Dani ki kahani - 25 in Hindi Children Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | दानी की कहानी - 25

Featured Books
  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

  • मंजिले - भाग 14

     ---------मनहूस " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ कहानी है।...

Categories
Share

दानी की कहानी - 25

दानी की कहानी 

--------------

   बच्चों के साथ का दानी का सफ़र बड़े मज़े में  कट रहा है | 

बच्चों के साथ दानी को सदा अपने बालपन की याद आ जाती | 

वे बच्चों में बच्ची ही तो बन जातीं | 

खूब ठाठ से रहती थीं दानी ! कोई नहीं समझ पाता कि उनके मन में क्या चल रहा है ?

सब बच्चे उनके साथ खेलना चाहते ,उनकी बातें सुनना चाहते | 

उनकी इच्छा रहती कि वे दानी के पास ही बने रहें | लेकिन यह संभव कहाँ था ? 

बच्चों के अपने कार्यक्रम ! अपनी व्यस्तताएँ ! अपने होम-वर्क ! एक्स्ट्रा कैरिकूलर एक्विटीविटीज़ ! 

बच्चे अक्सर दानी से पूछते कि उन्होंने अपने जीवन में इतने सारे  काम कैसे किए हैं ? 

दानी मुस्कुरा देतीं ;

"मुश्किल नहीं होता ,सब काम हो जाते हैं |बस,टाइम मैनेजमेंट की ज़रूरत है | "

"वही तो सीखना है दानी ,हमें सब काम मुश्किल क्यों लगते हैं ?" विभु बड़ा हो रहा था | 

उसे लगता ,वह एक समय  में न जाने कितने काम कर ले | लेकिन कोई न कोई छूट ही जाता था | 

वह उदास हो जाता और दानी के सामने चेहरा लटकाकर खड़ा हो जाता | 

" आज फिर मेरी हॉर्स-राइडिंग' की क्लास छुट गई ---" वह डाइनिंग टेबल पर मुँह लटकाए बैठा था | 

"क्यों छुट गई ?" दानी ने उसकी  ओर जूस  पीने का इशारा करते हुए पूछा |

     नाश्ता वह दानी के साथ ही करता था | दानी  सुबह के समय जूस पीना पसंद करतीं और वह भी | 

विभु रोज़ सुबह उठकर अपने शौक 'हॉर्स राइडिंग' के लिए साइकिल से चला जाता था |

थोड़ी ही दूर पर था ,इसलिए वह साइकिल से चला जाता ,मुश्किल से दस मिनिट लगते थे |  

वहाँ से जब तक आता ,घर के सारे लोग नाश्ता कर चुके होते | सबकी अपनी-अपनी व्यस्तताएँ थीं | 

दानी परिवार के हर उस सदस्य के लिए इंतज़ार करतीं जो रह जाता था | 

वैसे भी जूस दो-तीन लोगों का साथ में ही निकलता | ज़्यादा देर रखा रहता तो कड़वा होने की संभावना रहती | 

अगर कोई न होता तो दानी अपने आप ही जूस निकाल लेतीं |वे नाश्ते में हल्का ही लेना पसंद करतीं इसीलिए फल व जूस ही लेतीं |   

विभु के साथ अक्सर ऐसा ही होता था | जब तक वह हॉर्स राइडिंग से लौट न आता  ,दानी उसकी प्रतीक्षा करतीं | 

नाश्ता जो सबके लिए बनता ,वही उसके लिए भी होता | वह अक्सर अपने आप नाश्ता माइक्रोवेव में गरम कर लेता | 

महाराज दोपहर के खाने की तैयारी कर रहे होते |माँ-पापा का दोपहर का खाना उनके ऑफिस में ही जाता | 

डिब्बे वाले भाई सबका गर्मागर्म खाना उनके दफ़्तरों में पहुँचा देते थे |

विभु कॉपिटीशन की तैयारी कर रहा था इसलिए आजकल अधिकतर घर पर ही रहता था | जब मन होता ,दानी के पास आकर बैठ जाता और उसका मूड फ़्रेश हो जाता |      

         आज काफ़ी देर हो गई थी ,दानी विभु की प्रतीक्षा कर रही थीं | 'आज उसे देर क्यों हो रही है? वे सोच रहीं  थीं |

इतनी देर में विभु आँखें मलता हुआ आ गया था |  

"आज क्या हो गया बेटा ?"दानी ने उसके सिर पर हाथ रखकर प्यार से पूछा था | 

उन्होंने उठकर जूस निकाला और उसे पीने के लिए दिया ,साथ ही खुद भी बैठ गईं | 

 " दानी ! आज पता ही नहीं चला ,कब अलार्म बज गया | मैं सोता ही रहा | दरअसल ,सुबह चार बजे सोया था | " वह अभी भी आँखें मल रहा था | 

"बेटा ! तुम लोगों ने यह रात की पढ़ाई का तरीका अपना लिया है जबकि सुबह का समय ताज़गी भरा होता है | मैंने सब बच्चों को बताया लेकिन ---" 

"दानी ! आपका कहना ठीक है ,लेकिन हमने यह आदत पाल ली है |" 

"तो देखो न ,मैनेजमेंट ठीक न हो तो हमारे पूरे दिन पर असर पड़ता है | चार बजे उठने का समय होता है ,वो तुमने सोने का समय बना दिया |"

"दानी ,आज मेरी हॉर्स राइडिंग की भी छुट्टी हो गई |" वह काफ़ी नाखुश था | 

"अर्ली टु बैड,अर्ली टु राइज़ ---- "हमेशा की तरह दानी ने कहा | वे हमेशा सुबह चार और पाँच के बीच उठ जाती थीं | 

" हम्म --बात तो आपकी ठीक है दानी लेकिन हम गड़बड़ कर ही जाते हैं |"

"बेटा ! टाइम मैनेजमेंट जीवन में बहुत ज़रूरी है | तभी हम अपना सारा काम समय से कर सकते हैं |" फिर रुककर बोलीं ;

"रात को जल्दी सोकर चार बजे आराम से उठ सकते हो ,दो घंटे पढ़ाई करके समय से हॉर्स राइडिंग के लिए  जा सकते हो ,नाश्ता करके ,थोड़ा आराम करके फिर अपना काम शुरू कर सकते हो |"

"दानी ! सच हमें आप लोगों से कितना कुछ सीखने की ज़रूरत है |"उसने दानी से कहा | 

नाश्ता करके वह अपने कमरे की ओर चल दिया | 

उसने सोच लिया था कि वह  टाइम मैनेजमेंट करके सब काम समय पर पूरा करेगा | 

 

डॉ प्रणव भारती