरंभ किया था। आरंभ में सबकुछ सही चल रहा था। लेकिन दो साल के भीतर ही दोनों के बीच विवाद खड़ा हो गया। मि.लाल को लग रहा था कि मनीष बिज़नेस में हेराफेरी कर रहा है। उन्होंने मनीष पर धोखाधड़ी का इल्ज़ाम लगाया।


दोनों के बीच इस बात पर तनाव पैदा हो गया। मि. लाल ने मनीष को उसका हिस्सा देकर अलग कर दिया। मनीष अपना हिस्सा लेकर कहीं चला गया।


जाँच में पता कि मनीष ने उसके बाद मि.लाल से कोई संपर्क नहीं रखा। वह शिमला में एक छोटा सा लॉज चला रहा था। उस पर भी किसी तरह का संदेह नहीं किया जा सकता था।


इंस्पेक्टर आकाश ने कबीर के बारे में भी पूरी पड़ताल की थी। क्योंकी वही अकेला ऐसा शख्स था जो किडनैपिंग के समय करन के साथ था। लेकिन जाँच में उन्होंने पाया कि कबीर एक अच्छा लड़का है। सभी उसकी और करन की गहरी दोस्ती की बात करते थे। कबीर पर किसी तरह का शक करना उन्हें ठीक नहीं लगा। 


जब से किडनैपर पैसों का बैग लेकर भागा था तब से ही इंस्पेक्टर आकाश ने मि.लाल के फोन रिकॉर्ड पर नज़र लगाई हुई थी। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हो रहा था कि इस बीच उनके फोन पर किसी भी संदिग्ध नंबर से कॉल नहीं आया था। सब नंबर जाने हुए थे। वह हैरान थे कि इतना समय बीत जाने पर भी किडनैपर ने दोबारा संपर्क क्यों नहीं किया। अभी तक इस केस में उन्हें कोई सुराग नहीं मिला था। इंस्पेक्टर आकाश को बहुत हताशा हो रही थी।


इंस्पेक्टर आकाश बाहर जाने के लिए निकल रहे थे। छुट्टी के बाद कबीर इंस्पेक्टर आकाश से मिलने पहुँच गया। उसे देख कर इंस्पेक्टर आकाश ने पूछा,


"तुम कबीर हो ना ? तुम किडनैपिंग के वक्त वहीं थे। यहाँ कैसे आना हुआ ?"


उनकी बात सुनकर कबीर कुछ झेंप गया। उसने कहा,


"जी सर मैं उस वक्त वहीं था। पर कुछ कर नहीं सका। सब कुछ इतना अचानक हुआ कि मैं वैन का नंबर भी नहीं देख सका।"


इंस्पेक्टर आकाश ने कहा,


"तुम्हारा बयान दर्ज़ है। तो अभी यहाँ क्यों आए हो ? स्कूल यूनीफॉर्म में हो। घर जाने की जगह सीधे यहाँ आ गए। ऐसा क्या हुआ ?"


कबीर ने कहा,


"सर बस यही जानना चाहता हूँ कि करन के बारे में कुछ पता चला या नहीं।"


इंस्पेक्टर आकाश ने गंभीरता से कहा,


"तुम परेशान ना हो। हम अपना काम कर रहे हैं। जो भी होगा सामने आ जाएगा। वैसे भी ये तुम्हारा काम नहीं है। तुम अपनी पढ़ाई में मन लगाओ।"


कबीर समझ गया कि मि. लाल की तरह इंस्पेक्टर आकाश भी उसे बच्चा समझकर टाल रहे हैं। उसने कहा,


"सर करन मेरा दोस्त ही नहीं मेरे भाई जैसा है। उसके बारे में सोच कर मुझे बुरा लगता है।" 


"ठीक है। हम अपना काम कर रहे हैं। तुम जाओ।"


कबीर समझ गया कि इंस्पेक्टर आकाश उसे कुछ नहीं बताएंगे। उन्हें सोनम वाली बात बतानी होगी। उसने कहा,


"सर वो मैं एक बात बताना चाहता था। मुझे लगा शायद आपके काम आ जाए। इसलिए स्कूल से सीधा आपसे मिलने आ गया।"


इंस्पेक्टर आकाश ने आश्चर्य से पूछा,


"कौन सी बात ?"


कबीर ने बताया,


"सर मैं करन की बहन सोनम से मिला था। उसने बताया कि आज सुबह मि. लाल अपने गाँव माधोपुर के लिए निकले हैं।"


कबीर की बात सुनकर इंस्पेक्टर आकाश को लगा कि सचमुच यह बात उनके काम की हो सकती है। उन्होंने कबीर से कहा,


"थैंक्स कबीर..तुमने अच्छी जानकारी दी। मैं तुम्हारी फिक्र समझता हूँ। हम जल्दी ही करन को ढूंढ़ लेंगे।"


"थैंक्यू सर...अगर मैं भी कोई मदद कर सकूं तो मुझे अच्छा लगेगा।"


इंस्पेक्टर आकाश ने उसके कंधे को थपथपा कर कहा।


"अगर ज़रूरत लगी तो तुम्हें बताऊँगा।"


इंस्पेक्टर आकाश कबीर द्वारा दी गई जानकारी के बारे में सोचने लगे। उन्होंने मि. लाल के फोन रिकॉर्ड पर नज़र रखी थी। उसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा था। लेकिन मि. लाल का अपने गांँव जाना संकेत दे रहा था कि पुलिस से बहुत कुछ छिपा हुआ है। मि. लाल किडनैपर के संपर्क में हैं। उसके साथ हुई नई बातचीत की वजह से ही गांँव गए हैं। 


इंस्पेक्टर आकाश सोच रहे थे कि एक कड़ी है जो उनसे छूट गई है। उन्होंने तय किया कि उस कड़ी का पता लगाएंगे।



कबीर घर पहुँचा तो उसकी मम्मी बहुत परेशान थीं। उसे घर आने में देर हो गई थी। करन की किडनैपिंग के बाद उसकी मम्मी उसको लेकर भी परेशान रहती थीं। जब भी वह घर से बाहर जाता था तो उसे सख्त हिदायत देती थीं कि जल्दी ही घर लौटकर आए। उसे देखकर उन्होंने डांट लगाई। कबीर ने उन्हें बताया कि स्कूल की छुट्टी के बाद पुलिस स्टेशन गया था। करन के केस की प्रोग्रेस जानने के लिए।


कबीर संतुष्ट था कि उसने कुछ ऐसा किया है जो केस को आगे बढ़ा सकता है।