hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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दो राहें, एक साथ By Anvie

सिया – एक सीधी-सादी, भावुक लड़की, जिसे अपनी दोस्ती से ऊपर कुछ नहींजान्हवी – एक महत्वाकांक्षी, बेबाक और बिंदास लड़की, जिसे लगता है दुनिया से लड़ने के लिए अकेला होना पड़ता हैभाग 1: प...

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वो गांव जो नक्शे में नहीं है By Vivek Singh

वो गांव जो नक्शे में नहीं है"(एक भटकी हुई रात… जो कभी ख़त्म नहीं हुई)रात के ठीक 8:47 पर, मोबाइल का नेटवर्क चला गया।आकाश और समीर को समझ नहीं आया कि जिस पहाड़ी रास्ते पर अभी तक सिग्न...

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फ़ासले भी ज़रूरी थे - भाग 2 By Dimpal Limbachiya

माया और राहुल – Part 2 (अंतिम भाग)“कुछ रिश्ते मिलते नहीं... पर वो छूटते भी नहीं।”रिश्तों की उम्र क्या होती है? कभी कुछ महीने, कभी कुछ साल… और कभी एक पल में ही सब कुछ हमेशा के लिए ब...

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कलम परिवेश की शायरी By Parivesh Dhakad

तेरी हर बात में बेशक सलीक़ा था मगर,हर सलीक़े में छुपा इक इल्ज़ाम भी था। मैंने हर मोड़ पे तुझसे तअल्लुक़ रखा,और तेरा हर जवाब, इन्तिक़ाम भी था। अब “परिवेश” को न कसूरवार समझा जाए,उसके...

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मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है By Vivek Singh

मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है"(एक सिंगल-शॉट हॉरर कहानी – अंत तक सिहर जाओगे)---28 दिसंबर की रात थी। ठंड अपने पूरे शबाब पर थी।कमरा बंद था, हीटर चालू… और मैं, अनिकेत, देर रात YouT...

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छाँव जैसी दोस्ती - दीप्ति और चंदन की कहानी By Bikash parajuli

भाग 1: बचपन की वो गलियाँबनारस की तंग गलियों में एक पुराना मोहल्ला था – जहाँ हर घर एक-दूसरे के दुख-सुख में शामिल रहता था। यहीं रहती थी दीप्ति, एक नटखट, तेज़-तर्रार लड़की, और सामने व...

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દીકરો-દીકરી By Pravina Kadakia

આ ફેસબુક પર, દીકરી અને દીકરા વિશે  વાંચીને હવે થાક લાગે છે. ફેસબુક જાણે એક “ફજેતો” છે. ગાંડુ ઘેલું લખવાની આદત પડી ગઈ છે. જો જરા વિચાર કરીને લખીએ તો કેટલું નવું જાણ...

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मुलाकात By Dr Sandip Awasthi

डॉ सन्दीप अवस्थी ऐसा लगता है रोज ब रोज की मुझे कोई बुला रहा है ।रूहें आवाजे दे रही हैं....आ जाओ , आ जाओ । आंख खुल जाती है और मैं चुपचाप दम साधे पड़ी रहती हूं कि यह सपना ही था या ......

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30 Minister with My Angel - 2 By Shantanu Pagrut

डॉक्टर ने आकर PSI दत्ता से कहा — "कुछ ही देर में रोशन को होश आ जाएगा।"   सभी के चेहरों पर राहत लौट आई। लेकिन उसी वक़्त दत्ता सर के मोबाइल पर एक इमरजेंसी कॉल आया। फोन के उस पार से आ...

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पिता का साया By Anjali

कहानी शीर्षक: पिता का सायाभाग 1: एक साया जो कभी दूर नहीं होतागाँव के एक सादे से घर में सूरज की किरणें जैसे ही खिड़की से टकराईं, अनया की आँखें खुल गईं। सामने दीवार पर लगी पिता जी की...

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वह आखरी खौफनाक लम्हें By Harish kumar

(वह आखरी खौफनाक लम्हें)दर्द भरी पहलगाम की दास्ता और 'ऑपरेशन सिंदूर' की वारदात तो बच्चे - बच्चे की जुबान पर है। परंतु बात यही तक सीमित नहीं हुई। बात थोड़ी आगे बढ़ाई जाए,तो प...

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तुम्हारे होने से By Veena Vij

धारा ने कर पार्किंग लोट में खड़ी की और दौड़ती हुई साउथ वेस्ट एयरलाइंस के कॉरिडोर में पहुंची तभी उसके फोन की घंटी बजी। वह समझ गई मान्या की फ्लाइट लैंड कर गई है। "मामा हम लैंड कर गए...

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जो कहा नहीं गया - 1 By W.Brajendra

जो कहा नहीं गया (एक प्रेम, जो राज्य का नहीं… आत्मा का था)  विरक्त राजकुमार राजकुमार विष्णु का जन्म राजघराने में हुआ था, लेकिन मन उसका वन और वेदांत में बसता था। बचपन से ही उसके भीतर...

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मा ने काटा, बाप ने खाया By BleedingTypewriter

एक गाँव, एक भूखा पिता, एक सौतेली माँ...
और दो मासूम बच्चे — बिरजू और फुलवा।

जब पिता को "मांस" की भूख लगती है, तो सौतेली माँ एक ऐसा निर्णय लेती है,
जो भाई-बहन की दुनिया हमे...

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ईंधन की कोठरी By Deepak sharma

उस अनुभव के बाद ही मैं ने जाना, आंख की अपेक्षा हमारे कान ज़्यादा तेज़ी दिखाते हैं। आंख से पहले कान जान लेते हैं,घटना ने अपना विस्तार किस पल अर्जित किया। किसी भी घटना को वे तात्क्षण...

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भूतिया गाँव By Sunita

बिहार और झारखंड की सीमादोपहर – 3:40 बजेसड़क से 6 किलोमीटर अंदर, धूलभरी पगडंडी परसियाराम का मोबाइल अब नेटवर्क से बाहर था।जंगल के किनारे से गुजरती पगडंडी पर उसकी बाइक धच-धच की आवाज़...

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You Are My Choice - 60 By Butterfly

हाय दोस्तों!!!! थैंक यू सो मच। मुझे इतना सारा सपोर्ट करने के लिए। इस पार्ट में 2000+ वर्ड काउंट है। तो इंजॉय रीडिंग!   Happy Reading---------------------------   काव्या हॉस्पिटल से...

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वापसी उस रात की By Dhiru singh

धीरु एक संवेदनशील मगर साहसी युवक था जो शहर के शोर से दूर एक पुराने जंगल के पास बसे गांव "व्यासपुर" में अपने दादा-दादी के साथ रहता था, जहां बचपन की यादें अभी भी हवा में तैरती थीं और...

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आंसू सूख गए - 3 By LM Sharma

आंसू सूख गए जिस गति से संसार भौतिकता की ओर जा रहा है , उस के कारण नये नये रोगों उत्पन हो रहे हैं । बहुत ऐसे रोग हैं जो पहले नहीं थे परंतु आज के मनुष्य ने बिना किसी प्रयास और रिसर्च...

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तन्हा हवेली में महक की मोहब्बत By Dhiru singh

धीरु शहर से दूर एक छोटे से गांव, चंदनपुर में रहता था, जहां हर चीज़ में सादगी और हर दिल में अपनापन था, लेकिन इस गांव की एक बात बाकी सब चीजों से अलग थी—यहां एक वीरान हवेली थी जिसे लो...

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राज और राधा: वो अधूरी दोस्ती, जो इश्क़ से कम न थी By Bikash parajuli

 पहली मुलाकात – जब निगाहें थम गईं️ सुबह की शुरुआतकॉलेज का पहला दिन था। मौसम साफ़ था, आसमान नीला और हवा में एक नयी सी ताजगी थी। लड़के-लड़कियाँ नए-नए कपड़े पहनकर, हाथों में फाइल्स लि...

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शापित दरवाज़ा By Dhiru singh

धीरु एक सीधा-सादा मगर मजबूत इरादों वाला लड़का था, जिसकी ज़िंदगी में एक सुकून भरी सादगी थी, लेकिन उसके दिल में हमेशा कुछ बड़ा करने की चाहत थी, कुछ ऐसा जो उसके वजूद को साबित कर दे, म...

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गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 15 By Anarchy Short Story

आलस का फलगौ तम बुद्ध के प्रिय शिष्यों में एक ऐसा भी था, जो बहुत आलसी था। परंतु वे उसे भी उतना ही स्नेह करते जितना अन्य शिष्यों को। एक दिन गौतम बुद्ध ने उस शिष्य को एक कथा सुनाते हु...

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क्या गुनाह था मेरा By Maya Hanchate

ताजा खबर आज फिर मिली एक लड़की की लाश सड़क पर।आज फिर एक मासूम लड़की बनी किसी दरिंदे की शिकार। क्या यही हालत रहेगी देश में लड़कियों की क्या है कर रहा है कानून क्या सजा मिलेगी उन दरिं...

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मौन कॉलर By Vivek Singh

मौन कॉलररात के दो बज रहे थे। पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, जैसे सबकुछ ठहर गया हो।विक्रम अपनी मेज पर झुका काम कर रहा था। उसे देर रात तक फाइलें निपटा...

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अंधेरे में छुपा इश्क़ By Dhiru singh

धीरु एक शांत सा लड़का था जो पहाड़ों की तलहटी में बसे एक छोटे से गांव में रहता था, गांव का नाम था पनघटपुर। वहां की वादियाँ जितनी हसीन थीं, उतनी ही रहस्यमयी भी थीं। गाँव के ठीक ऊपर ए...

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शापित हवेली: रूहों का बदला By Dhiru singh

उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज गांव "कुंवरगंज" के किनारे एक पुरानी हवेली खंडहर बन चुकी थी, लोग कहते थे उस हवेली में कोई रूह रहती है, जो हर पूर्णिमा की रात को जागती है, उस हवेली का नाम...

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भिन्न-अभिन्न By Deepak sharma

समान लंबाई- चौड़ाई रखने के बावजूद भी वे दो परिसर आज भिन्न आभास देते हैं। मगर आज से सत्ताईस वर्ष पूर्व वे एक अभिन्न पहचान रखते थे : जुड़वां कोठियों के नाम से चिह्मित थे। प्रत्येक सद...

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उफ्फ ये दाल! By Tanzilur rehman

शुक्र है यार, दाल तो गोश्त बन जाती।" जैसे ही वह लाउंज में दाखिल हुई, उसे अपनी सास की आवाज़ सुनाई दी। रफ़ाना की मुस्कान कम हो गई और उसका गुस्सा चरम पर पहुँच गया।"ये लोग दाल-चावल के...

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पहला प्यार By Anjali

पहला प्यार... यह वो एहसास होता है जो ज़िन्दगी में बस एक बार आता है, लेकिन उसकी यादें ताउम्र हमारे दिल में बसी रहती हैं। कुछ अधूरी, कुछ मासूम, कुछ बेहद खास।ये कहानी है रिया और आरव क...

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जलती हुई परछाई By Vivek Singh

️ जलती हुई परछाईलेखक: विवेक सिंहरात के दो बज चुके थे। बाहर सुनसान सन्नाटा पसरा था। मीनाक्षी ने बिस्तर पर करवट बदली तो अचानक उसकी नज़र कमरे की दीवार पर पड़ी।हल्की सी रोशनी में उसे अ...

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भूतिया सफर By Sunita

स्थान: बरेली का एक वीरान रेलवे स्टेशनसमय: रात 2:20 बजेघड़ी की टिक-टिक अब जैसे कान में सुराख़ कर रही थी।रात दो बजे के बाद का समय और वो स्टेशन — बरेली जंक्शन का पुराना प्लेटफॉर्म नंब...

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काश तुम बनारस होती By Rishabh Sharma

"काश तुम बनारस होती"     बनारस की गलियों से शुरू हुई दास्तां सुबह के साढ़े सात बजे बनारस की गलियों में वही रोज़ का शोर था — दूध वाले की आवाज़, मंदिर की घंटियां, और मोहल्ले की औरतों...

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तेरा साथ भी, तेरा साया भी – धीरु और खुशबू की अधूरी दास्तां By Dhiru singh

धीरु सिंह, एक शांत लेकिन रहस्यमयी युवक, जिसकी आंखों में दर्द भी था और इरादों में कोई चुप्पी भी थी, छोटे से गांव रतनपुर में अपने दादी के साथ रहता था, मां-बाप की मौत बचपन में एक भयान...

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अभागी By Deepak sharma

अपने कमरे से सटी रसोई का वार्तालाप मैं सुन रहा था। “तुम्हारी रसोई में चुहिया बहुत आती है,नंदू,” घर में रसोई का काम नंदू के ज़िम्मे रहता, मां के नहीं। अपने आदेश भी नंदू...

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मां का आंचल By Anjali

सूरज की पहली किरण जैसे ही खिड़की से होकर अंदर आई, राधिका की नींद खुल गई। सामने की दीवार पर टंगी माँ की तस्वीर पर उसकी नजर गई। वो तस्वीर हर सुबह उसे एक नई ताकत देती थी, मानो माँ अब...

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चौपाल से कैफे तक का फासला By Rishabh Sharma

"चौपाल से कैफे तक का फासला" (हरियाणा का लड़का और दिल्ली की लड़की की वो बात जो अधूरी नहीं थी)   वीरेंद्र एक साधारण सा लड़का था — हरियाणा के झज्जर जिले से। घुटनों तक पजामा, सफेद कुर्...

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शापित हवेली का आखिरी योद्धा - धीरेंद्र और स्नेहा की कहानी By Dhiru singh

गर्मी की छुट्टियों में दस पुराने दोस्त—धीरेंद्र, स्नेहा, राज, विशाल, समीर, अमन, आदित्य, करण, नवीन और रोहित—ने प्लान बनाया कि वे शहर की भागदौड़ से दूर किसी शांत पहाड़ी इलाके में कुछ...

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चरख़ी By Deepak sharma

दीपक शर्मा   “एक्सक्यूज़ मी,” क्लास रूम के दरवाज़े पर नीति अपनी सहेली के साथ खड़ी थी, “मुझे आलोक के साथ बहुत ज़रूरी काम है…..” “यह कौन है?...

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जिंदगी के दुश्मन - एक साजिश, एक कुर्बानी By Dhiru singh

चार छायाएं बचपन से एक थीं – अनूप, आनंद, पवन और बबलू। उनकी हंसी, उनकी शरारतें, उनके खेल, उनके सपने – सब कुछ साझा था। जब भी कोई गिरता, बाकी तीन उसे उठाने के लिए जान की बाज़ी लगा देते...

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तेरे साथ, एक वर्दी का सपना By Rishabh Sharma

"तेरे साथ, एक वर्दी का सपना"   गाँव की छोटी सी लाइब्रेरी में हर दिन सुबह 6 बजे एक लड़का आता था — नाम था आकाश। गहरे रंग का, पतला, आंखों में मेहनत की लकीरें और हाथों में एक पुराना नो...

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भूतिया रास्ता By Sunita

हिमाचल प्रदेश – मंडी से सटे एक पहाड़ी क्षेत्ररात के 10:30 बजेविराट चौहान की जीप उस समय एक कच्चे, संकरे रास्ते पर चढ़ रही थी। सामने दूर तक अंधेरा पसरा हुआ था। मोबाइल नेटवर्क गायब था...

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विजय और वो आम वाला बाग By Rishabh Sharma

"विजय और वो आम वाला बाग" विजय बम्बई का लड़का था — ऊंची बिल्डिंग में रहने वाला, चमकते जूते पहनने वाला और ‘थैंक यू’ बोलने वाला लड़का। लेकिन हर साल गर्मी की छुट्टियों में जब वो अपनी न...

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क्या ऋतिका बचा पाएगी अपनी प्रेमी की जान – धीरु की कहानी By Dhiru singh

धीरु एक साहसी और ईमानदार फौजी था जिसने बचपन से ही देशभक्ति को अपना धर्म बना लिया था, उसके पिता भी सेना में थे और बचपन से ही उसने सीखा था कि देश पहले आता है, बाकी सब बाद में, वह हर...

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घूंसे की ताकत: धीरु की वापसी By Dhiru singh

धीरु का स्वभाव बचपन से ही अलग था। गुस्से से भरा, मगर अन्याय के खिलाफ हमेशा खड़ा। कोई किसी कमज़ोर को सताए, तो धीरु सबसे पहले सामने आता। उसकी आँखों में आक्रोश जलता था और दिल में न्या...

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पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम By Rishabh Sharma

“पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम”   गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं और पूरा गांव दिनभर छांव ढूंढता फिरता था। लेकिन हम चार लड़कों के लिए छांव नहीं, पेड़ के ऊपर की टहनी ज़रूर...

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धीरु का अधूरा सच्चा प्यार By Dhiru singh

धीरु एक शांत, गम्भीर स्वभाव का लड़का था, जो हमेशा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहता था, लेकिन खुद के लिए कभी कुछ नहीं चाहता था, उसका चेहरा हमेशा मुस्कान से भरा होता था, लेकिन उस मुस्...

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दो राहें, एक साथ By Anvie

सिया – एक सीधी-सादी, भावुक लड़की, जिसे अपनी दोस्ती से ऊपर कुछ नहींजान्हवी – एक महत्वाकांक्षी, बेबाक और बिंदास लड़की, जिसे लगता है दुनिया से लड़ने के लिए अकेला होना पड़ता हैभाग 1: प...

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वो गांव जो नक्शे में नहीं है By Vivek Singh

वो गांव जो नक्शे में नहीं है"(एक भटकी हुई रात… जो कभी ख़त्म नहीं हुई)रात के ठीक 8:47 पर, मोबाइल का नेटवर्क चला गया।आकाश और समीर को समझ नहीं आया कि जिस पहाड़ी रास्ते पर अभी तक सिग्न...

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फ़ासले भी ज़रूरी थे - भाग 2 By Dimpal Limbachiya

माया और राहुल – Part 2 (अंतिम भाग)“कुछ रिश्ते मिलते नहीं... पर वो छूटते भी नहीं।”रिश्तों की उम्र क्या होती है? कभी कुछ महीने, कभी कुछ साल… और कभी एक पल में ही सब कुछ हमेशा के लिए ब...

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कलम परिवेश की शायरी By Parivesh Dhakad

तेरी हर बात में बेशक सलीक़ा था मगर,हर सलीक़े में छुपा इक इल्ज़ाम भी था। मैंने हर मोड़ पे तुझसे तअल्लुक़ रखा,और तेरा हर जवाब, इन्तिक़ाम भी था। अब “परिवेश” को न कसूरवार समझा जाए,उसके...

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मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है By Vivek Singh

मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है"(एक सिंगल-शॉट हॉरर कहानी – अंत तक सिहर जाओगे)---28 दिसंबर की रात थी। ठंड अपने पूरे शबाब पर थी।कमरा बंद था, हीटर चालू… और मैं, अनिकेत, देर रात YouT...

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छाँव जैसी दोस्ती - दीप्ति और चंदन की कहानी By Bikash parajuli

भाग 1: बचपन की वो गलियाँबनारस की तंग गलियों में एक पुराना मोहल्ला था – जहाँ हर घर एक-दूसरे के दुख-सुख में शामिल रहता था। यहीं रहती थी दीप्ति, एक नटखट, तेज़-तर्रार लड़की, और सामने व...

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દીકરો-દીકરી By Pravina Kadakia

આ ફેસબુક પર, દીકરી અને દીકરા વિશે  વાંચીને હવે થાક લાગે છે. ફેસબુક જાણે એક “ફજેતો” છે. ગાંડુ ઘેલું લખવાની આદત પડી ગઈ છે. જો જરા વિચાર કરીને લખીએ તો કેટલું નવું જાણ...

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मुलाकात By Dr Sandip Awasthi

डॉ सन्दीप अवस्थी ऐसा लगता है रोज ब रोज की मुझे कोई बुला रहा है ।रूहें आवाजे दे रही हैं....आ जाओ , आ जाओ । आंख खुल जाती है और मैं चुपचाप दम साधे पड़ी रहती हूं कि यह सपना ही था या ......

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30 Minister with My Angel - 2 By Shantanu Pagrut

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पिता का साया By Anjali

कहानी शीर्षक: पिता का सायाभाग 1: एक साया जो कभी दूर नहीं होतागाँव के एक सादे से घर में सूरज की किरणें जैसे ही खिड़की से टकराईं, अनया की आँखें खुल गईं। सामने दीवार पर लगी पिता जी की...

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वह आखरी खौफनाक लम्हें By Harish kumar

(वह आखरी खौफनाक लम्हें)दर्द भरी पहलगाम की दास्ता और 'ऑपरेशन सिंदूर' की वारदात तो बच्चे - बच्चे की जुबान पर है। परंतु बात यही तक सीमित नहीं हुई। बात थोड़ी आगे बढ़ाई जाए,तो प...

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तुम्हारे होने से By Veena Vij

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जो कहा नहीं गया - 1 By W.Brajendra

जो कहा नहीं गया (एक प्रेम, जो राज्य का नहीं… आत्मा का था)  विरक्त राजकुमार राजकुमार विष्णु का जन्म राजघराने में हुआ था, लेकिन मन उसका वन और वेदांत में बसता था। बचपन से ही उसके भीतर...

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मा ने काटा, बाप ने खाया By BleedingTypewriter

एक गाँव, एक भूखा पिता, एक सौतेली माँ...
और दो मासूम बच्चे — बिरजू और फुलवा।

जब पिता को "मांस" की भूख लगती है, तो सौतेली माँ एक ऐसा निर्णय लेती है,
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ईंधन की कोठरी By Deepak sharma

उस अनुभव के बाद ही मैं ने जाना, आंख की अपेक्षा हमारे कान ज़्यादा तेज़ी दिखाते हैं। आंख से पहले कान जान लेते हैं,घटना ने अपना विस्तार किस पल अर्जित किया। किसी भी घटना को वे तात्क्षण...

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भूतिया गाँव By Sunita

बिहार और झारखंड की सीमादोपहर – 3:40 बजेसड़क से 6 किलोमीटर अंदर, धूलभरी पगडंडी परसियाराम का मोबाइल अब नेटवर्क से बाहर था।जंगल के किनारे से गुजरती पगडंडी पर उसकी बाइक धच-धच की आवाज़...

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हाय दोस्तों!!!! थैंक यू सो मच। मुझे इतना सारा सपोर्ट करने के लिए। इस पार्ट में 2000+ वर्ड काउंट है। तो इंजॉय रीडिंग!   Happy Reading---------------------------   काव्या हॉस्पिटल से...

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वापसी उस रात की By Dhiru singh

धीरु एक संवेदनशील मगर साहसी युवक था जो शहर के शोर से दूर एक पुराने जंगल के पास बसे गांव "व्यासपुर" में अपने दादा-दादी के साथ रहता था, जहां बचपन की यादें अभी भी हवा में तैरती थीं और...

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आंसू सूख गए - 3 By LM Sharma

आंसू सूख गए जिस गति से संसार भौतिकता की ओर जा रहा है , उस के कारण नये नये रोगों उत्पन हो रहे हैं । बहुत ऐसे रोग हैं जो पहले नहीं थे परंतु आज के मनुष्य ने बिना किसी प्रयास और रिसर्च...

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तन्हा हवेली में महक की मोहब्बत By Dhiru singh

धीरु शहर से दूर एक छोटे से गांव, चंदनपुर में रहता था, जहां हर चीज़ में सादगी और हर दिल में अपनापन था, लेकिन इस गांव की एक बात बाकी सब चीजों से अलग थी—यहां एक वीरान हवेली थी जिसे लो...

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राज और राधा: वो अधूरी दोस्ती, जो इश्क़ से कम न थी By Bikash parajuli

 पहली मुलाकात – जब निगाहें थम गईं️ सुबह की शुरुआतकॉलेज का पहला दिन था। मौसम साफ़ था, आसमान नीला और हवा में एक नयी सी ताजगी थी। लड़के-लड़कियाँ नए-नए कपड़े पहनकर, हाथों में फाइल्स लि...

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शापित दरवाज़ा By Dhiru singh

धीरु एक सीधा-सादा मगर मजबूत इरादों वाला लड़का था, जिसकी ज़िंदगी में एक सुकून भरी सादगी थी, लेकिन उसके दिल में हमेशा कुछ बड़ा करने की चाहत थी, कुछ ऐसा जो उसके वजूद को साबित कर दे, म...

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गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 15 By Anarchy Short Story

आलस का फलगौ तम बुद्ध के प्रिय शिष्यों में एक ऐसा भी था, जो बहुत आलसी था। परंतु वे उसे भी उतना ही स्नेह करते जितना अन्य शिष्यों को। एक दिन गौतम बुद्ध ने उस शिष्य को एक कथा सुनाते हु...

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क्या गुनाह था मेरा By Maya Hanchate

ताजा खबर आज फिर मिली एक लड़की की लाश सड़क पर।आज फिर एक मासूम लड़की बनी किसी दरिंदे की शिकार। क्या यही हालत रहेगी देश में लड़कियों की क्या है कर रहा है कानून क्या सजा मिलेगी उन दरिं...

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मौन कॉलर By Vivek Singh

मौन कॉलररात के दो बज रहे थे। पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, जैसे सबकुछ ठहर गया हो।विक्रम अपनी मेज पर झुका काम कर रहा था। उसे देर रात तक फाइलें निपटा...

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अंधेरे में छुपा इश्क़ By Dhiru singh

धीरु एक शांत सा लड़का था जो पहाड़ों की तलहटी में बसे एक छोटे से गांव में रहता था, गांव का नाम था पनघटपुर। वहां की वादियाँ जितनी हसीन थीं, उतनी ही रहस्यमयी भी थीं। गाँव के ठीक ऊपर ए...

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शापित हवेली: रूहों का बदला By Dhiru singh

उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज गांव "कुंवरगंज" के किनारे एक पुरानी हवेली खंडहर बन चुकी थी, लोग कहते थे उस हवेली में कोई रूह रहती है, जो हर पूर्णिमा की रात को जागती है, उस हवेली का नाम...

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भिन्न-अभिन्न By Deepak sharma

समान लंबाई- चौड़ाई रखने के बावजूद भी वे दो परिसर आज भिन्न आभास देते हैं। मगर आज से सत्ताईस वर्ष पूर्व वे एक अभिन्न पहचान रखते थे : जुड़वां कोठियों के नाम से चिह्मित थे। प्रत्येक सद...

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उफ्फ ये दाल! By Tanzilur rehman

शुक्र है यार, दाल तो गोश्त बन जाती।" जैसे ही वह लाउंज में दाखिल हुई, उसे अपनी सास की आवाज़ सुनाई दी। रफ़ाना की मुस्कान कम हो गई और उसका गुस्सा चरम पर पहुँच गया।"ये लोग दाल-चावल के...

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पहला प्यार By Anjali

पहला प्यार... यह वो एहसास होता है जो ज़िन्दगी में बस एक बार आता है, लेकिन उसकी यादें ताउम्र हमारे दिल में बसी रहती हैं। कुछ अधूरी, कुछ मासूम, कुछ बेहद खास।ये कहानी है रिया और आरव क...

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जलती हुई परछाई By Vivek Singh

️ जलती हुई परछाईलेखक: विवेक सिंहरात के दो बज चुके थे। बाहर सुनसान सन्नाटा पसरा था। मीनाक्षी ने बिस्तर पर करवट बदली तो अचानक उसकी नज़र कमरे की दीवार पर पड़ी।हल्की सी रोशनी में उसे अ...

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भूतिया सफर By Sunita

स्थान: बरेली का एक वीरान रेलवे स्टेशनसमय: रात 2:20 बजेघड़ी की टिक-टिक अब जैसे कान में सुराख़ कर रही थी।रात दो बजे के बाद का समय और वो स्टेशन — बरेली जंक्शन का पुराना प्लेटफॉर्म नंब...

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काश तुम बनारस होती By Rishabh Sharma

"काश तुम बनारस होती"     बनारस की गलियों से शुरू हुई दास्तां सुबह के साढ़े सात बजे बनारस की गलियों में वही रोज़ का शोर था — दूध वाले की आवाज़, मंदिर की घंटियां, और मोहल्ले की औरतों...

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तेरा साथ भी, तेरा साया भी – धीरु और खुशबू की अधूरी दास्तां By Dhiru singh

धीरु सिंह, एक शांत लेकिन रहस्यमयी युवक, जिसकी आंखों में दर्द भी था और इरादों में कोई चुप्पी भी थी, छोटे से गांव रतनपुर में अपने दादी के साथ रहता था, मां-बाप की मौत बचपन में एक भयान...

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अभागी By Deepak sharma

अपने कमरे से सटी रसोई का वार्तालाप मैं सुन रहा था। “तुम्हारी रसोई में चुहिया बहुत आती है,नंदू,” घर में रसोई का काम नंदू के ज़िम्मे रहता, मां के नहीं। अपने आदेश भी नंदू...

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मां का आंचल By Anjali

सूरज की पहली किरण जैसे ही खिड़की से होकर अंदर आई, राधिका की नींद खुल गई। सामने की दीवार पर टंगी माँ की तस्वीर पर उसकी नजर गई। वो तस्वीर हर सुबह उसे एक नई ताकत देती थी, मानो माँ अब...

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चौपाल से कैफे तक का फासला By Rishabh Sharma

"चौपाल से कैफे तक का फासला" (हरियाणा का लड़का और दिल्ली की लड़की की वो बात जो अधूरी नहीं थी)   वीरेंद्र एक साधारण सा लड़का था — हरियाणा के झज्जर जिले से। घुटनों तक पजामा, सफेद कुर्...

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शापित हवेली का आखिरी योद्धा - धीरेंद्र और स्नेहा की कहानी By Dhiru singh

गर्मी की छुट्टियों में दस पुराने दोस्त—धीरेंद्र, स्नेहा, राज, विशाल, समीर, अमन, आदित्य, करण, नवीन और रोहित—ने प्लान बनाया कि वे शहर की भागदौड़ से दूर किसी शांत पहाड़ी इलाके में कुछ...

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चरख़ी By Deepak sharma

दीपक शर्मा   “एक्सक्यूज़ मी,” क्लास रूम के दरवाज़े पर नीति अपनी सहेली के साथ खड़ी थी, “मुझे आलोक के साथ बहुत ज़रूरी काम है…..” “यह कौन है?...

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जिंदगी के दुश्मन - एक साजिश, एक कुर्बानी By Dhiru singh

चार छायाएं बचपन से एक थीं – अनूप, आनंद, पवन और बबलू। उनकी हंसी, उनकी शरारतें, उनके खेल, उनके सपने – सब कुछ साझा था। जब भी कोई गिरता, बाकी तीन उसे उठाने के लिए जान की बाज़ी लगा देते...

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तेरे साथ, एक वर्दी का सपना By Rishabh Sharma

"तेरे साथ, एक वर्दी का सपना"   गाँव की छोटी सी लाइब्रेरी में हर दिन सुबह 6 बजे एक लड़का आता था — नाम था आकाश। गहरे रंग का, पतला, आंखों में मेहनत की लकीरें और हाथों में एक पुराना नो...

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भूतिया रास्ता By Sunita

हिमाचल प्रदेश – मंडी से सटे एक पहाड़ी क्षेत्ररात के 10:30 बजेविराट चौहान की जीप उस समय एक कच्चे, संकरे रास्ते पर चढ़ रही थी। सामने दूर तक अंधेरा पसरा हुआ था। मोबाइल नेटवर्क गायब था...

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विजय और वो आम वाला बाग By Rishabh Sharma

"विजय और वो आम वाला बाग" विजय बम्बई का लड़का था — ऊंची बिल्डिंग में रहने वाला, चमकते जूते पहनने वाला और ‘थैंक यू’ बोलने वाला लड़का। लेकिन हर साल गर्मी की छुट्टियों में जब वो अपनी न...

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क्या ऋतिका बचा पाएगी अपनी प्रेमी की जान – धीरु की कहानी By Dhiru singh

धीरु एक साहसी और ईमानदार फौजी था जिसने बचपन से ही देशभक्ति को अपना धर्म बना लिया था, उसके पिता भी सेना में थे और बचपन से ही उसने सीखा था कि देश पहले आता है, बाकी सब बाद में, वह हर...

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घूंसे की ताकत: धीरु की वापसी By Dhiru singh

धीरु का स्वभाव बचपन से ही अलग था। गुस्से से भरा, मगर अन्याय के खिलाफ हमेशा खड़ा। कोई किसी कमज़ोर को सताए, तो धीरु सबसे पहले सामने आता। उसकी आँखों में आक्रोश जलता था और दिल में न्या...

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पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम By Rishabh Sharma

“पेड़ से मीठे जामुन, पर पकड़ से तेज़ थे हम”   गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं और पूरा गांव दिनभर छांव ढूंढता फिरता था। लेकिन हम चार लड़कों के लिए छांव नहीं, पेड़ के ऊपर की टहनी ज़रूर...

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धीरु का अधूरा सच्चा प्यार By Dhiru singh

धीरु एक शांत, गम्भीर स्वभाव का लड़का था, जो हमेशा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहता था, लेकिन खुद के लिए कभी कुछ नहीं चाहता था, उसका चेहरा हमेशा मुस्कान से भरा होता था, लेकिन उस मुस्...

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