Bandhan Pyar ka - 3 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 3

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

बंधन प्यार का - 3

"गाइड का क्या करोगे?"
"गाइड हमें यहां का इतिहास बताने के साथ पूरा म्यूजियम भी दिखा देगा।"
"कर लो।"हिना ने गर्दन हिलाते हुए स्वीकृति दी थी।
"इस म्यूजियम की नींव मेडम तुषाद ने डाली थी।इसीलिए उनके नाम पर
नरेश ने एक गाइड कर लिया था।
"इस म्यूजियम का नाम मेडम तुषाद क्यो पड़ा?"हिना ने गाइड से प्रश्न किया था।
"इस मुजियम की नींव मेडम तुषाद ने रखी थी।इसीलिए उनके नाम पर इस म्यूजियम का नाम पड़ा।"
"मेडम तुषाद कौन थी?"हिना ने दूसरा प्रश्न किया था।
"मेरी का जन्म फ्रांस में हुआ था।बाद में वह फ्रांस से इंग्लैंड आ गयी।इंग्लैंड में डॉक्टर फिलिप मोम के अंग बनाते थे।मेरी ने डॉक्टर फिलिप से मोम के अंग बनाने की शिक्षा ली थी।बाद में वह मोम के पुतले बनाने लगी।पहले वह बेकर स्ट्रीट बाजार में अपने बनाये पुतलों की प्रदर्शनी लगाती थी।वह मोम के पुतले बनाने की अच्छी शिल्पकार बन गयी थी।धीरे धीरे उनके द्वारा बनाये मोम के पुतलों की संख्या ज्यादा हो गयी तब उसके मन मे एक संग्रहालय खोलने का विचआर आया।"
"तब यह संग्रहालय खोला"हिना ने पूछा था।
"इस तरह संग्रह की नींव पड़ी,"गाइड म्यूजियम के इतिहास के बारे में बताते हुए बोला,"अब यह म्यूजियम सिर्फ लंदन में ही नही है।"
"फिर?"
"इस म्यूजियम की ब्रांच विश्व के अनेक देशों में है।"
धीरे धीरे म्यूजियम में लोगो की संख्या बढ़ती जा रही थी।लोगो की तरफ इशारा करते हुए हिना बोली,"इसे देखने के लिए तो काफी लोग आते है?"
"लंदन आने वाला हर व्यक्ति चाहे वह देशी हो या विदेशी इस संग्रहालय को देखना जरूर चाहता है,"गाइड बोला,"हर साल लाखों की संख्या में लोग इसे देखने के लिए आते है।"
"यह देखो।चर्चिल,चार्ली चैप्लिन,महात्मा गांधी,नेल्सन मंडेला गाइड एक एक करके मोम के पुतले उन्हें दिखाने लगा
"यह बिल्कुल सजीव लग रहे है।" नरेश मोम के पुतलों को देखकर बोला था।
"aआप सही कह रहे है।"गाइड ने नरेश की बात का समर्थन किया था।
"अगर पुतले के बगल में उस आदमी को जिसका पुतला है खड़ा कर दिया जाए तो पहचान ही नही सकते कौनसा असली है और कौन नकली,"।आ हिना ने भी अपनी प्रतिकिर्या दी थी।
"आप किस देश से है?"गाइड ने नरेश से पूछा था।
"भारत से।"
"भारत के भी काफी लोगो के पुतले इस म्यूजियम में है,"गाइड भारतीयों के पुतले दिखाने लगा,"कपिल देव,सचिन तेंदुलकर,माधुरी दीक्षित,ऐश्वर्या राय
गाइड एक एक करके भारत के लोगो के पुतले दिखा रहा था तभी हिना बोली,"किसी पाकिस्तानी के भी पुतले इस म्यूजियम में है?"
"आप पाकिस्तान से है क्या/"गाइड ने हिना से पूछा था।
"यह मेरी दोस्त आएशा है।यह पाकिस्तान से है।" हिना जवाब दे पाती उससे पहले नरेश बोला था।
"आप लोग यहाँ घूमने के लिए आये है।"गाइड ने प्रश्न किया था।
"नही घूमने नही आये है,"नरेश बोला,"हम यहाँ पर पढ़ने के लिए आये है।हम दोनों इम्पीरियल कॉलेज से एम बी ए कर रहे है।"
"मेरे साथ आइए।कुछ पाकिस्तानी के भी मोम के पुतले इस म्यूजियम में है।बेनजीर भुट्टो,इमरान खान --गाइड पाकिस्तानी के पुतले दिखाने लगा।
नरेश और हिना काफी ध्यान से मोम के पुतलों को निहारते रहे।गाइड मोम के पुतले दिखाते हुए बोला
"यहाँ अभी चार सौ से ज्यादा पुतले है।धीरे धीरे इनकी संख्या बढ़ ही रही है।"
गाइड उनके साथ चलते हुए बोला,"पहले यहा पर चेम्बर ऑफ हॉरर भी था।"
"चेम्बर ऑफ हॉरर।मतलब?"गाइड की बात सुनकर वे चोंकते हुए बोले
"